राजनीति

कम्युनिस्ट जनता के दोस्त हैं

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी

हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो आए दिन पानी पी-पीकर कम्युनिस्टों और मार्क्सवाद को गरियाते रहते हैं। कम्युनिस्ट विरोधी अंध प्रचार करते हैं। कम्युनिस्ट सिद्धांतों को जानने और मानने वालों ने सारी दुनिया को प्रभावित किया है। उन्होंने समाज को बदला है। लेकिन ध्यान रहे यदि कम्युनिस्ट गलती करता है तो बड़ा नुकसान करता है। एक कम्युनिस्ट की आस्था, व्यवहार और नजरिया दूरगामी असर छोड़ता है। वह विचारों की जंग में सामाजिक परिवर्तन की जंग में समूचे समाज का ढ़ांचा बदलता है।

हमारे देश में कम्युनिस्ट बहुत कम संख्या में हैं और तीन राज्यों में ही उनकी सरकारें हैं। लेकिन उनकी देश को प्रभावित करने की क्षमता बहुत ज्यादा है। कम्युनिस्ट पार्टी हो या अन्य गैरपार्टी मार्क्सवादी हों.वे जहां भी रहते हैं।दृढ़ता के साथ जनता के हितों और जनता की एकता के पक्ष में खड़े रहते हैं।

जिस तरह बुर्जुआ और सामंती ताकतों के पास नायक हैं और विचारधारा है। वैसे ही कम्युनिस्टों के पास भी नायक हैं, विचारधारा है। कम्युनिस्टों की क्रांतिकारी विचारधारा हमेशा ग्बोबल प्रभाव पैदा करती है। जबकि बुर्जुआजी के नायकों का लोकल असर ज्यादा होता है। कम्युनिस्टों के क्रांतिकारी नायक मरकर भी लोगों के दिलों पर शासन करते हैं, आम लोग उनके विचारों से प्रेरणा लेते हैं। इसके विपरीत बुर्जुआ नेता जीते जी बासी हो जाते हैं,अप्रासंगिक हो जाते हैं।

कम्युनिस्टों की परंपरा में एक नायक हैं चेग्वारा। इनसे सारी दुनिया प्रभावित हुई है और खासकर लैटिन अमेरिका में तो उन्हें क्रांतिकारी जननायक का दर्जा हासिल है। चेग्वारा ने अपने कर्म, विचार और इंसानियत से सारी दुनिया के युवाओं को प्रभावित किया है। पिछले दिनों 9 अक्टूबर को उनका प्रयाण दिवस था। उनके बारे में फिदेल कास्त्रो ने बड़े मार्के की कुछ बातें कही हैं जिन्हें आपके सामने रखने का मन हो रहा है।

उल्लेखनीय है फिदेल कास्त्रो ने चेग्वारा के साथ क्यूबा में क्रांति का नेतृत्व किया था। स्वयं फिदेल कास्त्रो अभी जिंदा हैं और उन्होंने अमेरिकी साम्राज्यवाद की धौंस-दपट, आर्थिक नाकेबंदी आदि के बावजूद समर्पण नहीं किया और संप्रभु राष्ट्र के रूप में क्यूबा को तैयार किया है। कास्त्रो ने चेग्वारा के बारे में लिखा है-चे सैनिक के रूप में हमारी सेना में भर्ती नहीं हुए थे। वह डॉक्टर थे। वह संयोग से मैक्सिको गए। वह गुआटेमाला तथा लैटिन अमरीका में कई स्थानों पर गए। वह खदान क्षेत्र में थे जहां काम करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने अमेजन में कुष्ठरोगियों के अस्पताल में काम किया। लेकिने मैं चे की केवल एक विशेषता के बारे में बात करूंगा जिसका मैं बहुत कायल हूं। हर सप्ताहांत चे मैक्सिको शहर के बाहर एक ज्वालामुखी पोपोकेटेपेटी के शिखर पर चढ़ने की कोशिश करते थे। यह बहुत ऊंचा पर्वत शिखर है जो पूरे वर्ष बर्फ से ढका रहता है। वह अपनी पूरी ताकत लगाकर चढ़ना शुरू करते, जबर्दस्त कोशिश करते लेकिन चोटी पर कभी नहीं पहुंच पाते। उनकी दमे की बीमारी हर बार उनके आड़े आ जाती थी। अगले सप्ताह, वह बकौल उनके, इस ‘पोपो’ शिखर पर चढ़ने की फिर नाकाम कोशिश करते। वह बार-बार कोशिश करते। हालांकि वह चोटी पर नहीं पहुंच पाए लेकिन जीवन भर इस पोपोकेटेपेटी शिखर पर चढ़ने की कोशिश करते रहे । इससे उनके दृढ़ निश्चय, उनके आत्मिक बल, उनके अध्यवसाय का पता चलता है जिसकी मैं बहुत प्रशंसा करता हूं।

उनकी दूसरी विशेषता यह थी कि जब किसी काम के लिए हमारे छोटे से समूह को किसी वालंटियर की जरूरत होती थी तो वह ही सबसे पहले खुद को पेश करते थे।

डॉक्टर के रूप में रोगियों तथा घायलों को देखने के लिए वह हमेशा ही पीछे रुक जाते थे। कुछ खास परिस्थितियों में जब हम वनों से घिरे पहाड़ी इलाकों में होते थे तथा चारों ओर से हमारा पीछा हो रहा था तो मुख्य दल को चलते रहना होता था। कुछ हल्के निशान छोड़ दिए जाते थे जिससे कि डॉक्टर आसपास कुछ दूर मरीजों और बीमारों की देखभाल कर सके। यह सब तब तक चलता रहा जब तक वह समूह में एकमात्र डॉक्टर थे। बाद में और डॉक्टर आ गए।

आपने कुछ घटनाओं का जिक्र करने के लिए कहा है। मैं एक बहुत मुश्किल कार्रवाई के विषय में बताऊंगा। जब हम प्रांत के उत्तरी तट पर उतराई के एक पहाड़ पर थे तो पता चला कि कुछ और लोग उतर कर वहां आ रहे हैं। इस उतराई पर पहुंचने के बाद पहले कुछ दिन हमें बहुत मुसीबतें झेलनी पड़ी थीं। जो लोग अब उतरे थे उनका साथ देने के लिए हमने बहुत साहसिकता का काम किया। तट पर अच्छी तरह से जमकर बैठी यूनिट पर हमला करना सैनिक दृष्टि से बुद्धिमत्ता का काम नहीं था।

मैं इसका पूरा विवरण नहीं दूंगा। तीन घंटे तक चली इस लड़ाई के बाद हमने सौभाग्य से सभी तरह का संचार काट दिया। इस लड़ाई में भी उन्होंने मिसाल योग्य काम किया। इस लड़ाई में शामिल एक तिहाई लोग या तो मर गए या घायल हो गए। एक डॉक्टर के रूप में उन्होंने घायल शत्रुओं की भी देखभाल की। यह बड़ी असामान्य सी बात थी। शत्रु पक्ष के कुछ सैनिक घायल नहीं हुए थे लेकिन उन्होंने अपने कामरेडों के साथ-साथ भारी संख्या में घायल शत्रु सैनिकों की भी देखभाल की। आप इस व्यक्ति की संवेदनशीलता के बारे में कल्पना नहीं कर सकते। मुझे एक वाकया याद है। हमारा एक घायल कामरेड बचने की हालत में नहीं था। हमें उस इलाके से फौरन बाहर निकलना था क्योंकि पता नहीं कब विमान आ जाए। लेकिन सौभागय से लड़ाई के दौरान एक भी जहाज नहीं आया। सामान्यत: इस तरह की लड़ाई के दौरान बीस मिनट के भीतर पहले विमान

आ जाते हैं। लेकिन इस बार हमने अचूक गोलियों से उनकी संचार व्यवस्था ठप्प कर दी थी। हमें कुछ अतिरिक्त समय मिल गया था लेकिन हमें घायलों को देखना था और वहां से तुरंत निकल जाना था। उन्होंने निश्चित मौत से जूझ रहे हमारे एक कामरेड के बारे में बताया उसे मैं कभी नहीं भूल सकता। कामरेड को वहां से हिलाया नहीं जा सकता था। कभी-कभी गंभीर रूप से घायल लोगों को उठाना मुश्किल हो जाता है।

