हिंदी ग़ज़ल

 कुछ भी कर लो राजनीति में।
कोठी भर लो राजनीति में।।
रूप अगर मोहित करता हो
सीता हर लो राजनीति में।
सेर पे सवा सेर हुआ है,
थोड़ा डर लो राजनीति में।
पाँच साल में डेरा बदले,
कच्चा घर लो राजनीति में।
वोटों का है खेल निराला,
चमचा धर लो राजनीति में।
अविनाश ब्यौहार
रायल एस्टेट कालोनी
कटंगी रोड जबलपुर

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