राजनीति विधि-कानून निजी सम्पत्ति अधिग्रहण पर राह दिखाने वाला फैसला November 6, 2024 / November 6, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:- सुप्रीम कोर्ट ने हर निजी सम्पत्ति पर सरकार कब्जा नहीं कर सकती वाला राह दिखाने वाला फैसला देकर जहां निजी सम्पत्ति धारकों के अधिकारों की रक्षा की है, वही अर्थ-व्यवस्था को तीव्र गति देने के धरातल को मजबूत बनाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने जाहिर किया है कि निजी संपत्ति के […] Read more » A decision to guide the acquisition of private property acquisition of private property निजी सम्पत्ति अधिग्रहण
राजनीति आर्थिकी को बल देती मन की बात November 5, 2024 / November 5, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डॉ.वेदप्रकाश मन की बात ने पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के कला-कौशल,उत्पाद एवं क्षेत्रीय विशेषताओं आदि को नए आयाम दिए हैं। अब इससे लोकल भी ग्लोबल होते जा रहे हैं। मन की बात कार्यक्रम के 115 प्रसारण पूरे हो चुके हैं। अब यह कार्यक्रम जन संवाद का लोकप्रिय पटल बन चुका है। मन की बात […] Read more » मन की बात
राजनीति विश्ववार्ता अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के ‘हिंदू कार्ड’ के अंतर्राष्ट्रीय मायने November 5, 2024 / November 5, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति व रिपब्लिकन पार्टी के पुनः उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प का यह कहना कि हम अमेरिका को फिर से मज़बूत बनाएंगे और ताकत के ज़रिए शांति वापस लाएंगे, एक ऐसी लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता है जिसकी अपेक्षा हरेक जनतांत्रिक राष्ट्राध्यक्ष से की जाती है लेकिन जब अशान्ति की जड़ में वोट बैंक हो और […] Read more » International significance of US presidential candidate Donald Trump's 'Hindu card' डोनाल्ड ट्रंप के 'हिंदू कार्ड' के अंतर्राष्ट्रीय मायने
राजनीति यूपी उपचुनाव में साइकिल पंचर होगी या रफ्तार पकड़ेगी ? November 5, 2024 / November 5, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय यूपी उपचुनाव समाजवादी पार्टी के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है क्योंकि उसकी सहयोगी कांग्रेस रणछोड़ साबित हुई है। वह सपा के साथ है क्योंकि तस्वीरों में दिख रही है, बयानों में झलक रही है लेकिन वह दिल से सपा के साथ नहीं है क्योंकि यूपी उपचुनाव की 9 सीटों में […] Read more » Will the bicycle get punctured or will it pick up speed in the UP by-elections? यूपी उपचुनाव
राजनीति भारत के लिए वैश्विक स्तर पर बदल रहे हैं राजनैतिक एवं रणनीतिक समीकरण November 5, 2024 / November 5, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment वैश्विक स्तर पर आज परिस्थितियां, विशेष रूप से राजनैतिक, रणनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्र में, तेजी से बदल रही हैं। नए नए समीकरण बनते हुए दिखाई दे रहे हैं। जी-7, जी-20 एवं नाटो के सामने ब्रिक्स अपने पांव पसारता नजर आ रहा है। अमेरिका के साथ साथ यूरोपीयन देश अपनी चमक खो रहे हैं। इन देशों को विकसित देश तो कहा ही जाता रहा हैं, साथ ही, वैश्विक स्तर पर कई संगठनों को खड़ा करने में इन देशों की महत्वपूर्ण भूमिका भी रही है और इन संगठनों की मदद से इन देशों का दबदबा भी पूरे विश्व में कायम रहता आया है। यूनाइटेड