डॉ. वेदप्रताप वैदिक
भारत के लगभग सभी मुस्लिम फिरकों के नेता और मुल्ला-मौलवियों ने गृहमंत्री राजनाथसिंह से मिलकर जो बातें कही हैं , वे काबिले-तारीफ तो हैं ही, वे दुनिया के सारे मुसलमानों के लिए भी अमल में लाने लायक हैं। भारतीय मुस्लिम नेता इस मायने में आज सारी दुनिया के मुस्लिम जगत का नेतृत्व कर सकते हैं। आज आतंकवाद से जितना भारत परेशान है, उससे कहीं ज्यादा सीरिया, यमन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान परेशान हैं। वहां हजारों लोग मारे गए हैं और लाखों लोग अपने-अपने घर छोड़कर भाग खड़े हुए हैं। यह आतंक अल-क़ायदा के द्वारा फैलाए गए आतंक से भी ज्यादा खतरनाक है। इस आतंक को फैलाने की जिम्मेदारी ‘इस्लामी राज्य’ नामक गिरोह ने ले रखी है। उसके नेता अल-बगदादी ने घोषणा की है कि वह कश्मीर और पूरे दक्षिण एशिया में से काफिरों को साफ करके इस्लामी राज्य स्थापित करेगा। अरब जगत में उथल-पुथल मचानेवाले इस गिरोह में कई देशों के मुसलमान आ जुटे हैं। भारत के भी 23 रंगरुटों का पता चला है। इन नौजवानों को इस्लाम के नाम पर बहका लिया जाता है लेकिन गहराई में जाने पर पता चला है कि इनमें से ज्यादातर नौजवान या तो बेकारी के शिकार होते हैं या काफी पहले से ही वे अपराधी होते हैं। वे इस्लाम को अपने कवच के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इन मुट्ठी भर गुमराह लोगों की वजह से दुनिया के सारे मुसलमान बदनाम होते हैं। कई देशों में उनका जीना दूभर हो रहा है।
ऐसी विकट स्थिति में भारत के सुन्नी और शिया नेताओं ने एक आवाज़ से आतंकवाद की भर्त्सना की है और हर मुसलमान से यह उम्मीद की है कि वह हिंसा की गतिविधियों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हिस्सा न ले। अब नमाज के बाद मस्जिदों में आतंकवाद के विरुद्ध भी चंद शब्द जरुर कहे जाएंगे। ‘इस्लामी राज्य’ के विरुद्ध फतवे तो जारी हुए ही हैं, अब मुसलमानों से कहा जाएगा कि वे इंटरनेट पर भी दहशतगर्दो की बातों को ‘हराम’ मानें। मेरी राय है कि सभी मदरसों में ‘इस्लाम और दहशतगर्दी’ पर एक अध्याय जरुर पढ़ाया जाए तथा गृहमंत्री राजनाथसिंह दक्षिण भारत और पूर्वांचल के मुस्लिम नेताओं से भी तुरंत संपर्क करें। भारत की इस पहल का संपूर्ण मुस्लिम जगत स्वागत करेगा।