राजनीति भारतीय लोकतंत्र और इस्लामी मूल्यों के खिलाफ है वैश्विक खिलाफत की काल्पनिक अवधारणा November 28, 2024 / November 29, 2024 by गौतम चौधरी | Leave a Comment गौतम चौधरी वैश्विक खिलाफत की काल्पनिक अवधारणा उसी प्रकार गैरवाजिब है जैसे पुरातनपंथी हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा। यह दोनों अवधारणा काल्पनिक है और आधुनिक लोकतांत्रिक विश्व में इसका कोई स्थान नहीं है। दरअसल, आज इस बात की चर्चा इसलिए जरूरी है कि दुनिया के कुछ इस्लामिक चरमपंथियों ने एक बार फिर से वैश्विक खिलाफत की बात प्रारंभ की है। विगत कुछ वर्षों में भारत सहित दक्षिण एशिया के कई देशों में इस विचार के प्रेरित युवकों को असामाजिक व गैरराष्ट्रवादी गतिविधियों में संलिप्त देखा गया है। हाल के वर्षों में हिज्ब उत-तहरीर की गतिविधियों को लेकर भारत में चिंता बढ़ी है। पहले तो हमें हिज्ब उत-तहरीर को समझना होगा। यह एक अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक संगठन है, जिसका उद्देश्य इस्लामी खिलाफत को पुनः स्थापित करना है। इसका नाम अरबी में ‘‘हिज्ब-उत-तहरीर’’ है जिसका अर्थ, ‘‘मुक्ति की पार्टी’’ है। वर्ष 1953 में एक फिलिस्तीनी इस्लामिक चरमपंथी, उकीउद्दीन नबहानी ने जेरूसलम में इसकी स्थापना की थी। हिज्ब-उत-तहरीर का दावा है कि वह राजनीतिक, बौद्धिक और वैचारिक तरीकों से काम करता है और हिंसा में कोई विश्वास नहीं करता लेकिन इसके कार्यकर्ता दुनिया के लगभग 50 देशों में हिंसक गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं। यहां तक कि कई इस्लामिक देशों में भी यह संगठन वहां की सत्ता के चुनौती बना हुआ है। संगठन का मानना है कि मुसलमानों को एक खलीफा के नेतृत्व में एकजुट होना चाहिए जो शरियत कानून के अनुसार शासन करे। इसका मुख्य उद्देश्य एक वैश्विक इस्लामी खिलाफत की स्थापना है जो मुसलमानों की राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन को इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार नियंत्रित करे। वस्तुतः इस संगठन का दावा और हकीकत दोनों एक-दूसरे के विपरीत हैं। यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के मुताबिक, ये संगठन गैर-सैन्य तरीकों से खिलाफत की पुनः स्थापना पर काम करता है। इसलिए कई देश, संगठन पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। हिज्ब-उत-तहरीर पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों में बांग्लादेश और चीन के अलावा जर्मनी, रूस, इंडोनेशिया, लेबनान, यमन, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। दुनिया के अन्य कई देश हिज्ब-उत-तहरीर इस संगठन पर निगरानी कर रहे हैं क्योंकि वहां की राजनीतिक व्यवस्था के लिए भी यह चुनौती पैदा करने लगा है। इसके बावजूद यह संगठन दुनिया के 50 से अधिक देशों में सक्रिय है। 10 लाख से अधिक इसके सक्रिय सदस्यों की संख्या बतायी जाती है। हिज्ब-उत-तहरीर का भारत में बहुत व्यापक आधार नहीं नहीं है लेकिन हाल के वर्षों में इसके प्रभाव और गतिविधियों पर ध्यान दिया गया है। हिज्ब-उत-तहरीर का मुख्य उद्देश्य एक इस्लामिक खिलाफत स्थापित करना है जो भारत के संविधान और धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों के विपरीत है। हिज्ब-उत-तहरीर ने भारत में बहुत अधिक खुले तौर पर गतिविधियां नहीं की है लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट और सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, यह गुप्त रूप से भारत में सक्रिय है। संगठन के सदस्यों पर भारत के विभिन्न हिस्सों में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और खिलाफत की विचारधारा का आरोप लगा है। भारत में सुरक्षा एजेंसियां इस संगठन पर नजर रख रही है और इसकी संभावित नेटवर्क को रोकने के प्रयास करती है। इस क्रम में भारत सरकार ने हाल ही में इस कट्टरपंथी समूह को प्रतिबंधित संगठन घोषित किया है। इसपर प्रतिबंध के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि हिज्ब-उत-तहरीर का लक्ष्य लोकतांत्रिक सरकार को जिहाद के माध्यम से हटाकर भारत सहित विश्व स्तर पर इस्लामिक देश और खिलाफत स्थापित करना है। मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि हिज्ब-उत-तहरीर भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर हिज्ब-उत-तहरीर को एक आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध करने के साथ, यह समझना महत्वपूर्ण है कि न केवल इसकी गतिविधियां भारतीय कानून के तहत अवैध हैं बल्कि यह मूल इस्लामिक सिद्धांतों के खिलाफ भी है। इससे भारतीय मुस्लिम समुदाय के लिए दोहरी दुविधा पैदा होती है। भारत का संविधान धर्म और राज्य के मामलों के बीच स्पष्ट अंतर बनाए रखते हुए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करना है। यह अपने सभी नागरिकों के लिए लोकतंत्र, मतदान और मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है। हिज्ब-उत-तहरीर के सदस्यों की हरकतें, जिनमें लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भागीदारी के खिलाफ प्रचार करना, संविधान को चुनौती देना और शरिया कानून द्वारा शासित वैकल्पिक राज्यों को बढ़ावा देना शामिल है जो अंतातोगत्वा देश के धर्मनिर्पेक्ष ताने-बाने को खतरे में डालेगा। लोकतंत्र के प्रति हिज्ब-उत-तहरीर का वैचारिक विरोध खुद को उन मूल सिद्धांतों के खिलाफ खड़ा करता है, जिन्होंने मुसलमानों सहित विभिन्न समुदायों को भारत में शांतिपूर्वक सहअस्तित्व की अनुमति दी है। संविधान विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देकर संगठन न केवल मुसलमानों और बहुसंख्यक समाज के बीच दरार पैदा करता है बल्कि एक अलगाववादी रवैये को भी बढ़ावा देता है जो इस्लाम के सामाजिक सामंजस्य सिद्धांत के खिलाफ है। हिज्ब-उत-तहरीर की गतिविधियां इस्लामिक शिक्षाओं का भी खंडन करती है। इस्लामिक चिंतकों के अनुसार, इस्लाम एक आस्था के तौर पर अराजकता से बचने को महत्व देता है। इस्लामिक राजनीतिक विचार में एक प्रमुख सिद्धांत यह है कि किसी भी वैध इस्लामिक शासन को एक वैध प्रक्रिया के माध्यम से बदला जा सकता है, विशेष रूप से व्यापक सामुदायिक समर्थन वाले मुस्लिम शासक के नेतृत्व में ही यह संभव है। अराजकता के माध्यम से शासन बदला जाना इस्लामिक राजनीतिक सिद्धांत के खिलाफ है। इस्लाम के पवित्र ग्रोंथ में इसके बारे में साफ चेतावनी दी गयी है। साफ तौर पर कहा गया है कि इस्लामी राज्य के लिए अनाधिकृत आह्वान के जरिए फूट को बढ़ावा देने के बजाए स्थापित प्राधिकरण के जरिए एकता और न्याय को बनाए रखना ही बेहतर है। वास्तव में दुनिया भर के इस्लामी विद्वानों ने नेतृत्वहीन आन्दोलन के खिलाफ चेतावनी दी है जो अशांति भड़का कर व्यवस्था बदलने की कोशिश करते हैं। हिज्ब-उत-तहरीर की तरह ये आन्दोलन न केवल समुदाय के हितों को नुकशान पहुंचाते हैं बल्कि समाजिक शांति और सदभाव प्राप्त करने के व्यापक इस्लामिक उद्देश्य के भी विपरीत हैं। हिज्ब-उत-तहरीर की वकालत के सबसे चिंताजनक पहलुओं में से एक मुस्लिम युवाओं पर इसका प्रभाव है, जो अक्सर अपने कार्यों के परिणामों को पूरी तरह से समझे बिना एक काल्पनिक इस्लामिक राज्य के वादे से बहक जाते हैं। हिज्ब-उत-तहरीर की विचारधारा से प्रभावित कई युवा मुस्लिम ऐसी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं जो भारतीय कानून के तहत अवैध हैं, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार किया जाता है और लंबे समय तक जेल में रहना पड़ता है। ये युवा, समाज के योगदानकर्ता सदस्य बनने के बजाय घोषित अपराधी बन जाते हैं। इस्लामी शासन के तहत बेहतर जीवन के हिज्ब-उत-तहरीर के वादे खोखले हैं, क्योंकि वे युवाओं को ऐसे रास्तों पर ढकेलते हैं, जो उन्हें अपराधी बना देता है। मुस्लिम युवाओं को यह एहसास कराने की जरूरत है कि इस्लाम सामाजिक शांति को बाधित करने वाले कार्यों की वकालत नहीं करता है और हिंसक विरोध या संवैधानिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकने का आह्वान उन्हें गुमराह कर रहा है। मौजूदा लोकतांत्रिक ढ़ांचे के भीतर सामाजिक आर्थिक विकास, शिक्षा और राजनीतिक भागीदारी की ज्यादा जरूरत है, बजाए इसके कि एक अप्राप्य और विभाजनकारी लक्ष्य के लिए फालतू का प्रयास किया जाए, जो भारतीय कानून और इस्लामी सिद्धांतों दोनों के विपरीत हैं। इस मामले में यह जरूरी है कि मुस्लिम विद्वान, नेता और सामुदायिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर जैसे संगठनों द्वारा बताए गए आख्यानों का खंडन करे, जो न केवल अवैध है बल्कि धार्मिक रूप से भी गलत है। इस्लामिक शिक्षाएं मुसलमानों को अपने समाज में न्यायपूर्ण और सक्रिय भागीदार बनने, कानून के दायरे में अच्छाई को बढ़ावा देने और नुकशान को रोकने के लिए प्रोत्साहित करती है। विभाजनकारी विचारधाराओं का शिकार होने के बजाए, मुस्लिम समुदाय को भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के साथ रचनात्मक जुड़ाव पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। इसमें मतदान, राजनीतिक भागीदारी और समान अधिकारों की वकालत शामिल है। विद्रोह या कट्टरपंथ के विनाशकारी परिणामों के बिना समुदाय का उत्थान हो सकता है। मुस्लिम युवाओं को यह समझना चाहिए कि सच्चा इस्लामी शासन न्याय, व्यवस्था और शांति पर आरूढ होता है। ये ऐसे मूल्य हैं जिन्हें भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के भीतर बरकरार रखा गया है। उथल-पुथल के इस दौर में कट्टरपंथी आह्वानों को अस्वीकार करके, मुसलमान एक ऐसे भविष्य की दिशा में काम कर सकते हैं, जहां वे अपने विश्वास या अपनी स्वतंत्रता से समझौता किए बिना समाज में सकारात्मक योगदान दे सकें। गौतम चौधरी Read more » वैश्विक खिलाफत की काल्पनिक अवधारणा हिज्ब-उत-तहरीर
राजनीति शख्सियत समाज शिवाजी द्वीतीय का राज्याभिषेक November 28, 2024 / December 13, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राजाराम की मृत्यु के बाद महारानी ने अपने 4 वर्षीय पुत्र शिवाजी द्वीतीय का राज्याभिषेक करवाया और स्वयं मराठा साम्राज्य की संरक्षिका बन गयीं। उस समय मराठा साम्राज्य का संरक्षक बनने का अर्थ था औरंगजेब जैसे बादशाह की शत्रुता मोल लेना। इस शत्रुता में राज्य भी जा सकता था और प्राण भी जा सकते थे। […] Read more » Coronation of Shivaji II
राजनीति धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हमारी सांस्कृतिक प्रथाओं के लिए मारकाट कब थमेगी? November 28, 2024 / November 28, 2024 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment -डॉ. सत्यवान सौरभ संभल में दायर याचिका वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा के शाही ईदगाह के लिए दायर याचिकाओं की तरह ही है। मुख्य मुद्दा यह है कि कानून-‘पूजा स्थल अधिनियम, 1991’ को कैसे समझा जाता है। संभल की ज़िला अदालत ने शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश एक याचिका के आधार […] Read more » Jama Masjid after demolishing Harihar Temple पूजा स्थल अधिनियम पूजा स्थल अधिनियम1991 शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण संभल की जामा मस्जिद का विवाद संभल के सिविल जज की अदालत में विष्णु शंकर जैन
राजनीति राजस्थान -कांग्रेस की हार का कारण नेताओं की आपसी फूट तो नहीं? November 26, 2024 / November 26, 2024 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को बड़ी शिकस्त झेलनी पड़ी। उपचुनाव से पहले कांग्रेस के पास चार सीटें झुंझुनूं, दौसा, रामगढ़ और देवली उनियारा कांग्रेस के पास थी। अब केवल एक सीट दौसा बची है। शेष तीन सीटें झुंझुनूं, रामगढ़ और देवली उनियारा भाजपा ने छीन ली। भाजपा ने […] Read more » कांग्रेस की हार
