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भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त की हैं असाधारण उपलब्धियां

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दिनांक 31 जनवरी 2025 को देश की राष्ट्रपति आदरणीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने लोक सभा एवं राज्य सभा के संयुक्त अधिवेशन को अपने सम्बोधन में, हाल ही के समय में, भारत में विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त की गई उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा है कि “भारत की विकास यात्रा के इस अमृतकाल को आज मेरी (केंद्र) सरकार अभूतपूर्व उपलब्धियों के माध्यम से नई ऊर्जा दे रही है। तीसरे कार्यकाल में तीन गुना तेज गति से काम हो रहा है। आज देश बड़े निर्णयों और नीतियों को असाधारण गति से लागू होते देख रहा है। और, इन निर्णयों में देश के गरीब, मध्यम वर्ग, युवा, महिलाओं, किसानों को सर्वोच्च प्राथमिकता मिली है।” आदरणीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिए गए उक्त भाषण में अंशों को जोड़कर इस लेख में यह बताने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार भारत में गरीब वर्ग, युवाओं, मातृशक्ति, किसानों, आदि के लिए विभिन्न योजनाएं सफलतापूर्वक चलाई जा रही हैं।  आज आम नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा और मकान के साथ साथ स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। समस्त परिवारों को आवास सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का विस्तार करते हुए तीन करोड़ अतिरिक्त परिवारों को नए घर देने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए 5 लाख 36 हजार करोड़ रुपए की राशि का खर्च किए जाने की योजना है। इसी प्रकार, गांव में गरीबों को उनकी आवासीय भूमि का हक देने के उद्देश्य से स्वामित्व योजना के अंतर्गत अभी तक 2 करोड़ 25 लाख सम्पत्ति कार्ड जारी किए जा चुके हैं। साथ ही, पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत लगभग 11 करोड़ किसानों को पिछले कुछ महीनों में 41,000 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया गया है। जनजातीय समाज के पांच करोड़ नागरिकों के लिए “धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष” अभियान प्रारंभ हुआ है। इसके लिए अस्सी हजार करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। आज मध्यम वर्ग को मकान/फ्लैट खरीदने के लिए लोन पर सब्सिडी भी दी जा रही है एवं रेरा जैसा कानून बनाकर मध्यम वर्ग के स्वयं के मकान सम्बंधी सपने को सुरक्षा दी गई है। देश के नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए जाने के उद्देश्य से आयुषमान भारत योजना चलाई जा रही है। अब इस योजना के अंतर्गत 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा देने का निर्णय लिया गया है। इन वरिष्ठ नागरिकों को प्रत्येक वर्ष में पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाएगा।   केंद्र सरकार द्वारा आज युवाओं की शिक्षा और उनके लिए रोजगार के नए अवसर तैयार करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मेधावी छात्रों को उच्च शिक्षा में वित्तीय सहायता देने के लिए पीएम विद्यालक्ष्मी योजना शुरू की गई है। एक करोड़ युवाओं को शीर्ष पांच सौ कंपनियों में इंटर्नशिप के अवसर भी दिये जाएंगे। पेपर लीक की घटनाओं को रोकने और भर्ती में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नया कानून लागू किया गया है।सहकार से समृद्धि की भावना पर चलते हुए सरकार ने ‘त्रिभुवन’ सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकृत किया है। जब देश के विकास का लाभ अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी मिलने लगता है तभी विकास सार्थक होता है। गरीब को गरिमापूर्ण जीवन मिलने से उसमें जो सशक्तिकरण का भाव पैदा होता है, वो गरीबी से लड़ने में उसकी मदद करता है। स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत बने 12 करोड़ शौचालय, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत निशुल्क दिए गए 10 करोड़ गैस कनेक्शन, 80 करोड़ जरूरतमंदों को राशन, सौभाग्य योजना, जल जीवन मिशन जैसी अनेक योजनाओं ने गरीब को ये भरोसा दिया है कि वो सम्मान के साथ जी सकते हैं। ऐसे ही प्रयासों की वजह से देश के 25 करोड़ लोग गरीबी को परास्त करके आज अपने जीवन में आगे बढ़ रहे हैं। इन्होंने नियो मिडिल क्लास का एक ऐसा समूह तैयार किया है, जो भारत की ग्रोथ को नई ऊर्जा से भर रहा है। उड़ान योजना ने लगभग डेढ़ करोड़ लोगों का हवाई जहाज में उड़ने का सपना पूरा किया है। जन औषधि केंद्र में 80 प्रतिशत रियायती दरों पर मिल रही दवाओं से, देशवासियों के 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा बचे हैं। हर विषय की पढ़ाई के लिए सीटों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी का बहुत लाभ मध्यम वर्ग को मिला है। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण में पच्चीस हजार बस्तियों को जोड़ने के लिए 70,000 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की हैं। आज जब हमारा देश अटल जी की जन्म शताब्दी का वर्ष मना रहा है, तब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना उनके विजन का पर्याय बनी हुई है। देश में अब 71 वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत ट्रेन चल रही हैं, जिनमें पिछले छह माह में ही 17 नई वंदे भारत और एक नमो भारत ट्रेन को जोड़ा गया है।  आगे आने वाले समय में देश के आर्थिक विकास में देश की आधी आबादी अर्थात मातृशक्ति के योगदान को बढ़ाना ही होगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 91 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों को सशक्त किया जा रहा है। देश की दस करोड़ से भी अधिक महिलाओं को इसके साथ जोड़ा गया है। इन्हें कुल नौ लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि बैंक लिंकेज के माध्यम से वितरित की गई है। केंद्र सरकार ने देश में तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने लक्ष्य निर्धारित किया है। आज एक करोड़ 15 लाख से भी अधिक लखपति दीदी एक गरिमामय जीवन जी रही हैं। इनमें से लगभग 50 लाख लखपति दीदी, बीते 6 महीने में बनी हैं। ये महिलाएं एक उद्यमी के रूप में अपने परिवार की आय में योगदान दे रही हैं। भारत में सभी के लिए बीमा की भावना के साथ कुछ महीने पूर्व ही बीमा सखी अभियान भी शुरू किया गया है। बैंकिंग और डिजी पेमेंट सखियां दूर दराज के इलाकों में लोगों को वित्तीय व्यवस्था से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। कृषि सखियां नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दे रही हैं और पशु सखियों के माध्यम से देश का पशुधन मजबूत हो रहा है। आज भारत में बड़ी संख्या में महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं, पुलिस में भर्ती हो रही हैं और कॉरपोरेट कंपनियों का नेतृत्व भी कर रही हैं। आज बालिकाओं की भर्ती राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूलों में भी प्रारंभ हो गई है। नेशनल डिफेंस अकैडमी में भी महिला कैडेट्स की भर्ती शुरू हो गई है।  पिछले एक दशक में मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी पहल ने युवाओं को रोजगार के अनेक अवसर प्रदान किए हैं। पिछले दो वर्षों में सरकार ने, रिकॉर्ड संख्या में दस लाख स्थायी सरकारी नौकरियां प्रदान की हैं। युवाओं के बेहतर कौशल और नए अवसरों के सृजन के लिए दो लाख करोड़ रुपए का पैकेज केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया है। एक करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप की व्यवस्था से युवाओं को ग्राउंड पर काम करने का अनुभव प्राप्त होगा। आज भारत में डेढ़ लाख से अधिक स्टार्टअप हैं जो इनोवेशन के स्तंभ के रूप में उभर रहे हैं। एक हजार करोड़ रुपए की लागत से स्पेस सेक्टर में वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत भी की गई है। आज भारत क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल इंडेक्स 2025 में पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। अर्थात, फ्यूचर ऑफ वर्क श्रेणी में AI और डिजिटल तकनीक अपनाने में भारत दुनिया को रास्ता दिखा रहा है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भी भारत की रैंकिंग 76 से सुधर कर 39 हो गई है। यह सब भारतीय युवाओं के भरोसे ही सम्भव हो पा रहा है।  देश में आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए आधुनिक शिक्षा व्यवस्था तैयार की जा रही है। कोई भी शिक्षा से वंचित ना रहे, इसीलिए मातृभाषा में शिक्षा के अवसर दिये जा रहे हैं। विभिन्न भर्ती परीक्षाएं तेरह भारतीय भाषाओं में आयोजित कर, भाषा संबंधी बाधाओं को भी दूर किया गया है। बच्चों में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए दस हजार से अधिक स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब्स खोली गई हैं। “ईज ऑफ डूइंग रिसर्च” के लिए हाल ही में वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन स्कीम लायी गई है। इससे अंतरराष्ट्रीय शोध की सामग्री निशुल्क उपलब्ध हो सकेगी। पिछले एक दशक में भारत में उच्च शिक्षण संस्थाओं की संख्या बढ़ी है। इनकी गुणवत्ता में भी व्यापक सुधार हुआ है। क्यूएस विश्व यूनिवर्सिटी – एशिया रैंकिंग में भारत के 163 विश्वविद्यालय शामिल हुए हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के नये कैंपस का शुभारंभ कर शिक्षा में, भारत का पुराना गौरव वापस लाया गया है।  विकसित भारत के निर्माण में किसान, जवान और विज्ञान के साथ ही अनुसंधान का बहुत बड़ा महत्व है।  भारत को भारत को ग्लोबल इनोवेशन पावरहाउस बनाने के लक्ष्य निर्धारित किया गया है। देश के शिक्षण संस्थाओं में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए पचास हजार करोड़ रुपए की लागत से अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउन्डेशन स्थापित किया गया है। 10,000 करोड़ रुपए की लागत से “विज्ञानधारा योजना” के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में इनोवेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारत के योगदान को आगे बढ़ाते हुए “इंडिया ए आई मिशन” प्रारम्भ किया गया है। राष्ट्रीय क्वांटम मिशन से भारत, इस फ्रंटियर टेक्नॉलाजी में दुनिया के अग्रणी देशों की पंक्ति में स्थान बना सकेगा। देश में “बायो – मैन्यूफैक्चरिंग” को बढ़ावा देने के उद्देश्य से BioE3 Policy लायी गई है। यह पॉलिसी भविष्य की औद्योगिक क्रांति का सूत्रधार होगी। बायो इकॉनामी का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का कुशल उपयोग करना है जिससे पर्यावरण को संरक्षित करते हुए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। भारत के छोटे व्यापारी गांव से लेकर शहरों तक, हर जगह आर्थिक प्रगति को गति देते हैं। केंद्र सरकार छोटे उद्यमियों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानते हुए उन्हें स्वरोजगार के नए अवसर दे रही है। MSME के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम और ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब्स सभी प्रकार के उद्योगों को बढ़ावा दे रहे हैं। मुद्रा ऋण की सीमा को दस लाख रुपए से बढ़ाकर बीस लाख रुपए करने का लाभ करोड़ों छोटे उद्यमियों को हुआ है। केंद्र सरकार ने क्रेडिट एक्सेस को आसान बनाया है। इससे वित्तीय सेवाओं को लोकतांत्रिक बनाया जा सका है। आज लोन, क्रेडिट कार्ड, बीमा जैसे प्रोडक्ट, सबके लिए आसानी से सुलभ हो रहे हैं। दशकों तक भारत के रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाकर आजीविका चलाने वाले भाई-बहन बैंकिंग व्यवस्था से बाहर रहे। आज उन्हें पीएम स्वनिधि योजना का लाभ मिल रहा है। डिजिटल ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड के आधार पर उनको बिजनेस बढ़ाने के लिए और लोन मिलता है। ओएनडीसी की व्यवस्था ने डिजिटल कॉमर्स यानी ऑनलाइन शॉपिंग की व्यवस्था को समावेशी बनाया है। आज देश में छोटे बिजनेस को भी आगे बढ़ने का समान अवसर मिल रहा है। प्रहलाद सबनानी 

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दिल्ली में भाजपा की जीत और आप की हार के सियासी मायने

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कमलेश पांडेय दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में विगत 12 वर्षों से सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ की हार और  प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा की अप्रत्याशित जीत के सियासी मायने दिलचस्प हैं। इसके राजनीतिक असर भी दूरगामी होंगे क्योंकि एक तरफ जहां भाजपा की जीत से केंद्र में सत्तारूढ़ ‘एनडीए’ की एकजुटता मजबूत होगी, वहीं देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन में बिखराव को बढ़ावा मिलेगा।  ऐसा इसलिए कि इंडिया गठबंधन की अगुवा पार्टी कांग्रेस ने दिल्ली में अपने पूर्व गठबंधन सहयोगी ‘आप’, जो दिल्ली में लंबे समय से सत्तारूढ़ थी, को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे कांग्रेस ने आप से जहां अपना पुराना सियासी हिसाब-किताब बराबर कर लिया है, वहीं अपनी खोई राजनीतिक जमीन हासिल करने का शिलान्यास भी कर चुकी है। वहीं, अब उसमें इस बात की भी नई उम्मीद जगी है कि 2030 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में जब भाजपा से उसका सीधा मुकाबला होगा तो उसकी स्थिति और मजबूत होगी और उसका खोया जनाधार पुनः वापस लौट जाएगा। बता दें कि 2010 के दशक के शुरुआती सालों में पूर्व नौकरशाह अरविंद केजरीवाल समेत ‘आप’ के कतिपय प्रमुख नेताओं के द्वारा लोकप्रिय समाजसेवी अन्ना हजारे को आगे करके ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ नामक एनजीओ के तत्वावधान में कांग्रेस की तत्कालीन डबल इंजन सरकार यानी मनमोहन सिंह सरकार और शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ जो भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम चलाई गई, उससे 2013 में दिल्ली में 15 वर्षों से सत्तारूढ़ शीला दीक्षित सरकार और 2014 में केंद्र में 10 वर्षों से सत्तारूढ़ मनमोहन सिंह सरकार का सफाया हो गया था। राजनीतिक मामलों के जानकार बताते हैं कि चूंकि इस भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का भी गुप्त समर्थन हासिल था, इसलिए यह आंदोलन काफी सफल रहा। हालांकि एनजीओ के बैनर तले शुरू हुए इस आंदोलन की देशव्यापी लोकप्रियता से उत्साहित समाजसेवियों ने जब आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ का गठन करके दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी भागीदारी जताई तो आरएसएस और भाजपा ने इससे दूरी बना ली। लेकिन तब तक अन्ना हजारे की आड़ में अरविंद केजरीवाल ने अपनी सामाजिक आभा इतनी चमका ली थी कि उनकी नवगठित पार्टी ‘आप’ ने कांग्रेस की पूरी और बीजेपी की कुछ कुछ राजनीतिक जमीन हड़प ली। यदि गौर किया जाए तो 2013 में जब आप ने धर्मनिरपेक्षता की आड़ में उसी कांग्रेस के सहयोग से भाजपा विरोधी गठबंधन सरकार का गठन किया, जिसका विरोध करके वह चुनाव जीती थी और त्रिशंकु विधानसभा की नौबत आई थी। कांग्रेस की इस एक मात्र भूल ने 2015 के मध्यावधि चुनाव में जहां उसका सफाया कर दिया, वहीं आप की ओर मुस्लिम मतदाताओं के बढ़े रुझान से उसे रिकॉर्ड जीत मिली। क्योंकि भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति देने के नाम पर दलितों, पिछड़ों और सवर्णों के अलावा पूर्वांचलियों और पहाड़ियों के साथ-साथ दिल्ली के पंजाबियों-बनियों ने भी आप का साथ दिया। इससे भाजपा भी भौंचक्की रह गई  क्योंकि 2014 में ही उसने पीएम मोदी के नेतृत्व में देश फतह किया था। हालांकि, उसके बाद से ही तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह को संतुलित करने की जो भाजपा के गुजराती-मराठी लॉबी की अंदरूनी राजनीति शुरू हुई, उससे पूर्वांचलियों में भाजपा की साख गिरी और आप को मजबूती मिली। वहीं, 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आप की लोकप्रियता थोड़ी कम हुई, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के मुकाबले काफी ज्यादा रही। इसके बाद जब आप ने पंजाब में कांग्रेस को, दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा को जबरदस्त शिकस्त दी तो कांग्रेस किंकर्तव्यविमूढ़, लेकिन भाजपा चौकन्नी हो गई। क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने यूपी, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में भी अपने पांव पसारने शुरू कर दिए। उन्होंने 2023 में आप को राष्ट्रीय पार्टी का तमगा भी दिलवा दिया। कांग्रेस, भाजपा और जनता पार्टी/जनता दल जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के बाद आप एक ऐसी पहली क्षेत्रीय पार्टी बनी जिसने एक के बाद दूसरे राज्य यानी दिल्ली के बाद पंजाब में भी अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बना ली। इससे दूरदर्शी भाजपा नेतृत्व सजग हो गया और उसने दिल्ली के उपराज्यपाल के माध्यम से आप सरकार को घेरने की रणनीति बनाई, क्योंकि अरविंद केजरीवाल हर बात में उपराज्यपाल और प्रधानमंत्री को ही निशाना बनाते रहते थे। इस बीच लोकसभा चुनाव 2024 के