पंजाब में कांग्रेस किस दिशा में जा रही है ?

– डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

                  पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने  जब कांग्रेस हाईकमांड द्वारा प्रदेश के  नव नियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धु पर यह आरोप लगाया कि वे पाकिस्तान को लेकर साफ्ट हैं , तो बहुत लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया । करतारपुर गलियारा खुलने के अवसर पर सिद्धु पाकिस्तान गए थे । अमरेन्द्र सिंह तब भी उनके वहाँ जाने के पक्ष में नहीं थे ।  सिद्धु गए , यह कोई बड़ी बात नहीं थी । कहाँ जाना है और कहाँ नहीं जाना है , इसका अधिकार सिद्धु का था ही । लेकिन वहाँ जाकर उन्होंने जिस प्रकार वहाँ के राष्ट्रपति इमरान खान  की शान में क़सीदे पढ़ने शुरु किए तब चौंकना स्वभाविक ही था । लेकिन सिद्धु वहीं तक नहीं रुके । उन्होंने पाकिस्तान के सेनापति जनरल बाजवा को जफ्फी में लेना भी जरुरी समझा । तब यह सोचा गया था कि सिद्धु की आदत ही इस प्रकार की है , इसमें किसी प्रकार के गंभीर अर्थ खोजना और मंशा देखना शायद उचित नहीं होगा । लेकिन कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने तब भी इसे गंभीरता से लिया था , सार्वजनिक रूप से चिन्ता भी ज़ाहिर की थी और यक़ीनन सोनिया परिवार , जिसे आजकल कांग्रेस हाईकमांड के नाम से भी जाना जाता है, को भी बताया ही होगा । उस समय इसे कैप्टन और सिद्धू के बीच चल रहे शीत युद्ध का परिणाम भी मान लिया गया था । लेकिन अब जब सोनिया परिवार ने कैप्टन को ही अपदस्थ कर दिया और उसके स्थान पर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया तो सिद्धू के कारनामों को साधारण दृष्टि से नहीं देखा जा सकता । सिद्धु और नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की जोड़ी के कारनामों को गहराई से देखा जाए तो सचमुच चौकन्ना होना पड़ेगा । यह ठीक है कि स्थानीय राजनीति और व्यक्तिगत स्वार्थों को लेकर दोनों सार्वजनिक रूप से टकराते रहते हैं लेकिन जहाँ तक पाकिस्तान का प्रश्न है दोनों एक ही दिशा में चलते दिखाई दे रहे हैं । इससे चिन्ता होना स्वभाविक ही है ।
                       पाकिस्तान की लम्बी सीमा पंजाब और जम्मू कश्मीर  के साथ लगती है । पंजाब की सीमा भी अपने पड़ोसी राज्य जम्मू से मिलती है ।  पाकिस्तान भारत को अस्थिर करना चाहता है , इसमें भी कोई शक नहीं है । सिद्धु और चन्नी से बेहतर इसको कौन जान सकता है । पंजाब में उसने आतंकवाद को जन्म दिया और उसे पाला पोसा । शुरु में कांग्रेस अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए मौन बनी रही । लेकिन अपनी लगाई आग में कांग्रेस को भी अन्तत: झुलसना पड़ा । इंदिरा गान्धी की हत्या हो गई । लेकिन हत्या की आड में कांग्रेस ने दिल्ली में सिखों का जो नरसंहार किया , उसने हिन्दु-सिख में अलगाव पैदा करने की पाकिस्तान की योजना की ही सहायता की । बाद में इतना कुछ गँवा कर कांग्रेस ने हाथ से निकल चुकी बाज़ी को फिर से संभालने की कोशिश की । बेअन्त सिंह और कंवरपाल सिंह गिल की जोड़ी ने पंजाब को पाकिस्तान पोषित आतंकवाद से निजात दिलवाई । लेकिन बेअन्त सिंह को इसकी भी क़ीमत चुकाने पड़ी । इस क़ीमत को वर्तमान में पंजाब कांग्रेस के विधायक रवनीत सिंह बिट्टू को जानते ही हैं । लेकिन लगता है सिद्धु चन्नी की जोड़ी जाने अनजाने में उसी राह पर फिर चल पड़े हैं । स्वार्थ इस बार भी राजनीतिक हितों का ही है । ये दोनों जानते हैं कि पंजाब नशों के प्रयोग और तस्करी का बहुत बड़ा अड्डा बन चुका है । ये दोनों तो स्वयं ही यह आरोप लगा रहे हैं । पाकिस्तान की मिली भगत से पंजाब व जम्मू की सीमा पर यह कार्य होता रहता है । अब पाकिस्तान ने इसमें ड्रोन का खेला भी शुरु कर दिया है । केन्द्र सरकार ने सीमान्त इलाक़ों में सीमा सुरक्षा बल के कार्य क्षेत्र की सीमा पचास किलोमीटर तक बढ़ा दी है ।पाकिस्तान नहीं चाहता कि यह कार्य क्षेत्र बढ़ाया जाए क्योंकि उससे अपनी योजनाओं को पूरा करने में दिक्कत होती है । लेकिन सिद्धु और चन्नी भी यही चाहते हैं कि यह कार्य क्षेत्र सीमा न बढ़ाई जाए । इतना ही नहीं  कांग्रेस ने तो बाक़ायदा पंजाब विधान सभा का एक विशेष सत्र बुला कर इसके विरोध में पंरस्ताव पारित किया । पाकिस्तान में जाकर जमा ज़ुबानी ख़र्च कर इमरान खान की प्रशंसा कर आना और बात है लेकिन विधान सभा में बाक़ायदा प्रस्ताव पारित करना ‘ठोको ताली’ से बहुत अलग बात है । इतना ही नहीं प्रस्ताव पारित करने के कुछ दिन बाद ही सार्वजनिक घोषणा करते घूमना कि इमरान तो हमारा बड़ा भाई है , केवल इमेच्योरिटी नहीं कही जा सकती । न ही यह ज़ुबानी जमा ख़र्च कहा जा सकता है । यह तो किसी सोची समझी योजना का हिस्सा ही कहा जा सकता है ।