राजनीति कनाडा एवं अमेरिका से भारत में रिवर्स ब्रेन ड्रेन की सम्भावना बढ़ रही है November 26, 2024 / November 26, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment वैश्विक स्तर पर लगातार कुछ इस प्रकार की परिस्थितियां निर्मित होती दिखाई दे रही हैं, जिससे विशेष रूप से कनाडा एवं अमेरिका से भारत की ओर रिवर्स ब्रेन ड्रेन की सम्भावना बढ़ती जा रही है। कनाडा में खालिस्तानियों द्वारा चलाए जा रहे भारत विरोधी आंदोलन के चलते वहां निवासरत भारतीयों एवं मंदिरों पर लगातार हमले हो रहे हैं एवं भारतीयों एवं मंदिरों पर हो रहे इन हमलों पर लगाम लगाने में कनाडा की वर्तमान सरकार असफल सिद्ध हो रही है एवं इन हमलों को, राजनैतिक कारणों के चलते, रोकने की इच्छा शक्ति का अभाव भी दिखाई दे रहा है। इसके चलते भारत एवं कनाडा के राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक रिश्तों पर अत्यधिक विपरीत प्रभाव पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। स्थिति तो यहां तक पहुंच गई है कि भारत ने कनाडा में अपने दूतावास में प्रतिनिधियों की संख्या को कम कर दिया है तथा भारत ने कनाडा को निर्देशित किया था कि वह भी भारत में अपने दूतावास में प्रतिनिधियों की संख्या को कम करे। भारत एवं कनाडा के बीच आज कूटनीतिक रिश्ते आज तक के सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं। साथ ही, कनाडा में आज सुरक्षा की दृष्टि से भी स्थितियां तेजी से बदल रही हैं तथा इसका कनाडा के आर्थिक विकास पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। जिसके चलते भारतीय आज कनाडा में अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और भारत की ओर रूख कर रहे हैं। दूसरी ओर, अमेरिका में डोनल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के पश्चात वहां पर अवैध रूप से रह रहे अन्य देशों के नागरिकों को अमेरिका से निकाले जाने की सम्भावनाएं बढ़ गई हैं। हालांकि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों की संख्या लगभग नगण्य सी ही है परंतु ट्रम्प प्रशासन द्वारा अब वीजा, एच1बी सहित, जारी करने वाले नियमों को और अधिक कठोर बनाया जा सकता है। अमेरिका में प्रतिवर्ष जारी किए जाने वाले कुल एच1बी वीजा में से 60 प्रतिशत से अधिक वीजा भारतीय मूल के नागरिकों को जारी किए जाते हैं। यदि इस संख्या में भारी कमी दृष्टिगोचर होती है तो अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को, उनकी पढ़ाई सम्पन्न करने के पश्चात यदि एच1बी वीजा जारी नहीं होता है तो उन्हें भारत वापिस आने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इस प्रकार अमेरिका से भी भारतीयों का रिवर्स ब्रेन ड्रेन दिखाई पड़ सकता है। भारत आज पूरे विश्व में सबसे अधिक तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है, अतः भारत में तेज गति से हो रहे आर्थिक विकास के कारण सूचना प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, उच्च तकनीकी क्षेत्रों, वाहन विनिर्माण उद्योग, फार्मा उद्योग, चिप विनिर्माण उद्योग, स्टार्ट अप, आदि क्षेत्रों में भारी मात्रा में रोजगार के नए अवसर निर्मित हो रहे हैं और भारत को इन क्षेत्रों में उच्च टेलेंट की आवश्यकता भी है। यदि कनाडा एवं अमेरिका से उच्च शिक्षा प्राप्त एवं उक्त क्षेत्रों में प्रशिक्षित इंजीनीयर्स भारत को प्राप्त होते हैं तो यह स्थिति भारत के लिए बहुत फायदेमंद होने जा रही है। उक्त कारणों के अतिरिक्त आज अन्य देशों से भारत की ओर रिवर्स ब्रेन ड्रेन इसलिए भी होता दिखाई दे रहा है क्योंकि, भारत में आज मूलभूत सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। किसी भी दृष्टि से भारत का आधारभूत ढांचा आज किसी भी विकसित देश की तुलना में कम नहीं है। साथ ही, भारत में, विकसित देशों की तुलना में, मुद्रा स्फीति की दर कम होने से, सामान्य रहन सहन की लागत तुलनात्मक रूप से भारत में बहुत कम है। अतः भारत में अमेरिका एवं कनाडा की तुलना में शुद्ध बचत दर भी अधिक है। हाल ही के समय में भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में भी पर्याप्त सुधार हुआ है। आज बैंगलोर, मुंबई, हैदराबाद जैसे शहरों में बहुत ही कम लागत पर अमेरिकी अस्पतालों की तुलना में (अमेरका की तुलना में तो 1/10 लागत पर) अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। भारत के ग्रामीण इलाकों में तो शुद्ध हवा एवं शुद्ध पानी, जो स्वास्थ्य को ठीक बनाए रखने में सहायक होता है, पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। वरना, महानगरीय इलाकों में तो आज सांस लेना भी बहुत मुश्किल हो रहा है। विभिन्न देशों से उच्च शिक्षा प्राप्त एवं टेलेंटेड भारतीय जो भारत वापिस लौटे हैं, उन्होंने अपने नए प्रारम्भ किए गए स्टार्ट अप के कार्यालय दक्षिण भारत के ग्रामीण इलाकों में स्थापित किए हैं। भारत में बहुत लम्बे समय से मजबूत लोकतंत्र बना हुआ है एवं केंद्र में एक मजबूत सरकार, उद्योग एवं व्यापार को भारत में प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उद्योग एवं व्यापार के मित्रवत आर्थिक नीतियों को सफलतापूर्वक लागू कर रही है। इससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मात्रा में अपार वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। विकसित देशों में नागरिकों की औसत आयु 50 वर्ष से अधिक हो रही है जिससे श्रमिकों की संख्या इन देशों में लगातार कम हो रही है एवं श्रम लागत में भी भारी मात्रा में वृद्धि हुई है जिसके कारण इन देशों में उत्पादन लागत बहुत अधिक बढ़ गई है। हाल ही के समय में चीन भी इस समस्या से ग्रसित पाया जा रहा है। केवल भारत एवं दक्षिणी अफ्रीकी देशों में ही श्रम लागत तुलनात्मक रूप से बहुत कम है। इसके कारण विश्व की कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना भारत में करना चाहते हैं। भारत में उत्पादों का निर्माण कर इन उत्पादों को विश्व के अन्य देशों को निर्यात किया जा रहा है। भारत में आटोमोबाईल उद्योग, मोबाइल उद्योग एवं फार्मा उद्योग इसके जीते जागते प्रमाण हैं। इन्हीं कारणों से आज भारत से कई उत्पादों का निर्यात बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है एवं भारत का विदेशी व्यापार घाटा लगातार कम हो रहा है। विदेशी व्यापार घाटे में सुधार होने के चलते भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि दृष्टिगोचर है जो हाल ही के समय में 70,000 अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को भी पार कर गया था। हालांकि, इसके बाद से इसमें कुछ गिरावट देखी गई है। आज विश्व के कई विकसित देशों में सामाजिक तानाबाना छिन्न भिन्न हो गया है एवं इन देशों के नागरिकों में मानसिक असंतोष की भावना लगातार बढ़ रही है एवं इन देशों की आधे से अधिक आबादी आज मानसिक बीमारीयों से ग्रसित है। जबकि इसके ठीक विपरीत भारत में हिंदू सनातन संस्कृति के संस्कारों के अनुपालन से एवं संयुक्त परिवार की जीवनशैली के चलते भारतीय नागरिक मानसिक बीमारियों से लगभग पूर्णत: मुक्त रहे हैं एवं सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। विकसित देशों के नागरिकों ने भौतिक विकास तो अधिक किया है परंतु मानसिक शांति खोई है। जबकि इस धरा पर जन्म लेने का उद्देश्य ही सुखी जीवन व्यतीत करना है न कि अपने आप को मानसिक बीमारियों से ग्रसित कर देना। इन्हीं कारणों के चलते आज विश्व के कई देशों के नागरिक हिंदू सनातन संस्कृति को अपनाने की ओर लालायित दिखाई दे रहे हैं और वे भारत में बसने के बारे में गम्भीरता से विचार कर रहे हैं। अतः विकसित देशों से भारत में रिवर्स ब्रेन ड्रेन आने वाले कल की सच्चाई है। Read more » Reverse brain drain in india भारत में रिवर्स ब्रेन ड्रेन
राजनीति गांव- गांव संविधान के निहितार्थ November 25, 2024 / November 25, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment संविधान दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार ने गांव-गांव संविधान का संदेश पहुंचने का निर्णय लिया है,यह बहुत महत्वपूर्ण है। भारतवर्ष गांवों का देश है। इन गांवों में रहने वाला सामान्य नागरिक भी देश का महत्वपूर्ण अंग है। एक ओर वह चुनावों में मतदान के माध्यम से सरकार चुनकर भूमिका निभाता है तो वहीं दूसरी […] Read more » गांव- गांव संविधान
