फेसबुक के वर्चुअल सत्य की लीलाएं

इंटरनेट में प्रत्येक संचार व्यापार है। मुनाफा है। फेसबुक के आने के साथ संचार और व्यापार के क्षेत्र में एक नयी उत्तेजना देखी गयी है। निजी संचार का मार्ग प्रशस्त हुआ है। दूसरी ओर व्यापारिक संचार सहज बना है। पहले सोचा जा रहा था कि सोशल मीडिया के जरिए सामाजिक संचार में इजाफा होगा लेकिन वैसा कुछ भी नहीं हुआ । व्यापार के बहुराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने सामाजिक मीडिया को भी धंधे का हिस्सा बना दिया। अब ब्लॉगिंग की तरह फेसबुक भी व्यापार में तब्दील हो चुका है।

इंटरनेट की सामान्य प्रकृति के केन्द्र में व्यापार है। यह मूलत: व्यापारिक संचार है। हमारे अनेक उत्साही नेटसेवक इसे शुद्ध संचार के रुप में देखते हैं। अब मंशाएं साफ व्यक्त होने लगी हैं। ब्लॉगिंग भी व्यापार हो गया है। ब्लॉगर लिखते हैं और यह भ्रम पाले रहते हैं कि हम तो फोकट में लिख रहे हैं और पढ़ने वाले भी यह भ्रम पाले हुए हैं कि मुफ्त में पढ़ रहे हैं। वास्तविकता यह है कि कोई न मुफ्त में पढ़ रहा है और न मुफ्त में लिख रहा है।

प्रत्यक्षत: मनुष्य का मनुष्य से संवाद मुफ्त में होता है लेकिन यही संवाद यदि मशीन के माध्यम से होगा तो पैसे लगते हैं। इंटरनेट फ्री सेवा नहीं है , नेट संवाद फ्री में नहीं होता, बल्कि इसके लिए प्रत्येक शब्द के लिए पैसे देने होते हैं। यह पैसा फोन बिल के रुप में यूजर देता है। पैसे के विनिमय से किया गया संवाद स्वभावत:क्रांतिकारी या बुनियादी परिवर्तनों का सर्जक नहीं होता।

हाल ही में क्लारा शिह की किताब The Facebook Era: Tapping Online Social Networks to Build Better Products, Reach New Audiences, and Sell More Stuff. आयी है। इस किताब में विस्तार के साथ बताया गया है कि कैसे सोशल नेटवर्किंग का बाजार,ब्रॉड आदि के लिए बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। शिह के अनुसार ऑनलाइन सोशल नेटवर्क बुनियादी तौर पर हमारी कार्यशैली, जिंदगी और संपर्क को बुनियादी तौर पर बदल रहे हैं और व्यापार की जबर्दस्त संभावनाएं पैदा कर रहे हैं। उपभोक्ता को मुनाफे में बदल रहे हैं।

आज ब्रॉण्ड इमेज चमकाने के उपकरण के रुप में सोशल मीडिया की भूमिका पर जोर दिया जा रहा है। इस किताब को पूरी तरह सोशलनेट के यूजरों के प्रारंभिक ज्ञान को समृद्ध करने के लिए तैयार किया गया है। इसमें ऑनलाइन सोशल मीडिया के इतिहास की अच्छी जानकारियां दी गयी हैं।

यह सच है कि फेसबुक ने संचार में बुनियादी बदलाव पैदा किया है , आज 350 मिलियन लोग फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे फेसबुक पर जाकर अपने विचारों,भावों आदि का विनिमय कर रहे हैं। फेसबुक को सोशल नेटवर्क का राजा भी कहा जा रहा है। मजेदार बात यह है कि फेसबुक का आरंभ भी अन्य संचार रुपों की तरह प्राइवेसी बनाए रखने के वायदे के साथ हुआ,लेकिन यह वायदा जल्दी ही टूट गया।

इंटरनेट में प्राइवेसी जैसी कोई चीज नहीं होती और यह भ्रम बड़ी ही जल्दी सारी दुनिया का टूट गया है। नेट के विभ्रम जितनी जल्दी बनते हैं उतनी ही जल्दी टूटते हैं। फेसबुक ने नेट की प्राइवेसी की कमर तोड़कर रख दी है।

नेट पर कोई भी चीज प्राइवेट नहीं है। सभी यूजरों की सूचनाएं अमरीकी बहुराष्ट्रीय संचार कंपनियों के पास सुपर कम्प्यूटर में सुरक्षित हैं और इनका कभी भी ये कंपनियां अपने व्यापारिक हितों के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं। फेसबुक की निजी फाइलों के नवम्बर 2009 में सार्वजनिक हो जाने के बाद फेसबुक के अंदर दिसम्बर में नए परिवर्तनों को लागू किया गया है। पहले फेसबुक की सूचनाएं सूची में शामिल कोई भी व्यक्ति हासिल कर सकता था अब आप चाहें तो छिपा सकते हैं।

सैटेलाइट ,इंटरनेट और कम्प्यूटर संचार आने के बाद झूठ का संचार ज्यादा हुआ है और सत्य की पूर्ण विदाई हुई है। सत्य हमसे कोसों दूर चला गया है। सामान्यतौर पर संचार हमें सत्य के करीब लाता था ,संचार धीमी गति से होता था। अभी संचार रीयलटाइम में होता है और वर्चुअल होता है,संचार और सत्य में महा-अंतराल पैदा हो गया है। अब संचार है लेकिन सत्य के बिना। यह संचार के लिए संचार का युग है। वह यथार्थ से वर्चुअल संपर्क बनाता है। इसे वास्तव संपर्क समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी

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