अब तो आ जाओ सनम

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दिन ढल चूका है,शाम हो गई है
चिराग जल चुके है,रात हो गई है
मिटाने जा रहे है, वे अपने गम
न जाने कहाँ हो तुम ?
अब तो आ जाओ सनम

तेल जल चूका है,बाति कम हो गई है
चिराग की लो भी अब कम हो गई है
बुझ रहा है वह,निकल रहा उसका दम
न जाने कहाँ हो तुम ?
अब तो आ जाओ सजन

चाँद जा चूका है,चाँदनी अब सो गई है
तारे छिप चुके है,रौशनी कम हो गई है
अब तो गगन में छा गया है तम
न जाने कहाँ हो तुम ?
अब तो आ जाओ बलम

सूर्य उदय हो चूका है,किरण आ गई है
पक्षी जाग चुके है,लालिमा आ गई है
यह सब देख कर मेरा निकल रहा है दम
न जाने कहाँ हो तुम ?
अब तो आ जाओ मेरे हम दम

पनिहारिन आ चुकी है गगरिया भर कर आ गई है
कालिया खिल चुकी है,तितलियाँ भी अब आ गई है
यह सब देख कर टूट रहा है मेरा भरम
न जाने कहाँ हो तुम ?
अब तो आ जाओ मेरे सनम

जवानी ढल चुकी है,बुढ़ापा आ गया है
जिन्दगी की शाम ढल चुकी है
आखरी वक्त आ गया है
एक बार तो प्यास बुझा दो सनम
मेरे पास समय है बहुत कम
न जाने कहाँ हो तुम ?
अब तो आ जाओ सनम

आर के रस्तोगी  

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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