राष्ट्रहित में है नागरिकता संसोधन कानून

q1

 मनुष्य सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ट है|अन्य प्राणियों  की मानसिक शक्ति की अपेक्षा मनुष्य की मानसिक शक्ति अत्यधिक विकसित है|मनुष्य के पास प्रचुर मात्रा में ज्ञान होता है|इस ज्ञान का उपयोग देश की सेवा में लगाना चाहिए |तभी देश की छवि विश्व पटल पर शोभायमान होगी |हिंसा के जरिये जोर जुल्म से बात मनवाना आतंक है |अतएव हिंसा से ढृढ़संकल्पित होकर सामना करने की जरुरत है |

रक्त से किसकी प्यास बुझती है , क्या आप जानते हैं ? पिशाचों और पशुओं की |तुम तो फिर मनुष्य ही हो |

नागरिकता संसोधन कानून के विरोध की आड़ में सरकार विरोधी तत्व जनता में भ्रम फैला रहे थे |अतएव सभी राजनीतिक पार्टियों को जनता के बीच जाकर हिंसा को रोकने का प्रयास करना चाहिए था | हिंसा को रोकने का दायित्व जितना सरकार का है उतना ही दायित्व विरोधी पार्टियों का भी है |क्योंकि सरकार और विरोधी दोनों ही भारत के वासी हैं | किसी भी राजनीतिक पार्टी को अराजकता फ़ैलाने का काम नहीं करना चाहिए | भारत के प्रत्येक नागरिकों को किसी भी सरकार विरोधी तत्वों के बहकावे में नहीं आना चाहिए क्योंकि वे सिर्फ और सिर्फ देश का माहौल बिगड़ने का काम का करते हैं |नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हुए |अराजकता फ़ैलाने का काम राष्ट्र हित में नहींहै | अराजकता अज्ञानता के कारण जन्म लेती है | नागरिकता संसोधन कानून में अफगानिस्तान ,बांलादेश और पाकिस्तान में प्रताड़ित होने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात है |भारतीय सुरक्षित है |नागरिकता संसोधन कानून नागरिकों के हित के लिए बनाया गया है | भारत के नागरिक नागरिकता संसोधन कानून को लेकर अराजकता न फैलाएं | अराजकता से सरकारी  संपत्ति को नुक्सान पंहुचता है |सरकारी संपत्ति में प्रत्येक व्यक्ति के खून पसीने की कमाई होती है |अतएव सरकारी संपत्ति को नुकसान पँहुचाने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक कहलाने योग्य नहीं है | भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी बात शांति पूर्ण तरीके से रखने का अधिकार है, न की कानून को अपने हाथ में लेने का | भारतीय मुस्लिम को भी चाहिए की वे ऐसी कोई हिंसक प्रतिक्रिया न करें जिससे धर्म निरपेक्षता पर आंच आए |भारत धर्म निरपेक्ष देश है |इसमें प्रत्येक धर्मों के लोगों को अपनी बात शांतिपूर्ण तरीके से कहने का अधिकार है |हिंसात्मक हो कर बात मनवाना सविधान अनुरूप नहीं  है |हिंसात्मक प्रदर्शन असहिष्णुता का नंगा नाच थी |हिसात्मक प्रदर्शन इंसानियत के साथ खिलवाड़ का वीभत्स रूप दर्शाती है | समाज वहशीपन का शिकार हो रहा है | समाज में असहिष्णुता का विकास हो रहा है |नागरिकता संसोधन कानून को आधार बनाकर हिंसा को जन्म देना ठीक नहीं था |हिंसात्मक प्रदर्शन विश्व शांति के लिए खतरा है |भारतीय संस्कृति की तारीफ विश्व पटल पर होती है| |संस्कृति  का विस्तार राष्ट्रीय होता है |संस्कृति रूपी आत्मा सभ्यता रूपी शरीर धारण किये हुए है |कवि राम धारी सिंह दिनकर के अनुसार संस्कृति जीवन जीने का तरीका है | संस्कृति ही राष्ट्र की आधारशिला है | संस्कृति संस्कार से बनती है | सभ्यता नागरिकता से बनती है | अहिंसा ,सभ्यता को चरितार्थ करती है |अतएव नागरिकता संसोधन कानून के मसले पर गलत बयान बाजी से बचिए| पुलिस एक्ट १८६१ के धारा १५ ए में प्रावधान है की दंगाग्रस्त  क्षेत्रों में पुलिस बल की नियुक्ति पर जो खर्च आता है उसकी भरपाई उपद्रवियों से की जाती है | अगर हिंसा और आगजनी से सार्वजनिक संपत्ति को हानि हुई हो तो यह प्रावधान कहता है की गुंडा तत्वों को चिन्हित कर उनसे जुर्माना वसूला जाना चाहिए ताकि क्षति की भरपाई की जा सके |                            डॉ. शंकर सुवन सिंह

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here