लोकसभा चुनावों के नये समीकरण बनाती ‘आप’

-विकास कुमार गुप्ता-  aap

लोकसभा चुनाव निकट आ चुके हैं और राजनीतिक पार्टियां भी अपनी जीत के लिए हर जुगत में लग गयी है। कुछ समय पहले देश मोदीमय हो गया था और भाजपा के तरफ से लोकसभा के परिप्रेक्ष्य में पूर्ण बहुमत के दावे हो रहे थे। सपा सुप्रीमो मुलायम तीसरे मोर्चे का राग अलाप रहे थे लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजों ने सेमीफाइनल बनाम फाइनल के समीकरण को बिगाड़ के रख दिया है। पहले यह माना जा रहा था कि दो शीर्ष पार्टियों के विजय से यह स्पष्ट हो जायेगा कि जनाधार किस ओर जा रहा है, लेकिन राजनीतिक गलियारे में आम आदमी पार्टी के आश्चर्यजनक उदय ने अब सबको नव-विमर्श के लिए विवश कर दिया है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में तो भाजपा को सफलता मिली लेकिन दिल्ली में भाजपा को करारा झटका लगा। राजस्थान ही ऐसा राज्य रहा जिसमें बीजेपी की अप्रत्याशित सफलता मानी जा सकती है। अन्य जगहों पर बीजेपी पहले से ही मजबूत थी। दिल्ली में कांग्रेस 43 की जगह 8 पर आ गयी तथा बीजेपी 23 की जगह 32 सीटे पाने में सफल तो रही लेकिन 28 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी की जीत को असली जीत माना जा रहा है जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी।
एक नाव पर कुछ विद्वान सवार थे। एक विद्वान ने मल्लाह से पूछा- तुम्हें दर्शनशास्त्र के बारे में पता है ? मल्लाह ने कहा- नहीं। उसके बाद उस विद्वान ने कहा तुम्हारी चार आने जिन्दगी बेकार हो गयी, क्योकि दर्शनशास्त्र के बिना जीवन के असली तत्व को समझा नहीं जा सकता। कुछ समय बाद दूसरे विद्वान ने मल्लाह से पूछा- शिक्षाशास्त्र के बारे में तो पता ही होगा तब मल्लाह के ना में सिर हिलाने पर, विद्वान ने कहा- तुम्हारी आधी जिन्दगी बेकार हो गयी क्योंकि यह अन्य शास्त्रों का स्तंभ है, इसके बिना दूसरे शास्त्रों को समझना दुरूह हैं। कुछ देर बाद तीसरे विद्वान ने मल्लाह से पूछा अच्छा राजनीति शास्त्र के बारे में तो तुम्हे अवश्य पता होगा। मल्लाह ने फिर ना में उत्तर दिया। तब तीसरे विद्वान ने कहा तुम्हारी बारह आने जिन्दगी बेकार हो गयी क्योकि राजनीति शास्त्र की जानकारी के बिना कोई भी राजा राज्य कर ही नहीं सकता। कुछ देर बाद चैथा विद्वान कुछ पूछने ही वाला था कि तेज आंधी और तूफान के साथ बारिश आना शुरू हो जाता है। नाव डगमगाने लगती है। सभी विद्वान भयाकुल नजरों से मल्लाह की तरफ देखने लगते हैं। अपनी तरफ एकटक विद्वानों को देखते विद्वानों से मल्लाह पूछता है कि आप सभी को तैरना आता है क्या ? विद्वानों के न कहते ही मल्लाह यह कहते हुए नदी में कूद जाता है कि आप लोगों की सोलह आने जिन्दगी बेकार हो गयी। कुछ ऐसा ही दिल्ली में हुआ। अच्छे-अच्छे राजनीतिक दिग्गजों को कल के मल्लाह रूपी प्रत्याशियों ने न सिर्फ बुरी तरह मात दिया, वरन् अनेकों के राजनीतिक भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
आन्दोलन से उपजी पार्टी ने अनेकों धुरंधरों को सबक सीखते हुए दिल्ली की सत्ता पर न सिर्फ काबिज हुयी, वरन् राजनीति में नये अध्याय लिखती नजर आ रही है। सत्ता में आते ही इसने बिजली, पानी, बिजली कंपनियों की कैग से जांच सहित अनेकों मुद्दों पर काम भी शुरू कर दिया है। अनेक नये मुद्दों से सुसज्जित आम आदमी पार्टी के बारे में कयास लगाये जा रहे हैं कि पार्टी आने वाले लोकसभा चुनावों में कुछ बड़ा कर सकती है। आम आदमी पार्टी जहां लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटों पर लड़ने के दावे करती नजर आ रही है, वहीं इसमें जुड़ने वाले दिग्गजों की संख्या में भी इजाफा जारी है। ऐसे में आम आदमी पार्टी को लोकसभा चुनावों के नतीजों के मद्देनजर नजरअंदाज करना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के पहले यह संभावना व्यक्त की जा रही थी कि भाजपा को पूर्ण बहुमत मिल सकता है, अथवा गठबंधन के सहारे भाजपा के माथे सेहरा बंध सकता है, लेकिन आम आदमी पार्टी की धुंआधार इंट्री ने न सिर्फ राजनीतिक दिग्गजों को नये सिरे से सोचने पर विवश किया है, वरन् नये राजनीतिक समीकरण के रास्ते भी खोल दिये हैं।