राजनीति संभल की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से उपजे जटिल सवाल November 25, 2024 / November 25, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- यह दुर्भाग्यपूर्ण एवं त्रासद है कि उत्तर प्रदेश के संभल में एक बार फिर एक सम्प्रदाय विशेष के लोगों ने जो हिंसा, नफरत एवं द्वेष को हथियार बनाकर अशांति फैलायी, वह भारत की एकता, अखण्डता एवं भाईचारे की संस्कृति को क्षति पहुंचाने का माध्यम बनी है। स्थानीय अदालत के आदेश पर एक मस्जिद […] Read more » संभल की दुर्भाग्यपूर्ण घटना संभल की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से उपजे जटिल सवाल
राजनीति पश्चिम बंगाल में कम होती भाजपा की ताकत November 25, 2024 / November 25, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अमित कुमार अम्बष्ट ” आमिली “ पिछले दिनों हुए विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव और विधान सभा उपचुनावों के नतीजें ने यह साबित कर दिया है कि आज भी भाजपा अपने घटक दलों के साथ शानदार प्रदर्शन करने में सक्षम है, चाहे वो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की प्रचंड जीत हो, बिहार के उपचुनाव के नतीजे […] Read more » BJP's strength is decreasing in West Bengal पश्चिम बंगाल में कम होती भाजपा की ताकत
राजनीति हेमंत के दूसरी बार सत्तासीन होने के मायने November 25, 2024 / November 25, 2024 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment कुमार कृष्णन वनाच्छादित, खनिज संपदा से भरपूर और आदिवासी बहुल झारखंड विधानसभा चुनाव का परिणाम का संदेश यह रहा कि यहाँ के लोगों ने भाजपा की विभाजनकारी नीति को नकार दिया। इसके साथ ही झारखंड के अब तक के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी सरकार को लगातार दूसरी बार सत्तासीन होने […] Read more » Meaning of Hemant coming to power for the second time झामुमो प्रमुख हेमंत सोरेन झारखंड विधानसभा चुनाव का परिणाम हेमंत सोरेन
राजनीति सियासत की आखिरी बाजी में शरद पवार कैसे मात खा गए? November 25, 2024 / November 25, 2024 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के आखिरी दौर के वक्त राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि मुझसे पंगा लेना भारी पड़ सकता है। जिन लोगों ने मेरे साथ विश्वासघात किया है, उन्हें सबक सिखाना जरूरी है। आज जब महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे सामने आए तो शरद […] Read more » Sharad Pawar lose in the last game of politics सियासत की आखिरी बाजी में शरद पवार
महिला-जगत राजनीति क्या टेलरिंग शॉप और सैलून में पुरुषों पर रोक से महिलाएँ सुरक्षित हो पायेगी? November 25, 2024 / November 25, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment लिंग भेद का अर्थ है कि महिलाओं को निरंतर सुरक्षा की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी एजेंसी और व्यावसायिकता कमज़ोर होती है। पुरुष दर्जियों को महिलाओं के माप लेने से रोकना सुरक्षा के लिए महिलाओं की निर्भरता की धारणा को मज़बूत करता है। ऐसी नीतियाँ पुरुषों को संभावित खतरे के रूप में सामान्यीकृत करती हैं, […] Read more » banning men from tailoring shops and salons टेलरिंग शॉप और सैलून में पुरुषों पर रोक
राजनीति महाराष्ट्र-झारखंड में सियासी सूझबूझ मस्त, अहंकार पस्त November 25, 2024 / November 25, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के साथ-साथ लोकसभा की दो सीटों और विभिन्न दर्जनाधिक राज्यों की 48 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम चौंकाने वाले हैं। ये चुनाव परिणाम इस बात का स्पष्ट इशारा कर रहे हैं कि मतदाताओं ने जहां सियासी सूझबूझ को ग्रेस देते हुए मस्त कर दिया है, वहीं […] Read more » महाराष्ट्र-झारखंड में सियासी सूझबूझ मस्त