हिमाचल और प्रेम कुमार धूमल

हिमाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धुमल हैं. इनके शासन में हिमाचल प्रदेश ने अनुपम तरक्की की है. आज हम इस लेख के द्वारा धूमल जी के जीवन के बारे में थोडा सा जानने का प्रयास करेंगे. भारतीय जीवन बीमा निगम में सहायक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धुमल का जन्म 10 अप्रैल, 1944 को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में हुआ था. प्रेम कुमार धुमल पंजाब यूनिवर्सिटी से संबद्ध दोआबा कॉलेज (जालंधर) से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद ही एलआईसी से जुड़ गए थे.

भारतीय जीवन बीमा निगम में काम करने के साथ-साथ प्रेम कुमार धुमल ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर और कानून की डिग्री भी प्राप्त कर ली. इसके बाद उन्होंने पंजाबी यूनिवर्सिटी इवनिंग कॉलेज और दोआबा कॉलेज, जालंधर में अध्यापन कार्य करना शुरू कर दिया. इनके परिवार में पत्नी शीला धुमल और दो पुत्र हैं. इनके दोनों पुत्र भी राजनीति से ही जुड़े हुए हैं. प्रेम कुमार धुमल जमीन से जुड़े हुए नेता हैं. वह अपने नागरिकों के कल्याण के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं.

कॉलेज में अध्यापन करने के दौरान प्रेम कुमार धुमल राजनीति से जुड़ गए थे, कई वर्षों तक वह वह शिक्षक संघों के कार्यालयों में अधिकारी पद पर आसीन रहे. प्रेम कुमार धुमल ने सक्रिय राजनैतिक जीवन की शुरुआत सबसे निचले पायदान से की थी. शुरुआती दिनों में वह पार्टी में अदने से कार्यकर्ता ही थे. इसके बाद वह भारतीय जनता युवा मोर्चा में बड़े पद पर भी रहे. प्रेम कुमार धुमल हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद नौवीं और दसवीं लोकसभा के सदस्य रहे. वर्ष 1993 में वह भारतीय जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष बनाए गए. वर्ष 1998 में जब प्रेम कुमार धुमल ने पहली बार विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की तब वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए. वर्ष 2007 के उपचुनावों में जीतने से पहले प्रेम कुमार धुमल हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे. मुख्यमंत्री के रूप में यह उनका दूसरा कार्यकाल है.

प्रेम कुमार धुमल ने पूरे राज्य की सर्वआयामी उन्नति को अपना उद्देश्य माना है. उनके प्रयासों के द्वारा हिमाचल प्रदेश का चेहरा पूरी तरह परिमार्जित हो गया है. उन्होंने राज्य में ऊर्जा विकास के लिए 600 मेगावाट प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जो पिछले पचास वर्षों से 298 मेगावाट पर ही सीमित था. हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक जिले और गांव को सड़क परिवहन से जोड़ने के कारण स्थानीय नागरिक प्रेम कुमार धुमल को सड़क वाला मुख्यमंत्री भी कहा करते हैं. शिक्षा पद्वति में सुधार लाने के लिए भी धुमल ने कई प्रयास किए. इनमें से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है राज्य के प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में तीन पक्के कमरों का निर्माण.

 

हिमाचल प्रदेश को देश का ‘पालीथीन मुक्त’ राज्य बनाने के उद्देश्य से मंत्रिमण्डल ने प्रदेश में 15 अगस्त, 2011 से प्लास्टिक कप, प्लेट और गिलास जैसे नष्ट न होने वाले डिस्पोज़ेबल प्लास्टिक उत्पादों के भण्डारण पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। किसी संस्थान अथवा वाणिज्यिक संस्थान द्वारा नष्ट न होने वाले प्लास्टिक के कचरे को निजी अथवा वाणिज्यिक संस्थान के परिसर में फैलाने पर पांच हजार रुपये तथा वैयक्तिक रूप से नष्ट न होने वाले प्लास्टिक के कचरे को किसी निजी अथवा वाणिज्यिक संस्थान के परिसर में फैलाने पर एक हजार रुपये का जुर्माना है।

 

प्रेम कुमार धुमल ने क्षेत्र के विकास और पर्यावरण को बचाने के लिए बहुत अधिक कार्य किए हैं. इन्हीं के प्रयासों का परिणाम है कि हिमाचल प्रदेश भारत का पहला कार्बन तटस्थ राज्य है. बच्चों की पढ़ाई को महत्व देते हुए, प्रेम कुमार धुमल ने किसी भी स्कूल में सरकारी आयोजन करने पर रोक लगा दी है. इन सबके अलावा पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को बिना किसी भेद-भाव के छात्रवृत्ति प्रदान करने की पहल भी प्रेम कुमार धुमल ने ही की थी. उनके ही शासन में प्रारम्भिक शिक्षा विभाग में पुराने तथा नए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार शास्त्री के 225 पद, भाषा अध्यापक के 450 पद, कला अध्यापक के 200 पद और शारीरिक शिक्षा अध्यापक के 125 पद भरने को स्वीकृति प्रदान की।

अपने प्रशंसनीय प्रयासों को प्रभावी रूप में लागू करने के लिए प्रेम कुमार धुमल को 2 बार गोल्डन पीकॉक अवार्ड भी प्रदान किया गया.

 

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