राजनीति टैरिफ युद्ध अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है July 14, 2025 / July 14, 2025 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment The tariff war could backfire on the US अमेरिका में श्री डानल्ड ट्रम्प के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के साथ ही दुनिया के लगभग समस्त देशों के साथ ट्रम्प प्रशासन द्वारा टैरिफ युद्ध की घोषणा कर दी गई है। अमेरिका में विभिन्न देशों से होने वाले आयात पर भारी भरकम टैरिफ लगाकर एवं टैरिफ की दरों में बार बार परिवर्तन कर तथा इन टैरिफ की दरों को लागू करने की तिथि में परिवर्तन कर ट्रम्प प्रशासन टैरिफ युद्ध को किस दिशा में ले जाना चाह रहा है, इस सम्बंध में अब स्पष्टता का पूर्णत: अभाव दिखाई देने लगा है। अब तो विभिन्न देशों को ऐसा आभास होने लगा है कि अमेरिकी प्रशासन विभिन्न देशों पर टैरिफ की दरों के माध्यम से अपना दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है ताकि ये देश अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अमेरिकी शर्तों पर शीघ्रता के साथ सम्पन्न करें। श्री ट्रम्प द्वारा कई बार यह घोषणा की गई है कि भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता शीघ्र ही सम्पन्न किया जा रहा है। अमेरिका एवं भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से भारतीय प्रतिनिधि मंडल अमेरिका में गया था तथा निर्धारित समय सीमा से अधिक समय तक वहां रहा एवं ऐसा कहा जा रहा है कि द्विपक्षीय समझौते के अंतिम रूप को अमेरिकी राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है परंतु अभी तक अमेरिका द्वारा अमेरिका एवं भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते की घोषणा नहीं की जा रही है। हालांकि, इस बीच अमेरिका द्वारा कई देशों के विरुद्ध टैरिफ की दरों को बढ़ा दिया गया है। विशेष रूप से जापान एवं दक्षिणी कोरिया से अमेरिका को आयात होने वाली वस्तुओं पर 1 अगस्त 2025 से 25 प्रतिशत की दर से टैरिफ लगाया जाएगा। इसी प्रकार, 12 अन्य देशों से अमेरिका में होने वाले आयात पर भी टैरिफ की बढ़ी हुई नई दरें लागू किये जाने का प्रस्ताव किया गया है। इस सम्बंध में अमेरिकी राष्ट्रपति ने इन 14 देशों के राष्ट्राध्यक्षों को पत्र भी लिखा है। इस सूची में भारत का नाम शामिल नहीं है। पूर्व में अमेरिका द्वारा चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर भारी भरकम टैरिफ की घोषणा की गई थी। चीन ने भी अमेरिका से होने वाली आयातित वस्तुओं पर लगभग उसी दर पर टैरिफ लागू करने की घोषणा कर दी थी। साथ ही, चीन ने विभिन्न देशों को दुर्लभ खनिज पदार्थों (रेयर अर्थ मिनरल) के निर्यात पर रोक लगा दी थी। अमेरिका में चीन के इस निर्णय का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। जिसके दबाव में अमेरिका ने चीन के साथ व्यापार समझौता करते हुए चीन से आयात होने वाली विभिन्न वस्तुओं पर टैरिफ की दरों को तुरंत कम कर दिया। अमेरिका द्वारा इसी प्रकार का एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता ब्रिटेन के साथ भी सम्पन्न किया जा चुका है। पूर्व में, ट्रम्प प्रशासन ने 90 दिवस की अवधि में 90 देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते करने की बात कही थी तथा 90 दिवस की समयावधि 9 जुलाई को समाप्त होने के पश्चात भी केवल दो देशों ब्रिटेन एवं चीन के साथ ही द्विपक्षीय व्यापार समझौता सम्पन्न हो सका है। भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा चुका है परंतु इसकी अभी तक घोषणा नहीं की गई है। द्विपक्षीय समझौते के लिए शेष देशों पर दबाव बनाने की दृष्टि से ही इन देशों से अमेरिका को होने वाले आयात पर टैरिफ की दरों को एक बार पुनः बढ़ाये जाने का प्रस्ताव है और इन बढ़ी हुई दरों को 1 अगस्त 2025 से लागू करने की योजना बनाई गई है। वैश्विक स्तर पर अमेरिका द्वारा छेड़े गए इस टैरिफ युद्ध से निपटने के लिए भारत एक विशेष रणनीति के अंतर्गत कार्य करता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत ने वैश्विक मंच पर न तो अमेरिका के टैरिफ की दरों में वृद्धि सम्बंधी निर्णयों की आलोचना की है और न ही भारत में अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है। बल्कि, भारत ने तो अमेरिका से आयात होने वाली कुछ विशेष वस्तुओं पर टैरिफ को कम कर दिया है। दरअसल, भारत इस समय विकास के उस चक्र में पहुंच गया है जहां पर भारत को अपना पूरा ध्यान आर्थिक क्षेत्र को आगे बढ़ाने पर केंद्रित करने की आवश्यकता है। भारत को यदि वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल करना है तो आगे आने वाले लगभग 20 वर्षों तक लगातार लगभग 8 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर को बनाए रखना अति आवश्यक है। इसलिए भारत एक विशेष रणनीति के अंतर्गत अपने आर्थिक विकास पर अपना ध्यान केंद्रित करता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत के रूस के साथ भी अच्छे सम्बंध हैं तो अमेरिका से भी अपने सम्बन्धों को सामान्य बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील है। भारत के इजराईल के साथ भी अच्छे सम्बंध हैं तो ईरान के साथ भी भारत के व्यापारिक सम्बंध हैं। रूस एवं यूक्रेन युद्ध के बीच भी भारत ने दोनों देशों के साथ अपना संतुलित व्यवहार बनाए रखा है। इसी कड़ी में, चीन के साथ भी आवश्यकता अनुसार बातचीत का दौर जारी रखा जा रहा है, बावजूद इसके कि कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन अप्रत्यक्ष रूप से भारत के विरुद्ध कार्य करता हुआ दिखाई देता है। अभी हाल ही में चीन ने भारत को दुर्लभ खनिज पदार्थों (रेयर अर्थ मिनरल) की आपूर्ति पूर्णत: रोक दी है। साथ ही, मानसून का मौसम भारत में प्रारम्भ हो चुका है एवं भारत में कृषि क्षेत्र में गतिविधियां अपने चरम स्तर पर पहुंच गई हैं, ऐसे अत्यंत महत्वपूर्ण समय पर चीन द्वारा भारत को उर्वरकों की आपूर्ति पर परेशनियां खड़ी की जा रही हैं। चीन द्वारा समय समय पर भारत के लिए खड़ी की जा रही विभिन्न समस्याओं के हल हेतु भारत ने विश्व के पूर्वी देशों एवं विश्व के दक्षिणी भाग में स्थित देशों की ओर रूख किया है। अभी हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने घाना, नामीबिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, त्रिनिदाद एवं टोबैगो जैसे देशों की यात्रा इस उद्देश्य से सम्पन्न की है ताकि दुर्लभ खनिज पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। इन देशों में दुर्लभ खनिज पदार्थ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। भारत में 140 करोड़ नागरिकों का विशाल बाजार उपलब्ध है, जिसे अमेरिका एवं चीन सहित विश्व का कोई भी देश नजर अन्दाज नहीं कर सकता है। यदि अमेरिका एवं चीन भारत के साथ अपने सम्बन्धों को किसी भी कारण से बिगाड़ने का प्रयास करते हैं तो लम्बी अवधि में इसका नुक्सान इन्हीं देशों को अधिक होने जा रहा है है क्योंकि ऐसी स्थिति में वे भारत के विशाल