संपूर्ण स्वतन्त्रता : सांस्कृतिक स्वतंत्रता की ओर भारतीय समाज

राकेश चन्द्र सुतेड़ी

विगत १००० वर्षो से समय समय पर अक्रान्ताओ के आक्रमण से भारतीय समाज छिन्न भिन्न हो गया था । हमारे राजनैतिक. सांस्कृतिक अध्यात्मिक एवं सामाजिक संरचनाओ को विकृत कर दिया गया। संसार को देखने की जो हमारी दृष्टि वसुधैव कुटुम्बकम, आत्मवत सर्वभूतेषु की है उसे अघात पंहुचा कर, उसका लाभ उठा कर हमे परतंत्र बना लिया गया। इस कालखंड मे हमारी सनातन संस्कृति का संरक्षण पूज्य साधू संतो द्वारा किया गया इसमे कोई भी शंका नहीं है परमात्मा द्वारा इसकी प्रस्तावना विदेशी अक्रान्ताओ के आक्रमण के पूर्व ८ वीं शताब्दी में ही लिख दी गयी थी जब जगद्गुरु आदि शंकराचार्य का अभिर्भाव इस भू लोक में हुआ और उन्होंने भारतवर्ष के चारो कोनो में मठो की स्थापना कर एक प्रकार से दुर्ग को मजबूत करने का कार्य किया था । तदुपरांत समय समय पर समर्थ रामदास, कबीर, नामदेव, रैदास, दादू , मलूक, मीरा, फरीद, तिरुवल्लुवर,नानक व दशमेष गुरु आदि संतो ने सनातन संस्कृति के दीपक को शिवाजी महराज जैसे योग्य शिष्यों को शिक्षित कर, भक्ति आन्दोलनों द्वारा अथवा किसी न किसी रूप में समाज में प्रज्वलित किये रखा।
१९४७ में जब भारत को राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त हुई तब तक हमारी संस्कृति, सामाजिक जीवन संरचना में विदेशी सभ्यता की छाप पड़ चुकी थी। पाश्चात्य जीवन प्रणाली को भारतीय समाज ने कुछ कुछ स्वीकार कर लिया था । दुर्भाग्य से कहे या ब्रिटिश सरकार की कूटनीत से, इस सभ्यता का जिनमे सबसे अधिक प्रभाव था वो ही भारत के भाग्य विधाता बन गए। इसी कारण नई- नई कुरीतियों को कानून व समाज का अंग बनाया गया । अपने ही देश में मातृभाषा की उपेक्षा कर समस्त कार्य पध्दति का माध्यम अंग्रेजी को बनाया गया। विश्व के ५.५२ % लोगो द्वारा अंग्रेजी बोली जाती है जबकि हिंदी का प्रतिशत ४.४६% है (स्रोत – विकिपीडिया)। हास्यास्पद बात है कि हिन्दू संस्कृति में गौ, गंगा और गीता तीनो को माँ स्थान प्राप्त है परन्तु तीनो हिन्दुओ के देश में ही उपेक्षित हैं। शाकाहार बहुल राष्ट्र में कत्लखानो को लाइसेस दिए गए जहां ३५% प्रतिशत लोग अब भी शाकाहारी हैं । जीवनदायिनी गंगा को प्रदूषित किया जाता है सीवर, फैक्ट्री का गन्दा उसमे डाला जाता है और यदि गीता को विद्यालय शिक्षा का पाठ्यक्रम बनाया जाता है तो उसे सांप्रदायिक कहा जाता है ।
जबसे २०१४ में केंद्र में भाजपा सरकार बनी है भारतीय जन मानस का स्वाभिमान बढ़ा है भारत आकर्षण का नया केंद्र बना है विश्व हमारी ओर देखने को मजबूर है। विश्व भारत से आशान्वित है। प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं मैं न्यू इंडिया देख रहा हूँ राष्ट्र को भी उनके नेतृत्व में उस दिव्य दृश्य का आभास हो रहा जब भारत पुनः जगद्गुरु के स्थान में अवस्थित है और समस्त विश्व का नेतृत्व कर रहा है। अभी अभी हुए चुनाव में मिला जन समर्थन इसकी स्वीकृति है । इसी श्रृंखला में योगी आदित्यनाथ द्वारा कत्लखानो को बंद करने, मानसरोवर यात्रा में अनुदान, मनचलों के विरूद्ध कार्यवाही आदि जो भी निर्णय लिए गए हैं वो स्वागत योग्य है ।
क्यों नहीं हम फिर से उस स्थान पर अवस्थित हो सकते जो स्थान हमारा था । हमें पूरा अधिकार है उसे प्राप्त करने का एवं इसी में विश्व का भला है। हमने फिर से उस सांस्कृतिक विरासत को प्राप्त करना है जहाँ स्वय के धर्म, संस्कृति, भाषा साहित्य का सम्मान हो उन पर गर्व हो। जगत यह जान सके कि धर्म प्रतिष्ठा धर्म पर चल कर होती है न कि जिहाद का भय दिखा कर या सेवा के आड़ में धर्म परिवर्तन करा कर भारतीय संस्कृति की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए प्रत्येक भारतीय कटिबद्ध है ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,071 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress