राजनीति महिला आरक्षण की दहलीज़ पर लोकतंत्र: अब दलों को जिम्मेदारी उठानी होगी July 2, 2025 / July 2, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment 2023 में पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम भारत में राजनीति के स्वरूप को बदलने का ऐतिहासिक अवसर है। हालांकि इसका क्रियान्वयन 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले संभव है, लेकिन यह तभी सफल होगा जब राजनीतिक दल अभी से महिलाओं के लिए अनुकूल वातावरण बनाएँ। केवल आरक्षित सीटें देना पर्याप्त नहीं; दलों को आंतरिक कोटा, […] Read more » महिला आरक्षण की दहलीज़ पर लोकतंत्र महिला आरक्षण की दहलीज़ पर लोकतंत्र: अब दलों को जिम्मेदारी उठानी होगी
राजनीति सहयोग की शक्ति और सामाजिक समरसता का उत्सव July 2, 2025 / July 2, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment अन्तर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस- 4 जुलाई, 2025 ललित गर्ग हर वर्ष जुलाई के पहले शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस मनाया जाता है। यह दिन सहकारी संस्थाओं की उपलब्धियों को रेखांकित करने और उनके सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक योगदान को सम्मानित करने का अवसर होता है। सहकारिता एक ऐसा आंदोलन है जो ‘एकता में शक्ति’ की भावना […] Read more » A celebration of the power of cooperation and social harmony
राजनीति भारत का प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान नहीं चीन है July 1, 2025 / July 1, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी जब अंग्रेजों ने भारत को आजाद किया तो वो जाते-जाते भी भारत के साथ साजिश कर गए । उन्हें अच्छी तरह से पता था कि भारत भविष्य में बड़ी शक्ति के रूप में उभर सकता है । भारत बड़ी शक्ति बनकर उनके लिए भविष्य में चुनौती न बन जाए इसलिए भारत को दो टुकड़ों में बांट गए । यह हमारी गलत सोच है कि भारत का विभाजन हिन्दू-मुस्लिम मतभेद की वजह से हुआ था । वास्तव में उन्होंने दोनों समुदायों के बीच के मतभेदों को बढ़ाकर ऐसे हालात पैदा कर दिये गए कि विभाजन के लिए हमारे नेताओं को मजबूर होना पड़ा । पाकिस्तान बनने से न केवल भारत कमजोर हुआ बल्कि भारत को हमेशा के लिए उसका एक कट्टर दुश्मन मिल गया । पाकिस्तान अपनी पैदाइश से ही भारत को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानता आ रहा है जबकि भारत ने कभी भी पाकिस्तान को अपने दुश्मन के रूप में नहीं देखा । आप सोचकर देखिए कि अगर पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों में भारत की हार हुई होती तो पाकिस्तान ने भारत का क्या हाल किया होता । भारत ने कई युद्धों में पाकिस्तान को बुरी तरह से हराने के बावजूद उसके साथ मित्रों जैसा व्यवहार किया । वास्तव में पाकिस्तान अपनी पैदाइश से ही एक जिहादी मानसिकता वाले आत्मघाती आतंकवादी ही तरह व्यवहार कर रहा है । वो खुद को मिटाकर भी भारत को खत्म कर देना चाहता है । विदेशी शक्तियां पाकिस्तान की पैदाइश से ही उसका इस्तेमाल भारत को आगे बढ़ने से रोकने के लिए करती रही हैं । पहले अमेरिका और पश्चिमी देश पाकिस्तान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे थे, अब चीन पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है । पाकिस्तान एक ऐसे गुंडे की तरह है जिसे पैसा देकर कोई भी भारत के खिलाफ मैदान में उतार सकता है । इसकी एक वजह यह भी है कि पाकिस्तान अपनी शक्ति के बल पर भारत के खिलाफ ज्यादा कुछ नहीं कर सकता । सवाल यह है कि अगर कोई अन्य देश सह नहीं देता तो क्या पाकिस्तान भारत का दोस्त बन जाता । सच्चाई कड़वी है लेकिन सच यही है कि पाकिस्तान का अस्तित्व ही भारत विरोध पर टिका हुआ है । कहा जाता है कि देशों के पास उनकी सेना होती है लेकिन पाकिस्तान की सेना ऐसी है जिसके पास एक देश है । पाकिस्तानी सेना अपनी जनता को भारत के खिलाफ भड़काती रहती है कि अगर वो न हो तो भारत पाकिस्तान को खत्म कर देगा । यही कारण है कि पाकिस्तान की आम जनता भी भारत के प्रति नफरत से भरी हुई है और वो सेना का भारी-भरकम खर्च उठा रही है । पाकिस्तान के कारण भारत का सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि वो अपने असली दुश्मन को कभी पहचान नहीं सका । पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने कहा था कि चीन भारत का नम्बर वन दुश्मन है लेकिन उनकी यह बात किसी को समझ नहीं आई । प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी चीन को मित्र देश मानते थे और उसके साथ मिलकर शांति के कबूतर उड़ाया करते थे । चीन से मित्रता हासिल करने के लिए उन्होंने भारत के हितों के साथ कई समझौते किये । वो चीन को खुश करते रहे ताकि वो भारत का दोस्त बना रहे लेकिन उनकी लाख कोशिशों के बावजूद चीन ने 1962 में भारत पर हमला करके भारत के बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया । चीन के इतने बड़े धोखे के बाद कुछ सालों तक भारत सरकार चीन के प्रति सतर्क रही लेकिन फिर एक बार उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया गया । यूपीए शासन के दौरान कांग्रेस ने चीन के साथ एक एमओयू साइन किया है लेकिन इसमें क्या है, यह अभी तक देश की जनता को पता नहीं है । आज राहुल गांधी चीन के विकास का ढिंढोरा पीटते हैं लेकिन वो यह नहीं बताते कि 1980 तक चीन भारत के बराबर ही था लेकिन कांग्रेस की नीतियों के कारण भारत पिछड़ता गया और चीन आगे बढ़ गया । कितनी अजीब बात है कि एक लोकतांत्रिक देश होने के बावजूद भारत वामपंथी नीतियों पर चलकर आर्थिक बर्बादी की ओर जा रहा था जबकि चीन वामपंथी देश होकर पूंजीवाद के बल पर आर्थिक विकास की सीढ़ियां तेजी से चढ़ रहा था । वाजपेयी सरकार के समय भारत का चीन के साथ एक अरब डॉलर के घाटे का व्यापार था लेकिन यूपीए शासन के बाद यह घाटा सौ अरब डॉलर तक पहुंच गया । मोदी सरकार के आने के बाद इसमें बढ़ोतरी बेशक न हुई हो लेकिन यह कम नहीं हो पा रहा है । इसकी बड़ी वजह यह है कि यूपीए शासन के दौरान हमारी अर्थव्यवस्था चीन पर इतनी ज्यादा निर्भर हो गई है कि हम चाह कर भी चीन से आयात कम नहीं कर पा रहे हैं । सवाल यह है कि हम अपने ही पैसे से दुश्मन को क्यों बढ़ावा दे रहे हैं । वास्तव में चीन ने अमेरिका के सहयोग से अपने आपको दुनिया की फैक्टरी बना लिया है । यह हमारे देश की विदेश नीति की बहुत बड़ी विफलता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के बावजूद अमेरिका ने हमें न चुनकर चीन को इस काम के लिये चुना । जो चीन 1980 में हमारे बराबर था, वो आज हमारे से पांच गुणा बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है । हम पाकिस्तान के साथ ऐसे उलझे रहे कि हम चीन की तरफ देख ही नहीं पाए । हम यह पहचान नहीं सके कि हमारा असली दुश्मन चीन है और उसकी बढ़ती ताकत एक दिन हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या बन जाएगी । हम पाकिस्तान से खुद को अलग करना चाहते थे लेकिन आतंकवाद को हथियार बनाकर उसने हमें उलझाये रखा । पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम इसलिए नहीं उठाए गए क्योंकि पाकिस्तान परमाणु बम की धमकी देता था । पाकिस्तान और चीन ने एक जबरदस्त गठजोड़ बना लिया है जो हमारी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है । 