जिन्हें आप्रेशन सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत चाहिए वे नोट करें !

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भारत का दक्षिणपंथी दकियानूसी ‘भांड परिवार’ सनातन से ढपोरशंख बजाने के
लिए कुख्यात है। जब तक यह स्वयंभू ‘नकली देशभक्त ‘ परिवार किसी काल्पनिक
चीजको रूप और आकारमें साकार नहीं कर लेता तब तक वह ‘उदर शूल की पीड़ा से
बैचेन रहता है। साम्प्रदायिक तत्वों की यही पीड़ा ‘फास्जिम’ की जननी है।
उन्हें लगता है कि वे साक्षात् शेषनाग के अवतार हैं ,वे ही भारत राष्ट्र
के तारणहार हैं ,और यदि इस देश की यह साम्प्रदायिक खरपतवार वे अपने सिर
पर धारण नहीं करते तो, यह महान भारत राष्ट्र सदा के लिए रसातल में धस
जाता।

चूँकि सिर्फ पठानकोट,उधमपुर,उरी इत्यादि
‘भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत के अंदर भी
पाकिस्तानी दहशतगर्दों का कहर सर्वत्र व्याप्त रहा है। हालाँकि देशकी
आवामने इसके बावजूद भी अपना धैर्य नहीं खोया।  बहरहाल मोदी सरकार ने उसके बाद जो कुछ किया
वह सबके सामने है। भारतीय फ़ौज ने पीओके में ‘आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक’ को
बड़ी सूझ बूझ से अंजाम दिया है। कुछ सफलता तो अवश्य मिली है। वेशक सेना और
सरकार के पास इसके सबूत भी हैं,रणनीतिक और सामरिक कारणों से उन्हें जाहिर
किया जाना उचित भी नहीं है। देश की जनता एवम सरकार को अभी बहुत सब्र से
काम लेना चाहिए। भारतीय सैन्य ताकत को और पुख्ता किया जाना चाहिए।
सुरक्षा की खामियों पर ध्यानदिया जाना चाहिए,अमनके विकल्पों पर भी निगाह
होनी चाहिए। वेशक युद्धोंउन्माद जगाना बेहद अमानवीय कृत्य है किन्तु
जहरीले नाग का सिर कुचलना भी कोई गलत बात नहीं है। देशकी सीमाओं पर सैन्य
गतिविधियों को लेकर हो रही वयानबाजी पर अंकुश लगना चाहिए!

हर एक भारतीय को धैर्य के साथ सोचना चाहिए कि भारतीय डीजीएमओ और कमांडोज
द्वारा पीओके में सम्पन्न आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर पाकिस्तान में
दो बातें क्यों हो रहीं हैं? पाकिस्तानी सत्ता पक्ष कह रहा हैकि उनके
यहाँ भारत ने कोइ सर्जिकल स्ट्राइक नहीं की।जबकि पाकिस्तान के ही इमरान
खान जैसे विपक्षी नेता खुद कह रहे हैं कि दोनों ‘शरीफों’ने उनकी इज्जत
मिटटी में मिला दी। पाकिस्तान में छिपे बैठे भगोड़े आतंकी कह रहे हैं कि
वे भारतसे बदला लेंगे , केजरीवाल जैसे नेताओं को या बाकी के तमाम ‘मोदी
विरोधियों ‘को और क्या सबूत चाहिए ? यूएनओ कहता है कि ‘आपरेशन सर्जिकल
स्ट्राइक ‘को उसने नहीं देखा ! यूएनओ तो वही कहेगा जो कि उसके आका
अमेरिका ने देखा होगा ! चूँकि अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान
में घुसकर मारा था और भारत ने देखकर भी नहीं देखा ,इसलिए अब भारतीय फ़ौज
जो कुछ भी करेगी वो देखकर भी अमेरिका नहीं देखेगा। इसलिए यूएनओ को भी कुछ
नहीं देखना है। भारतमें जो लोग आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे
हैं वे नादान हैं, देशकी आवामको उनके बहकावे में नहीं आना चाहिए। जो लोग
अंधराष्ट्रवाद से पीड़ित हैं और अल्पसंख्यकों को ,धर्मनिर्पेक्षतावादियों
को ‘देशद्रोह’ से नवाज रहे हैं उन कुंठित लोगों से भी प्रधानमंत्री को
सतर्क रहना होगा। क्योंकि भारत अतीत में जब -जब गुलाम हुआ है उसे इन्हीं
सत्तालोलुप -भाट -चारण’ वर्ग के लोगों ने डुबाया है। सत्तासीन नेताओं को
अपना चापलूसी मोह त्यागकर ,निंदा -स्तुति से परे देश की अवाम और विश्व
विरादरी के साथ अपने दूरगामी निहतार्थ साधने चाहिए। शीर्ष नेतत्व का
हृदय विशाल भारतीय लोकतंत्र की गरिमा के अनुकूल और भारतीय लोकतंत्र के
अनुकूल होना चाहिये।

जिन्हें आप्रेशन सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत चाहिए वे नोट करें कि २७
सितम्बर-२०१६ के अल सुबह आतंकवाद से पीड़ित भारत की फ़ौज के स्पेशल दस्ते
ने पीओके ‘में आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक ‘द्वारा कुछ आतंकी केम्प नष्ट
किये हैं। कुछ आतंकी भी मारे हैं। एक पाकिस्तानी फौजी भी माँरा गया और
एक जिन्दा पकड़ा गया। जिसे बड़ा में उचित जांच पड़ताल के बाद तत्काल छोड़
दिया गया। इसके अलावा अंतराष्टीय मंच पर स्वयम प्रधानमंत्री मोदीजी ने और
उनके मंत्रमण्डलीय साथियों ने दुनिया के लगभग १०० देशों के राजदूतों को
तत्सम्बन्धी सूचना भी तत्काल दी। अपने भारतीय विपक्ष -सोनिया गाँधी
सीताराम येचुरी दलों को दी। यदि फ़ौज की सर्जिकल स्ट्राइक पर सोनिया जी
या सीताराम येचुरी सवाल नहीं कर रहे हैं ,तो देश में बाकी विपक्ष को और
अन्य ‘सवालकर्ताओं’ को कुछ तो यकीन रखना ही होगा। उन्हें यह मानना ही
होगा कि मोदी सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ अपने प्रयासोंमें कुछ सफलता
अवश्य मिलीहै। विश्व विरादरी से पाकिस्तानको ‘अस्पर्श्य बनाने में भी
मोदीजी कुछ हद कामयाब रहे हैं।

वेशक आलोचक कह सकते हैं कि यह आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक तो ७० साल से
लगातार चल रही है। कभी भारत और कभी पाकिस्तान यह कार्यवाही करते ही रहते
हैं। इसमें नया क्या है ? कोई बड़ा तीर नहीं मारा है! पाकिस्तान का अभी तक
केवल एक फौजी ही मार पाए हैं ! दाऊद ,हाफिज सईद,और जैश वाले ततः
कश्मीरी दुःखक्तारें वाले आतंकी अभी भी कश्मीर को लहूलुहान किये जा रहे
हैं। कश्मीर में पुलिस और सरकार नाकाम हो गए है। मोदी जी और उनके बगलगीर
महबूबा सरकार सब फ़ैल हैं। जमात-उद दावा का अभी तक बाल भी बाँका नहीं कर
पाए हैं। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि ‘यूपी चुनाव में राजनैतिक लाभ के
लिए यह सब प्रोपेगेंडा किया जा रहा है। राष्ट्रीय शर्म से उबरने के लिए
भारत की जनता को यह आपरेशन सर्जिकल नामक झुनझुना पकड़ा दिया गया है। सरकार
के भड़ेत लोग मीडिया पर ,जनता पर ,यूएनओ पर ,चीन पर और देश की आवाम पर
अपनी खीज निकाल रहे हैं। ये तमाम आरोप सही भी हों तो भी हम इससे इनकार
नहीं कर सकते कि भारत की फ़ौज पर जनता को भरोसा है। यदि किसी व्यक्ति को
,किसी नेता को या किसी कौम को मोदी सरकार पर भरोसा नहीं तो वो स्पष्ट
कहें यह उसका अधिकार है किन्तु अपनी फ़ौज को राजनीती मे न घसीटे। क्योंकि
जनता फ़ौज के साथ है!