                   चन्नी विधान सभा में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को धकियाते धकियाते  आर एस एस को   को लगभग गालियां देने लगे । चन्नी का कहना था कि कैप्टन आर एस एस को पंजाब में लेकर आए । चन्नी जिस प्रकार साक्षात्कार में अपनी डिग्रियाँ गिनाते रहते हैं , यक़ीनन वे जानते होंगे कि वे ग़लत बयानी कर रहे थे । संघ पंजाब में 1935 के आसपास ही पहुँच चुका था । लेकिन चन्नी  आर एस एस को पंजाब का शत्रु बता रहे थे । पाकिस्तान के इमरान खान, जो सिद्धु के बड़े भाई हैं , वे भी आर एस एस को ही शत्रु बताते हैं । पंजाब सरकार का ख़ुफ़िया विभाग पिछले कुछ दिनों से अपनी सरकार को बता रहा है कि पंजाब में आर एस एस के प्रमुख लोग पाकिस्तानी आतंकवादियों के निशाने पर हैं । उनकी हत्या की जा सकती है । तो क्या चन्नी पंजाब विधान सभा में आर एस एस को शत्रु बता कर , यदि भविष्य में संघ के लोग आतंकवादियों के निशाने पर आते हैं , उसको पहले ही जस्टिफ़ाई करने की कोशिश कर रहे हैं ? पाकिस्तान जानता है कि आर एस एस भारत की अखंडता और सम्प्रभुता के लिए समर्पित संगठन है । पाकिस्तान पिछले कई दशकों से पंजाब में हिन्दु और सिख में दरार डालने की कोशिश कर रहा है । पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवादियों ने पंजाब में संघ के अनेक स्वयंसेवकों की हत्या की है । लेकिन संघ ने इतनी उत्तेजना के बावजूद पंजाब में हिन्दु सिख भाईचारा बनाए रखने के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया । 1984 में इंदिरा गान्धी की हत्या के बाद स्वयं कांग्रेस भी पाकिस्तान की इस चाल में फंसलगई और उसने दिल्ली में सिखों का नरसंहार करके दोनों समुदायों में दरार डालने का काम किया । उस समय भी दिल्ली में संघ के स्वयंसेवकों ने अनेक सिखों की प्राण रक्षा की । पाकिस्तान को लगता है कि पंजाब में हिन्दु सिख भाईचारा तोड़ने के रास्ते में आर एस एस ही सबसे बड़ी वाला है । इसलिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री संघ के ख़िलाफ़ विष वामन करते रहते हैं । अब जब पाकिस्तान पंजाब में किसी भी तरह एक बार फिर पंजाब में आतंकवाद को बहाल करना चाहता है । ठीक उसी समय चन्नी विधान सभा में आर एस एस का शत्रु बता रहे हैं ।     यह रास्ता पाकिस्तान के हितों के लिए तो लाभदायक हो सकता है ,पंजाब के लिए नहीं । यह कांग्रेस हाई कमांड द्वारा निर्धारित रास्ता है या सिद्धु चन्नी  ने अपनी स्थानीय राजनीति को ध्यान में रखते हुए चुना है ?  कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस हाई कमांड ने चुनाव से ऐन पहले  कैप्टन को   इसलिए हटा दिया क्योंकि वे पाकिस्तान की इन योजनाओं के रास्ते में बाधक बन रहे थे ?
          सरकार की एक और कारगुज़ारी से यह संशय और गहराता है । दो दिन पहले पंजाब सरकार ने खालिस्तान के लिए आन्दोलन चला रहे संगठन सिख फ़ार जस्टिस के सह सचिव अवतार सिंह पन्नू के भाई बलविन्दर सिंह पन्नू को पंजाब जेनको लिमिटड का चेयरमैन नियुक्त कर दिया है । यह संगठन भारत सरकार द्वारा प्रतिबन्धित है । पंजाब सरकार क्या यह सब कुछ इसलिए कर रही है ताकि खालिस्तान समर्थक लाबी से चुनावों में समर्थन हासिल किया जा सके ? शार्टकट रास्ते से सत्ता प्राप्त करने के लिए  यह प्रयोग पंजाब विधान सभा के पिछले चुनावों में आम आदमी पार्टी के केजरीवाल ने किया था । लगता है अब पंजाब में यह प्रयोग सिद्धु चन्नी की जोड़ी करना चाह रही है । इस प्रयोग को दिल्ली में बैठ कर पंजाब सत्ता को नियंत्रित कर रहे सोनिया परिवार को अभी रोकना चाहिए अन्यथा बहुत देर हो जायेगी । हाँ, अगर यह प्रयोग उनकी योजना से ही किया जा रहा हो तो अलग बात है ।

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