कोरोना चालीसा

■ डॉ. सदानंद पॉल

दोहा :

श्रीशुरु कोरन रोज रज, निज में पकड़ू कपारी;
नरनारू रहबर मल-मूत्र, जो दाई कुफल मारी।
बुद्धिहीन मन जानकर, सुमिरन वुहान-कुमार;
बल बुद्धि विदया लेहु मोहिं, काहु वयरस-विकार।

चौपाई :

जय कोरूमान विपद सप्तसागर;
जय कोरिस तिहुं परलोक उजागर।

मृत्युदूत अतुलनीय बल धामा;
वुहानपुत्र चीनसुत नामा।

अहा ! वीर पराक्रम रंगी-बिरंगी;
मति मार कुबुद्धि के संगी।

कोरन वरण महीराज उबेसा;
आनन-फानन कुंडल गंदगी लेशा।

हाथमिलाऊ औ सजा विराजै;
कांधे मौत साँसउ आजै।

अंकड़-बंकड़ चीनीनंदन;
तेज ताप भगा जगरुदन।

विद्यावान गुणी आ चातुर;
मातम काज करिबे को आतुर।

मृत्युचरित सुनबे रंगरसिया;
इक मीटर निके मन बसिया।

अतिसूक्ष्म रूपधरि सिंह कहावा;
प्रकट रूपधरि कलंक करावा।

बीमा रूपधरि मौत दिलारे;
यमचंद्र के राजदुलारे।

लाय सजीवन कोरन भगायो;
पल-पल मौत अट्ठहास करायो।

मृत्युपति इन्ही बहुत बड़ाई;
तुम अप्रिय सगा नहीं भाई।

सहस बदन तुमसे नाश गवावै;
अस रही प्रेमीपति अंटशंट कहावै।

सनकी बहकी कह मरीजसा;
गारद ज्यों भारत सहित लेशा।

जम कुबेर अमरीका योरप जहाँ ते;
कवि इंटरनेट डब्ल्यूएचओ कहाँ ते।

तुम उपकार जो टीका खोजिन्हा;
कौन बचाय राज पद लीन्हा।

तुम्हरो मंत्र सरकारन माना;
नोरथ कोरियन भी कोरोना जाना।

युग सहस्र कोरन पर भानू;
लील्यो जान मधुर फल जानू।

ना हस्तिका ना मिलाय मुख माहीं;
जलधि लांघि आये अचरज नाहीं।

दुर्गम लाज जगत को देते;
सुगम समाजक दूरे तुम्हरे जेते।

आराम अंगारे हम रखवारे;
होत न इलाज बिन पैसारे।

सब सुख गए तुम्हारी करणा;
तुम भक्षक तुहु कोरोना।

आपन तेज बुखारो आपै;
तीनों लोक तुमसे काँपै।

भूत पि-चास वायरस नहीं आवै;
सोशल डिस्टेंसिंग नाम सुनावै।

नाशक रोग तबे जब शीरा;
जपत निरंतर संयम अउ समीरा।

संकट पे लोकडाउन छुड़ावै;
मन कम वचन ध्यान जो दिलावै।

सब पर वजनी कोरोना राजा;
काम-काज ठपल गिरी गाजा।

और मनोरथ कछु नहीं पावै;
सोई किस्मत रोई कल जावै।

कलियुग में संताप तुम्हारा;
है कुसिद्ध संसार उजियारा।

हंता-अंत भी नाश हुआरे;
घृणित तुम अँगार कहाँरे।

अष्ट सिद्धि नौरात्र सुहाता;
असीस लीन हे शक्तिमाता।

दुर्लभ एन्टीडॉट किनके पासा;
क्यों सदा रह्यो तुम्हरे दासा।

तुम्हरे भजन मृत्यु को पावै;
जनम-जनम के दुख दिलावै।

अन्तकाल मानव क्या आई;
जहां जनम तहाँ मौत कहाई।

और सोवता छोड़ तु भगई;
कोरोना सेइ सब सुख जई।

संकट कटै मिटै कब पीड़ा;
किसे सुमिरै कि महामइरा अधीरा।

जै जै जै कोरोना वायरसाई;
कृपा करहु मुझपर हे साई।

जो संयम दूरी बरत मास्क लगाई;
छूटहि व्याधिमहा तब सुख होई।

जो यह पढ़ै कोरोना वुहान चालीसा;
कोविड नाइन्टीन से हुए दूरीसा।

पाल नंद सदा कर्फ़्यू संयम के चेरा;
कीजै नाथ अ-हृदय अहम ने डेरा।

दोहा :

वुहान तनय कब विकट हरन, मंगल तु शक्तिरूप;
मम परिवार मित्र जगतसहित, दुरहु शीघ्र हउ भूप।

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डॉ. सदानंद पॉल
तीन विषयों में एम.ए., नेट उत्तीर्ण, जे.आर.एफ. (MoC), मानद डॉक्टरेट. 'वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' लिए गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकार्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकार्ड्स होल्डर सहित सर्वाधिक 300+ रिकॉर्ड्स हेतु नाम दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 10,000 से अधिक रचनाएँ और पत्र प्रकाशित. सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में qualify. पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.

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