5 COMMENTS

  1. दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय भारत में सर्वाधिक है – फिर भी लोग संतुष्ट नहीं हैं – विकास जरूर होना पर पाहिले अविकसित क्षेत्रों का – आप की जीत का बड़ा फैक्टर पूर्वांचल और मिथिला के प्रवासी लोग हैं – बी जे पी ने अच्छा किया पर उसकी आपसी फूट ले बैठी – जनता सब देखती है
    बे एजे पी में राष्ट्रिय नेताओं का अकाल हो गया है – उसे अपने चरों मुख्यमंत्रियों को जिनके दो सत्र राजीमे हो चुके हैं लोकसभा में भेजना चाहिए ताकि आगे की राह ठीक हो सके
    २०१४ में कौन जीतता अहि उससे बहुत अंतर नहीं होनेवाला है
    अच्छे लोगों को आगे बढ़ाना समय की मांग है

  2. आलेख अच्छा लगा| मूर्ख विद्वानो और मल्लाह का दृष्टान्त सामान्य व्यंग के रूप में रुचिकर होते हुए भी मल्लाह अथवा अरविन्द केजरीवाल को नैतिक व व्यवसाई मर्यादा से हटाते दिखाई देता है| एएपी को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की विधानसभा की कम से कम एक पूरी अवधि तक दिल्ली के बाहर केंद्रीय व किसी राज्य स्तर पर चुनाव नहीं लड़ने चाहिए ताकि एकाग्रचित हो दिल्ली राज्य और दिल्ली-वासियों को एक कुशल व्यवस्था व ऐसी उपलब्धियां प्रदान कर सकें जिनसे उन्हें कई दशकों से वंचित रखा गया है|

  3. “आप” ने भारत के सूर्योदय को पीछे धकेल दिया -और अबोध बालक जानता भी नहीं।
    विश्व की, महासत्ताएं यही चाहती है।
    जय हो, केजरीवाल! आप एक मोहरा बन गया है, परदेशी सत्ताओं के हाथ में।
    क्या परदेशी सत्ताएँ, चौराहों पर ढिंढोरा पीट के ऐसा नारा लगाएगी?
    भाइयों, अंतर्राष्ट्रीय पॉलिटिक्स ऐसे ही चुपचाप खेली जाती है।
    समझनेवाले समझ गए, जो ना समझे वे,………… है।
    —————
    (१) चोरों की टोली पकडने “आप” स्वयं प्रतिज्ञा कर सिपाही बन कर गये, वो उसी टोली के साथ मिल गए?
    और इतना साधारण तर्क, क्या, आप सुधी मित्रों को समझ में नहीं आता ? महदाश्चर्य?
    (२) और आम जनता का बहाना ?
    वाह! वाह!!
    (३)मुख्य मंत्री जी आप की (आय आय टी )निर्णय शक्ति कहाँ है?
    (४)अब, दिखावे के लिए, छोटे चिल्लर भ्रष्टाचारी पकडे जाएंगे। और वाह वाही लूटी जाएगी।
    जय हो आशुतोष, भोले भण्डारी, जनता की।
    (५) किस परदेशी चाल में फँस गए? और मानते/जानते भी नहीं।

    ===>यदि २०१४ में सूर्योदय नहीं हुआ तो उसका कारण आ. आ. पा. होगी।
    (६) “निर्णय क्या, = ’लग जाए तो तीर था, नहीं तो तुक्का’ ==ऐसे लिया जाता है?

  4. बीजेपी ने येदियुरप्पा को पार्टी में शामिल क्र के अपने हाथों अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है ये मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टीक लिए सब से बड़ा हथियार बन जाएगा। आप के मैदान में आने से बीजेपी कम से कम ५० लोकसभा सीट खोदेगी लिख लीजिये।

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