बाजार से वंचित हो जाने वाले हैं। भारत तो वैसे भी पिछले लम्बे समय से आत्मनिर्भर होने का लगातार प्रयास कर रहा है एवं कई क्षेत्रों में भारत आज आत्मनिर्भर बन भी गया है। अतः भारत की निर्भरता अन्य देशों पर अब कम ही होती जा रही है। भारत आज फार्मा, ऑटो, कृषि, इंजीनीयरिंग, टेक्नॉलोजी, स्पेस तकनीकी, सूचना प्रौद्योगिकी, आदि क्षेत्रों में बहुत आगे निकल चुका है। आज भारत विकास के उस पड़ाव पर पहुंच चुका है, जिसकी अनदेखी विश्व का कोई भी देश नहीं कर सकता है। भारत को हाल ही में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में कच्चे तेल के अपार भंडार होने का भी पता लगा है। एक अनुमान के अनुसार, यह भंडार इतने विशाल हैं कि आगामी 70 वर्षों तक भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति होती रहेगी। इसी प्रकार, भारत में कर्नाटक स्थित कोलार स्वर्ण खदानों में भी एक बार पुनः खुदाई का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। आरम्भिक अनुमान के अनुसार, प्रतिवर्ष लगभग 750 किलोग्राम स्वर्ण की आपूर्ति भारत को इन खदानों से हो सकती है। पूरे विश्व में आज केवल भारत ही युवा देश की श्रेणी में गिना जा रहा है क्योंकि भारत की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयुवर्ग में हैं तथा लगभग 40 प्रतिशत आबादी 15 से 35 वर्ष के आयुवर्ग में शामिल हैं। अतः एक तरह से भारत आज विश्व के लिए श्रम का आपूर्ति केंद्र बन गया है। लम्बे समय से रूस एवं यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बाद जब इन देशों में आधारभूत सुविधाओं को पुनर्विकसित करने का कार्य प्रारम्भ होगा तो इन्हें भारतीय श्रमिकों एवं इंजीनियरों की आवश्यकता पड़ने जा रही है, एक अनुमान के अनुसार अकेले रूस द्वारा में लगभग 10 लाख भारतीयों की मांग की जा सकती है। इसी प्रकार, इजराईल एवं हम्मास तथा ईरान के बीच युद्ध की समाप्ति के पश्चात इन देशों में भी बुनियादी ढांचे को पुनः मजबूत करने का कार्य जब प्रारम्भ होगा तो इन देशों को भी भारतीय नागरिकों की आवश्यकता पड़ेगी। इजराईल, जापान सिंगापुर एवं ताईवान आदि देशों द्वारा तो पूर्व में भी भारतीय इंजिनीयरों की मांग की जाती रही है। अमेरिका, ब्रिटेन एवं अन्य यूरोपीय देशों में तो डॉक्टर एवं इंजीनियरों की भारी मांग पूर्व से ही बनी हुई है। अतः आज भारत पूरे विश्व में डॉक्टर, इंजीनियर तथा श्रमिक उपलब्ध कराने के मामले बहुत आगे है। अतः भारत की इस ताकत की अनदेखी आज कोई भी देश नहीं कर सकता है। प्रहलाद सबनानी Read more » The tariff war could backfire on the US
राजनीति डिजिटल-क्रांति से ही नकली नोटों पर नियंत्रण संभव July 14, 2025 / July 14, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा हाल ही में जारी एक चौंकाने वाली रिपोर्ट ने न केवल अर्थव्यवस्था को, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा और नागरिकों की जागरूकता को भी झकझोर कर रख दिया है। आरबीआई के गवर्नर द्वारा संसदीय समिति में प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024-25 में 500 रूपये के लगभग 1.8 […] Read more » Control of fake notes is possible only through digital revolution नकली नोटों पर नियंत्रण
राजनीति शख्सियत समाज सादगी की सियासत: मनोहर लाल की राजनीति और परछाइयाँ July 11, 2025 / July 11, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment मनोहर लाल खट्टर हरियाणा की राजनीति में सादगी, ईमानदारी और पारदर्शिता के प्रतीक बनकर उभरे हैं। जहाँ अधिकतर नेता सत्ता से वैभव कमाते हैं, वहीं खट्टर जी ने जनता का भरोसा कमाया। उनके शासन में लाखों नौकरियाँ बिना सिफारिश और रिश्वत के दी गईं। निजी संपत्ति की बजाय उन्होंने मेहनती युवाओं की दुआएँ कमाईं। स्वयंसेवक […] Read more » मनोहर लाल
राजनीति समावेशी शासन की प्राथमिकता July 11, 2025 / July 11, 2025 by डॉ.बालमुकुंद पांडेय | Leave a Comment डॉ.बालमुकुंद पांडेय समावेशी शासन के लिए सरकार ने ‘ सेवा ,सुशासन एवं गरीब कल्याण’ के 11 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह 11 वर्ष गरीबों का कल्याण करने, मध्यम वर्ग को सुविधानुकूल वातावरण प्रदान करने, महिलाओं को सशक्त बनाने, किसानसमर्थक नीतियों को क्रियान्वित करने, देश के युवाओं को शैक्षणिक एवं रोजगारनुमुख माहौल देने, पड़ोसी देशों के साथ शांति, सहयोग ,स्थिरता एवं सौहार्द की नीति को क्रियान्वित करने ,वैश्विक पटल पर भारत […] Read more » समावेशी शासन की प्राथमिकता
राजनीति मराठी बोलना गर्व की बात, लेकिन हिन्दी से घृणा क्यों ? July 11, 2025 / July 11, 2025 by अजय जैन ' विकल्प ' | Leave a Comment अजय जैन ‘विकल्प’ अपनी स्थापना से ही भारत विविधताओं का देश बना हुआ है और भाषा इसकी सबसे खूबसूरत विशेषताओं में से एक है। इसलिए यहाँ अनेकता के बावजूद एकता है, चाहे फिर कोई भी मुद्दा हो, यानी कभी अपने को श्रेष्ठ बताकर किसी अन्य को बुरा नहीं कहा गया, किन्तु इस देश के राज्य महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई में […] Read more » but why hate Hindi It is a matter of pride to speak Marathi हिन्दी से घृणा
राजनीति मतदाता सूची में सुधार पर सुप्रीम सहमति सराहनीय July 11, 2025 / July 11, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग-बिहार में मतदाता सूची सुधार पर सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी सिर्फ एक न्यायिक फैसला नहीं, बल्कि लोकतंत्र के मूल्य को पुष्ट करने वाला ऐतिहासिक एवं प्रासंगिक निर्णय है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूची की समीक्षा के लिए आधार, राशन और वोटर कार्ड को भी मान्यता देने का सुझाव […] Read more » Supreme Court's agreement on voter list reform is commendable मतदाता सूची में सुधार
राजनीति ट्रंप की वापसी और व्यापार युद्ध की वैश्विक आग: दुनिया के लिए चेतावनी की घंटी July 11, 2025 / July 11, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी के साथ वैश्विक व्यापार युद्ध का खतरा फिर गहराने लगा है। उन्होंने विभिन्न देशों को शुल्क बढ़ोतरी की चेतावनी देते हुए पत्र भेजे हैं। इससे भारत सहित दुनिया भर में आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है। भारत को आत्मनिर्भर बनते हुए, नए साझेदारियों पर ध्यान देना चाहिए और विश्व मंचों पर […] Read more » ट्रंप की वापसी और व्यापार युद्ध की वैश्विक आग व्यापार युद्ध की वैश्विक आग
राजनीति ई-वोटिंग: लोकतंत्र की मजबूती या तकनीकी जटिलता? July 11, 2025 / July 11, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment ई-वोटिंग मतदान प्रक्रिया को सरल, सुलभ और व्यापक बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है। बिहार के प्रयोग से स्पष्ट है कि मोबाइल ऐप के माध्यम से मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी संभव है। हालांकि, तकनीकी पहुंच, साइबर सुरक्षा, मतदाता की पहचान और गोपनीयता जैसी चुनौतियाँ इस प्रणाली के समक्ष खड़ी हैं। डिजिटल […] Read more » E-voting: Strengthening of democracy or technical complexity ई-वोटिंग
राजनीति भारत और त्रिनिदाद — दो तट, एक आत्मा। July 10, 2025 / July 10, 2025 by सचिन त्रिपाठी | Leave a Comment सचिन त्रिपाठी जब भारत की पवित्र गंगा के घाटों से कुछ गरीब और मजबूर हाथ नावों में सवार हुए थे, तब उन्हें नहीं पता था कि उनके भाग्य की पतवार किसी और ही तट पर लगने वाली है। त्रिनिदाद और टोबैगो कैरेबियन सागर का यह छोटा सा द्वीपीय देश भारत से हजारों मील दूर होते हुए भी, भारतीय हृदय और इतिहास से गहराई से जुड़ा है। यह रिश्ता केवल कूटनीति या व्यापार का नहीं, बल्कि एक सामूहिक स्मृति और साझा संस्कृति का है। इस रिश्ते की शुरुआत 30 मई 1845 को हुई, जब ‘फाटेल रोज़ैक’ नामक जहाज भारत से 225 श्रमिकों को लेकर त्रिनिदाद पहुंचा। ब्रिटिश साम्राज्य ने दास प्रथा समाप्त होने के बाद भारत से मजदूरों को गिरमिटिया व्यवस्था के तहत भेजना शुरू किया। 1917 तक लगभग 1.5 लाख भारतीयों को त्रिनिदाद लाया गया। वे खेतों में गन्ना काटते थे पर अपने साथ अपने रामचरितमानस, भोजपुरी लोकगीत, त्योहारों की परंपराएं और देवताओं की मूर्तियां भी लाए। वो परदेश को देश बनाने की यात्रा थी। मंदिर बने, मस्जिदें खड़ी हुईं, दीवाली और होली मनाई जाने लगी। त्रिनिदाद की माटी में तुलसी और नीम के पौधे पनपने लगे। आज त्रिनिदाद में 500 से अधिक मंदिर, रामलीला मंडलियां, और भोजपुरिया संस्कृति की झलक हर कोने में देखी जा सकती है। भारत और त्रिनिदाद का यह रिश्ता केवल सांस्कृतिक नहीं, राजनीतिक भी बना। बासदेव पांडे, एक गिरमिटिया वंशज, त्रिनिदाद के प्रधानमंत्री बने (1995–2001)। बाद में कमला प्रसाद बिसेसर भी प्रधानमंत्री बनीं। आज वहां की कुल जनसंख्या लगभग 14 लाख है, जिसमें से 37% लोग भारतीय मूल के हैं। वे राजनीति, शिक्षा, चिकित्सा, और मीडिया में प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं। कूटनीतिक दृष्टि से भारत और त्रिनिदाद के संबंध 1962 में त्रिनिदाद की स्वतंत्रता के साथ ही औपचारिक रूप से स्थापित हुए। पोर्ट ऑफ स्पेन में भारतीय उच्चायोग न केवल राजनयिक काम करता है बल्कि हिंदी, योग, भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य को भी बढ़ावा देता है। 2025 में इस संबंध ने एक नई ऊंचाई तब छुई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में त्रिनिदाद की ऐतिहासिक यात्रा पर गए। उन्होंने वहां की संसद को संबोधित किया और देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद और टोबैगो” प्राप्त किया। यह सम्मान केवल भारत के प्रधानमंत्री को ही नहीं बल्कि उस पूरी ‘गिरमिटिया’ विरासत को समर्पित था जो शोषण से संस्कृति तक का सफर तय कर चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा केवल औपचारिकता नहीं थी, वह भारत की सॉफ्ट पावर, डायस्पोरा नीति और ग्लोबल साउथ लीडरशिप की स्पष्ट घोषणा थी। इस दौरान भारत और त्रिनिदाद के बीच 6 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए जिनमें डिजिटल गवर्नेंस, स्वास्थ्य, कृषि, संस्कृति, खेल और शिक्षा शामिल हैं। भारत ने त्रिनिदाद को 2000 लैपटॉप, आधुनिक स्वास्थ्य उपकरण, और डिजिटल एजुकेशन प्लेटफार्म प्रदान किए। साथ ही, भारतीय मूल के नागरिकों के लिए ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया सुविधा अब छठवीं पीढ़ी तक लागू कर दी गई है जिससे त्रिनिदाद में बसे भारतीय मूल के लोग अपने पुरखों की धरती से और मजबूती से जुड़ सकें। इस यात्रा के दौरान त्रिनिदाद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की पूरी तरह से समर्थन की भी घोषणा की। यह भारत के लिए एक बड़ी रणनीतिक कूटनीतिक विजय है हालांकि, विरोध के स्वर भी उठे। कुछ स्थानीय संगठनों ने भारत में मानवाधिकार स्थिति को लेकर आपत्ति जताई पर ये स्वर सीमित रहे। बहुसंख्य भारतीय समुदाय और सरकार ने इस दौरे को एक सांस्कृतिक उत्सव की तरह अपनाया। भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ यहां खुलकर चमकी. योग दिवस, हिंदी सप्ताह, भारतीय फिल्म महोत्सव और रामायण मंचन जैसे कार्यक्रमों ने त्रिनिदाद की नई पीढ़ी को फिर से भारत की ओर मोड़ा है। हिंदी भाषा अब वहाँ के स्कूलों में एक वैकल्पिक विषय बन चुकी है। भारत और त्रिनिदाद का संबंध आज केवल इतिहास की विरासत नहीं रहा, वह एक जीवंत, क्रियाशील और गहराता हुआ संवाद है। कभी जो रिश्ता ‘आंसुओं’ और ‘अनुबंधों’ से शुरू हुआ था, वह आज पुरस्कारों, समझौतों और विश्वास के पुल से जुड़ा है। यह संबंध बताता है कि भारत की आत्मा कहीं भी हो, वह मिटती नहीं, वह पनपती है। त्रिनिदाद की मिट्टी में गंगा की गूंज, तुलसी की खुशबू और रामायण की चौपाइयां आज भी जीवित हैं। प्रधानमंत्री मोदी की हालिया यात्रा ने इस पुल को नया रंग दिया है। अब यह सिर्फ संस्कृति की नहीं, तकनीकी, शिक्षा, वैश्विक नेतृत्व और विकास की साझेदारी बन चुकी है और यह साझेदारी आने वाले दशकों में भारत की वैश्विक भूमिका को और सशक्त बनाएगी। सचिन त्रिपाठी Read more » India and Trinidad भारत और त्रिनिदाद
राजनीति ई- वोटिंग ने रच दिया इतिहास July 10, 2025 / July 10, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ- बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने देश में पहली बार नगर निगम चुनाव में मोबाइल से मतदान करायाप्रमोद भार्गवदेश में मतदान के प्रति अरुचि प्रत्येक चुनाव में देखने में आती रही है। रोगग्रस्त या अन्य लाचारों को तो छोड़िए, उच्च shikshit एवं सक्षम कुलीन वर्ग मतदान के प्रति सबसे ज्यादा उदासीन रहता है। वैसे तो निर्वाचन […] Read more » E-voting E-voting created history
राजनीति ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ से प्रदेश होगा जल-समृद्ध July 10, 2025 / July 10, 2025 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment जल संरक्षण को लेकर सामूहिक जिम्मेदारी का भाव जगाता है यह अभियान, निकट भविष्य में आएंगे प्रभावी परिणाम – लोकेन्द्र सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने अभिनव प्रयोगों से अपनी विशेष पहचान बना रहे हैं। मध्यप्रदेश में जल संरक्षण के लिए प्रारंभ हुआ ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ मुख्यमंत्री डॉ. यादव की दूरदर्शी पहल है। निकट भविष्य में हमें इसके […] Read more » जल गंगा संवर्धन अभियान
राजनीति बिहार चुनावों में महिलाओं पर दांव के निहितार्थ July 10, 2025 / July 10, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने अभी तक मतदान की तारीखों की घोषणा नहीं की है, लेकिन राज्य में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। विभिन्न राजनीतिक दल लुभावनी घोषणाएं कर रहे हैं, नये-नये मुद्दों को उछाला जा रहा है। गोपाल खेमका हत्याकांड हो या तंत्र […] Read more » Implications of betting on women in Bihar elections बिहार चुनावों में महिलाओं पर दांव