नेशनस, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, नाटो, फाइव आइज, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन, जी-7 एवं जी-20 जैसे अन्य कई संगठनों के माध्यम पूरे विश्व में ही लगभग प्रत्येक क्षेत्र को यह विकसित देश प्रभावित एवं नियंत्रित करते रहे हैं। परंतु, आज दक्षिणी अफ्रीकी उपमहाद्वीप के देशों, मध्य एशिया में अरब देशों एवं भारतीय उपमहाद्वीप स्थित देशों ने उक्त संगठनों में सुधार कार्यक्रम लागू करने के लिए आवाज उठाना शुरू कर दिया है। उक्त वर्णित लगभग समस्त अंतरराष्ट्रीय संगठनों की स्थापना 1900-2000 शताब्दी में की गई थी। इतने लम्बे अंतराल के बाद भी विश्व के अन्य देशों को इन संगठनों में महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान नहीं की गई है। कुल मिलाकर, अमेरिका एवं यूरोपीयन देशों का दबदबा इन संगठनों की स्थापना के बाद से ही लगातार कायम रहा है। भारत सदैव से ही एक शांतिप्रिय देश रहा है और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना में विश्वास करता आया है। इन्हीं कारणों के चलते भारत के लगभग समस्त देशों से अच्छे सम्बंध रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस और यूक्रेन दोनों ही देश युद्ध को समाप्त करने में भारत की मदद चाहते हैं तो उधर इजराईल-हमास/लेबनान/ईरान युद्ध में ये समस्त देश भी युद्ध को समाप्त करने में भारत की मदद चाहते हैं। दूसरी ओर, ग्लोबल साउथ सहित कई अफ्रीकी देश भी आज भारत का नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार हैं। इन परिस्थितियों के बीच वैश्विक स्तर पर यह मांग बहुत जोर पकड़ती जा रही है कि भारत को यूनाइटेड नेशन्स की सुरक्षा समिति में स्थाई सदस्यता प्रदान की जाए। परंतु रूस, अमेरिका, फ्रांन्स एवं अन्य वीटो प्राप्त देशों द्वारा भारत का समर्थन किए जाने के बावजूद यह कार्य सम्पन्न नहीं हो पा रहा है क्योंकि चीन नहीं चाहता कि भारत सुरक्षा समिति का स्थाई सदस्य बने और वीटो प्राप्त करने का अधिकारी बने। उक्त संगठनों के इत्तर हाल ही में सम्पन्न हुई ब्रिक्स समूह देशों की बैठक में रूस, भारत एवं चीन की तिकड़ी बनती हुई दिखाई दे रही है। इस तिकड़ी द्वारा ब्रिक्स समूह की बैठक में लिए गए कुछ निर्णयों के चलते यदि भारत, रूस एवं चीन के बीच बदलते राजनीतिक एवं रणनीतिक सम्बंध इसी प्रकार आगे बढ़ते हैं तो इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर रणनीतिक, आर्थिक एवं राजनैतिक क्षेत्र पर भी पड़ेगा और आगे आने वाले दिनों में भारत के आर्थिक परिदृश्य में भी व्यापक बदलाव देखने को मिलेंगे। आज विदेशी व्यापार के मामले में अमेरिकी का भारत के साथ सबसे अधिक व्यापार होता है। दूसरे स्थान पर चीन है। विशेष रूप से कोविड महामारी के बाद से भारत द्वारा किए जाने वाले तेल के आयात में, रूस से तेल के आयात में बहुत अधिक वृद्धि दर्ज हुई है इससे रूस के साथ भी भारत का विदेशी व्यापार तेजी से आगे बढ़ा है। इसके पूर्व तक भारत का विदेशी व्यापार यूरोपीयन देशों एवं अमेरिका के साथ ही अधिक मात्रा में होता आया है, परंतु हाल ही समय में इसमें कुछ परिवर्तन होता हुआ दिखाई दे रहा है क्योंकि एक तो यूरोपीयन देशों की आर्थिक वृद्धि दर कम हो रही है और दूसरे भारत को अपने विदेशी व्यापार में वृद्धि करने हेतु अब नए बाजार की तलाश करना आवश्यक हो गया है। दक्षिणी अफ्रीकी देश, मध्य एशिया के अरब देश, भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित देश एवं चीन आदि देशों के रूप में भारत के उत्पादों के लिए