विविधा रिश्वतखोरी तथा भ्रष्टाचार का पर्याय बनती भारतीय राजनीति November 26, 2010 / December 19, 2011 by तनवीर जाफरी | 4 Comments on रिश्वतखोरी तथा भ्रष्टाचार का पर्याय बनती भारतीय राजनीति -तनवीर जाफ़री हमारे देश में विशेषकर राजनैतिक व प्रशासनिक हल्कों में रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार हरामंखोरी तथा अपराधीकरण जैसी विसंगतियां कोई नई बात नहीं हैं। देश की स्वतंत्रता के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय से ही सरकारी खरीद में घोटालों की खबरें आनी शुरु हो गई थीं। स्वतंत्रता के 63 वर्ष बीत जाने […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार
विविधा धर्मक्षेत्रे भारतक्षेत्रे ………… November 23, 2010 / December 19, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on धर्मक्षेत्रे भारतक्षेत्रे ………… -जयप्रकाश सिंह गीता का प्रथम श्लोक ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’ भारतीय मनीषा को उत्कृष्टतम अभिव्यक्ति देने वाले ग्रंथ की शुरुआत मात्र नहीं है, यह व्यवस्था की एक एक विशेष स्थिति की तरफ संकेत भी करता है। एक ऐसी जब सत्य और असत्य के बीच आमना -सामना अवश्यंभावी बन जाता है। इस स्थिति में पूरी व्यवस्था व्यापक बदलाव […] Read more » Religion धर्म
विविधा हेल्थ योगी बाबा रामदेव की राजनैतिक यात्रा November 22, 2010 / December 19, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 5 Comments on हेल्थ योगी बाबा रामदेव की राजनैतिक यात्रा -हरीशंकर साही बाबा रामदेव ने योग की शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने का कभी प्रण किया था। उनके प्रण के पीछे ध्येय था कि वह भारत के लोगों को रोग मुक्त कराना चाहते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वह एक ब्रह्मचारी संत है। ब्रह्मचारी संत आमतौर पर उन लोगो के लिए प्रयुक्त […] Read more » Baba Ramdev बाबा रामदेव
विविधा अब तो धर्मयुध्द का शंखनाद हो चुका हैः बाबा रामदेव November 22, 2010 / December 19, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 5 Comments on अब तो धर्मयुध्द का शंखनाद हो चुका हैः बाबा रामदेव बाबा रामदेव ने जब से राजनैतिक शुध्दिकरण अभियान का शंखनाद किया है एक राष्ट्रव्यापी बहस शुरू हो गई है। यह एक शुभ लक्षण है, प्रश्न से समाधन अथवा तर्क से निर्णय तक पहुँचने का। विगत 18 से 20 वर्ष के सामाजिक जीवन में श्रध्देय स्वामीजी महाराज ने लगभग 3 करोड़ लोगों को योग एवं राष्ट्रप्रेम […] Read more » Baba Ramdev धर्मयुध्द का शंखनाद बाबा रामदेव
विविधा हास्य-व्यंग्य/दोस्त है तो दुश्मन की जरूरत क्या है November 21, 2010 / December 19, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य/दोस्त है तो दुश्मन की जरूरत क्या है -पंडित सुरेश नीरव कल सुबह-सुबह विद्रोहीजी आ धमके। बहुत गुस्से में थे। वह किसी व्यक्ति विशेष से गुस्सा नहीं थे। पूरे देश से वे गुस्सा थे। इतना अखिल भारतीय गुस्सा देखना तो दूर मैंने कभी सुना तक नहीं था। ये तो गनीमत है कि मेरे शाक-एब्जोर्बर्स इतने हाईक्वालिटी के हैं कि मैं उनके इस हाईवोल्टेज […] Read more » friends.foes दुश्मनी दोस्ती
विविधा यह कैसा न्याय? अपराध सिद्ध फिर भी सजा नहीं! November 21, 2010 / December 19, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 2 Comments on यह कैसा न्याय? अपराध सिद्ध फिर भी सजा नहीं! इस बात को कोई साधारण पढालिखा या साधारण सी समझ रखने वाला व्यक्ति भी समझता है कि देश के खजाने को नुकसान पहुँचाने वाला व्यक्ति देशद्रोही से कम अपराधी नहीं हो सकता और उसके विरुद्ध कानून में किसी भी प्रकार के रहम की व्यवस्था नहीं होनी चाहिये, लेकिन जिन्दगीभर भ्रष्टाचार के जरिये करोडों का धन […] Read more » culprit punishment भ्रष्टाचार