पहले कांग्रेस के नेतृत्व में बने देशव्यापी इंडिया गठबंधन से जब आप की आंखमिचौली शुरू हुई, तो दिल्ली में कांग्रेस-आप में 4:3 का समझौता हो गया, जबकि पंजाब में दोनों में दोस्ताना मुकाबला हुआ। इसमें कांग्रेस ने आप को धो दिया और पंजाब में आप से दोगुनी सीट जीत ली। तभी यह तय हो  गया कि आप को यदि अपनी राजनीतिक जमीन बचानी है तो कांग्रेस से दूर जाना होगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह हुआ तो जरूर, लेकिन यहां भी आप का दांव उलटा पड़ गया। दरअसल, आप एक ऐसी पार्टी के रूप में उभर रही थी, जो भाजपा और कांग्रेस से इतर सभी व्यवहारिक मुद्दों में स्पष्ट नजरिया रख रही थी। लेकिन जब से वह भाजपा के निशाने पर आई, उसकी भी रीति-नीति बदल गई। उससे टक्कर लेने के लिए वह जिन थैलीशाहों की शरण में गई, वही आप को ले डूबे। शराब घोटाला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जब तक आप बिजली-पानी फ्री देने, स्कूल-अस्पताल को सुधारने आदि पर फोकस किया, तबतक लोकप्रिय बनी रही। लेकिन कोरोना काल की अवैध वसूली और अपनी कतिपय क्षेत्रवादी व अभद्र नीति से जहां वह जनता में अलोकप्रिय हुई, वहीं नीतिगत शराब घोटाले ने उसकी सरकार को ही जेल में डाल दिया। आप सरकार के मुख्यमंत्री की जेल यात्रा और पूर्व उपमुख्यमंत्री की जेल यात्रा तो महज एक बानगी रही, उसके अन्य मंत्री व सांसद भी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए और बमुश्किल जमानत पर रिहा हुए।  उधर भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के शीशमहल, वायु प्रदूषण, यमुना जल प्रदूषण, दिल्ली के कुछ इलाकों के नारकीय हालात आदि पर इतना फोकस किया कि लोगों को यह महसूस हुआ कि दिल्ली में आप की सरकार के रहते दिल्ली का अब और विकास नहीं हो सकता। इससे पहले भी दिल्ली के विकास का सारा श्रेय शीला दीक्षित सरकार को जाता है। वहीं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आप को दिल्ली के लिए ‘आपदा’ (आप-दा) करार दे दिया, क्योंकि यह सरकार विभिन्न महत्वपूर्ण केंद्रीय योजनाओं को दिल्ली में लागू ही नहीं होने देती थी। वहीं, कानून-व्यवस्था पर केंद्र सरकार को घेरती रहती थी, क्योंकि दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय के अंतर्गत होता है। हालांकि, जब भाजपा ने आरएसएस के सहयोग से आप को दिल्ली की गली-कूची में घेरना शुरू किया, तब स्थिति बदलती। छठ पूजा के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की सोच भी उनपर भारी पड़ी। कांग्रेस के खिलाफ सपा, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना यूटीबी आदि का समर्थन भी आप को भारी पड़ा, क्योंकि इनकी पहचान मुस्लिम परस्त और देशद्रोही पार्टी की बनती जा रही है। वहीं, दिल्ली के दंगों को, शाहीन बाग जैसे धरनों और किसान आंदोलन जैसे महानगर विरोधी आंदोलनों को प्रत्यक्ष-परोक्ष समर्थन देना भी अरविंद केजरीवाल की राजनीति को भारी पड़ी। सच कहूं तो सियासी शिल्पकार भाजपा ने दिल्ली के राजनीतिक दंश को दूर करने के लिए एक सुनियोजित रणनीति अपनाई, जिसमें हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र तक के अनुभवों को पिरोया। किसी भी व्यक्ति को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ना, वोट करना लोगों को अपील कर गया। वहीं, आप और कांग्रेस की तरह ही फ्रीबीज की बौछार करना भाजपा के लिए शुभ कारक रहा। क्योंकि लोगों ने मोदी की गारंटी को अहमियत दी। वहीं, बजट 2025-26 में मध्यम वर्ग को जो भारी कर राहत मिली, उससे बीजेपी के पक्ष में एक नई लहर पैदा हो गई। हालांकि, इस चुनाव में मध्यम वर्ग के मुद्दों पर प्रारम्भिक फोकस अरविंद केजरीवाल ने ही किया, लेकिन मतदान के ऐन मौके पर केंद्रीय बजट बाजीगरी दिखलाकर मोदी मैदान मार ले गए और आप हाथ मलती रह गई। दिल्ली की इस अप्रत्याशित जीत का फायदा एनडीए गठबंधन को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भी मिलेगा। वहीं, कांग्रेस यदि समझदारी दिखाकर इंडिया गठबंधन को पुनः मजबूत बनाती है तो वहां भी कांटे की टक्कर होगी, अन्यथा नहीं। क्योंकि वहां पर भी नवगठित जनसुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर के रुख पर यह निर्भर करेगा कि एनडीए या इंडिया गठबंधन में किसका पलड़ा भारी होगा। 

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