राजनीति रुपये (₹) के चिह्न को लेकर विवाद: भाषा का सम्मान या राजनीति का हथकंडा? March 18, 2025 / March 18, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment केवल वाद विवाद से हल नहीं निकलेगा। संविधान में ये कानून होना चाहिए कि कोई भी राज्य या राज्य सरकार राष्ट्रीय स्तर पर उपयोग की जाने वाली या मानी जाने वाली वस्तुओं पर अपने से निजी परिवर्तन नहीं कर सकती। ऐसा किया जाना देश द्रोह माना जाए और ज़िम्मेदार व्यक्ति को पदच्युत किया जाए। रुपये […] Read more » : Respect for language or political gimmick Controversy over Rupee (₹) symbol रुपये (₹) के चिह्न को लेकर विवाद
राजनीति तमिल प्रदेश में हिन्दी-विरोध का मूल, ‘एनईपी’ नहीं, रिलीजियस उसूल March 18, 2025 / March 18, 2025 by मनोज ज्वाला | Leave a Comment मनोज ज्वाला खबर है कि देश के तमिल प्रदेश में भारत की राष्ट्रभाषा- हिन्दी का विरोध फिर उफान पर है । विरोधी उपद्रवियों ने भारतीय रेलवे के कई स्टेशनों के हिन्दी नामों को कालिख पोत-पोत कर मिटा दिया है । इस बार यह विरोध केन्द्र सरकार की नई शिक्षा-नीति को मोहरा बना कर किया जा रहा है […] Read more » The root of anti-Hindi sentiment in Tamil Nadu The root of anti-Hindi sentiment in Tamil Nadu is not NEP but religious principles तमिल प्रदेश में हिन्दी-विरोध
राजनीति भारत की स्थापत्य कला पर नेहरू जी के विचार (अध्याय – 08) March 18, 2025 / March 18, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment इतिहास का विकृतिकरण और नेहरू डॉ राकेश कुमार आर्य ” हिंदुस्तान के गुजरे हुए जमाने की सबसे पहली तस्वीर हमें सिंध घाटी की सभ्यता में मिलती है। इसके पुरअसर खंडहर सिंध में मोहनजोदड़ो में और पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा में मिले हैं। यहां पर जो खुदाई हुई है, उन्होंने प्राचीन इतिहास के बारे में हमारे […] Read more » भारत की स्थापत्य कला पर नेहरू जी के विचार
राजनीति नदियों को विवाद नहीं, विकास का माध्यम बनाये March 17, 2025 / March 17, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment नदियों के लिये अन्तर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस- 14 मार्च, 2025– ललित गर्ग – नदियां मानव अस्तित्व का मूलभूत आधार है और देश एवं दुनिया की धमनियां हैं, इन धमनियों में यदि प्रदूषित जल पहुंचेगा तो शरीर बीमार होगा, लिहाजा हमें नदी रूपी इन धमनियों में शुद्ध जल के बहाव को सुनिश्चित करना होगा। नदियों के समक्ष आने वाले खतरों, जैसे […] Read more » नदियों के लिये अन्तर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस- 14 मार्च
राजनीति पाकिस्तान के गले की फांस बन रहा है आतंकवाद ! March 17, 2025 / March 17, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment सुनील कुमार महला भारत के पड़ौसी पाकिस्तान के हालात बहुत ही बुरे हैं। हाल ही में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने पाकिस्तान में क्वेटा से पेशावर जा रही ज़फ़र एक्सप्रेस ट्रेन को भारी गोलीबारी कर अपने कब्जे में ले लिया। बीएलए ने ट्रेन पर हमले और उसके बाद सेना के साथ मुठभेड़ में 30 पाकिस्तानी […] Read more » पाकिस्तान पाकिस्तान के गले की फांस बन रहा है आतंकवाद
राजनीति होली, रमजान, राम और जान : पत्थरों की नहीं, फूलों की बारिश हो March 17, 2025 / March 17, 2025 by डॉ घनश्याम बादल | Leave a Comment डॉ घनश्याम बादल भारत में सभी धर्मानुयायी अपने-अपने तीज त्यौहार हमेशा से साथ-साथ मनाते आए हैं और इसमें कभी भी किसी तरह का वैमनस्य या प्रतिस्पर्धा अथवा एक दूसरे के प्रति कटुता का भाव देखने को नहीं मिला लेकिन इस वर्ष जब होली 13 एवं 14 मार्च को मनाई जा रही है और रमजान भी […] Read more » रमजान राम और जान : पत्थरों की नहीं होली
आर्थिकी राजनीति ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ सम्बंधी निर्णयों से कैसे निपटे भारत March 17, 2025 / March 17, 2025 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment ट्रम्प प्रशासन अमेरिका में विभिन्न उत्पादों के हो रहे आयात पर टैरिफ की दरों को लगातार बढ़ाते जाने की घोषणा कर रहा है क्योंकि ट्रम्प प्रशासन के अनुसार इन देशों द्वारा अमेरिका से किए जा रहे विभिन्न उत्पादों के आयात पर ये देश अधिक मात्रा में टैरिफ लगाते हैं। चीन, कनाडा एवं मेक्सिको से अमेरिका में होने वाले विभिन्न उत्पादों के आयात पर तो टैरिफ को बढ़ा भी दिया गया है। इसी प्रकार भारत के मामले में भी ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि भारत, अमेरिका से आयातित कुछ उत्पादों पर 100 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाता है अतः अमेरिका भी भारत से आयात किए जा रहे कुछ उत्पादों पर 100 प्रतिशत का टैरिफ लगाएगा। इस संदर्भ में हालांकि केवल भारत का नाम नहीं लिया गया है बल्कि “टिट फोर टेट” एवं “रेसिप्रोकल” आधार पर कर लगाने की बात की जा रही है और यह समस्त देशों से अमेरिका में हो रहे आयात पर लागू किया जा सकता है एवं इसके लागू होने की दिनांक भी 2 अप्रेल 2025 तय कर दी गई है। इस प्रकार की नित नई घोषणाओं का असर अमेरिका सहित विभिन्न देशों के पूंजी (शेयर) बाजार पर स्पष्टतः दिखाई दे रहा है एवं शेयर बाजारों में डर का माहौल बन गया है। भारत ने वर्ष 2024 में अमेरिका को लगभग 74,000 करोड़ रुपए की दवाईयों का निर्यात किया है। 62,000 करोड़ रुपए के टेलिकॉम उपकरणों का निर्यात क्या है, 48,000 करोड़ रुपए के पर्ल एवं प्रेशस स्टोन का निर्यात किया है, 37,000 करोड़ रुपए के पेट्रोलीयम उत्पादों का निर्यात किया है, 30,000 करोड़ रुपए के स्वर्ण एवं प्रेशस मेटल का निर्यात किया है, 26,000 करोड़ रुपए की कपास का निर्यात किया है, 25,000 करोड़ रुपए के इस्पात एवं अल्यूमिनियम उत्पादों का निर्यात किया है, 23,000 करोड़ रुपए सूती कपड़े का निर्यात का किया है, 23,000 करोड़ रुपए की इलेक्ट्रिकल मशीनरी का निर्यात किया है एवं 22,000 करोड़ रुपए के समुद्रीय उत्पादों का निर्यात किया है। इस प्रकार, विदेशी व्यापार के मामले में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा साझीदार है। अमेरिका अपने देश में विभिन्न वस्तुओं के आयात पर टैरिफ लगा रहा है क्योंकि अमेरिका को ट्रम्प प्रशासन एक बार पुनः वैभवशाली बनाना चाहते हैं परंतु इसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर ही विपरीत प्रभाव होता हुआ दिखाई दे रहा है। अमेरिकी बैंकों के बीच किए गए एक सर्वे में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि यदि अमेरिका में विभिन्न उत्पादों के आयात पर टैरिफ इसी