
मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान
तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।।
ईश्वर अल्लाह सबका है वो करता दुआ क़ुबूल
ईश जिसे मैं कहता हूं तू कहता उसे रसूल
तेरी रूह आत्मा मेरी दोनों एक ही मान
मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान
तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।।
भेद नहीं है मुझमें तुममें, ना ही फर्क ख़ुदा मे है
नफ़रत छोड़ मोहब्बत कर लें, जो इन्सानी अदा में है
अल्लाह ने जो बोला है, ईश्वर का वही फरमान
मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान
तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।।
मेरे लिए तू दर्पण है, मैं तेरे लिए हूं आईना
इक दूजे के बिना है मुश्किल, कायनात में इस जीना
तुझसे मेरी बहारें है, और मुझसे तेरी शान
मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान
तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।।
तू अज़ीज़ है मुझको जितना, तुझको उतना हूं प्यारा
ऐसा लगता रूह एक है, तू मेरा मैं तेरा सहारा
तेरा मेरा लहू एक ,हम इक दूजे की जान
मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान
तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।।
ले ली शपथ है मैंने और तू भी कर ले इकरार
मैं करता हूं तुझसे मोहब्बत, तू कर मुझसे प्यार
मेरे भीतर बसी मोहब्बत, तू है प्रेम की खान
मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान
तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।।
कर ले प्रेम तू ईश्वर से, और इश्क करूं मैं अल्लाह से
तेरी मेरी दुआएं हमको, दूर रखें हर बला से
मन्दिर में तू कर ले पूजा, मैं मस्जिद में अज़ान
मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान
तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।।
याद खुदा को करके, आ कुछ कर लें अच्छे काम
शैतानों के चक्कर में पड़, क्यो बन जाता है हैवान
हिन्दू मुस्लिम बाद में बनना, बन पहले इन्सान
मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान
तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।।
इंतकाल होगा मेरा, तू भी दुनिया से जायेगा
तेरा मेरा प्यार खुदा, सबको ‘एहसास’ करायेगा
तू जाना मेरे शमशान, मैं जाऊं कब्रिस्तान
मैं हिन्दू तू मुसलमान, हैं दोनों एक समान
तू पढ़ लें मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरी क़ुरान।।
- अजय एहसास