एक बड़ा बाजार खड़ा हो सकता है। इस प्रकार, चीन के साथ हुए हाल ही के समझौते से केवल दोनों देशों के बॉर्डर पर ही शांति स्थापित नहीं होगी बल्कि चीन सहित अन्य पड़ौसी देशों के साथ भी भारत के सम्बंध सुधर सकते हैं। अतः भारत, रूस एवं चीन की दोस्ती यदि इसी प्रकार मजबूत होना आगे भी जारी रहती है तो पश्चिमी देशों का दबदबा अब विश्व में कम हो सकता है। भारत की नीतियों के चलते भारत के विचारों को विश्व के समस्त देश अब गम्भीरता से लेने लगे हैं। भारत वैसे भी विश्व मित्र की भूमिका का निर्वहन करना चाहता है। भारत के आज विश्व के समस्त प्रभावशाली देशों के साथ प्रगाढ़ सम्बंध है। हां, कुछ देशों जैसे चीन के साथ कुछ मुद्दे हैं, जिन्हें सुलझाना शेष हैं परंतु भारत की संघर्ष जैसी स्थिति किसी भी देश के साथ नहीं है। कुछ देशों के साथ हमारी प्रतिस्पर्धा जरूर है परंतु शत्रुता नहीं है। अभी हाल ही में जून 2024 माह में भारत के प्रधानमंत्री ने इटली में जी-7 देशों के सम्मेलन में भाग लिया था, जुलाई 2024 माह में प्रधानमंत्री रूस में थे एवं रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन के साथ यूक्रेन युद्ध को हल करने एवं अन्य विषयों पर महत्वपूर्ण चर्चा में व्यस्त रहे। अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री यूक्रेन में पहुंचे एवं यूक्रेन के रूस के साथ युद्ध को हल करने सम्बंधी प्रयासों को गति देने का प्रयास किया। सितम्बर 2024 में प्रधानमंत्री अमेरिका पहुंचें एवं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ मुलाकात की एवं क्वाड सम्मेलन में जापान, आस्ट्रेलिया, एवं अमेरिका सहित भाग लिया। भारत के प्रधानमंत्री अक्टोबर 2024 में पुनः रूस में ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे। अक्टोबर माह में ही जर्मन के चांन्सलर भारत में पधारे। देखिए, विश्व के मई महत्वपूर्ण मंचों पर आज भारत अपनी उपस्थिति मजबूत तरीके से दर्ज कराता हुआ दिखाई दे रहा है। जी-7, क्वाड एवं ब्रिक्स सभी सम्मेलनों में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका स्पष्टतः दिखाई दे रही है। आज विश्व के समस्त प्रभावशाली देश भारत के साथ अपने सम्बन्धों को प्रगाढ़ करना चाहते हैं क्योंकि भारत का आर्थिक विकास तेज गति से आगे बढ़ रहा है, तेज गति से हो रही इस आर्थिक प्रगति के कारण भारत में विभिन्न उत्पादों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है और भारत पूरे विश्व में एक बहुत बड़े बाजार के रूप में विकसित हो रहा है तथा ये देश भारत में अपने विभिन्न उत्पादों के निर्यात को बढ़ाना चाहते हैं। दूसरे, भारत में कुशल एवं युवा नागरिकों की पर्याप्त उपलब्धता है जिसका उपयोग विश्व के अन्य देश भी करना चाहते हैं। तीसरे, भारत आज विश्व के शक्तिशाली देशों की सूची में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है एवं सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत शक्तिशाली देश बन गया है, भारत ने बहुत अच्छे स्तर पर अपनी मिलिटरी क्षमता को विकसित किया है। चीन की विस्तारवादी नीतियों के चलते अपने लगभग समस्त पड़ौसी देशों के साथ सम्बंध अच्छे नहीं है, साथ ही कोविड महामारी के दौरान चीन का व्यवहार विश्व के अन्य देशों के साथ ठीक नहीं रहा है, सप्लाई चैन पर आधारित कम्पनियों में समस्या खड़ी हुई थी जिससे लगभग पूरे विश्व में आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता पर विपरीत प्रभाव पड़ा था। अतः विशेष रूप से विकसित देशों ने चीन+1 की नीति का अनुसरण करना प्रारम्भ किया है जिसका सबसे अधिक लाभ भारत को होने जा रहा है और ये देश भारत में अपने निवेश को बढ़ा रहे हैं एवं भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना कर रहे हैं। उक्त कारणों के अतिरिक्त, भारत में स्थिर लोकतंत्र, स्थिर आर्थिक व्यवस्था, स्थिर सरकार एवं भारत के एक शांतिप्रिय देश होने के चलते भी अन्य देशों से निवेशक आज भारत की आकर्षित हो रहे हैं। इस प्रकार आज विश्व के लगभग समस्त शंक्तिशाली देश भारत के साथ मजबूत सम्बंध स्थापित करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। भारत ने भी पिछले वर्ष, अपनी अध्यक्षता में, जी-20 समूह में कुछ अफ्रीकी देशों को शामिल कर अफ्रीकी महाद्वीप के समस्त देशों को प्रभावित करने में सफलता प्राप्त की थी। इन देशों पर इसका बहुत अच्छा असर भी हुआ था। भारत आज विश्व के कई समूहों में अन्य देशों की बीच सेतु के रूप में उभर रहा है। जी-7 से लेकर ब्रिक्स देशों के समूहों में भारत उपस्थित है, रूस एवं यूक्रेन दोनों देशों के बीच युद्ध समाप्त करने में भारत प्रभावशाली भूमिका निभा सकने की स्थिति में हैं। इसी प्रकार, इजराईल एवं ईरान के बीच भी मध्यस्थता की भूमिका निभाने को भारत तैयार है। भारत को विश्व के लगभग समस्त देशों के साथ अपने मजबूत होते रिश्तों को भारत के विदेश व्यापार में वृद्धि करने के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए। प्रहलाद सबनानी Read more » Political and strategic equations are changing for India at the global level. राजनैतिक एवं रणनीतिक समीकरण
राजनीति भारत-चीन, वास्तविक नियंत्रण रेखा समझौता November 5, 2024 / November 5, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment विजय सहगल 15-16 जून 2020 की रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी मे भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प को हर भारतीय अभी भी नहीं भूला है जब इस खूनी संघर्ष मे हमारे देश के 20 बहादुर सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दे भारत माता के मस्तकाभिमान को झुकने नहीं दिया। भारत और चीन […] Read more » India-China Line of Actual Control Agreement loc वास्तविक नियंत्रण रेखा
राजनीति विश्ववार्ता भारत विरोधी खालिस्तानियों को ट्रूडो सरकार की शह November 5, 2024 / November 5, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:- कनाडा भारत विरोधी गतिविधियों एवं खालिस्तानी अलगाववाद को पोषण एवं पल्लवन देने का बड़ा केन्द्र बनता जा रहा है। खालिस्तानी झंडे लिये प्रदर्शनकारियों ने ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर पर हमला बोला, हिन्दुओं के साथ हिंसक झड़प की, जिन्हें लेकर ट्रूडो सरकार मूक दर्शक बन कर भारत विरोधी तत्वों को शह देती […] Read more » Anti-India Khalistanis encouraged by Trudeau government भारत विरोधी खालिस्तानियों को ट्रूडो सरकार की शह
राजनीति विश्ववार्ता कनाडा में हिंदुओं पर लक्षित हमलों का जवाब आखिर देगा कौन, पूछ रहे हैं लोग November 5, 2024 / November 5, 2024 by कमलेश पांडेय | Leave a Comment कमलेश पांडेय लीजिए, कनाडा भी अब पाकिस्तान और बंगलादेश की राह पर चल पड़ा है। वहां के हिन्दू मंदिर पर भी खालिस्तानियों ने हमला किया है। दुनिया के कई इस्लामिक और ईसाई मुल्कों में ऐसी घटनाएं घटती रहती हैं। खुद भारत के भी कई राज्यों में ऐसी शर्मनाक घटनाएं पर्व-त्यौहारों पर सामने आती रहती हैं। […] Read more » targeted attacks on Hindus in Canada कनाडा में हिंदुओं पर लक्षित हमलों
राजनीति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है पंजाब में नशे का जाल November 4, 2024 / November 4, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:- पंजाब में आतंकवाद ही नहीं, तरह-तरह के नशे एवं ड्रग्स के धंधे ने व्यापक स्तर पर अपनी पहुंच बनाई है, जिसके दुष्परिणाम समूचे देश को भोगने को विवश होना पड़ रहा है। पंजाब नशे की अंधी गलियों में धंसता जा रहा है, सीमा पार से शुरू किए गए इस छद्म युद्ध की […] Read more » पंजाब में नशे का जाल
राजनीति शख्सियत समाज देश की एकता के शिल्पकार सरदार वल्लभभाई पटेल November 2, 2024 / November 2, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment स्वाधीन भारत के पहले गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। उन्होंने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया था। गांधी जी के आवाहन पर वह अपने विधि व्यवसाय को छोड़कर स्वाधीनता आंदोलन में सम्मिलित हुए थे। यद्यपि वह गांधी जी की कांग्रेस में अपने […] Read more » architect of country's unity Sardar Vallabhbhai Patel सरदार वल्लभभाई पटेल
कला-संस्कृति राजनीति भारतीय सनातन संस्कृति के विरुद्ध गढ़े जा रहे है झूठे विमर्श October 28, 2024 / October 28, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment भारत में विभिन्न क्षेत्रों में विकास से सम्बंधित हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों को देखने के पश्चात ध्यान में आता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब पटरी पर तेजी से दौड़ने लगी है। परंतु, देश के मीडिया में भारत के आर्थिक क्षेत्र में लगातार बन रहे नित नए रिकार्ड का जिक्र कहीं भी नहीं है। इसके ठीक विपरीत देश में रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं, गरीब अति गरीब की श्रेणी में जा रहा है, मुद्रा स्फीति की दर अधिक हो रही है, भुखमरी बढ़ रही है, हिंसा बढ़ रही है, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं, आदि विषयों पर विमर्श गढ़ने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। भारत में झूठे विमर्श गढ़ने का इतिहास रहा है। अंग्रेजों के शासन काल में भी कई प्रकार के झूठे विमर्श गढ़ने के भरपूर प्रयास हुए थे जैसे पश्चिम से आया कोई भी विचार वैज्ञानिक एवं आधुनिक है, भारत सपेरों का देश है एवं इसमें अपढ़ गरीब वर्ग ही निवास करता है, भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति रूढ़िवादी एवं अवैज्ञानिक है, शहरीकरण विकास का बड़ा माध्यम है अतः ग्रामीण विकास को दरकिनार करते हुए केवल शहरीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, शहरी, ग्रामीण एवं जनजातीय के बीच में आर्थिक विकास की दृष्टि से शहरी अधिक महत्व के क्षेत्र हैं, विदेशी भाषा को जानने के चलते नागरिकों में आत्मविश्वास बढ़ता है, संस्कृति से अधिक तर्क को महत्व दिया जाना चाहिए, व्यक्ति एवं समश्टि में व्यक्ति को अधिक महत्व देना अर्थात व्यक्तिवाद को बढ़ावा देना चाहिए (पूंजीवाद की अवधारणा), कम श्रम करने वाला व्यक्ति अधिक होशियार माना गया, सनातन हिन्दू संस्कृति पर आधारित प्रत्येक चीज को हेय दृष्टि से देखना, जैसे दिवाली के फटाके पर्यावरण का नुक्सान करते हैं, होली पर्व पर पानी की बर्बादी होती है। कुल मिलाकर पश्चिमी देशों द्वारा आज सनातन भारतीय सनातन संस्कृति पर आधारित हिन्दू परम्पराओं पर लगातार प्रहार किए जा रहे हैं। इसी प्रकार, भारतीय सनातन संस्कृति पर हमला करते हुए “माई बॉडी माई चोईस”; “हमको भारत में रहने में डर लगता है”; आदि नरेटिव स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। वाशिंगटन पोस्ट एवं न्यूयॉर्क टाइम्ज लम्बे लम्बे लेख लिखते हैं कि भारत में मुसलमानों पर अन्याय हो रहा है। कोविड महामारी के दौरान भी भारत को बहुत बदनाम करने का प्रयास किया गया था। वर्ष 2002 की घटनाओं पर आधारित एक डॉक्युमेंटरी को बीबीसी आज समाज के बीच में लाने का प्रयास कर रहा है। अडानी समूह, जो कि भारत में आधारभूत संरचना विकसित करने के कार्य का प्रमुख खिलाड़ी है, की तथाकथित वित्तीय अनियमितताओं पर अमेरिकी संस्थान “हिंडनबर्ग” अपनी एक रिपोर्ट जारी करता है ताकि इस समूह को आर्थिक नुक्सान हो और यह समूह भारत की आर्थिक प्रगति में भागीदारी न कर सके। हैपीनेस इंडेक्स एवं हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति को झूठे तरीके से पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान जैसे देशों से भी बदतर हालात में बताया जाता है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, भारतीय मुसलमानों की स्थिति के बारे में तब विपरीत बात करते हैं जब भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिका के दौरे पर होते हैं। ऐसा आभास होता है कि भारत के विरुद्ध यह अभियान कई संस्थानों एवं देशों द्वारा मिलाकर चलाया जा रहा है। भारत द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में लगातार प्राप्त की जा रही विभिन्न उपलब्धियों को दरकिनार करते हुए, भारत के बारे में भ्रांतियां फैलाई जाती रही हैं। जैसे, भारतीय कुछ नया करे तो उसे ‘जुगाड़’ कहा जाता है और चीन यदि कुछ नया करे तो ‘रिवर्स इंजिनीयरिंग’। पश्चिम का प्रत्येक कदम वैज्ञानिक है, परंतु भारतीय आयुर्वेद को हर बात सिद्ध करने की आवश्यकता होती है। पश्चिम का अधूरा अध्ययन भी साइन्स की श्रेणी में है, परंतु भारत के कई प्राचीन वैज्ञानिक तथ्य भी रूढ़िवादी माने जाते हैं। पश्चिमी विचारधारा में व्यक्ति की भावुकता के लिए कोई स्थान नहीं है, केवल तकनीकी के बारे में ही विचार किया जाता है। इसी प्रकार से भारत में बाल श्रम को लेकर पश्चिमी देशों द्वारा हो हल्ला मचाया जाता है किंतु उनके अपने देशों में कई प्रतियोगिताओं में 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी भाग लेते हैं, परंतु उनकी दृष्टि में यह बाल श्रम की श्रेणी में नहीं आता है। भारत में यदि 16 वर्ष की कम उम्र के बच्चे अपने पारम्परिक व्यवसाय की कला में पारंगत होना प्रारम्भ करें तो यह बाल श्रम की श्रेणी में माना जाता है। भारत के संदर्भ में यह दोहरी नीति का विमर्श क्यों खड़ा किया जाता है। भारतीय सनातन संस्कारों के अनुसार भारत में कुटुंब को एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में स्वीकार किया गया है एवं भारत में संयुक्त परिवार इसकी परिणती के रूप में दिखाई देते है। परंतु, पश्चिमी आर्थिक दर्शन में संयुक्त परिवार लगभग नहीं के बराबर ही दिखाई देते हैं एवं विकसित देशों में सामान्यतः बच्चों के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करते ही, वे अपना अलग परिवार बसा लेते हैं तथा अपने माता पिता से अलग मकान लेकर रहने लगते हैं। इस चलन के पीछे संभवत आर्थिक पक्ष इस प्रकार जुड़ा हुआ है कि जितने अधिक परिवार होंगे उतने ही अधिक मकानों की आवश्यकता होगी, कारों की आवश्यकता होगी, टीवी की आवश्यकता होगी, फ्रिज की आवश्यकता होगी, आदि। लगभग समस्त उत्पादों की आवश्यकता इससे बढ़ेगी जो अंततः मांग में वृद्धि के रूप में दिखाई देगी एवं इससे इन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ेगा। ज्यादा वस्तुएं बिकने से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की लाभप्रदता में भी वृद्धि होगी। कुल मिलाकर इससे आर्थिक वृद्धि दर तेज होगी। विकसित देशों में इस प्रकार की मान्यताएं समाज में अब सामान्य हो चलीं हैं। अब बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत में भी प्रयासरत हैं कि किस प्रकार भारत में संयुक्त परिवार की प्रणाली को तोड़ा जाय ताकि परिवारों की संख्या बढ़े एवं विभिन्न उत्पादों की मांग बढ़े और इन कम्पनियों द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री बाजार में बढ़े। इसके लिए बहुराष्ट्रीय कम्पनियां इस प्रकार के विभिन्न सामाजिक सीरियलों को बनवाकर प्रायोजित करते हुए टीवी पर प्रसारित करवाती हैं जिनमे संयुक्त परिवार के नुक्सान बताए जाते हैं एवं छोटे छोटे परिवारों के फायदे दिखाए जाते हैं। सास बहू के बीच छोटी छोटी बातों को लेकर झगड़े दिखाए जाते हैं एवं जिनका अंत परिवार की टूट के रूप में बताया जाता है। भारत एक विशाल देश है एवं विश्व में सबसे बड़ा बाजार है, बहुराष्ट्रीय कम्पनियां यदि अपने इस कुचक्र में सफल हो जाती हैं तो उनकी सोच के अनुसार भारत में उत्पादों की मांग में बेतहाशा वृद्धि हो सकती है, इससे विशेष रूप से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को सीधे सीधे फायदा होगा। इसी कारण के चलते आज जोरज सोरोस जैसे कई विदेशी नागरिक अन्य कई विदेशी संस्थानों एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ मिलकर भारतीय संस्कृति पर हमला करते हुए दिखाई दे रहे हैं एवं भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं। पश्चिमी देशों द्वारा भारत के विरुद्ध चलाए जा रहे इस अभियान (झूठे विमर्श) को आज तोड़ने की आवश्यकता है। इसके लिए उनके प्रत्येक विमर्श को अलग अलग रखकर भिन्न भिन्न तरीकों से तोड़ना होगा। जैसे किसी विज्ञापन में भारतीय परम्पराओं का निर्वहन करने वाली महिला यदि बिंदी नहीं लगाएगी तो उस उत्पाद को नहीं खरीदेंगे, यदि किसी फिल्म में भारतीय संस्कृति एवं आध्यातम का मजाक उड़ाया जाता है तो उस फिल्म का भारतीय समाज बहिष्कार करेगा। भारतीय त्यौहारों के विरुद्ध किये जा रहे प्रचार, जैसे दिवाली पर फटाके जलाने से पर्यावरण को नुक्सान होता है, होली पर पानी की बर्बादी होती है, शिवरात्रि पर दूध बहाया जाता है, आदि के विरुद्ध भी उचित प्रतिकार किया जाना चाहिए। यह हमें समझना होगा कि भारतीय परम्पराएं आदि-अनादि काल से चली आ रही हैं और यह संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर विश्वास करती है। अतः पूरे विश्व में यदि शांति स्थापित करना है तो भारतीय संस्कृति पर आधारित दर्शन ही इसमें मददगार हो सकता है, इससे पूरे विश्व की भलाई होगी। Read more » False narratives are being created against Indian Sanatan culture.
राजनीति चीन से समझौता अहम, लेकिन भरोसे की ज्यादा अपेक्षा October 28, 2024 / October 28, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- गलवान संघर्ष के बाद भारत-चीन दोनों देशों के रिश्तों में एक बर्फ सी जम गई थी, वह बर्फ अब पिघलती-सी प्रतीत हो रही है। दोनों देश रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर गश्त लगाने पर एक समझौते पर […] Read more » चीन से समझौता