कांग्रेस मेवा दल

0
153

 

 विजय कुमार, 

राहुल बाबा ने अगले लोकसभा चुनावों के लिए जींस की बेल्ट कस ली है। ठीक भी है। राजनीति में सत्ता से ही ही मान, सम्मान और धन मिलता है। इसलिए राहुल बाबा चिड़िया की आंख की तरह 2019 के लोकसभा चुनाव को ही देख रहे हैं।आजादी से पहले ‘कांग्रेस सेवा दल’ नामक एक स्वयंसेवी दल होता था। उसका काम कांग्रेस की सभा, सम्मेलन और अधिवेशनों में सफाई, दरी बिछाना, माइक लगाना, मंच सजाना और बड़े नेताओं के कपड़े आदि धोना होता था। आजादी के बाद कांग्रेस को सत्ता मिल गयी। अतः सेवा का काम सरकारी कर्मचारी करने लगे। सेवा दल में जिनकी पहुंच ऊपर तक थी, वे टिकट पाकर बड़े नेता हो गये। बाकी लोग दलाली, रिश्वत और ठेकेदारी जैसे स्थानीय महत्व के काम में लग गये।एक समय संजय गांधी ने मारुति कंपनी की तर्ज पर ‘सेवा दल’ और ‘यूथ कांग्रेस’ को पुनर्जीवित किया था; पर उनके सम्मेलन के समय बाजार बंद रहते थे। ‘यूथ कांग्रेस मेल’ के स्टेशन पर आने से पहले खोमचे वाले सामान सहित बाहर चले जाते थे। सुना है नागपुर अधिवेशन के समय लालबत्ती क्षेत्र में कई यूथ पिटे थे। चूंकि वे फोकट में ही मस्ती करना चाहते थे। अतः लोग ‘यूथ कांग्रेस’ को ‘लूट कांग्रेस’ कहने लगे।संजय के बाद सौम्य चेहरे वाले राजीव गांधी का दौर आया। अपनी मां की हत्या से प्राप्त सहानुभूति के कारण उन्हें इतनी सीट मिल गयीं कि सेवा दल और यूथ कांग्रेस की जरूरत ही नहीं रही; पर बोफोर्स दलाली ने उनकी नैया डुबो दी। उसके बाद से कांग्रेस को अपने बल पर कभी बहुमत नहीं मिला। 2014 की आंधी में तो बेचारे इतने सिकुड़ गये कि उन्हें विपक्ष का दर्जा भी नहीं मिला। भगवान किसी को ऐसी कंगाली न दे।पर अब फिर युद्ध के बाजे बज रहे हैं। बड़े-बड़े होटलों में खाने और पीने के दौर के साथ गठबंधन की चर्चाएं हो रही हैं। मम्मीश्री ने राहुल बाबा को समझा दिया है कि अगर कांग्रेस के खाते में अपनी 200 सीट नहीं आयीं, तो बाकी चिल्लर को जोड़ने से भी प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं मिलेगी। इसलिए वे यूथ कांग्रेस और सेवा दल को जगा रहे हैं।शर्मा जी इससे बहुत खुश हैं। उन्हें लगता है कि अब पार्टी के दिन चढ़ने ही वाले हैं। एक बार दिल्ली में सरकार बनी, तो फिर राज्यों में भी बहार आते देर नहीं लगेगी। पिछले दिनों कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष महोदय हमारे शहर में पधारे। पहले तो वे हवाई अड्डे पर ही नाराज हो गये। वे सोचते थे कि कम से कम 250 गाड़ियां और एक हजार लोग उन्हें लेने आएंगे; पर वहां 25 गाड़ी भी नहीं थीं। लोगों ने बता दिया कि केन्द्र से नगर तक, कहीं सरकार न होने से हाथ बहुत तंग है। इसलिए जो है, उसे ही बहुत समझें।शाम को पार्टी कार्यालय में युवाओं की मीटिंग थी। अध्यक्ष जी ने कहा कि हमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे समर्पित युवाओं का संगठन बनाना है। इस पर एक युवा नेता बोले कि वहां तो कई साल पैर रगड़ने पड़ते हैं। हमारे बस का ये नहीं है। अध्यक्ष जी ने उन्हें समझाने का प्रयास किया कि हम सेवा दल वाले हैं; पर युवा नेता ने साफ कह दिया कि टिकट का आश्वासन हो, तो हम कुछ सेवा करें। वरना हमें और भी कई काम हैं। कई गुटों के लोग वहां थे। अतः इस बात पर मारपीट होने लगी। जैसे तैसे अध्यक्ष जी वहां से निकले।अध्यक्ष जी की वापसी की व्यवस्था रेलगाड़ी से की गयी थी। स्टेशन पर शर्मा जी ने उनसे पूछा कि सेवा दल को कुछ टिकट मिलेंगे या चुनाव में उनका उपयोग कर फिर कूड़ेदान में डाल दिया जाएगा ?अध्यक्ष जी के चेहरे पर पीड़ा के बादल घिर आये, ‘‘शर्मा जी, आप पुराने कार्यकर्ता हैं। इसलिए आपसे क्या छिपाना। असल में ये ‘सेवा दल’ नहीं ‘मेवा दल’ है। मैं जहां जाता हूं, वहां लोग टिकट की ही बात करते हैं। अभी तक तो मेरा टिकट ही पक्का नहीं है। ऐसे में मैं किसी को क्या आश्वासन दे सकता हूं। लेकिन आप तो संघ जैसे समर्पण की बात कह रहे थे ?लोगों को समझाने के लिए कुछ तो कहना ही पड़ता है।देर होती देख शर्मा जी ने घर की राह पकड़ी। नेता जी भी कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हिलाते हुए डिब्बे में जा बैठे।

 

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,072 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress