हाफिज सईद की सजा कोरा दिखावा है या सच?

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-ललित गर्ग

लगता है पाकिस्तान ने ठान ली है कि वो नहीं सुधरेगा। अपनी हरकतों से बाज नहीं आयेगा। भारत ने दो-दो बार पाकिस्तान को घर में घुसकर सबक सिखाया लेकिन पाकिस्तान सीधी राह पर आने को तैयार नहीं। पाकिस्तान की अर्थ-व्यवस्था चैपट है, जनजीवन त्राहि-त्राहि कर रहा है, अस्त-व्यस्त है, फिर भी वह अपनी आन्तरिक स्थितियों को सुधारने की बजाय वह आतंकवाद को बल देता है, दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के लिए आतंकवाद के विरोधी होने ढोंग करता है। आखिर कब उसे सद्बुद्धि मिलेगी? लश्करे तैयबा के संस्थापक और वैश्विक आतंकी हाफिज सईद को पाकिस्तान की एक अदालत ने जो दस साल की कैद की सजा सुनाई है, वह उसके ढ़ोग एवं पाखण्डी होने को ही दर्शा रहा है। भले ही दुनिया को पाकिस्तानी न्यायपालिका के इस फैसले से पहली नजर में यही संदेश गया है कि आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान सरकार के रूख में सख्ती आयी है और वह आतंकी सरगनाओं के खिलाफ कार्रवाई में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? क्या पाकिस्तान की आतंकवाद को पोषण देने एवं पल्लवित करने की मानसिकता में बदलाव आया है? आतंकियों, उनके संगठनों और साम्राज्य को लेकर पाकिस्तान सरकार ने क्या सही में कड़ा रूख अपना लिया है? ऐसा लगता नहीं है, यह सब कोरा दिखावा है, अन्तर्राष्ट्रीय दबावों का परिणाम है।
दुनिया के खूंखार आतंकवादियों में शुमार हाफिज सईद को आतंकी वित्तपोषण (टेरर फंडिंग) के दो मामलों में पाकिस्तान की एक अदालत ने भले ही सजा सुनाई हो, उसकी संपत्ति जब्त करने का निर्देश भी दिया हो और 1.1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया हो, यदि यह सच है तो दुनिया का बड़ा आश्चर्य है। क्योंकि हाफिज सईद को सजा, उसे जेल में बंद रखने और उसके संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की खबरें हैरानी इसलिए पैदा करती हैं क्योंकि यह पाकिस्तान का झूठ और पाखंड है। सईद को सजा पहले भी होती रही है और ऐसी कार्रवाइयां कर पाकिस्तान दुनिया की आंखों में धूल झोंकता रहा है, गुमराह करता रहा है। सवाल यह है कि अगर सईद और उसके संगठन के खिलाफ पाकिस्तान सरकार इतनी सख्त है तो फिर कैसे सईद जेल से आतंकी अभियानों को अंजाम देने में लगा है? तीन-चार दिन पहले जम्मू कश्मीर में नगरोटा में बड़ा हमला करने वाले आतंकी लश्कर के ही थे।
हाफिज सईद के आतंकवाद एवं आतंकवादी घटनाओं का लम्बा, घिनौना एवं अमानवीय चेहरा रहा है। वह भारत सहित दुनिया में आतंकवाद को पनपाने वाला मुखर आतंकवादी है। उल्लेखनीय है कि भारत को पिछले काफी सालों से हाफिज सईद की तलाश है। सईद साल 2008 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों का मास्टरमाइंड है। इस हमले में छह अमेरिकियों सहित 164 लोगों की मौत हो गई थी। अमेरिका ने सईद के सिर पर एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है। वह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक है। पाकिस्तान में वो जमात-उद-दावा नामक संगठन चलाता है। अमेरिकी सरकार की वेबसाइट रिवार्ड्स फॉर द जस्टिस में भी हाफिज सईद को जमात-उद-दावा, अहले हदीद और लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक बताया गया है। अहले हदीद एक ऐसा इस्लामिक संगठन है जिसकी स्थापना भारत में इस्लामिक शासन लागू करने के लिए की गई है, जो लगातार भारत में आतंकवादी हमले करता रहा है।
वर्ष 2006 में मुंबई ट्रेन धमाकों में भी हाफिज सईद का हाथ रहा। 2001 में भारतीय संसद तक को सईद ने निशाना बनाया। वो एनआइए की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल है। मुंबई हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से उसे सौंपने को कहा था। सभी हमलों में उसके आतंकी संगठनों की भूमिका के अकाट्य प्रमाण भी पाकिस्तान को दिये जा चुके हैं। लेकिन पाकिस्तान तो इस बात से ही इंकार करता रहा है कि हमलों के असली साजिशकर्ता उसके यहां मौजूद हैं। बल्कि पाकिस्तान तो लगातार सईद को आतंकी मानने से भी इनकार करता रहा है। भारत समेत अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, रूस और ऑस्ट्रेलिया ने इसके दोनों संगठनों को प्रतिबंधित कर रखा है।
हाफिज सईद एवं उसे संरक्षण देने वाला पाकिस्तान दुनिया में किसी अच्छे या नेक काम के लिए नहीं, बल्कि आतंकवाद फैलानेवाले देश के रूप में जाना जाता है। उसे यह तमगा दशकों तक उसके करीबी मददगार रहे अमेरिका ने ही दिया है। आतंकवाद के खात्मे के लिए अमेरिका से पािकस्तान को जो पैसा मिलता रहा है, वह उसे आतंकवाद फैलाने में इस्तेमाल करता रहा। खुद अमेरिका की एजेंसियां इस बात का खुलासा कर चुकी है। अमेरिका पर सबसे बड़े आतंकी हमले के असली सूत्रधार अलकायदा सरगना उसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने अपने यहां छिपाए रखा था। दरअसल आतंकवाद पाकिस्तान की सरकारी नीति का हिस्सा है। यह बात भी दुनिया से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ ही आतंकी सगंठनों के पैसे, हथियार और प्रशिक्षण मुहैया कराती है। इन कटू सच्चाइयों एवं खौफनाक स्थितियों के चलते ही अमेरिका के वित्त विभाग ने सईद को विशेष रूप से चिह्नित वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है।
दिसंबर 2008 में उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था। एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची में बने रहने से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद मिलना मुश्किल हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से आर्थिक मदद मिलने में उसे जिस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है उससे छुटकारा पाने के लिए एवं लगातार नकदी संकट से जूझ रहे देश के लिए और दिक्कतें बढ़ेंगी, इन्हीं स्थितियों को देखते हुए पाकिस्तान अब मजबूरन हाफिद सईद जैसों के खिलाफ दिखावे के तौर पर कुछ कदम उठा रहा है। पुलवामा हमले की बात तो खुद पाकिस्तान सरकार के मंत्री ने हाल में संसद में स्वीकार की। इस बात के भी प्रमाण सामने आ चुके हैं कि मुंबई बम कांड का सरगना दाउद इब्राहिम पाकिस्तान में सेना और आइएसआइ की पनाह में रह रहा है, लेकिन पाकिस्तान इस हकीकत को भी झुठलाता रहा है और दाऊद को अब तक भारत को नहीं सौंपा है। वास्तव में पाकिस्तान यदि आतंकवाद के खिलाफ हुआ है तो हाफिद सईद जैसे आतंकी को वह भारत को सौंपे। उस जैसे आतंकियों की असली सजा तो यही भारत उन्हें सजा दे। इसके लिये पाकिस्तान पर अन्तर्राष्ट्रीय दबाव बनना चाहिए।
भारत ही नहीं, विश्व के जन-जीवन आतंकमुक्त बनाने के लिये पाकिस्तान की आतंकवादी स्थितियों पर कड़ा कदम उठाना एवं दबाव बनाना जरूरी है, इसी से अनेक बड़ी समस्याओं का समाधान संभव है, इसी से पाकिस्तान की बदतर होती स्थितियों में भी सुधार होगा। इसी से दुनिया से आतंकवाद एवं युद्ध जैसी ज्वलंत समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। विश्व की सभ्यता और संस्कृति को अहिंसा एवं आतंकमुक्ति की ओर अग्रसर करने के लिये पाकिस्तान को सुधरना ही होगा, इसी से उनके भी बिगड़ते हालातों पर अंकुश लग सकेगा।

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