भारत महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर, हल्के में न आंकें चीन।

हाल ही में सैटेलाइट तस्वीरों से इस बात का खुलासा हुआ है कि हमारे देश के पड़ौसी चीन (ड्रैगन) के मंसूबे ठीक नहीं हैं। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने एलएसी यानी कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास रनवे, मिसाइल बेस और पुल बनाए हैं। चीन सदैव भारत के साथ भारतीय चीनी भाई भाई का राग अलापता रहा है लेकिन साथ ही पीठ में छुरा घोंपने का काम भी करता रहा है। वास्तव में चीन एक ऐसा देश रहा है जिसकी नीति हमेशा हमेशा से विस्तारवादी रही है। दरअसल, चीन की दूसरे देशों के क्षेत्र पर कब्जा जमाने की नीति को ही विस्तारवादी नीति कहा जाता है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत विभिन्न देशों में ना केवल उनकी जमीनी सीमा पर बल्कि उनकी समुद्री सीमा पर भी यह रहकर घुसपैठ करता रहता है, उसकी यह आदत रही है कि वह सभी देशों की समुद्री सीमाओं पर अपना अधिकार जमाता रहा है।चीन, भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में 90 हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन पर अपना दावा करता है जबकि भारत कहता है कि चीन ने पश्चिम में अक्साई चिन के 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध रूप से क़ब्ज़ा कर रखा है। यहां जानकारी देना चाहूंगा कि कुछ समय पहले ही अमेरिका की बाइडेन सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही थी कि चीन भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाने को लेकर(सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति होने के बावजूद) बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। अमेरिका ने कहा है कि चीन के साथ सीमा को लेकर लंबे समय से भारत का विवाद चल रहा है। दोनों देशों ने बॉर्डर से सटे अपने-अपने इलाकों पर बड़ी तादाद में सैनिकों की तैनाती कर रखी है और चीन दोनों देशों के बीच जारी शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं ले रहा है। उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में कुछ पॉइंट्स पर भारत और चीन की सेना के बीच पिछले दो-तीन सालों से टकराव जारी है। भारत का इस मुद्दे पर क्लीयर स्टैंड है कि जब तक सीमा पर शांति स्थापित नहीं हो जाती, चीन के साथ द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं और अब सैटेलाइट तस्वीरों से भी यह साफ पता चलता है कि ड्रैगन की चाल टेढ़ी है और वह भारत के साथ शांति स्थापित करने का पक्षधर नहीं है। यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि माह मई 2020 में भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी और उसके बाद से ही चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब भौगोलिक सीमा में हवाई क्षेत्रों का विस्तार कर रहा है। इसी क्रम में हाल ही में जो सैटेलाइट तस्वीरें आईं हैं उनसे यह पता चलता है कि चीन ने अपने सैनिकों को तेजी से तैनात करने और आक्रामक क्षमताओं के लिए बड़े पैमाने पर अपने हवाई क्षेत्रों, हैलीपेडों, रेलवे सुविधाओं, सड़कों और पुलों के साथ ही विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर यहां तक कि मिसाइल बेस तक का निर्माण किया बताते हैं, यह दर्शाता है कि चीन के मंसूबे ठीक नहीं हैं और वह एक तरफ तो भारत के साथ शांति,संयम व भाईचारे की बात करता है लेकिन बगल में छुरी रखकर भारत पर प्रहार करने का मंसूबा भी रखता है। वास्तव में यह संवेदनशील है कि चीन ने एल ए सी के नजदीक नये रनवे का निर्माण कर विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर का का विस्तार किया है। वह भवन और लड़ाकू विमानों की सुरक्षा के लिए मजबूत शेल्टर निर्माण कर चुका है। हालांकि भारतीय अफसरों ने सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषण पर किसी टिप्पणी से इंकार किया है लेकिन यह बात सामने आई है कि जून वर्ष 2020 की सैटेलाइट इमेज में एयरफील्ड के पास कोई निर्माण नहीं दिखा था लेकिन मई 2023 में नया रनवे, नए विमान शेल्टर व सैन्य संचालन भवन नजर आ रहे बताते जा रहे हैं। एक प्रतिष्ठित दैनिक के हवाले से यह खबर सामने आई है कि इमेजरी में होटान और चेंगदू जे-20 से संचालित मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) दिखाए गए हैं। चेंगदू जे-20 वही जगह है, जहां 2020 के गतिरोध के दौरान चीन ने लड़ाकू विमान तैनात किया था। यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि पिछले साल यानी कि वर्ष 2022 में नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर के पास यांग्स्ते इलाके में चीनी सैनिकों की भारतीय जवानों से झड़प हो