साल 2023 कैसा रहेगा भारत के लिए- ज्योतिष से जानें

15 अगस्त 1947, 12:00, दिल्ली में स्वतंत्र भारत का जन्म हुआ। इस समय चंद्र कर्क राशि, शनि के पुष्य नक्षत्र में गोचर कर रहा था।  कर्क राशि में चंद्र के साथ सूर्य, बुध, शुक्र और शनि थे। वॄषभ लग्न में राहु कॄत्तिका नक्षत्र में 5’9 अंश के साथ था। केतु इसके विपरीत भाव में इन्हीं अंशों का गोचर कर रहा था। पराक्रम भाव में पांच ग्रहों का गोचर उस समय हो रहा था, जिसमें चंद्र सबसे कम अंशों के साथ गोचर कर रहे थे। भारत की कुण्डली के अनुसार इस वर्ष भी चन्द्रमा की महादशा चल रही है। चन्द्रमा एक सौम्य कारक ग्रह है। भारत की कुण्डली के अनुसार चन्द्रमा पराक्रम भाव में है। ऐसी स्थिति में भारत के प्रशासक भारत को उन्नति की ओर ले जाने के लिए खूब परिश्रम करेगें। वर्तमान में चन्द्रमा और केतु का प्रत्यान्तर चलेगा। दिसम्बर 2022 से लेकर जुलाई 2023 तक केतु का अंतर रहने वाला है। केतु स्वतंत्र भारत की कुंड्ली में सप्तम भाव में स्थित है और इस समय गोचर में तुला राशि षष्ट भाव पर विचरण कर रहे हैं। 2023 के अंत तक केतु का गोचर तुला राशि छ्ठे भाव पर ही रहने वाला है, केतु की अंतर्द्शा के बाद शुक्र की अंतर्द्शा प्रभावी रहेगी जो कि मार्च 2025 तक रहेगी। इस प्रकार वर्ष 2023 में केतु और शुक्र दो ग्रहों की अंतर्द्शा का प्रभाव भारत पर रहने वाला है।

केतु के पास सप्तम भाव की अधिकारिक शक्तियां है तो वॄषभ लग्न होने के कारण शुक्र लग्नेश और षष्ठेश है। विशेष बात यह है कि जन्म कुंडली में केतु सप्तम भाव में स्थित होकर लग्न भाव को दॄष्टि देकर प्रभावित कर रहे हैं तो गोचर में छ्ठे भाव पर गोचर कर रहे हैं, दोनों ही स्थानों पर जुलाई 2023 से आने वाली अंतर्द्शा शुक्र की राशियां है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि वर्ष 2 023 में केतु का प्रभाव अधिक रहने वाला है। वर्ष 2023 का अंक ज्योतिष अनुसार योग करें तो अंक 7 आता है। अंक 7 भी केतु का अंक है। केतु के नेतॄत्त्व में भारत विश्व में अपनी विजय पताका लहरायेगा। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार छ्ठे भाव पर केतु का गोचर विरोधियों को शांत करने और शत्रुओं पर अपनी अमिट छाप छोडने का कार्य करता है। शत्रु भी साहस और हिम्मत की सराहना करते हैं। भारत के शत्रुओं में विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन का नाम लिया जाता है। दोनों ही पडोसियों का व्यवहार भारत के साथ बहुत अच्छा नहीं है।

अप्रैल माह 2022 से केतु स्वतंत्र भारत की कुंडली के छ्ठे भाव पर गोचर कर रहे हैं, और उससे पहले से रूस-यूक्रेन युद्ध चल रहा है, संपूर्ण विश्व इससे प्रभावित हो चुका है, इस युद्ध की वजह से सभी देशों को तेल और गैस की समस्याओं और अन्य अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एक और रूस है, जिसने आजादी के बाद से प्रत्येक परिस्थिति में भारत का साथ दिया है, दूसरी और अमेरिका का दबाव है जो रूस के प्रत्येक निर्णय का विरोध करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है। विश्व में आज चारों ओर अशांति और भय का  माहौल है, इस माहौल में भी भारत अपनी व्यक्तिगत नीतियों पर चलते हुए साहस के साथ आगे बढ़ रहा है, उसके आज रूस के साथ साथ अमेरिका के साथ भी रिश्ते पहले की तुलना में बहुत बेहतर हो चुके है, साथ ही यूक्रेन को भी मानवीय सहायता पहुंचाने का कार्य कर रहा है। भारत के बढ़ते वर्चस्व और कूटनीतियों की सफलता के सहयोग से वर्ष 2023 भारत का अपना वर्ष रहेगा। विश्व के सभी मुख्य विषयों पर भारत की सोच, नीति और निर्णयों को प्रमुखता के साथ देखा जाएगा। सारा विश्व यह जानना चाहेगा, कि वैश्विक विषयों पर भारत का विचार, बयान, निर्णय क्या रहता हैं?

