यात्रा का लुफ्त उठाते जनप्रतिनिधि

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-प्रमोद भार्गव-
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हमारे सांसद, विधायक और मंत्री अक्सर अध्ययन यात्राओं के बहाने देश-विदेश के दौरे करते रहते हैं। ये यात्राएं सवालों के घेरे में भी आती रही हैं। जैसा की हाल ही में सरकारी खर्च पर ब्राजील में चल रहे फुटबाॅल विश्व कप का मजा लेने गोवा राज्य के मंत्री और विधायक जाने वाले थे। किंतु विपक्ष, मसलन कांग्रेस ने इस यात्रा को मौज-मस्ती यात्रा करार देकर जब तीखा विरोध किया तो सरकारी खर्च पर हो रही इस यात्रा को टाल दिया गया। हमारे यहां जनप्रतिनिधि फर्जी बिल लगाकर भी धन वसूलने का काम करते हैं। इस सिलसिले में हाल ही में सीबीआई ने अवकाश यात्रा छूट घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में राज्यसभा के छह वर्तमान और पूर्व सांसदों पर चार सौ बीसी का ममला दर्ज किया गया है। उत्तर प्रदेश में जब मुजफ्फनगर दंगों का कहर टूट रहा था, तब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार के कई मंत्री विधायक करीब आधा दर्जन देशों की विदेश यात्रा कर रहे थे। इस यात्रा में रुपए तो करोड़ों खर्च हुए, लेकिन यात्रा का लाभ प्रदेश को क्या मिला, यह स्पष्ट नहीं है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी एक मंत्री-समूह के साथ अफ्रीकी देशों की यात्रा पर हैं। यह यात्रा विदेशी धन निवेश के बहाने की गई। निवेश कितना आता है या नहीं, यह तो वक्त बताएगा, क्योंकि निवेश की तमाम कोशिशें मकसद पर खरी नहीं उतरी हैं।

सबसे पहले बात फर्जी यात्रा बिलों की करते हैं, क्योंकि यह गोरखधंधा यात्राओं के बहाने ही फल-फूल रहा है। इस घोटाले में भारत सरकार के उपक्रम एअर इंडिया से यात्रा के फर्जी बिलों के जरिए यात्रा भत्ते वसूलने का दावा किया गया था। इसमें ट्रेवल एजेंटों के साथ राज्यसभा सांसद भी लिप्त पाए गए हैं। इनमें तीन मौजूदा सांसद है। इनमें तृणमूल कांग्रेस के डी. बंद्योपाध्याय, बसपा के ब्रजेश पाठक और मिजो नेशनल फ्रंट के लालमिंग लियाना के नाम दर्ज हैं। राज्यसभा के पूर्व सांसदों में भाजपा के जेपीएन सिंह, राष्ट्रीय लोकदल के महमूद ए. मदनी और बीजू जनता दल की रेणुबाला प्रधान शामिल हैं। इस नए मामले का पर्दाफाश करने से पहले सीबीआई एलटीसी घोटाले में जनता दल के राज्यसभा सांसद अनिल कुमार साहनी के खिलाफ फर्जी हवाई टिकट और बोर्डिंग पास पेश कर करीब 9.5 लाख रुपए कथित तौर पर लेने के आरोप में मामला दर्ज कर चुकी है। इनके अलावा एअर इंडिया के उपभोक्ता सेवा एजेंट रूबीना अख्तर और ट्रेवल आपरेटर एअर कू्रज ट्रेवल्स के भी नाम प्राथमिकी में दर्ज हैं। सांसद, आर्थिक हेराफेरी से जुड़ी ये अनियमिताएं यात्रा के तय मानकों का उल्लंधन करके ट्रेवल एजेंटों की मिलीभगत से आसानी से कर लेते हैं। यह घोटाला पहली बार तब सामने आया था, जब कोलकाता हवाई अड्डे पर एक ट्रेवल एजेंट को 600 खाली बोर्डिंग पास के साथ हिरासत में ले लिया गया था।

