एक राशि वालों की नियति एक नहीं होती

—विनय कुमार विनायक
एक राशि वालों की नियति एक नहीं होती,
राम ने रावण को संहारा,कृष्ण ने कंस को,
गोडसे ने गांधी को मारा रहस्य को समझो,
राशिफल देखके क्या फायदा कर्मफल देखो!

जैसी करनी वैसी भरनी कहावत कैसे बनी?
गीता को छूकर सिर्फ कसम मत लो, पढ़ो,
जैसा कर्म करते हैं लोग वैसा फल मिलता,
कोई राम रावण, कोई गोडसे गांधी बनता!

मनुष्य, मनुष्य होते, भगवान बनाए जाते,
महान व महात्मा बनकर बुराई छुप जाती,
मानवों में सद् असद् गुण साथ-साथ होते,
कोई इंसानी विचार सार्वकालिक नहीं होते!

अति अंध भक्ति वश सामान्य मनुष्य को,
महामानव, महात्मा,मसीहा घोषित कर देते,
जिसे परवर्ती जन श्रद्धा वश स्वीकार लेते,
मगर जरुरी नहीं वे सार्वकालिक मान्य हो!

चाहे दर्शन महापुरुषों या मसीहाओं का हो,
समय-समय पर उसमें सुधार अवश्य करो,
मानव के सारे विचार स्वीकार्य नहीं होते,
किसी का अनुसरण पूर्व तर्क-वितर्क करो!

गांधी जी का ब्रह्मचर्य प्रयोग बेतुका था,
उनकी राजनीति धर्मनिरपेक्ष भी नहीं थी,
धर्म देख वे सुविधानुसार निर्णय लेते थे,
गांधी की अहिंसा नीति अहिंसक नहीं थी!

गांधीजी देश विभाजन को रोक नहीं पाए,
देश विभाजन की हिंसा पे दोहरी नीति से
गांधी जी ने अपनी लोकप्रियता भी गंवाई,
आक्रामक पाक को वित्तीय मदद पहुंचाई!

पाक से आए हिन्दू-सिख शरणार्थियों को,
वो सुरक्षा देने के बजाय सिर्फ कोसते थे,
पर नोआखाली के लिए अलग सोचते थे,
अहिंसा सत्याग्रह के नाम वे पूर्वाग्रही थे!

गांधीजी दंगाईयों की जाति खोज लेते थे,
नोआखाली दंगा के बाद बिहारी दंगा में,
गांधी-नेहरू कांग्रेस की कैसी भूमिका थी?
इस पर गांधी ने किसकी सरपरस्ती की?

हिन्दू राज्यों और मुस्लिम रियासतों की
विलय नीति, अलग-अलग थी गांधी की,
कश्मीरराजा व हैदराबाद निजाम के प्रति
पटेल व गोडसे से उनकी थी असहमति!

माना कि गांधीजी रामराज्य आकांक्षी थे,
रघुपति राघव राजा राम प्रार्थना करते थे,
हे राम! कहकर गांधी ने अंतिम सांस ली,
पर कांग्रेस ने राम के अस्तित्व नकार दी!

गर गोडसे ने गांधी की देह की हत्या की,
तो अंग्रेजपरस्त कांग्रेसियों ने गांधीजी की
आत्मिक विचार की हत्या करके गांधी के
अयोध्या पति राम की भी हत्या कर दी!

गोडसे की गांधी हत्या यदि नाजायज थी,
तो प्रतिक्रिया में गोडसे की सजातियों की
हत्या कैसे जायज हुई, इसका जवाब नहीं,
अहिंसावादियों ने चितपावनों की हिंसा की!

राम ने रावण को मारा कृष्ण ने कंस को,
युगानुरुप सत्य कदम था, मगर गोडसे ने
वृद्ध गांधी को क्यों मारा इसे भी समझो,
उनके जीते जी हैदराबाद विलय हुआ नहीं!

रामचन्द्र विनायक गोडसे ने गांधी हत के,
उचित नहीं किए क्योंकि गांधी अवध्य थे,
तीन गोली तो दूर एक लाठी सह ना पाते,
गांधी अपनी मौत मरते,तो बापू नही होते!

गांधीजी कृशकाय अतिवृद्ध व अक्षम थे,
दो बालिकाओं के कंधे पकड़कर चलते थे,
फिर भी साम्प्रदायिक राजनीति करते थे,
काश कि वे कस्तूरबा के बाद थम जाते!

गांधीजी आरंभ से ही दोहरे चरित्र के थे,
जिन्होंने उन्हें महात्मा की उपाधि दी थी,
उस श्रद्धानंद सरस्वती आर्यसमाजी ऋषि
के हत्यारे अब्दुल रसीद को भाई कहे थे!

गुरुकुल कांगड़ी संस्थापक,दलितोद्धारक,
दयानंद सरस्वती के आर्य धर्म प्रचारक,
स्वभाषा धर्म-रीति-संस्कृति के उद्धारक,
श्रद्धानंद हत्या को उन्होंने उचित कही!

सच में गांधीजी क्रांतिकारियों के विरोधी,
अंग्रेजों के भक्त,थे मिथ्या ब्रह्मचर्यवादी,
उन्होंने राम की पदवी राष्ट्रपिता की ली,
पर निराशा राम बापू,मोहन के दास नहीं!
—विनय कुमार विनायक

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