प्रकार बढ़ाते जाते रहे तो अमेरिका में आर्थिक मंदी की सम्भावना बढ़कर 40 प्रतिशत के ऊपर पहुंच सकती है, जो हाल ही में जे पी मोर्गन द्वारा 31 प्रतिशत एवं गोल्डमैन सैचस 24 प्रतिशत बताई गई थी। इसके साथ ही, ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ सम्बंधी निर्णयों की घोषणा में भी एकरूपता नहीं है। कभी किसी देश पर टैरिफ बढ़ाने के घोषणा की जा रही है तो कभी इसे वापिस ले लिया जा रहा है, तो कभी इसके लागू किए जाने के समय में परिवर्तन किया जा रहा है, तो कभी इसे लागू करने की अवधि बढ़ा दी जाती है। कुल मिलाकर, अमेरिकी पूंजी बाजार में सधे हुए निर्णय होते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं इससे पूंजी बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों का आत्मविश्वास टूट रहा है। और, अंततः इस सबका असर भारत सहित अन्य देशों के पूंजी (शेयर) बाजार पर पड़ता हुआ भी दिखाई दे रहा है। हालांकि, ट्रम्प प्रशासन द्वारा टैरिफ को बढ़ाए जाने सम्बंधी लिए जा रहे निर्णयों का भारत के लिए स्वर्णिम अवसर भी बन सकता है। क्योंकि, भारतीय जब भी दबाव में आते हैं तब तब वे अपने लिए बेहतर उपलब्धियां हासिल कर लेते हैं। इतिहास इसका गवाह है, कोविड महामारी के खंडकाल में भी भारत ने दबाव में कई उपलब्धयां हासिल की थीं। भारत ने कोविड के खंडकाल में 100 से अधिक देशों को कोविड बीमारी से सम्बंधित दवाईयां एवं टीके निर्यात करने में सफलता हासिल की थी। विदेशी व्यापार के मामले में चीन, कनाडा एवं मेक्सिको अमेरिका के बहुत महत्वपूर्ण भागीदार हैं। वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, उक्त तीनों देश लगभग 65,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का व्यापार प्रतिवर्ष अमेरिका के साथ करते हैं। इसके बावजूद अमेरिका ने उक्त तीनों के साथ व्यापार युद्ध प्रारम्भ कर दिया है। भारत के साथ अमेरिका का केवल 11,300 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ही व्यापार था। अब ट्रम्प प्रशासन की अन्य देशों से यह अपेक्षा है कि वे अमेरिकी उत्पादों के आयात पर टैरिफ कम करे अथवा अमेरिका भी इन देशों से हो रहे विभिन्न उत्पादों पर उसी दर से टैरिफ वसूल करेगा, जिस दर पर ये देश अमेरिका से आयातित उत्पादों पर वसूलते हैं। यह सही है कि भारत अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर अधिक टैरिफ लगाता है क्योंकि भारत अपने किसानों और व्यापारियों को बचाना चाहता है। भारत में कृषि क्षेत्र के उत्पादों पर 25 से 100 प्रतिशत तक आयात कर लगाया जाता है जबकि कृषि क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य उत्पादों पर कर की मात्रा बहुत कम हैं। भारत ने विनिर्माण एवं अन्य क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ा ली है परंतु कृषि क्षेत्र में अभी भी अपनी उत्पादकता बढ़ाना है। हाल ही के समय में भारत ने कई उत्पादों के आयात पर टैरिफ की दर घटाई भी है। भारत के साथ दूसरी समस्या यह भी है कि यदि भारत आयातित उत्पादों पर टैरिफ कम करता है तो भारत में इन उत्पादों के आयात बढ़ेंगे और भारत को अधिक अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता पड़ेगी इससे भारतीय रुपये का और अधिक अवमूल्यन होगा तथा भारत में मुद्रा स्फीति का दबाव बढ़ेगा। विदेशी निवेश भी कम होने लगेगा और अंततः भारत में बेरोजगारी बढ़ेगी। भारत में सप्लाई चैन पर दबाव भी बढ़ेगा। इन समस्त समस्याओं का हल है कि भारत अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते करे। परंतु, अन्य देश चाहते हैं कि द्विपक्षीय समझौतों में कृषि क्षेत्र को भी शामिल किया जाय, इसका रास्ता आपसी चर्चा में निकाला जा सकता है। अमेरिका एवं ब्रिटेन के साथ भी द्विपक्षीय व्यापार समझौते सम्पन्न करने की चर्चा तेज गति से चल रही है। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान यह घोषणा की गई थी कि भारत और अमेरिका के बीच विदेशी व्यापार को 50,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष के स्तर पर लाए जाने के प्रयास किए जाएंगे। इस सम्बंध में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर तेजी से काम चल रहा है। दूसरे, अब भारत को उद्योग एवं कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ानी होगी। हर क्षेत्र में लागत कम करनी होगी ताकि भारत में उत्पादित वस्तुएं विश्व के अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में खाड़ी हो सकें। भारत में रिश्वतखोरी की लागत को भी समाप्त करना होगा। भारत में निचले स्तर पर घूसखोरी की लागत बहुत अधिक है। भूमि, पूंजी, श्रम, संगठन एवं तकनीकि की लागत कम करनी होगी। कुल मिलाकर व्यवहार की लागत को भी कम करना होगा। भारतीय उद्योगों को अन्य देशों के उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धी बनाना ही इस समस्या का हल है ताकि भारतीय उद्योगों द्वारा निर्मित उत्पाद अन्य देशों के साथ विशेष रूप से गुणवत्ता एवं लागत के मामले में प्रतिस्पर्धा कर सकें। निजी क्षेत्र को लगातार प्रोत्साहन देना होगा ताकि निजी क्षेत्र का निवेश उद्योग के क्षेत्र में बढ़ सके। आज भारत में पूंजीगत खर्चे केवल केंद्र सरकार द्वारा ही बहुत अधिक मात्रा में किए जा रहे हैं। आज देश में हजारों टाटा, बिरला, अडानी एवं अम्बानी चाहिए। केवल कुछ भारतीय बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से अब काम चलने वाला नहीं हैं। भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बनाने का समय अब आ गया है। तीसरे, मेक इन इंडिया ट्रम्प के टैरिफ युद्ध का सही जवाब है। आज भारत को सही अर्थों में “आत्मनिर्भर भारत” बनाए जाने की सबसे अधिक आवश्यकता है। भारत के लिए केवल अमेरिका ही विदेशी व्यापार के मामले में सब कुछ नहीं होना चाहिए, भारत को अपने लिए नित नए बाजारों की तलाश भी करनी होगी। एक ही देश पर अत्यधिक निर्भरता उचित नहीं है। स्वदेशी उद्योगों को भी बढ़ावा देना ही होगा। प्रहलाद सबनानी Read more » How should India deal with the Trump administration's tariff decisions? ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ सम्बंधी निर्णय
राजनीति मुस्लिम देशों में मंदिर: सनातन संस्कृति का अनंत प्रवाह March 17, 2025 / March 17, 2025 by प्रो. महेश चंद गुप्ता | Leave a Comment प्रो. महेश चंद गुप्ता इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में भगवान मुरुगन को समर्पित मंदिर को महाकुंभिषेकम के साथ खोल दिया गया है। इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑनलाइन शामिल हुए। इस मौके पर मोदी ने कहा कि ‘वह मुरुगन टेंपल के महाकुंभिषेकम जैसे पुण्य आयोजन का हिस्सा बनकर सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं।’ जकार्ता के इस मुरुगन मंदिर को श्री सनातन धर्म आलयम के नाम से भी जाना जाता है। भगवान मुरुगन को समर्पित यह इंडोनेशिया का पहला मंदिर है। ये मंदिर 2020 में बनना शुरू हुआ था। 2 फरवरी को भव्य समारोह में इंडोनेशिया सरकार द्वारा दिए गए 4000 वर्ग मीटर भूखंड पर बने इस मंदिर को खोला गया है। इससे पहले सऊदी अरब के आबूधाबी और दुबई में भी भव्य मंदिर बने हैं। ये मंदिर इस बात के प्रतीक हैं कि सनातन संस्कृति को मुस्लिम देशों में भी सम्मान दिया जा रहा है। दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम मुल्क इंडोनेशिया में सनातन संस्कृति के प्रतीक मंदिर के निर्माण पर पाकिस्तान के मुल्ला जहर उगल रहे हैं लेकिन इससे विश्व में सनातन संस्कृति की दिव्यता प्रदर्शित हुई है।दुनिया में जिस प्रकार सनातन का मान-सम्मान बढ़ रहा है, वह हमारी इस प्राचीन संस्कृति की आधुनिक युग में सार्थकता को सिद्ध कर रहा है। सनातन ही सत्य है और सत्य ही सनातन। यह वह अनादि प्रकाश है, जो अनंत तक आलोकित रहेगा। न इसकी कोई शुरुआत थी, न कोई अंत होगा। सनातन सृष्टि की आत्मा है, परम तत्व की अनुभूति है। सनातन का अर्थ है शाश्वत, जो सदा रहता है। जो पहले था, जो अब है और जो हमेशा रहेगा। सनातन केवल एक धर्म नहीं, यह चेतना की वह धारा है जो जीवन को सार्थकता, प्रेम, सेवा, सहिष्णुता और शांति का सन्देश देती है। यह वह दिव्य धरोहर है, जिसने समस्त मानवता को मोक्ष, ज्ञान, मानव कल्याण और आध्यात्मिक उत्थान की दिशा दिखाई है।यह संस्कृति केवल परंपराओं की वाहक नहीं बल्कि ज्ञान, विज्ञान, दर्शन और आध्यात्मिकता का अथाह भंडार भी है। सनातन की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसकी कोई शुरुआत नहीं और कोई अंत नहीं। यह परम सत्य है, और सत्य ही परमात्मा है। सनातन व्यवस्था केवल धार्मिकता तक सीमित नहीं है बल्कि यह संपूर्ण जीवन दर्शन का आधार है। यही कारण है कि सनातन सर्वव्याप्त, सर्वमय और सर्वज्ञ है।सनातन संस्कृति में जीवन, आनंद और उत्सव का अद्भुत समावेश है। इसके रीति-रिवाज, उत्सव, पर्व और त्योहार राष्ट्रीय एवं मानवीय एकता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देते हैं। यह संस्कृति केवल ग्रंथों तक सीमित नहीं है। यह तो धडक़नों में बसती है, जीवन के कण-कण में प्रवाहित होती है। भारत को देव भूमि का दर्जा हासिल है तो यह सनातन संस्कृति की बदौलत ही है। सनातन संस्कृति ही समूचे संसार को अहिंसा, प्रत्येक जीव के प्रति दया एवं सहानुभूति का मार्ग दिखाती है। केवल सनातन संस्कृति ही ऐसी है, जिसमें प्रकृति के संरक्षण पर जोर दिया गया है। सनातन में धर्म का अर्थ केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है बल्कि यह जीवन की समग्रता का मार्गदर्शन करता है। हमारे त्योहार, पर्व, रीति-रिवाज और अनुष्ठान इसी सनातन प्रवाह के प्रतीक हैं। दीपों की जगमगाहट में दिवाली का उल्लास, रंगों की छटा में होली का अनुराग, मकर संक्रांति मेंं नवसृजन का संदेश, सूर्य की आराधना में छठ की भव्यता और आस्था का महासंगम महाकुंभ, ये सभी सनातन संस्कृति के जीवंत प्रमाण हैं। विवाह संस्कारों में सात जन्मों का बंधन, परिधान में शालीनता और खान-पान में शुद्धता-सात्विकता है। इन सबसे ही तो जीवन में मधुरता, प्रेम और समरसता का सृजन होता है।सनातन विशेषताओं से भरा है। हमारी संस्कृति सतरंगी है, जिसमें अनेक परंपराएं और मूल्य जुड़े हुए हैं। इसमें कला, संगीत, साहित्य और दर्शन का अपूर्व संगम है। भारत केवल भू-भाग नहीं, यह तप, त्याग और समर्पण की भूमि है। यह एक भाव है, एक चेतना है, एक आध्यात्मिक शक्ति है। सनातन संस्कृति संसार को अहिंसा, दया और सहानुभूति का मार्ग दिखाती है। प्रकृति संरक्षण की भावना सनातन संस्कृति का मूल आधार है। इसमें नदियां केवल जल धाराएं नहीं, बल्कि मां हैं। पर्वत केवल ऊंचे शिखर नहीं, बल्कि आराध्य हैं और वृक्ष केवल लकड़ी व पत्तों के ढांचे नहीं बल्कि जीवन के आधार हैं। यह वही धरती है, जहां श्रीकृष्ण ने अवतरित होकर गीता का उपदेश दिया। यह वही भूमि है जहां श्रीराम ने मर्यादा का संदेश दिया। इसी धरा पर आदि शंकराचार्य ने अद्वैत का बोध कराया। इसी धरती पर सम्राट अशोक ने अहिंसा को अपनाया और यहीं पर छत्रपति शिवाजी व महाराणा प्रताप ने राष्ट्र गौरव की अलख जगाई।सनातन संस्कृति को आत्मसात किए भारत की धरती अर्पण, तर्पण और समर्पण की धरा है। जैसे एक गुलदस्ते में विविध पुष्प एक साथ गुंथे होते हैं, वैसे ही सनातन संस्कृति में वेद, उपनिषद, पुराण, धार्मिक परंपराएं और नैतिक मूल्य आपस में गुंथे हुए हैं। यहां धर्म एक विस्तृत जीवन शैली है। यह जीवन को केवल जन्म से मृत्यु तक की यात्रा नहीं मानता, बल्कि कर्म और फल की अविरल धारा से जोड़ता है। जैसे कर्म होंगे, वैसा ही फल मिलेगा, यह विचार केवल सनातन में ही देखने को मिलता है।सनातन संस्कृति से ओत-प्रोत वेद, पुराण, उपनिषद केवल ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाले प्रकाश स्तंभ हैं। इस संस्कृति ने भारत को एक सूत्र में बांधा और विश्व को भारतीय दर्शन से जोड़ा है। सनातन केवल इतिहास नहीं, यह भविष्य की दिशा भी है। यह केवल ग्रंथों की भाषा नहीं, यह आत्मा की वाणी है। हमारे ग्रंथ केवल ज्ञान के स्रोत नहीं, वे जीवन के पथ प्रदर्शक हैं। यह वही संस्कृति है, जिसने विश्व को योग, ध्यान, आयुर्वेद और जीवन विज्ञान की अद्भुत धरोहर दी है। इस संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि समय का कोई आघात इसे डिगा नहीं सकता है। पिछले तीन-चार दशकों में बीच में एक समय था, जब सनातन संस्कृति से दूरियां बढऩे की बात कही जाने लगी थी लेकिन बीता एक दशक इस मामले में बदलाव का साक्षी बना है। जब से नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से भारत की सनातन संस्कृति का यशोगान हो रहा है। इससे समूचे विश्व में भारतीय सनातन संस्कृति जानने, समझने और आत्मसात करने की ललक पैदा हुई है। इस दौरान सनातन संस्कृति को पुन: जीवंत करने का कार्य हुआ है। मोदी सरकार में भारत की संस्कृति और परंपराओं के प्रचार-प्रसार के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे विश्व भर में सनातन संस्कृति को जानने और अपनाने की ललक बढ़ी है। हमारे युवा सनातन संस्कृति को आत्सात कर रहे हैं, जिससे उनका चरित्र निर्माण हो रहा है। हमारे युवाओं को अहसास हुआ है कि सनातन संस्कृति केवल एक परंपरा नहीं, यह जीवन जीने की कला है। यह हमें सिखाती है कि कैसे हम अपने कर्तव्यों का पालन करें, समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखें और मानवता की सेवा करें। यह दर्शन, विज्ञान, साहित्य और कला से परिपूर्ण एक अनमोल धरोहर