यह एक प्रकार से वैश्विक नेतॄत्व करने जैसा रहेगा। छ्ठे भाव पर केतु के गोचर और केतु की ही अंतर्द्शा अवधि में अर्थात दिसम्बर 2022 से लेकर जुलाई 2023 के मध्य की अवधि में भारत विश्व में अपने ग्यान, धर्म, नीतियों और अपनी संस्कृति का परचम विश्व भर में लहराने में सफल रहेगा।  महादशानाथ चंद्र और अंतरद्शानाथ केतु दोनों ग्रह एक दूसरे के विरोधी है। इसलिए देश की जनता को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है अर्थात बीमारी महामारी प्राकृतिक प्रकोप जैसी घटनायें देशवासियों को परेशान कर सकती है। लेकिन कार्य-व्यापार में तेजी से सुधार होगा। भारत की वृद्धि दर बढ़ेगी। आयात-निर्यात का संतुलन बनाकर देश आगे बढ़ेगा। कुछ परेशानियाँ आयेगीं। कुछ बड़े एवं विकसित देश भारत को अपने लाभ के अनुसार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से दबाव बनाने का प्रयास करेगें लेकिन भारत अपनी कूटनीतिक एवं सूझ-बूझ से विश्व शक्तियों को मनाने और अपने कार्य को आगे बढ़ाने में सफल होगा।

अप्रैल 2023 गुरु मीन राशि, एकादश भाव पर गोचर कर आयात-निर्यात को बल देंगे। स्वर्ण और वित्तीय पक्ष से गुरु का मीन राशि में गोचर करना भारत के पक्ष से लाभकारी परिणाम देगा, क्योंकि इस समय गुरु मार्गी अवस्था में रहेंगे और अपनी राशि में गोचर कर रहे होंगे, ऐसे में गुरु स्वयं मजबूत होकर, देश को आर्थिक रूप से मजबूत करेंगे।  देश प्रेमियों एवं भारत का उत्थान करने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी। देश को ऊँचाई पर ले जाने में प्रशासक वर्ग भी सक्रियता से कार्य करने का प्रयास करेगा। धर्म-कर्म के क्षेत्र में भी गुणात्मक सुधार होगा। 28 अप्रैल 2022 के बाद से शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहा है, मध्य अवधि में कुछ समय के लिए मकर में गया था, परन्तु 2023 में कुंभः राशि में ही गोचर करेगा, इसके फलस्वरुप देश उद्यमशीलता की ओर अग्रसर होगा। देश के बुनियादी ढांचे का विकास होगा और देश आगे बढ़ने में समर्थ होगा। जुलाई 2023 में चन्द्रमा में केतु आयेगा। जो कि मार्च 2025 तक बना रहेगा। केतु पताका ग्रह है। देश में व्यवसायिक गतिविधियाँ तेजी से आगे बढ़ेगीं। यद्यपि आंतरिक अविश्वास एवं आरोपों प्रत्यारोपों एवं राजनीतिक उठापटक देश को परेशान कर सकती है। दक्षिण भागो में जहाँ प्रकृतिक आपदाओं का योग बनेगा। वहीं उत्तर पश्चिम भारत में विदेशी ताकतें कुछ न कुछ परेशानियाँ खड़ी कर सकते है। उत्तर-पश्चिम अर्थात कश्मीर और पंजाब में भारत विरोधी शक्तियाँ सक्रिय भूमिका निभा सकती है। भारत के आंतिरक मामलों में खलल डाल सकती है। सरकार को भी इन दोनों प्रदेशों के लिए विशेष रुप से कार्ययोजना बनानी होगी ताकि विदेशी ताकतें हावी न हो सकें और भारत के आंतरिक मामलों में बहुत दखल न दे सकें।

यह वर्ष जहाँ अनेक चुनौतियाँ लेकर आने वाला है लेकिन इन्ही चुनौतियों के बीच भारत अपनी साख और पहचान बनाने में भी अहम भूमिका निभाने में सफल होगा। कूटनीतिक परिदृश्य से भारत जहाँ महाशक्तियों को साधने में सफल होगा वहीं पड़ोसी देशों अर्थात चीन, पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका एवं नेपाल जैसे देशों के प्रति अतिविश्वास के कारण परेशानी भी देश को उठानी पड़ सकती है। ये देश विश्वास में लेकर विदेशी ताकतों से मिलकर भारत को अप्रत्यक्ष रुप से हानि पहुँचा सकते है। इसमें चीन और पाकिस्तान से विशेष सतर्कता बनाये रखना होगा। भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद में तेजी से वृद्धि करेगा। यह शिलशिला अभी निरन्तर कई वर्षों तक चलता रह सकता है। देश के असामाजिक तत्व जो कि विभिन्न सरकारी क्षेत्रों में, सामाजिक क्षेत्रों में और राजनीतिक क्षेत्रों में बैठे है वे अपनी कुटिल चालों से देश को कमजोर करने का प्रयास करेगें। यद्यपि कभी-कभी विपक्ष की अहम भूमिका भी निभाने में सफल होगें। नौकरी,व्यवसाय को लेकर सरकार के प्रति आकर्मक की भूमिका निभायेगें। अपनी पार्टी की मजबूती के लिए शासन सत्ता पर काबिज होने के लिए देशद्रोहियों से लगाव बनाने में संकोच नहीं करेगें। जिससे भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी ताकतें कुछ परेशानियाँ खड़ी कर सकती है। चन्द्रमा शुभ कारक ग्रह है लेकिन चन्द्रमा में केतु के आने से कुछ अशुभ एवं अराजक तत्व शासन सत्ता पर काबिज हो सकते है। चन्द्रमा के कारण स्थितियाँ नियन्त्रण में रहेगीं। अच्छे लोगों की अर्थात देश प्रेमियों की पकड़ अभी बनी रहेगी। सामाजिक एवं धार्मिक विषमतायें फैलाने में ये लोग ज्यादा सफल नहीं हो सकेगें।

वर्तमान सरकार सामाजिक दृष्टि से भारत के हर धर्म, जाति को साधने का प्रयास करेगी। जनता के कल्याण के लिए सर्वव्यापी योजनायें चलाने का प्रयास करेगी। जिसमें सरकार को बहुत कुछ सफलता मिलेगी लेकिन केतु के प्रभाव के कारण एवं शनि की मजबूत स्थिति के कारण कुछ असामाजिक तत्व भ्रम फैला सकते है। वर्ग या जाति संघर्ष फैलाकर सरकार को बदनाम करके राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास कर सकते है। क्रूर ग्रहों के प्रभाव के कारण उन्हें थोड़ी बहुत सफलता भी मिल सकती है। लेकिन गुरु सूर्य एवं अन्य शुभ ग्रहों की मजबूत स्थिति के कारण जनता का विश्वास सरकार पर निरन्तर बना रहेगा। जिससे सरकार हर क्षेत्रों में विकास एवं उन्नति करने में सफल रहेगी। थोड़ी बाधायें आयेगीं जिससे थोड़ा भ्रम की भी स्थितियाँ बनेगीं। जनता का विश्वास सरकार पर कम होने लगेगा। रोजी-रोजगार जैसी परेशानियाँ भी सरकार को तनाव दे सकती है लेकिन सरकार शुभ ग्रहों के योग के प्रभाव के कारण जनता की भ्रांतियों को दूर करने में सफल हो पायेगी और देश के समुचित विकास को आगे चलने में अग्रणी भूमिका निभाने में अपनी तत्पर्यता बनाये रखने में सफल हो पायेगी। अंततः यह कहा जा सकता है कि यह वर्ष थोड़ा उतार-चढ़ाव के साथ बीमारियाँ, महामारियों के बीच संतुलन बनाते हुए विश्व पटल पर आंतरिक समस्याओं को सुलझाते हुए। अपनी अहम भूमिका निभाने में देश सफल होगा। भारत की साख बढ़ेगी।विश्व विभिन्न देश भारत को सम्मान देगें। जिससे भारतवासियों को विश्व में नौकरी एवं व्यवसाय बढ़ानें में सफलता मिलेगी। विश्व जगत में भी भारत का सम्मानजनक स्थान बना रहेगा। विश्व गुरु की राह में एक और मजबूत कदम साबित होगा वर्ष 2023

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