ठाकरे की ठसक का अंत

0
108

प्रमोद भार्गव

हमारे देश की ज्यादातर राजनीतिक शखिसयतों में चाल, चरित्र और चेहरे का दोहरापन दिखार्इ देता है। अपवाद स्वरुप आजादी के बाद बाल ठाकरे ऐसे विचित्र व्यकितत्व के रुप में उभरकर स्थापित हुए, जिनकी साफगोर्इ ने न केवल विभिन्न क्षेत्रों की विभूतियों को आकर्षित किया, बलिक महाराष्ट्र में एक बड़ा जनाधार भी ठाकरे ने हासिल किया। उन्होंने राष्ट्रसेना जैसा उम्र हिन्दुत्ववादी राजनीतिक दल गठन करने के बावजूद कभी चुनाव नहीं लड़ा। कोर्इ पद नहीं संभाला। तब भी अपने करिष्मार्इ व्यकितत्व के बूते आजीवन महाराष्ट्र की जनता के दिलों पर राज किया। छदम धर्मनिरपेक्षता, छल और प्रपंच से वे हमेशा दूर रहे। इसलिए समग्र हिन्दुत्व की पैरवी करने के बावजूद क्षेत्रवाद व भाशार्इ मुददा उनके लिए प्रमुख रहा। यही वजह थी कि उनकी राजनीति के केंद्र में मराठी मानुष के हक की लड़ार्इ रही। साहस की राजनीति के इस षेर के स्वर्गारोहण के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के रुप में विभाजित हुर्इ राष्ट्रसेना एकजुट हो सकती है ? बाल ठाकरे हिटलर के वैचारिक मूल के हिमायती भले रहे हों, किंतु उनमें व्यंग्य चित्रकार की जो मौलिक सृजन धार्मिता थी, वह उन्हें आंतरिक रुप से संवेदनशील और उदार बनाती थी। इसीलिए वे शरणागत होने पर अमिताभ बच्चन और सुनील दत्त को संरक्षण देते हैं।

बाल ठाकरे की राजनीति और उनके दुस्साहस की हद तक चले जाने वाले व्यकितत्व से आप सहमत अथवा असहमत हो सकते हैं, किंतु उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते ? क्या कारण है कि राष्ट्रपति बनने के बाद प्रतिभादेवी पाटिल और प्रणव मुखर्जी उनसे मिलने उनके आवास मतोश्री में जाते हैं। जबकि राजनीति में वे उनके धुर विपरीत ध्रुव रहे ? क्या कारण है कि उग्र हिंदुत्व की पैरवी करने के बावजूद दिलीप कुमार उनके हमप्याला बनते हैं और पाकिस्तानी कि्रकेटर जावेद मियांदाद उनके साथ भोजन करते हैं ? क्या कारण है, कांग्रेस उनकी मौत की खबर आने के बाद पूर्व निर्धारित रात्रि भोज टाल देती है और सोनिया गांधी व मनमोहन सिंह भावभीनी श्रृद्धांजलि देते है ? महाराष्ट्र की राजनीतिक सत्ता के कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पास होती है, लेकिन उसके दूर-नियंत्रक मातोश्री में बैठे बाल ठाकरे होते हैं ? ऐसे कर्इ सवाल हैं, जो बाल ठाकरे के नेतृत्व कौशल को रहस्मयी व विलक्षण बनाते हैं। सकि्रय राजनीति में आधी सदी गुजारने के बावजूद ठाकरे ऐसे बिरले नेताओं में रहे जिन पर कदाचरण के आरोप कभी नहीं लगे। नाजायज सम्पतित उन्होंने नहीं बनार्इ, जबकि वे आजीवन सम्पतित विवाद सुलझाते रहे। जिस मुंबर्इ को दाउद ने 1992 में भूमिगत माफिया सरगना रहते दहलाया, उसी मुंबर्इ के रहवासियों को ठाकरे ने अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए न केवल राष्ट्रसैनिकों के जरिये राहत पहुंचार्इ, बलिक ढांढस भी बंधाया। विपरीत हालात में लाचार को मदद पहुंचाने की यही भावना है, जो मुंबर्इवासी उनमें देवत्व के गुण देखते हैं।

विवाद और विरोधाभासों के जनक रहे, बाल ठाकरे अपने अंतिम समय में इस भय से आंतकित थे कि कहीं राष्ट्रसेना टूट कर बिखर न जाए। इसीलिए वे राष्ट्रसैनिकों को संदेश देते हैं कि ‘मैं अब थक गया हूं। यह गांधी परिवार नहीं है, जिसे मैंने आप पर लादा हो। इसीलिए कहता हूं राष्ट्रसेना को संभालो। उद्धव को संभालों।’ उनका यह रिकार्डेड संदेश उसी शिवाजी पार्क में सुनाया गया था, जहां से उन्होंने 1966 में पहली बार मराठी मानुष की एकजुटता के लिए हुंकार भरी थी और राष्ट्रसेना के रुप में एक राजनीति दल असितत्व में आया था। यही वह शिवाजी पार्क है, जहां निष्प्राण शरीर में खोर्इ ठाकरे की ठसक राख में बदल गर्इ । अब षेश है, उनके उग्र हिन्दुत्व की राजनीतिक उत्तराधिकार का ? उन्होंने जीते जी तो अपनी इस विरासत की वसीयत अपने बेटे उद्धव ठाकरे को सौंप दी थी। उद्धव ही राष्ट्रसेना के कार्यकारी अघ्यक्ष हैं। उन्हें विरासत में राष्ट्रसेना का राजनीतिक दायित्व तो मिल गया, लेकिन कुदरती वाचालता के चलते बाल ठाकरे वंशानुगत रुप से उद्धव को वह आक्रामकता नहीं दे पाएं, जो उनमें थी और प्रकारांतर से राष्ट्रसेना में है। उद्धव की बीमारी ने उन्हें और कमजोर बना दिया है। जाहिर है, राष्ट्रसेना को मुंबर्इ समेत महाराष्ट्र की चेतना बनाए रखना है तो उद्धव और राज ठाकरे में समझौता हो ओर मनसे अपनी मातृसंस्था राष्ट्रसेना में विलय हो जाए। तभी राष्ट्रसेना का भविष्य सुनिश्चित हो सकता है।

राष्ट्रसेना के पास वैचारिक आधार भले ही हिंदुत्व रहा हो, लेकिन उसके पास कोर्इ विकास – कार्यक्रम नहीं है। यही वजह है कि राष्ट्रसेना का सांकेतिक विस्तार भले ही देश के कर्इ राज्यों में हो गया हो, वह व्यापक जनाधार हासिल नहीं कर पार्इ। इसलिए इस दल का केवल स्थानीय अथवा क्षेत्रीय करिश्मे के मार्फत अखिल भारतीय आधार बनाना नामुमकिन है। यही वजह है कि सपा, बसपा, जद, द्रमुक, अद्रमुक, तेलेगुदेशम, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा जैसे दो-ढार्इ दशक से सकि्रय दल भी अपना राजनीतिक वर्चस्व क्षेत्र के बाहर नहीं फैला पाए। उग्र क्षेत्रीय सवालों को ही मुख्य बनाए रखने के कारण भी राष्ट्रसेना का क्षेत्र संकीर्ण रहा। दक्षिण भारतीय और उत्तर भारतीयों को मुंबर्इ से बेदखल करने के गैर-कानूनी रवैयों के बूते किसी राजनीतिक दल का वजूद कब तक बनाए रखा जा सकता है ? यह रवैया हिंदुत्ववादी वैचारिक मनोविज्ञान को भी पलीता लगाने वाला है। देश के जनमानस पर इसका विपरीत असर ही दिखार्इ देता है। मराठी मानुष अथवा मराठा क्षेत्र दीर्घकालिक राजनीति का अजेंडा नहीं हो सकता ? यह विचार नहीं, ओछी सोच के मनुश्य की भावना हो सकती है, जो राजनीति का व्यापक केनवास कभी नहीं रच सकती ?

बिना किसी ठोस राजनीतिक कार्यक्रम के हालिया बयान और बेलाग साफगोर्इ आपको जनचर्चा में तो तत्काल बनाए रख सकती है, लेकिन वह मतों के बीजारोपण के लिए राजनीति की ऐसी उर्वरा भूमि तैयार नहीं कर सकते, जहां से आप सत्ता की फसल लंबे कालखण्ड तक काटते रहें। इसलिए बहुतों को अच्छा लगता रहा है, जब बाल ठाकरे देशभक्त मुसलमानों की तो सराहना करते हैं, लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश परस्त भारतीय मुसिलमों को ललकारते हैं। अच्छा लगता है, जब वे पाकिस्तान के साथ कि्रकेट खेलने पर खेल मैदानों की पिचें खुदवाते हैं। अच्छा लगता है, जब वे जिन्ना की मजार पर चादर चढ़ाने पर आडवाणी को कोसते हैं और गडकरी द्वारा विवेकानंद की तुलना दाउद से करने पर नाराजी जताते हैं। तब भी अच्छा लगता है, जब वे देश में ‘वेलेंटाइन डे मनाने पर राष्ट्रसैनिकों को उकसाते हैं। किंतु यह बाल ठाकरे जैसे योद्धा के ही बस की बात थी कि तमाम विरोधाभासों से सीधे जुड़े रहने के बावजूद वे देश की राजनीति को प्रभावित करते थे और विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज मातोश्री पर आकर नतमस्तक होते थे। करिष्मार्इ ठाकरे के अवसान के बाद भी ‘मातोश्री के वैभव और राष्ट्रसेना भवन के दरबार को सजाए रखना हे तो जरुरी है, मनसे का विलय राष्ट्रसेना में हो और राज ठाकरे राष्ट्रसेना के प्रमुख हों। बाल ठाकरे के कुटुम्बी और राष्ट्रसैनिक यह कदम उठा लेते हैं तो राष्ट्रसेना की विरासत कायम रहने की उम्मीद की जा सकती है, अन्यथा नामुमकिन है। क्योंकि बाल ठाकरे जैसे ‘सिंह के न रहने से अंडरवल्र्ड की पाकिस्तान परस्त आतंकी ताकतें भी सिर उठा सकती हैं ?

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,722 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress