राम ने सोहन से – अगर दिन को सूर्य न निकला तो क्या होगा?
सोहन ने जवाब दिया – “बिजली का बिल बढ जाएगा।”
अमन अपने दोस्त चमन से – देखो दोस्त चुंकि हम लोकतंत्र प्रणाली पर विशवास रखते हैं इसलिए हम ने आपने घर मे सुख शान्ति बनाए रखने के लिए एक सिस्टम बनाया है। मेरे पत्नी वित मंत्री है। मेरे सास रक्षा मंत्री है। मेरे ससुर विदेश मंत्री है और साली लोक सम्पर्क मंत्री है।
चमन ने कहा – आप शायद प्रधानमंत्री होंगे?
अमन ने जवाब दिया – मै बेचारा तो जनता हूँ।
अहम और सहन दो दोस्त आपस में बाते कर रहे थे,
अहम ने कहा – कमाल है शादी के 25 सालो मे तुम्हारा एक बार भी अपनी पत्नी से झगडा नही हुआ, ऐसे कैसे हो सकता है।
सहन ने कहा – ऐसा ही है, दरसल शादी के दुसरे ही दिन हमने फैसला कर लिया था कि घर के सभी छोटे-छोटे फैसले वही करेगी और बडेबडे मै।
अहम – अच्छा,क्या इस मे भी कभी झगडा नही हुआ ?
सहन – नही, आज तक कोई बडा फैसला लेने की नौबत ही नही आई।
एक व्यक्ति(नरेश) बार मे काफी देर से बैठा पैग पर पैग पिये जा रहा था। हर पैग के बाद अपनी पर्स मे रखी पत्नी की तसवीर देखता और पीना शुरु कर देता। उस की यह हरकत साथ मे बैठा सोहन काफी देर से देख रहा था। जब सुरेश से रहा नही गया तो उस ने पूछ ही लिया, तुम एक पैग लगाते हो और तस्वीर देखते हो और फिर पीना शुरु कर देते हो माजरा क्या है?
नरेश – दरसल यह मेरी बीबी की तस्वीर है जब वह मुझे खुबसूरत लगने लगेगी तब मै घर जाऊगां, उस व्यक्ति ने गिलास उठाते हुए जवाब दिया।
रमेश ( मदन से)- हमारे शादी को ढेड साल हो गए और इन ढेड सालो मे मै अपनी पत्ने से एक शब्द भी नही बोला।
मदन – अच्छा, पर वह क्यो?
रमेश – दरअछसल, उसे पसंद नही कि जब वह बोल रही हो तो कोई उस की बात बीच मे काटे।
सुरेश ने महेश से- ‘कल तुझे मेरे मोहल्ले के दस लड़कों ने बहुत बुरी तरह पीटा। फिर तूने क्या किया ?’
महेश- ‘मैंने उन सभी से कहा कि कि अगर हिम्मत है, तो अकेले अकेले आओ’
सुरेश- ‘फिर क्या हुआ?’
महेश – ‘होना क्या था, उसके बाद उन सबने एक-एक करके फिर से मुझे पीटा।’
रेस्तरां मे काफी पीते हुए कमलेश ने धीमे से प्रेम को कहा – देखो, उधर कोने वाली कुर्सी पर बैठा वह आदमी बडी देर से तुम्हें घूर रहा है।
प्रेम – तो घूरने दो ना। प्रेम लापरवाही से बोला।
कमलेश – मै उसे जानता हूँ, कबाड़ी है और हमेशा बेकार की चीजों मे दिलचस्पी लेता है।
शाम ने अपने दोस्त दिलजीत से पूछा – दिलजीत भाई, अपने घर के बाहर खडे क्यो हो और यह चोटे कैसे लगी ?
दिलजीत – हुआ यूं कि…।
शाम – कितनी बार कहा कि लोगों से झगडा मत किया करो। कमब्खत ने मार कर तेरा बुरा हाल कर दिया। बुरा हो उस का किडे पडे उसे..।
दिलजीत – बस बस मै अपनी पत्नी. के बारे मे और गलत बातें नही सुन सकता।
एकमुखी ने चैलेंज किया कि वह ताजमहल को अपने सिर पर उठाकर दिल्ली जा सकता है। यह सुनकर हजारों लोग इकट्ठा हो गए।
एकमुखी बोला – बस इसे उठाकर मेरे सिर पर रख दो…
एक व्यक्ति अपने मित्र से कह रहा था वाकई मुझे पता चल गया है कि पूरे भारत में एकता और अखंडता है।”
दूसरे ने पूछा कैसे पता चला?
उसने कहा मैं जब दिल्ली गया तब वहाँ के लोग मुझे देखकर हंसते थे, मुंबई गया तब भी, कोलकाता और चेन्नई गया तब भी।
एक व्यापारी (अपने मित्र से) – टीवी और पत्र पत्रिकाओ मे आने वाले विज्ञापनो से मुझे बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। मित्र, लेकिन तुम तो कभी विज्ञापन नही देते।
व्यापारी – हां यह तो है, मगर मेरी पत्नीत तो दुसरो के विज्ञापन देखा करती है न!
एकमुखी – आज टीवी पर 30 फीट का सांप दिखाने वाले हैं.
तीनमुखी – अच्छा ! पर मैं नहीं देख सकूंगा.
एकमुखी – क्यों ?
तीनमुखी – मेरा टीवी सिर्फ 21 इंच का ही है … !
सोहन – अगर मैं नारियल के पेड़ पर चढ़ जाऊं तो इंजीनियरिंग कॉलेज की लड़कियां दिख जाएंगी ?
मोहन – हां, और चढ़ कर पेड़ छोड़ देना, तो फिर मेडिकल कॉलेज की भी दिख जाएंगी ….. !
दो दोस्त race देख रहे थे.
पहले ने कहा – इनमें से इनाम किसको मिलेगा ?
दूसरे ने कहा – आगे वाले को.
पहले ने कहा – तो फिर पीछे वाले क्यों भाग रहे हैं … ?
राम – “मेरा घर इतना बड़ा है कि लोकल ट्रेन आराम से चल सकती है !”
श्याम – “बस ! अरे मेरा घर तो इतना बड़ा है कि एक कोने से दूसरे कोने पर फ़ोन से बात करो तो रोमिंग लगती है… !”
वीरेंद्र जैन और निर्मला रानी के लेखो से यह चुटकुले कई गुना बेहतर हैं!!
बधाई हो प्रवक्ता में चुटकुलों को स्थान तो मिला.