है। यदि कोई जीवन को गहराई से समझना और जीना चाहता है, तो उसे सनातन संस्कृति के सागर में गोता लगाना होगा। यह वह संस्कृति है जिसने न केवल भारत को, बल्कि पूरे संसार को एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण दिया है। सनातन संस्कृति केवल अतीत की धरोहर नहीं, यह वर्तमान का आधार और भविष्य का मार्गदर्शन भी है। हमारा अतीत इस पर टिका था, हमारा वर्तमान इसका दर्पण है और हमारा भविष्य भी इसी की नींव पर खड़ा होगा। यही सनातन है, यही सत्य है और यही सनातन संस्कृति का अनंत प्रवाह है। (लेखक प्रख्यात शिक्षा विद्, चिंतक और वक्ता हैं। वह 44 सालों तक दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे हैं।) प्रो. महेश चंद गुप्ता Read more » मुस्लिम देशों में मंदिर
राजनीति अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हमले चिंता का विषय March 14, 2025 / March 18, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती भागीदारी और सहभागिता के दृष्टिगत कई शक्तियां ऐसी हैं जो भारत से अनावश्यक ईर्ष्या भाव रखती हैं। उनका हर संभव प्रयास होता है कि जैसे भी हो भारत को रोका जाए और घेरा जाए। इसी सोच के चलते खालिस्तानी अलगाववादी विदेशी शक्तियों के मोहरे बन रहे हैं। यही कारण […] Read more » Attacks on Hindu temples in America are a matter of concern अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हमले
राजनीति कश्मीर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो टूक March 13, 2025 / March 18, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment भारत विश्व की आर्थिक शक्ति बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। ऐसे में भारत के तेजी से बढ़ते कदमों को देखकर कई देशों को जलन होना स्वाभाविक है। अतः भारत को आर्थिक महाशक्ति बनने से रोकने के लिए स्वाभाविक है कि भविष्य में भारत को कुछ नई समस्याओं का सामना करना पड़े। जिसकी ओर […] Read more » Foreign Minister S Jaishankar's blunt statement on Kashmir कश्मीर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो टूक
राजनीति आप और पंजाब का दस्तूर March 12, 2025 / March 12, 2025 by शिवानंद मिश्रा | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा यह पंजाब का दस्तूर है कि वहां सत्ता चलाने के रास्ते 2 ही हैं… या खुलकर तुष्टिकरण… या प्रदेश भर में ‘डांग फेरी जाए’ (लट्ठ चलाए)। समय रहते ही कट्टरवादी पंथकों पर डंडा नहीं चलाने वाली सरकारों के हाल बुरे ही हुए हैं जैसे ज्ञानी जैल सिंह , दरबारा गवर्नमेंट,बरनाला सरकार,भट्ठल गवर्नमेंट,सुखबीर बादल सरकार,चन्नी […] Read more » The tradition of Punjab to rule The tradition of you and Punjab आप और पंजाब
राजनीति बिहार में कांग्रेस का ‘कन्हैया’ दांव March 12, 2025 / March 12, 2025 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment कुमार कृष्णन बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस के कदम से राजद की परेशानी बढ़ जाएगी। पार्टी ने यह रणनीति 2025 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बनाई है। कन्हैया कुमार के नेतृत्व में बिहार में कांग्रेस की रोजगार और पलायन के मुद्दे […] Read more » कांग्रेस का ‘कन्हैया’ दांव बिहार में कांग्रेस का ‘कन्हैया’ दांव