मनीषा गुप्ता
क्या कहूँ की तुम से प्यार कितना है
तेरी चाहत पर एतबार कितना है !!
की साँसे भी अब तो कर देती है
बगावत
की तुम बिन चलना अब उनका भी
मुहाल कितना है !!
की तेरी आने की आहट से ही
महक जाता है श्रृंगार मेरा
देखो मेरे वज़ूद में बसता
तेरा प्यार कितना है …….!!
जितने लम्हें भी मैं दूर तुम से रहती हूँ
तेरी यादों को कतरा कतरा जीती हूँ
एक बार महसूस करो प्यार को मेरे
मेरी दिल की गहराई से ……..!!
और फिर दूर न जाओगे कभी
यह वादा मेरी रूह से करो
देखो फिर से महक उठाउंगी मैं
एक बार थाम के मेरा हाथ मुझ से कहो !!
वो कहते हैं अक्सर , मैं साथ हूँ तेरे , फिर भी न जाने क्यों उन्हें खोने का डर , मेरे चेहरे की मुस्कराहट छीन लेता है , मैं हूँ उनकी यह दिल मेरा भी जानता है , फिर भी जाने क्यों यह मेरी मोहब्बत का इम्तिहान लेता है ……..!!