आओ हम सब पेड़ लगाएं

पर्यावरण दिवस 05 जून पर विशेष बालकथा)

प्रभुनाथ शुक्ल

मंटू भाई आज बहुत गर्मी हैं। आसमान से आग बरस रही है। बिजली की कटौती से जीना मुश्किल हो गया है। लो-वोल्ट की वजह से देखो घर में लगा एसी और कूलर भी नहीं चल रहा है। कल ही अख़बार में एक खबर हमने पढ़ी थीं कि इस साल पारा 50 तक पहुंच सकता है। अब क्या होगा भाई। अपन की तो गर्मियों की छुट्टी बेमतलब दिखती है। हमारे गांव में आसपास कोई बाग़-बगीचे भी दूर तलक नहीं हैं कि स्कूलों की छुट्टी वहीं बिताएं। यहाँ तो हरियाली दिखती नहीं।

हाँ गोलू भाई, तुम बिल्कुल ठीक कहते हो। गांव में पूर्वजों ने जो पेड़ लगाएं थे बंटवारे के विवाद और जरूरत पर उन्हें भी काट दिया गया। हमने दूसरे नए पौधे लगाए नहीं जिसकी वजह से हमारे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। सरकार के लाख प्रयास के बावजूद भी लोग पेड़ नहीं लगाते। वन महोत्सव में सिर्फ अखबारों में फोटो छापने के लिए पेड़ लगाए जाते हैं। लेकिन लगे हुए पेड़ों की कोई देखभाल न होने से जल के अभाव वे सुख जाते हैं या मवेशियों के निवाले वन जाते हैं। और हाँ एसी-कूलर और फ्रिज का अधिक इस्तेमाल करने की वजह से ही तो हमारी ओजोन परत खत्म हो रही है। जिसकी वजह से सूर्य की किरणे सीधे धरती पर पड़ती हैं और तापमान में वृद्धि हो रही है।

गोलू भाई, आजकल पर्यावरण शब्द बहुत सुनाई देता है। यह पर्यावरण है क्या। अरे मंटू! तुमने परीक्षा में इस बार पर्यावरण पर निबंध नहीं लिखा था क्या। परीक्षा में तो अक्सर इस पर निबंध आता है। नहीं गोलू भईया, मैं जल की समस्या पर लिखा था। पर्यावरण मुझे समझ में नहीं आता। मंटू ने गोलू से अपनी बात साफ करते हुए कहा था। मंटू, हम जहाँ निवास करते हैं उस के आसपास जो प्राकृतिक घेरा होता है उसे हम पर्यावरण के नाम से जानते हैं। जिसमें पेड़ -पौधे, पहाड़, नदियां, तालाब, झील, झरने, जल, वायु, जीव, जन्तु सब पर्यावरण में आते हैं। वाह ! गोलू भाई आपने तो मुझे बहुत अच्छे से समझा दिया। अब मैं समझ गया। अब तो पर्यावरण में मेरी दिलचस्पी हो गयी है।

लेकिन मंटू, हमारे गांव का पर्यावरण कैसे सुधरेगा। इसके लिए हम साथियों को कुछ करना होगा। मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है। आप सभी साथी मेरा साथ दें एवं अपने-अपने मम्मी-पापा और घर के बुजुर्गो को राजी करें तो फिर देखिए क्या होता है। गोलू ने मंटू के कान में कुछ बताया, गोलू की बात सुन मंटू ख़ुशी के मारे उछल गया। बोला, वाह, क्या आइडिया है गोलू भाई। शाम को सभी साथी इकठ्ठा हुए। गोलू और मंटू ने साथियों से सारी बात बतायी और यह कहा गया कि योजना को गोपनीय रखा जाय। सभी को उस दिन का इंतज़ार था।

अपने माता-पिता के साथ रात में गोलू जब खाने पर बैठा तो पिता ने कहा गोलू बेटा 05 जून को तुम्हारा जन्मदिवस है। इस बार की परीक्षा तुमने अच्छे नंबर से पास की है। पूरे क्लास में तुम अव्वल आए हो। तुम्हें क्या चाहिए। तुम्हारी रेसलिंग वाली साईकिल कल तुम्हें गिफ्ट कर देता दूँ।

नहीं पापा ! इस बार मैं अपना जन्मदिवस खास तरीके से मनाना चाहता हूँ। मुझे साईकिल नहीं चाहिए पापा। आप नर्सरी से जाकर 100 विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे लाकर दीजिए। मेरे जन्मदिवस पर चौपाल पर सारे गांव वालों को भी आमंत्रित कीजिए। हमारे स्कूल की प्रिंसिपल मैडम भी आएंगी। उनका भी जन्मदिवस उसी दिन है। यह दिन पूरी दुनिया में पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। पापा हम साथियों ने गांव को हरा-भरा करने का निर्णय लिया है। बेटे की योजना पर गोलू के पिता बेहद खुश हुए और उन्होंने पूरा सहयोग करने का वचन दिया।

बच्चों को जिस दिन का इंतजार था वह दिन आ गया। सारे गांव के लोग मौजूद थे। इस दौरान बच्चों के आग्रह पर प्रिंसिपल मैडम भी आ गयीं थीं। उन्होंने कहा कि आज 05 जून है इस दिन गोलू और मेरा जन्मदिन एक साथ है। मैं गोलू की योजना पर बेहद खुश हूँ। आप सभी गांव वालों और गोलू के मम्मी-पापा से मेरा निवेदन है कि गोलू के जन्मदिवस पर सभी लोग पेड़ लगाएं और गांव के पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं। प्रिंसिपल मैडम और गोलू के साथियों ने चौपाल की जमींन पर आम और दूसरे पेड़-पौधों का रोपण किया। बाद में सभी गांव वालों को गोलू और उसके साथियों ने एक-एक पौधे उपहार में दिए।

प्रिंसिपल मैडम ने गांव वालों से कहा कि हमारे स्कूल के बच्चों ने गांव का पर्यावरण सुधारने के लिए बड़ा कदम उठाया है मुझे इन पर गर्व है। आप लोग बच्चों का साथ दीजिए। अपने घर में जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ, स्मृति दिवस या किसी ख़ास मौके पर पेड़-पौधे लगा कर धरती का पर्यावरण बचाएं। उन्होंने गोलू के कार्य की खूब प्रशंसा की और कहा समाज को ऐसे बच्चों की जरूत है। इस दौरान गोलू और साथियों ने एक नारा दिया। ‘आओ हम सब पेड़ लगाएं, मिलकर हरियाली लाएं’। गोलू के माता-पिता ने उसे गर्व से सीने से लगा लिया। गांव में उसकी खूब प्रसंशा हो रही थी। कुछ सालों बाद पूरा गांव हरियाली में बदल गया।

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