विविधा व्यर्थ ही बीत गया जैव –विविधता वर्ष November 19, 2010 / December 19, 2011 by पंकज चतुर्वेदी | 2 Comments on व्यर्थ ही बीत गया जैव –विविधता वर्ष –पंकज चतुर्वेदी संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष २०१० को जैव –विविधता वर्ष घोषित किया है। ऐसा इस लिए की विश्व भर में जैव –विविधता गहरे संकट में है और इसे भी संरक्षण की जरुरत है। आदम सभ्यता ने अपने ऐश –आराम और सुख सुविधाओं के लिए सब को नजरअंदाज कर प्रकृति और पर्यावरण को बुरी […] Read more » Biodiversity जैव विविधता
विविधा १४ नवंबर, संकल्प दिवस पर विशेष : चीन से भारत भूमि छुडाने का संकल्प November 13, 2010 / December 20, 2011 by समन्वय नंद | 7 Comments on १४ नवंबर, संकल्प दिवस पर विशेष : चीन से भारत भूमि छुडाने का संकल्प १४ नवंबर की महत्ता दो कारणों से है । पहला इसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की जन्मतिथि के रुप में मनाया जाता है । दुसरी महत्ता इसलिए है कि भारत की संसद ने अब तक के सबसे महत्वपूर्ण प्रस्तावों से एक प्रस्ताव इसी दिन पारित किया था । साम्राज्यवादी चीन ने तिब्बत […] Read more » India चीन भारत
धर्म-अध्यात्म विविधा लक्ष्मी-गणेश या विक्टोरिया-पंचम November 9, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on लक्ष्मी-गणेश या विक्टोरिया-पंचम सोने-चांदी के सिक्के और दीपावली पूजन -लोकेन्द्र सिंह राजपूत भारत का सबसे बड़ा त्योहार है दीपावली। हर कोई देवी लक्ष्मी को प्रसन्न कर उनका स्नेह चाहता है। इसी जद्दोजहद में व्यक्ति अनेकों जतन करता है धन की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी को। पूजन के दौरान कोई गुलाब के तो कोई कमल के फूलों से उनका आसन […] Read more » Victoria विक्टोरिया
विविधा अक्टूबर क्रांति की लेनिन के संदर्भों में एक आधुनिक समीक्षा November 8, 2010 / December 20, 2011 by राजीव दुबे | 5 Comments on अक्टूबर क्रांति की लेनिन के संदर्भों में एक आधुनिक समीक्षा वामपंथ में शब्दों का विशेष महत्व है । अपने आंदोलन की शुरुआत से ही कम्युनिस्टों को नारों की ताकत का अंदाजा था । मानवीय विचारों का अणुरूप शब्द यदि सही चुना जाये तो विचारधारा का प्रसार तेजी से होता है । कम्युनिस्ट विचारधारा एक रंगीन चश्मे से देख कर लिखी गयी एक शानदार इबारत है […] Read more » October Revolution अक्टूबर क्रांति
विविधा बाबरी पर पटेल ने मस्जिद का साथ दिया था November 6, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 16 Comments on बाबरी पर पटेल ने मस्जिद का साथ दिया था -के. विक्रम राव एक हकीकत थी 1947 के इतिहास की। इस्लामी पाकिस्तान के बनते ही यदि खण्डित भारत एक हिन्दु राष्ट्र घोषित हो जाता, तो उन्माद के उस दौर में शायद ही कोई उसका सबल विरोध कर पाता। मगर सरदार वल्लभभाई झवेरदास पटेल ने इसका पुरजोर प्रतिरोध किया। सांप्रदायिक जुनून को रोका। भारत पंथनिरपेक्ष रहा। […] Read more » Babri Mosque बाबरी मस्जिद सरदार पटेल
विविधा एक फंड़ामेंटलिस्ट से कबीर की मुलाकात November 6, 2010 / December 20, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on एक फंड़ामेंटलिस्ट से कबीर की मुलाकात ‘‘ एक ऊँची इमारत पर लक्ष्मी का खूबसूरत बुत नस्ब (स्थापित) था।चंद लोगों ने जब उस इमारत को अपना दफ़्तर बनाया तो उस बुत को टाट के टुकड़ों से ढ़ाँप दिया। कबीर ने यह देखा तो उसकी आंखों में आँसू उमड़ आए। दफ़्तर के आदमियों ने ढारस दी और कहाः ‘‘ हमारे मज़हब में यह […] Read more » Kabir कबीर फंड़ामेंटलिस्ट