अनशन कर रहे कार्टूनिस्ट असीम और आलोक की पांचवे दिन सेहत में गिरावट

आईटी एक्ट की धारा 66 A के खिलाफ भूख हड़ताल कर रहे कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी और एक्टिविस्ट आलोक दीक्षित की सेहत में गिरावट आई है. पिछले पांच दिनों से सेव योर वाइस के असीम त्रिवेदी और आलोक दीक्षित जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन पर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. वहीँ आईटी एक्ट के खिलाफ चल रहे इस अनशन को लेकर सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

अनशन के पांचवे दिन सुबह से ही अनशन स्थल पर लोगों की भीड़ जुटी रही. आज मेरठ से आये करीब 150 लोगों और स्कूली बच्चों ने अनशन स्थल पर पहुँच कर आईटी एक्ट के खिलाफ चल रहे इस अनशन का समर्थन किया. इस दौरान कई सामाजिक संगठन व अन्य सामाजिक कार्यकर्ता भी जंतर-मंतर पहुंचे. अनशन में उपस्थित इन लोगों ने असीम और आलोक का समर्थन करते हुए आईटी एक्ट की धारा 66 A को विचारों की स्वतंत्रता का हनन करने वाला बताया.

इस मौके पर अनशनकारी असीम त्रिवेदी ने कहा की सरकार इस एक्ट के माध्यम से अभिव्यक्ति की आजादी का हनन करना चाहती है. उन्होंने कहा की जब तक सरकार इस धारा 66 A को समाप्त नहीं करती तब तक उनकी लड़ाई चलती रहेगी.

इस दौरान अनशन स्थल पर मौजूद कलाकारों ने चित्र और पेंटिंग बनाकर अपना विरोध प्रकट किया. कलाकारों ने इस दौरान आईटी एक्ट के खिलाफ चित्र बनाने के साथ ही कार्टूनिस्ट असीम का चित्र भी बनाया.

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  1. कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी और एक्टिविस्ट आलोक दीक्षित दोनो को पहले से ही मालुम होना चाहिए था कि तथाकथित स्वतंत्र भारत में भूख हड़ताल से कोई समस्या नहीं हल होने वाली| आये दिन भूख हड़ताल और न जाने किन किन परिस्थितियों से पीछा छुड़ा १९४७ में फिरंगी बड़ी चतुराई से भारत से कूच कर इस पर दूर से प्रभुत्व बनाये हुए हैं| तब से गरीबी और लाचारी में भूख और कुपोषण से सैंकडों हजारों भारतीयों के मरने के उपरांत भारत में भूख हड़ताल की क्या महत्वता रह जाती है? भूख हड़ताल का यह व्यक्तिगत अभियान केवल व्यक्तिवाद का प्रतीक है जो समय बीतते बिना वांछित परिणाम प्राप्त हुए भुला दिया जाता है| असीम और अलोक को मेरा वास्तविक सुझाव है कि वे भूख हड़ताल को तुरंत समाप्त कर आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ जाएं और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में संगठित हो कर अपने लक्ष्य को पूर्ण करें|

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