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद चीन के खतरे को सही तरह से पहचाना गया है । यूपीए शासन में चीन सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास की अनदेखी की गई क्योंकि रक्षा मंत्री का कहना था कि चीन इसका फायदा उठाकर हमारे देश में घुस जाएगा । मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे का विकास करके बता दिया कि यूपीए सरकार की सोच कितनी गलत थी । मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में खुद को आत्मनिर्भर बनाने की ओर कदम बढ़ाए जबकि पहले हम पूरी तरह से विदेशी हथियारों पर निर्भर थे । ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया कि भारतीय हथियारों में कितना दम है और भारत हथियारों के मामले में कितना आत्मनिर्भर हो चुका है । इस युद्ध में पाकिस्तान ने चीनी हथियारों का जबरदस्त इस्तेमाल किया है लेकिन हमारी सेना ने दिखा दिया कि वो चीनी हथियारों का कैसे मुकाबला कर सकती है । भारत की जबरदस्त रक्षा तैयारियां बता रही हैं कि हम पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी नहीं कर रहे हैं । चीन को भी समझ आ चुका है कि भारत उसका मुकाबला करने की तैयारी कर रहा है । पहले डोकलाम और फिर गलवान में भारतीय सेना ने बता दिया है कि भारत चीन से मुकाबले के लिए तैयार है । भारत इसकी भी तैयारी कर रहा है कि अगर चीन और पाकिस्तान एक साथ हमला कर दें तो कैसे मुकाबला करना है । ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया है कि पाकिस्तान के मुकाबले हम सैन्य के रूप से इतने ज्यादा सक्षम हैं कि उसकी ज्यादा परवाह करने की जरूरत नहीं है । हमारा असली दुश्मन पाकिस्तान नहीं चीन है और उसकी बढ़ती आर्थिक ताकत है । भारत उसके मुकाबले के लिये उसके विकल्प के रूप में दुनिया के सामने खुद को पेश कर रहा है और इसका असर दिखाई देने लगा है । विदेशी कंपनियों को भारत में चीन से मुकाबला करने की क्षमता दिखाई दे रही है । आज भारत दुनिया का सबसे किफायती उत्पादन करने वाला देश बन गया है जो कि पहले चीन था । हम जल्दी ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं लेकिन चीन से मुकाबला करना अभी भी मुश्किल दिखाई दे रहा है । अब समय आ गया है कि हम पाकिस्तान से खुद को अलग करके चीन की तरफ ध्यान दें । हम बेशक चीन के खिलाफ सैन्य तैयारियां कर सकते हैं लेकिन जब तक आर्थिक रूप से उसके मुकाबले खड़े नहीं होते, तब तक हम कमजोर ही रहेंगे । सैन्य रूप से मजबूत होना जरूरी है लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है कि दुश्मन से आर्थिक रूप से कमजोर न हुआ जाए । अगर किसी वजह से लड़ाई लंबी हो जाए तो आर्थिक ताकत ही काम आती है । चीन के साथ मित्रता रखते हुए हमें उससे मुकाबले को तैयार भी रहना है । जब तक हम आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हो जाते, उसके उकसावे में नहीं आना है । हमारा मीडिया और जनता पाकिस्तान को जितना महत्व देते हैं और उससे बेहतर होने की खुशी मनाते हैं, उससे बाहर निकलने की जरूरत है । अब हमारा ध्यान सिर्फ चीन पर होना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान भी अब सिर्फ उसका मोहरा भर रह गया है । चीन भारत के खिलाफ बांग्लादेश को भी तैयार कर रहा है । इसके अलावा वो म्यांमार में भी अपना प्रभाव बढ़ा रहा है । हमें चीन की हरकतों पर कड़ी नजर रखनी होगी क्योंकि वो नहीं चाहता है कि भारत एक बड़ी आर्थिक शक्ति बन जाए । राजेश कुमार पासी Read more » India's rival is China not Pakistan भारत का प्रतिद्वंद्वी चीन
राजनीति समाजवादी- धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा की जरूरत July 1, 2025 / July 1, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भः-आपातकाल में दर्ज किए संविधान की प्रस्तावना में संतों को हटाने की जरूरतप्रमोद भार्गव आपातकाल में जब भारतीय लोकतंत्र कारागारों में बंधक था तब 1976 में संविधान की प्रस्तावना में 42वें संविधान संषोधन अधिनियम के तहत बदला गया, जिसमें ‘समाजवादी‘, ‘धर्मनिरपेक्ष‘ और ‘अखंडता‘ शब्द जोड़ दिए गए थे। अब इन शब्दों को विलोपित करने की मांग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उठा दी […] Read more » There is a need to review the words socialist and secular
राजनीति क्या पीएमएमएल ट्रस्ट सोनिया गाँधी पर चोरी का मुकदमा दर्ज करायेगा? June 30, 2025 / June 30, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे कॉन्ग्रेस नेता सोनिया गाँधी पर जल्द ही चोरी का मुकदमा दर्ज हो सकता है। प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसाइटी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़े कुछ निजी दस्तावेजों को वापस पाने के लिए इस एक्शन पर विचार कर रही है। ये दस्तावेज वर्ष 2008 में यूपीए सरकार के दौरान हटाए गए […] Read more » Will PMML Trust file a theft case against Sonia Gandhi?
राजनीति संविधान की प्रस्तावना में शामिल ‘समाजवादी’ व ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द पर जारी सियासत के मायने June 30, 2025 / June 30, 2025 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में बाद में शामिल किए गए दो शब्दों ‘संविधान की प्रस्तावना में शामिल ‘समाजवादी’ व ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द पर जारी सियासत के मायने’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ को ‘संविधान हत्या दिवस’ के दिन ही हटवाने की जो वकालत की है, उसके राष्ट्रीय, सामाजिक और […] Read more » 'समाजवादी' व 'धर्मनिरपेक्षता'
राजनीति युद्ध के बाद जश्न और मातम के निहितार्थ June 30, 2025 / June 30, 2025 by डॉ घनश्याम बादल | Leave a Comment डॉ घनश्याम बादल हालांकि भारत और पाकिस्तान तथा इसराइल और ईरान के बीच युद्ध की विभीषिका शांत हो गई है और इन दो बड़े युद्धों से दुनिया कम से कम अभी तो बच गई है मगर कोई निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकता कि इन देशों के बीच या कहीं भी कब किस मुद्दे […] Read more » The implications of celebration and mourning after the war युद्ध के बाद जश्न और मातम
राजनीति कथावाचक, समाज और जातिवाद की राजनीति June 30, 2025 / June 30, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी हमारे देश में जाति-धर्म का मुद्दा राजनीति करने के लिए नेताओं को खूब लुभाता है । जैसे ही उनको ऐसा अवसर मिलता है वो उसे तुरंत लपक लेते हैं क्योंकि इस मुद्दे पर कुछ नहीं करना होता, सिर्फ लोगों को भड़काना होता है । ऐसा ही एक मुद्दा उत्तर प्रदेश की राजनीति […] Read more » कथावाचक
राजनीति जगन्नाथ रथयात्रा हादसा प्रबंधन की भूल का परिणाम June 30, 2025 / June 30, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ- जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा में हुआ हादसाप्रमोद भार्गव धार्मिक उत्सवों में दुर्घटनाओं का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। प्रयागराज कुंभ मेले में और इसी साल जून माह में बैंगलुरु में आईपीएल मैच में मची भगदड़ की स्मृतियां विलोपित भी नहीं हो पाईं थीं कि पुरी में चल रहे भगवान जगन्नाथ […] Read more » जगन्नाथ रथयात्रा हादसा
आर्थिकी राजनीति भारत की आर्थिक प्रगति में अब तो ईश्वर भी सहयोग कर रहा है June 30, 2025 / June 30, 2025 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment कुछ दिनों पूर्व भारत में दो विशेष घटनाएं हुईं, परंतु देश के मीडिया में उनका पर्याप्त वर्णन होता हुआ दिखाई नहीं दिया है। प्रथम, भारत के अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्र में कच्चे तेल के अपार भंडार होने का पता लगा है, कहा जा रहा है कि कच्चे तेल का यह भंडार इतनी भारी मात्रा में है कि भारत, कच्चे तेल सम्बंधी, न केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाएगा बल्कि कच्चे तेल का निर्यात करने की स्थिति में भी आ जाएगा। यदि भारत को कच्चे तेल की उपलब्धि पर्याप्त मात्रा में हो जाती है तो इसका प्रसंस्करण कर, डीजल एवं पेट्रोल के रूप में, पूरी दुनिया की खपत को पूरा करने की क्षमता को भी भारत विकसित कर सकता है। भारत में विश्व की सबसे बड़ी रिफाइनरी गुजरात के जामनगर में पूर्व में ही स्थापित है। अतः कच्चे तेल के साथ साथ डीजल एवं पेट्रोल का भी भारत सबसे बड़ा निर्यातक देश बन सकता है। जैसा कि दावा किया जा रहा है, यदि यह दावा सच्चाई के धरातल पर खरा उतरता है तो आगे आने वाले समय में भारत का विश्व में पुनः “सोने की चिड़िया” बनना लगभग तय है। भारत आज पूरे विश्व में कच्चे तेल का चीन एवं अमेरिका के बाद सबसे बड़ा आयातक देश है और विदेशी व्यापार के अंतर्गत भी कच्चे तेल के आयात पर ही सबसे अधिक विदेशी मुद्रा खर्च हो रही है। कच्चे तेल का उत्पादन यदि भारत में ही होने लगता है तो न केवल इसके आयात पर होने वाले भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा के खर्च को बचाया जा सकेगा बल्कि पेट्रोल एवं डीजल के निर्यात से विदेशी मुद्रा का भारी मात्रा में अर्जन भी किया जा सकेगा। जिसके कारण, भारत में विदेशी मुद्रा के भंडार में अतुलनीय बचत एवं संचय होता हुआ दिखाई देगा और इस प्रकार भारत विश्व में विदेशी मुद्रा का सबसे बड़ा संचयक देश बन सकता है। वर्तमान में भारत कच्चे तेल की अपनी कुल आवश्यकता का 85 प्रतिशत से अधिक हिस्सा लगभग 42 देशों से प्रतिवर्ष आयात करता है। भारत कच्चे तेल की अपनी कुल खरीद का 46 प्रतिशत हिस्सा पश्चिम एशिया के देशों से आयात करता है। वर्तमान में भारत द्वारा कच्चे तेल एवं गैस के आयात पर 10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि खर्च प्रतिवर्ष किया जा रहा है। भारत सरकार के पेट्रोलीयम मंत्री श्री हरदीपसिंह जी पुरी ने जानकारी प्रदान की है कि अंडमान एवं निकोबार के समुद्री क्षेत्र में कच्चे तेल एवं गैस का बहुत बड़ा भंडार मिला है। एक अनुमान के अनुसार यह भंडार 12 अरब बैरल (2 लाख करोड़ लीटर) का हो सकता है जो हाल ही में गुयाना में मिले कच्चे तेल के भंडार जितना ही बड़ा है। गुयाना में 11.6 अरब बैरल कच्चे तेल एवं गैस के भंडार पाए गए है। इस भंडार के बाद गुयाना कच्चे तेल के उत्पादन के मामले में विश्व में शीर्ष स्थान पर पहुंच सकता है जबकि अभी ग़ुयाना का विश्व में 17वां स्थान है। वर्ष 1947 में प्राप्त हुई राजनैतिक स्वतंत्रता के बाद के लगभग 70 वर्षों तक भारत की समुद्री सीमा की क्षमता का उपयोग करने का गम्भीर प्रयास किया ही नहीं गया था। हाल ही में भारत सरकार द्वारा इस संदर्भ में किए गए प्रयास सफल होते हुए दिखाई दे रहे हैं। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के समुद्री क्षेत्र में कच्चे तेल एवं गैस के भारी मात्रा में जो भंडार मिले हैं उनका अन्वेषण का कार्य समाप्त हो चुका है एवं अब ड्रिलिंग का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। ड्रिलिंग का कार्य समाप्त होने के बाद कच्चे तेल एवं गैस के भंडारण का सही आंकलन पूर्ण कर लिया जाएगा। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में आधारभूत संरचना का विकास भी बहुत तेज गति से किया जा रहा है। इंडोनेशिया के सुमात्रा क्षेत्र के समुद्रीय इलाकों से भी भारी मात्रा में कच्चा तेल निकाला जा रहा है तथा भारत का अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह भी इंडोनेशिया से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इसके कारण यह आंकलन किया जा रहा है कि अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के समुद्रीय क्षेत्र में भी कच्चे तेल एवं गैस के अपार भंडार मौजूद हो सकते है। हर्ष का विषय यह भी है कि इस क्षेत्र में कच्चे तेल एवं गैस के साथ साथ अन्य दुर्लभ भौतिक खनिज पदार्थों (रेयर अर्थ मिनरल/मेटल) के भारी मात्रा में मिलने की सम्भावना भी व्यक्त की जा रही है। भारी मात्रा में मिलने जा रहे कच्चे तेल के चलते भारत अपनी परिष्करण क्षमता को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। चूंकि चीन ने कुछ दुर्लभ भौतिक खनिज पदार्थों का भारत को निर्यात करना बंद कर दिया है अतः भारत के अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में इन पदार्थों का मिलना भारत के लिए बहुत बड़ी खुशखबर है। पूर्व में भी भारत में कच्चे तेल एवं गैस के भंडार का पता चला था, जैसे बॉम्बे हाई, काकीनाड़ा, बलिया एवं समस्तिपुर, आदि। इन समस्त स्थानों पर कच्चे तेल को निकालने के संबंच में आवश्यक कार्य प्रारम्भ हो चुका है। दरअसल, इस कार्य में पूंजीगत खर्च बहुत अधिक मात्रा में होता है। जापान, रूस एवं अमेरिका से तकनीकी सहायता प्राप्त करने के लिए इन देशों की बड़ी कम्पनियों के साथ करार करने के प्रयास भी भारत सरकार द्वारा किए जा रहे हैं। भारत का समुद्रीय क्षेत्र 5 लाख किलोमीटर का है। इसी प्रकार, पश्चिम बंगाल के समुद्रीय इलाके में भी खोज जारी है एवं इस क्षेत्र में भी कच्चे तेल एवं गैस के भंडार मिलने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। अंडमान एवं निकोबार क्षेत्र में कच्चे तेल का उत्पादन प्रारम्भ होने के पश्चात आगामी लगभग 70 वर्षों तक भारत को कच्चे तेल के आयात की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। द्वितीय शुभ समाचार यह प्राप्त हुआ है कि भारत के कर्नाटक राज्य में कोलार क्षेत्र में स्थित अपनी सोने की खदानों में भारत एक बार पुनः खनन की प्रक्रिया को प्रारम्भ करने के सम्बंध में विचार कर रहा है। कोलार गोल्ड फील्ड (KGF) को वर्ष 2001 में खनन की दृष्टि से बंद कर दिया गया था। परंतु, अब 25 वर्ष पश्चात स्वर्ण की इन खदानों में खनन की प्रक्रिया को पुनः प्रारम्भ किए जाने के प्रयास किए जा रहे है। इस संदर्भ में कर्नाटक सरकार ने भी अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। आज पूरे विश्व में सोने की कीमतें आसमान छूते हुए दिखाई दे रही है और विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक अपने सोने के भंडार में वृद्धि करते हुए दिखाई दे रहे हैं क्योंकि अमेरिकी डॉलर पर इन देशों का विश्वास कुछ कम होता जा रहा है। बहुत सम्भव है कि आगे आने वाले समय में अमेरिकी डॉलर के बाद एक बार पुनः स्वर्ण मुद्राएं ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले व्यापार के भुगतान का माध्यम बनें। ऐसे समय में भारत के कोलार क्षेत्र में स्थित स्वर्ण की खदानों में एक बार पुनः खनन की प्रक्रिया को प्रारम्भ करना एक अति महत्वपूर्ण निर्णय कहा जा सकता है। कोलार स्थित स्वर्ण की इन खदानों में 750 किलोग्राम स्वर्ण की प्राप्ति की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। प्राचीन काल में कोलार गोल्ड फील्ड को गोल्डन सिटी आफ इंडिया कहा जाता था। प्राचीन काल में में भारत को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था। एक अनुमान के अनुसार, भारतीय महिलाओं के पास 25,000 से 26,000 टन स्वर्ण का भंडार है। यह भी कहा जा रहा है कि भारत की महिलाओं के पास स्वर्ण का जितना भंडार है लगभग उतना ही भंडार पूरे विश्व में अन्य देशों के पास है। अर्थात, पूरे विश्व में उपलब्ध स्वर्ण का आधा भाग भारतीय महिलाओं के पास आज भी उपलब्ध है। ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में स्थापित अपनी सत्ता के खंडकाल के दौरान लगभग 900 टन स्वर्ण, कोलार की खदानों से निकालकर, ब्रिटेन लेकर जाया गया था। भारत की केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक, के पास आज 880 टन स्वर्ण के भंडार हैं, जो कि भारत के 69,700 करोड़ अमेरिकी डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार का 12 प्रतिशत हिस्सा है। हाल ही के समय में विदेशी निवेशकों का भारत पर विश्वास बढ़ा है अतः भारत का स्वर्णिम काल पुनः प्रारम्भ हो रहा है। विश्व के विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के पास आज 36,000 टन स्वर्ण का भंडार हैं, जबकि इनमे से कई देशों के केंद्रीय बैंक अभी भी स्वर्ण की खरीदी करते जा रहे हैं। स्वर्ण भंडार की दृष्टि से भारत का आज विश्व में 8वां स्थान है। चीन एवं रूस स्वर्ण के सबसे बड़े उत्पादक देश हैं फिर भी ये दोनों देश स्वर्ण का आयात भी जारी रखे हुए हैं। लगातार, पिछले 3 वर्षों से विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक लगभग 1,000 टन स्वर्ण की खरीद प्रतिवर्ष कर रहे हैं। स्वर्ण की खरीदी का यह कार्य रुकने वाला नहीं है आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा। अतः भारत सरकार द्वारा भी कोलार गोल्ड फील्ड में स्वर्ण के खनन का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। स्वर्ण के भंडार बढ़ने के साथ भारत, रुपए का अंतरराष्ट्रीयकरण कर सकता है। साथ ही, स्वर्ण के भंडार बढ़ने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए की कीमत भी बढ़ती जाएगी। कुल मिलाकर, अब यह कहा जा सकता है कि ईश्वरीय कृपा से एवं उक्त कारणों के चलते भारत को विश्व में एक बार पुनः “सोने की चिड़िया” बनाया जा सकता है। प्रहलाद सबनानी Read more » India's Andaman and Nicobar Islands have huge reserves of crude oil भारत की आर्थिक प्रगति
राजनीति आतंकवाद पर चीन और पाकिस्तान के दोहरे पैमाने June 30, 2025 / June 30, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव आतंकवाद के मसले पर चीन के किंगदाओ नगर में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में एक बार फिर चोर-चोर मौसेरे भाई चीन और पाकिस्तान ने भारतीय हितों के परिप्रेक्ष्य में दोगलापन दिखाया है। इस बैठक में सदस्य देशों के रक्षा मंत्री उपस्थित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आतंकवाद के खात्मे के […] Read more » आतंकवाद
राजनीति टीएमसी नेताओं की निर्लज्ज टिप्पणियों से उठा विवाद June 30, 2025 / June 30, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग कोलकत्ता में कानून की एक छात्रा से सामूहिक दुराचार-गैंगरेप का मुद्दा एक बार फिर पश्चिम बंगाल में जितना बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनने लगा है उतना ही बड़ा नारी उत्पीड़न का मुद्दा बनकर उभर रहा है। इस मामले में पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं की अनर्गल एवं निर्लज्ज […] Read more » rape of laws student in Bengal टीएमसी नेताओं की निर्लज्ज टिप्पणि