बिहार के नालंदा जिला में राजगीर की गिरीव्रज पहाड़ी पर पुरातत्ववेताओं ने एक विशाल स्तूप खोज निकाल है। इस खोज को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इतिहास में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पुरातत्ववेता इसके गुप्तकाल के होने की संभावना व्यक्त कर रहे की है।
इस स्तूप की लंबाई लगभग 70 फुट है। इसके उपर गुप्तकालीन कला की तरह अलंकृत ईंटों से स्तूप का निर्माण किया गया है। ईंट और पत्थरों से बने इस स्तूप के बीच 40 फुट लम्बा और 40 फुट चौड़ा पानी का सरोवर भी बना है।
पुरातत्ववेता सुजीत नयन ने पत्रकारों को बताया कि यह संरचना आजातशत्रु द्वारा बनाये गये विश्व प्रसिद्घ साइक्लोपियन वाल के किनारे है। पूर्वी चंपारण के बौद्ध केसरिया स्तूप के बाद मिला यह सबसे बड़ा स्तूप है।
उन्होंने बताया कि पंचाने नदी के किनारे ताम्रपाषाणकालीन घोड़ाकटोरा एवं गिरीव्रज पहाड़ी पर स्थित इस स्थल को विकसित किया जाए तो यह देश का सबसे बड़ा पर्यटक स्थल बन सकता है। हालांकि उन्होंने बताया कि स्तूप के चारों तरफ बने प्रदक्षिणा पथ रखरखाव के अभाव में बर्बाद होने के कगार पर है।
नयन का मानना है कि इस स्तूप के समीप प्राप्त अवशेषों से पता चलता है कि यहां गुप्तकाल में भी नगरीय व्यवस्था रही होगी। हालांकि उन्होंने इस पर और अध्ययन की आवश्यकता बतायी है।
धन्यवाद
महत्वपूर्ण जानकारी है. गुप्त काल में पहले से बने स्तूपों को अलंकृत किए जाने की जानकारी तो है. किसी नए निर्माण की नहीं. इस स्तूप का चित्र होता तो अच्छा रहता. आभार.