गई थी। उस समय आई खबरों के हवाले से यह बात पता चली थी कि 300 से अधिक चीनी सैनिक 17,000 फीट ऊंची चोटी तक पहुंचने और उस पर कब्जा जमाने के फिराक में थे, लेकिन उनके मंसूबों पर भारतीय सेना ने पानी फेर दिया था। हालांकि उस समय आमने-सामने की लड़ाई में दोनों पक्षों के सैनिकों को मामूली चोटें आईं थी। बहरहाल, यहां यह बात कहनी गलत नहीं होगी कि चीन की कथनी और करनी में अंतर होता है, वह कहता कुछ है और करता कुछ और है। ऐसा भी नहीं है कि भारत चीन के मंसूबों को समझता नहीं है, वह चीन की रग से रग से वाकिफ है। सच तो यह है कि भारत भी इस बात को बेहद अच्छे से समझने लगा है कि चीन हमेशा पीठ में छुरा घोंपता है और उसके इरादे, मंसूबे किसी भी हाल में ठीक नहीं है और वह अन्य देशों की तरह भारत पर भी अपनी धाक जमाना चाहता है। शायद इसी का नतीजा है कि भारत भी पिछले कुछ समय से सीमा से सटे इलाकों में बुनियादी ढांचे(इंफ्रास्ट्रक्चर) के विकास पर ज्यादा ध्यान दे रहा है और स्वयं को और अधिक मजबूत कर रहा है। वह चीन की चाल में कतई फंसने वाला नहीं है और आज का भारत 1962 का भारत नहीं है, आज का भारत विश्व का एक बहुत शक्तिशाली, आर्थिक व सैन्य रूप से बहुत ही मजबूत और बुलंद भारत है। यहां जानकारी देना चाहूंगा कि लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ भारत की 3500 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है और चीन यानी कि ड्रैगन बॉर्डर पर भारत के विकास कार्यों का लगातार विरोध करता रहा है और समय-समय पर उसकी बौखलाहट भी सामने आती रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार पूर्वोत्तर राज्य से यह बात कही थी कि भारत अपनी सीमाओं का विकास डंके की चोट पर करेगा और उसे इससे कोई ताकत नहीं रोक सकती है। जानकारी देना चाहूंगा कि कुछ समय पहले ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की सात नई बटालियनों के गठन को मंज़ूरी दी है, साथ ही चीन सीमा पर सामाजिक एवं सुरक्षा ढाँचे को मज़बूत करने हेतु वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम  के तहत 4,800 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं। बताना चाहूंगा कि इसमें(बाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में) हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्र शामिल होंगे। उल्लेखनीय है कि 7 अप्रैल 2023 को भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने अरुणाचल प्रदेश के एक सीमा गांव किबिथु में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का शुभारंभ किया था और इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास को लाना है और उन्हें स्वावलंबी और समृद्ध समुदायों में बदलना है। वास्तव में, सीमाओं की सुरक्षा के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की सफलता काफी अहम है। चीन को निश्चित ही इससे संदेश गया है। यहां जानकारी देना अहम होगा कि कुछ समय पहले ही  कैबिनेट ने मनाली-दारचा-पदुम-निम्मू क्षेत्र में 4.1 किलोमीटर लंबी शिंकू-ला सुरंग को भी मंज़ूरी दे दी है, ताकि सभी मौसमों में लद्दाख के साथ संपर्क बना रहे। वास्तव में, इसका उद्देश्य वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी कि एल ए सी पर सुरक्षा ग्रिड को मज़बूत करना है। आज भारत का सुरक्षा ग्रिड बेहद मजबूत है और आज भारत के पास चीन के किसी भी नापाक मंसूबे से निपटने के लिए हर तरह की शक्ति और संपन्नता मौजूद है। भारत का नाम आज दुनिया की उभरती हुई महाशक्तियों में आ रहा है। इधर, दक्षिण एशियाई देश भी चीन की दादागिरी से त्रस्त हैं। चीन समुद्री क्षेत्र में अपना प्रभाव लगातार बढ़ा रहा है, लेकिन भारत महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। वर्ष 2050 तक यह महाशक्ति होगा, क्यों कि भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। सैन्य शक्ति में भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा ताकतवर देश है। भारत आज विश्व की सर्वाधिक युवा शक्ति वाला एक ऐसा देश है, जो विकास को तेजी से आगे ले जाने में सक्षम है। सटीक एवं कारगर कूटनीति के परिणामस्वरूप विश्व मंच पर भारत की स्थिति निरंतर मजबूत होती जा रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो आज के समय में भारत वैश्विक स्तर पर एक उभरती हुई शक्ति है और आकार एवं जनसंख्या दोनों के मामले में एशिया में एक क्षेत्रीय शक्ति है। भारत की जनसंख्या तो आज चीन से भी अधिक हो चुकी है। चीन को यह चाहिए कि वह भारत को 1962 वाले भारत के रूप में नहीं आंके।

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

सुनील कुमार महला

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