कुछ लोग सही सवाल उठा रहे हैं ,कि यदि एनडीए वाले विपक्ष में होते और
किंचित मनमोहन सिंह या कोई और नेता प्रधानमंत्री होता तो भारतीय फ़ौज
द्वारा ‘पीओके’ में सम्पन्न तथाकथित ‘आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक ‘को ये
मोदी के मतवाले फ्लाप ही बताते। सर्जिकल स्ट्राइक के पहले ही ये लोग
सम्भवतः पठानकोट,उरी या उधमपुर सैन्य परिसर के हमलों को लेकर -राममलीला
मैदान पर , जंतर -मन्तर पर ,धरना देने लग आजाते। वे तो पूरे देश में
,बाबाओं-बाबियों ,स्वामियों-साध्वियों ,अन्नाओं ,रामदेवों और सैकड़ों
श्री-श्री के नेतत्व में वेचारे डॉ मनमोहनसिंह को या जो भी ‘वेचारा’
प्रधान मंत्री होता ,उसे हरि -हरी चूड़ियाँ भेंट कर रहे होते ! जैसे कि इस
समय पाकिस्तान में लफ़ंगा इमरान खान कर रहा है। जैसा कि उधर हाफिज सईद
,मसूद और दाऊद इत्यादि किये जा रहे हैं। किन्तु किसी को यह नहीं भूलना
चहिये कि पाकिस्तान हो या भारत अमन के परिंदे तो दोनों मुल्कों में हैं
दोनों ओर के उन्मुक्त नीलगगन मेंविचरण करते हैं। और अमन की उम्मीद कभी
खाली नहीं जाती । सेनाएं अपना फर्ज निभाती हैं तो अमनपसन्द जनता को भी
अपना फर्ज नहीं भूलना चाहिए।

जो लोग अभी सत्तामें हैं और इस आपरेशन सर्जिकल की छुद्र कार्यवाही को
‘धजी का साँप’ बता रहे हैं।वे सत्ता समर्थक चाटुकार लोग यदि इस मामूली
कार्यवाही की अतिरञ्जित वयानबाजी केलिए जिम्मेदारहैं ,तो सत्ताविरोधी और
सनकी लोग भी बिना आगा-पीछा सोचे ही अपनी भारतीय फ़ौजसे उसकी काबिलियत
का सबूत मांग रहेहैं जो कि वेहद निंदनीय और शर्मनाक कृत्य है।

3 COMMENTS

  1. आदरणीय,
    आपका पूरा लेख सडक पर चलती उस औरत का चित्रण करती है। जो दो बाते एक साथ सोचती है। लोग मुझे सती सावित्री भी समझे और मेरा थोडा आॅचल ढलक जाये लोग मेरी वास्तविकता भी समझ जाए। कन्फयूजड मानसिकता का लेख है। देश पर गर्व कीजिए, अच्छे कार्यो की सराहना कीजिए, सेना का मनोबल बढाईए।
    आपका
    अरविन्द

  2. वाह! कितनी सभ्य भाषा अपनाई है… यही बहुत है सत्यता का ढोंग पीटने के लिए. और किसी तर्क..कुतर्क की जरूरत नहीं. भाषा पर आपकी पकड़ लाजवाब है. भगवान आप सबका भला करे.

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