चूंकि आपने शत्रु के जख्मों का इलाज किया है तथा कइयों को बंदी बना कर उनके साथ सम्मान का सलूक किया है इसलिए आपको विश्वास का सहारा लेना पड़ता है। हमने कभी भी युद्धबंदी के साथ बुरा व्यवहार नहीं किया है और न ही कभी उन्हें मारा है । कभी-कभी हम दुर्लभ मात्रा में उपलब्ध अपनी दवाईयां भी उन्हें दे देते थे।

इस नीति के कारण हमें युद्ध में बहुत कामयाबी मिलती थी । किसी संघर्ष में सही ध्येय के लिए लड़ रहे लोगों को ऐसा आचरण करना चाहिए जिससे शत्रु भी उसका सम्मान करे।

उस घटना में हमें अपने बहुत से घायल कामरेडों को पीछे छोड़ना पड़ा। कुछ तो बहुत गंभीर रूप से घायल थे। बाद में उन्होंने बहुत तकलीफ के साथ जो बताया वह मेरे दिल को छू गया। हमारे एक कामरेड के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। उन्होंने चलने से पहले इस मरणासन्न कामरेड पर झुककर उसका माथा चूमा ।

चे एक असाधारण मनुष्य थे।वह असाधारण रूप से सुसंस्कृत और प्रतिभासंपन्न व्यक्ति थे। उनके अध्यवसाय और उनकी दृढ़ता के विषय में मैं आपको पहले ही बता चुका हूं। क्रांति की सफलता के बाद उन्हें जो भी कार्य दिया गया उन्होंने उसे तुरंत स्वीकार किया। वह नेशनल बैंक ऑफ क्यूबा के डायरेक्टर थे। उस समय वहां पर एक क्रांतिकारी की बहुत जरूरत थी। क्रांति की हाल ही में विजय हुई थी। देश की आरक्षित निधियों को चुरा लिया गया था। इसलिए संसाधन बहुत कम थे।

हमारे शत्रुओं ने इसका मजाक उड़ाया। वे हमेशा मजाक उड़ाते हैं, हम भी उड़ाते हैं। लेकिन इस मजाक का राजनीतिक मंतव्य था। इसके अनुसार मैंने एक दिन घोषणा की कि ‘हमें एक इकोनामिस्ट चाहिए।’ चे ने तुरंत हाथ खड़ा कर दिया। उन्हें गलती लगी थी। उन्होंने सोचा कि मैंने कहा था कि हमें एक कम्युनिस्ट चाहिए और इस तरह से उन्हें चुना गया। खैर चे क्रांतिकारी थे, कम्युनिस्ट थे और उत्कृष्ट अर्थशास्त्री थे क्योंकि उत्कृष्ट अर्थशास्त्री होना इस बात पर निर्भर करता है कि आपने देश की अर्थव्यवस्था के इस अंग अर्थात नेशनल बैंक ऑफ क्यूबा के प्रभारी के रूप में क्या कार्य करने का विचार बनाया है। उन्होंने एक कम्युनिस्ट और एक अर्थशास्त्री के रूप में यह दायित्व बखूबी संभाला। उनके पास कोई डिगरी नहीं थी लेकिन उन्होंने बहुत कुछ देखा और पढ़ा था।

चे ने ही हमारे देश में स्वैच्छिक कार्य के विचार को आगे बढ़ाया क्योंकि वह खुद हर रविवार को स्वैच्छिक कार्य करने के लिए जाते थे। किसी दिन वह खेती का कार्य करते तो किसी दिन नई मशीनरी की जांच करते तो किसी दिन निर्माण कार्य करते। उन्होंने इस प्रथा की विरासत हमारे लिए छोड़ी है। उनके पदचिह्नों पर चलते हुए आज लाखों क्यूबाइयों ने यह प्रथा अपनाई है।

वह हमारे लिए बहुत सारी यादें छोड़ गए हैं। इसलिए मैं कहता हूं कि वह मेरी जिंदगी में आए सबसे महान और असाधारण व्यक्ति हैं। मेरा विश्वास है कि अवाम में इस तरह के करोड़ों-करोड़ व्यक्ति मौजूद हैं।

कोई भी उत्कृष्ट व्यक्ति तब तक कुछ नहीं कर पाएगा जब तक कि उसके जैसी विशेषताएं विकसित करने में सक्षम लाखों लोग न हों। यही कारण है कि हमारी क्रांति ने निरक्षरता को दूर करने तथा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए हैं ।