अध्ययनों के बहाने विदेश यात्रा करने की परंपरा अर्से से जारी है। गोवा सरकार के खेल मंत्री रमेश तावड़कर और तीन विधायक 89 लाख रूपए के सरकारी खर्च पर फुटबाॅल विश्व कप देखने ब्राजील यात्रा पर जा रहे थे। यात्रा के लिए बहाना गढ़ा गया कि गोवा में 2017 में 17 साल से कम उम्र के फुटबाॅल खिलाड़ियों की विश्वस्तरीय प्रतियोगिता होने वाली है। लिहाजा इस यात्रा के अनुभव से मंत्रियों और विधायकों को खेल आयोजन की तैयारियों में मदद मिलेगी। गोवा में विपक्षी दल कांग्रेस को जब इस यात्रा की भनक लगी तो उसने धन की इस बर्बादी पर विधानसभा में हंगामा मचाया। दलील दी कि राज्य सरकार जब आर्थिक संकट का रोना रो रही है, तब इस फिजूलखर्ची का क्या औचित्य है ? यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के लिए विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी शिकायात की ? आखिरकार प्रधानमंत्री ने हस्तक्षेप करके सरकारी खर्च पर हो रही इस यात्रा को टाला। अब मंत्री और विधायक निजी खर्च से ब्राजील में चल रहे फुटबाॅल विश्व कप देखने जाएंगे। इस फैसले से साफ हुआ कि ब्राजील यात्रा महज विश्व कप देखने की मंशा से की जा रही थी। यात्रा का उद्देश्य यदि पवित्र होता तो केवल मंत्री और विधायक ब्राजील नहीं जाते, बल्कि मुकाबले में शामिल होने वाले कुछ किशोर खिलाड़ियों और उनके प्रशिक्षकों को भी साथ ले जाते, क्योंकि नए दांव-पेच का इस्तेमाल तो यही लोग करते ?

मध्य प्रदेश सरकार एक पूरे मंत्रीमंडलीय समूह के साथ अफ्रीकी देशों की यात्रा पर है। सरकार की मंशा अफ्रीकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को निवेश के लिए लुभाना है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान जबसे प्रदेश के मुखिया बने हैं, तभी से निवेशकों को मध्य प्रदेश की धरती पर लाने के लिए विदेश यात्राएं कर रहे हैं। इंदौर, भोपाल और खजुराहों में भी विनिवेश के लिए देश-विदेश के नामी उद्योगपतियों के साथ मुलाकातें कर चुके हैं। हजारों करार भी हुए, लेकिन जमीन पर उतरने से पहले ही 75 फीसदी रद्द हो गए। दरअसल, पूरे प्रदेश में प्रशासन बेलगाम है और भ्रष्टाचार चरम पर है। बीते दस साल में वे नल जल, सिंचाई, विद्युत और सीवेज से जुड़ी परियोजनाएं भी पूरी नहीं हुईं, जो अनुबंध के अनुसार दो साल में पूरी हो जाने चाहिए थीं। जाहिर है, मुख्यमंत्री को पहले प्रशासनिक अमले में कसावट लाने की जरूरत है, जिससे अर्जी देने के साथ ही जरूरी कागजी खानापूर्ति का सिलसिला आप से आप चल पड़े। वरना निवेश के सिलसिल में की जाने वाली यात्राएं, फिजूलखर्ची और मौज-मस्ती का सबब ही कहलाएंगी।

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के स्पष्ट निर्देश है कि अध्ययन यात्राओं के बहाने सांसद, विधायक और मंत्री विदेश न जाएं। दिल्ली और देश के भीतर ही सामाजिक, शैक्षिक व आर्थिक मुद्दों का अध्ययन करें। मंत्रालय को यह नसीहत इसलिए देनी पड़ी थी, क्योंकि दो साल पहले संसद की स्थायी समिति के सदस्यों और फिर कर्नाटक के सार्वजानिक उपक्रमों से जुड़ी विधानसभा की एक स्थायी समिति के सदस्यों की अध्ययन यात्रा पर बखेड़ा खड़ा हो गया था। बावजूद निर्देशों पर जनप्रतिनीधि गैार नहीं करते। अलबत्ता विदेश यात्राओं की खुशफहमी में अमूमन सभी दलों के प्रतिनिधि एकमत हो जाते हैं। बहरहाल, अध्ययन यात्राओं के बहाने विदेश यात्राओं और जनप्रतिनिधियों को दी जाने वाली बेहिसाब एलटीसी और बोर्डिंग पास सुविधा पर अंकुश लगाना जरूरी है, क्योंकि इनका अब दुरूपयोग निजी आर्थिक लाभ और मौज-मस्ती के लिए हो रहा है।

1 COMMENT

  1. जन धन को लूटने में व उसके खर्च से ऐश करने में कोई भी दल पीछे नहीं सब को केवल अवसर की जरूरत है

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