मोबाइल की गिरफ्त से नौनिहालों को बचाना है

0
281

हरीश कुमार
पुंछ, जम्मू

फोन एक ऐसी चीज है जिसके बिना हमारी जिंदगी अब असंभव हो गई है. दिन भर हर व्यक्ति आजकल फोन पर ही लगा रहता है. दिन में कई घंटों तक रील देखना तो जैसे फैशन बन गया है. हमें देख हमारे बच्चों को भी धीरे-धीरे स्मार्टफोन की लत लगनी शुरू हो जाती है. बच्चों को स्मार्टफोन इतना ज्यादा पसंद आता है कि वह पूरा दिन उस पर ही चिपके रहते हैं. इसके चक्कर में बच्चे आउटडोर गेम्स तक भूल गए हैं. बच्चे अब खाना खाते हुए भी फोन चलाते हैं. अगर इस समय उनके हाथ से फोन छीन लिया जाए, तो वह खाना ही छोड़ देते हैं. लेकिन उन्हें फोन छोड़ना गवारा नहीं होता है.

प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ अल्वारो बिलबाओ ने अपनी पुस्तक “अंडरस्टैंडिंग योर चाइल्ड्स ब्रेन” (understanding your child’s brain) में बच्चों की मेंटल हेल्थ से जुड़े कई अहम खुलासा किया है. इस किताब में, जो बच्चे पूरा दिन फोन देखते रहते हैं, उनके बारे में कुछ चौंका देने वाली बातें कही गई हैं. जैसे जो बच्चे 6 साल से कम उम्र के हैं, अगर वह ज्यादा फोन देखते हैं, तो उनकी याददाश्त बहुत कम हो जाती है. उन बच्चों में चिड़चिड़ापन, मोटापा, डिप्रेशन, एंजायटी, अटेंशन डिफेक्ट डिसऑर्डर आदि की समस्या उत्पन्न हो जाती है. ऐसे बच्चों को हर छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आता है. 

आजकल यदि कोई मेहमान घर आता है तो माता-पिता बड़े गर्व से बताते हैं कि देखो हमारा बच्चा कितना छोटा है और अभी से वह कितना कुछ सीख गया है. हमारे बच्चे को फेसबुक और इंस्टाग्राम तक चलाना आ जाता है. छोटे-छोटे बच्चो का रील बनाना तो आम बात हो गई है. एक सर्वे के मुताबिक हर 10 बच्चों के माता-पिता ने माना है कि हर दिन 4 से 5 घंटे उनका फोन उनके बच्चों के पास रहता है. वहीं अमेरिका की एक स्टडी के मुताबिक कम उम्र में बच्चों को मोबाइल फोन देना 800 सीसी की रेसिंग बाइक देने जैसा है. वहीं ज्यादा फोन देखने से 18 साल से कम उम्र के बच्चों का बौद्धिक विकास प्रभावित होता है, जिससे वह हिंसा को सामान्य मानने लगता है. ऐसे बच्चों का स्वभाव आक्रामक हो जाता है. आज के समय में औसत 6 साल से कम उम्र के बच्चों का 55 मिनट स्क्रीन वॉच पर गुज़रता है जबकि कुछ बच्चे तो लगभग दिन के 6-6 घंटे फोन के साथ ही लगे रहते हैं.

वैसे तो बच्चों में फोन देखने की समस्या गांव और शहर दोनों जगह है, परन्तु भारत के दूरदराज गांवों में बच्चों के पिता दिन में अपनी मेहनत मजदूरी करने के लिए घर से बाहर चले जाते हैं और मां भी अपने घर में साफ सफाई तथा अन्य कामों में व्यस्त रहने के कारण बच्चों को फोन लगा कर दे देती हैं. कम साक्षरता और कम जागरूकता के कारण वह इस बात में खुशी समझती हैं कि इससे हम घर का काम आसानी से निपटा लेंगी और बच्चे तंग भी नहीं करेंगे क्योंकि वह फोन में लगे रहेंगे. बाद में उन्हीं बच्चों में कई तरह के लक्षण महसूस होने लगते हैं. वैसे बच्चों का ज्यादा फोन देखना किसी एक स्थान की बात नहीं है. ऐसा आज के समय में हर तरफ हो रहा है.

गूगल बॉय के नाम से पहचान बनाने वाले कौटिल्य पंडित, जो बहुत कम आयु के होते हुए भी अपनी एक विशेष पहचान रखते हैं. उनका कहना है कि मैं फोन बिल्कुल भी नहीं देखता हूं. कभी-कभी मनोरंजन के लिए मैं छोटी वीडियो बना लेता हूं. वह कहते हैं कि मैंने देखा है कि आजकल बहुत ही कम उम्र के बच्चे पूरा-पूरा दिन फोन पर लगे रहते हैं. जिससे उनके दिमाग और आंखों पर गहरा असर पड़ता है. वह बच्चों के माता-पिता से कहते हैं। कि बच्चों को फोन से हटाने के लिए इनसाइक्लोपीडिया खरीदें, जिस में अच्छी-अच्छी तस्वीर बनी होती हैं. कहीं गैलेक्सी की और कहीं स्टार की. इन तस्वीरों से बच्चे बहुत खुश होते हैं. आप सभी अपने बच्चों को फोन से बचा सकते हैं.

जब आप अपने बच्चों को आउटडोर एक्टिविटी से जोड़ेंगे तभी उनमें फोन देखने की लत धीरे धीरे छूटेगी. कौटिल्य सलाह देते हैं कि अगर बच्चा फोन देखे बिना खाना नहीं खा रहा है, फिर भी उसे फोन न दें. कुछ दिन की सख्ती के बाद उसकी आदत स्वयं बदलने लगेगी. इसके लिए वह उदाहरण देते हैं कि यदि बच्चा बीमार है और उसे इंजेक्शन की ज़रूरत है, तो क्या बच्चे को इंजेक्शन के डर से माता पिता उसे नहीं दिलाएंगे? कोई भी मां बाप खुद को सख्त बना कर बच्चे को इंजेक्शन दिलाएगा, क्योंकि यह उसके बच्चे के जीवन से जुड़ा है, ठीक इसी प्रकार फोन के मामले में सख्ती की ज़रूरत है.

इस गंभीर समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने बच्चों के माता-पिता को कई दिशा निर्देश दिए हैं, जो बेहद महत्वपूर्ण है. उनके अनुसार तीन साल की उम्र तक मोबाइल और टीवी से बच्चों को दूर रखें. 6 साल की उम्र से पहले इंटरनेट का इस्तेमाल बच्चों को न करने दें. बच्चों को 9 साल की उम्र से पहले वीडियो गेम न खेलने दें. 12 साल से पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल बच्चों को न करने दें. परंतु वर्तमान स्थिति में इससे पूरी तरह विपरीत हो रहा है. आज 3 साल का बच्चा फोन का पूरी तरह मास्टरमाइंड बन चुका है. वह इतना फोन में व्यस्त हो चुका है कि उसे खाना मिले या न मिले, परंतु फोन जरूर मिलना चाहिए. यही फोन की लत बाद में बच्चे में कई समस्याओं को जन्म देती है. जिसके चलते आपने देखा होगा कि आजकल छोटे छोटे बच्चों को चश्मे लगे हैं. ऐसे में माता पिता की यह ज़िम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को इससे बचाएं, ताकि बच्चों का भविष्य रौशन हो सके.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here