
पश्चिम बंगाल मे जैसे श्रंखलाबद्ध राजनैतिक वध किये जा रहें हैं वैसे तो केवल अंग्रेजों के शासनकाल मे ही कभी देखें गए थे। अंग्रेजों के समय व विभाजन के समय मुस्लिम पक्ष द्वारा घोषित डायरेक्ट एक्शन डे जैसे वातावरण को छोड़ दें तो पश्चिम बंगाल मे आज जैसा जहरीला, मार काट वाला व तनिक सी भी वैचारिक या राजनैतिक असहमति पर हत्या कर दिये जाने वाला वातावरण इसके पूर्व कभी नहीं देखा गया। राजनैतिक हत्याओं मे ममता बनर्जी की तृण मूल पार्टी वामपंथी पार्टियों से भी तेज खिलाड़ी सिद्ध हो रही है। अभी बंगाल के
मुर्शिदाबाद ज़िले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े स्कूल शिक्षक, उनकी गर्भवती पत्नी और आठ साल के पुत्र की हत्या के रक्त के निशान सूखे भी नहीं थे कि कोलकाता मे एक और संघ कार्यकर्ता पर गोली चलाकर उसकी हत्या का प्रयास किया गया है। मुर्शिदाबाद मे समूचे तीन सदस्यीय परिवार को व पेट मे पल रहे शिशु की हत्या से तनिक भी न डरी, न घबराई और न विचलित हुई असंवेदनशील मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता के इस हत्या प्रयास पर भी चुप है।
राष्ट्रीय स्वयं संघ के स्वयंसेवक व एक सामान्य से शिक्षक वीर बहादुर सिंह की हत्या का प्रयास कोलकाता के उस क्षेत्र मे किया गया है जिस क्षेत्र को हाल ही मे कोलकाता के महापौर बाबी हाकिम ने मिनी पाकिस्तान की संज्ञा दी थी। मेयर हाकिम ने इस क्षेत्र को मिनी पाकिस्तान भी ऐसी वैसी जगह पर नहीं कहा था बल्कि पाकिस्तान के प्रमुख अखबार द डान मे दिये हुये साक्षात्कार मे कहा था। डान को दिये इंटरव्यू मे हाकिम ने बड़े गर्व से यह भी कहा था कि मुस्लिम समाज के लिए पाकिस्तान से भी अधिक मुफीद और सुरक्षित स्थान कोलकाता का मिनी पाकिस्तान है। यद्द्पि बाबी हाकिम की इस बात से अंशतः असहमत हूं क्योंकि कोलकाता का यह क्षेत्र अकेला मिनी पाकिस्तान नहीं है, बंगाल कि मुख्यमंत्री ने पूरे बंगाल मे जगह जगह ऐसे कई कई मिनी पाकिस्तान विकसित कर दिये हैं। केवल और केवल वोट बैंक की राजनीति करते हुये ममता बनर्जी ने पूरे बंगाल मे मुस्लिम तुष्टिकरण के सारे रिकार्ड ध्वस्त कर डाले हैं।
कोलकाता के जिस क्षेत्र को वहां के मेयर ने मिनी पाकिस्तान कहा था वहां के नगर निगम पार्षद रहमत अंसारी पर दो-तीन हत्याओं सहित बीसियों मुकदमे चल रहें हैं और वे हिंदू दमन के लिए बड़े कुख्यात रहें हैं। इस पूरे क्षेत्र के हिंदुओं को अत्याचार से, दमन से, डरा-धमकाकर, बहू बेटी की इज्जत पर हाथ डालकर भगा देने और इसे मिनी पाकिस्तान बना देने का श्रेय ममता बनर्जी की शह मे रहने वाले इस पार्षद रहमत अंसारी को ही जाता है। रहमत अंसारी के सारे मामलों को ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक स्वयं डायरेक्ट डील करते हैं व अंसारी की करतूतों के लिए उसके ट्रबल शूटर बने रहते हैं।
भारत की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले कोलकाता मे हो रही इस श्रंखलाबद्ध राजनैतिक हिंसा ने एक बार फिर बंगाल मे राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता को उभार दिया है।
इस हिंसा मे एक बात बड़ी उभरकर सामने आती है कि ये हत्याएं या खूनी खेल केवल एक व्यक्ति या परिवार को डराने धमकाने या भयभीत करने के लिए नहीं की जा रही हैं। इन हत्याओं की शैली व तरीका इस प्रकार का रहता है कि पूरे हिंदू समाज मे डर और भय का वातवरण व्याप्त हो जाये। लोग अन्याय अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाना तो दूर उस ओर देखना भी बंद कर दें। मुर्शिदाबाद की हत्या को ही देखिये वहां जिस प्रकार एक 35 वर्षीय नौजवान प्रकाश बंधु, उसकी 30 वर्षीय गर्भवती पत्नी व आठ वर्षीय बालक की हत्या की गई थी वह समूचे बंगाल के हिंदू समाज को भयभीत करने के लिए ही की गई थी। इस हत्याकांड के जो चित्र पश्चिम बंगाल प्रशासन ने मीडिया के माध्यम से समाज मे फैलाये थे वे दिल दहला देने वाले व सांस रोक देने वाले थे। किसी कसाईखाने के अंदरूनी चित्र भी इतने भयावह नही होंगे जितने डरा देने वाले चित्र प्रकाश बंधु परिवार हत्याकांड के थे। अब मिनी पाकिस्तान कहे जाने वाले मटियाब्रुज के लीचूबागान क्षेत्र के निवासी 30 वर्षीय वीर बहादुर सिंह पर कातिलाना हमला भी उसी प्रकार निर्ममता व पाशविक तरीके से पीठ में गोली मारकर किया गया है। हर बार की तरह इस बार भी हत्या का लक्ष्य बड़ा स्पष्ट है – राजनैतिक असहमति के कारण हत्या करना व हत्या इस प्रकार क्रूरता व पाशविकता से करना कि समूचे समाज मे पल बढ़ रही बाकी राजनैतिक असहमतियां व राजनैतिक विरोध की भ्रूण हत्या हो जाए। एक और आरएसएस कार्यकर्ता पर हत्यारा हमला बंगाल के समूचे विषैले हो गए राजनैतिक वातावरण का भयावह चित्र प्रस्तुत करता है। भला टांटिया हाई स्कूल में कंप्यूटर के अस्थायी शिक्षक वीर बहादुर सिंह से कोलकाता के मेयर बाबी हाकिम से कोलकाता मे प्रतिदिन विकसित होते मिनी पाकिस्तान के हिस्ट्री शीटर पार्षद रहमत अंसारी व सबसे ऊपर इन सबकी सरंक्षक बनी हुई ममता बनर्जी से क्या दुश्मनी हो सकती है ?! एक मामूली सा शिक्षक इनके आड़े कैसे आ सकता है ??!! वह तो प्रतिदिन की तरह सोमवार की सुबह सुबह अपनी पाठशाला मे पढ़ाने हेतु घर से निकला था कि सुबह 9.30 बजे ही बस पकड़ते समय सरे बाजार उसे पीठ मे गोली मारकर मौत की नींद सुलाने का प्रयास किया गया। ममता बनर्जी अब भी करेगी वही जो सदा करती आई है। वीर बहादुर पर हुये हमले की जांच भी वैसे ही उल्टी दिशा मे घुमाई जाएगी जैसे प्रकाश बंधु के परिवार की हत्या की जांच को घूमा दिया गया था।