स्वर्ग में ऑखों देखी हिंसा भी नहीं छपवा पाये पत्रकार

               आत्माराम यादव पीव
स्वर्ग में लोकतंत्र नहीं राजतंत्र है। इन्द्र वहॉ के लोकपाल है जिनके राजकाज में कोई भी स्वर्गवासी या देवता दखल नहीं देते सभी खुश है, आनन्द से है मानो ब्रम्हानन्दी हो गये है। होशंगाबाद के पत्रकार प्रश्न कर चुके थे कि अगर सब आनंन्दमय है तो इसका अर्थ नहीं कि हम इन्द्र की राजसत्ता के काम काज न जाने। हो सकता है इन्द्र की राजसत्ता जो सुख-आनन्द दे रही है उसमे हम अपनी युक्ति से कुछ नया जोड़कर स्वर्गवासियों के आनन्द को दुगुना कर दे। लेकिन जब तक पूरा स्वर्गलोक भ्रमण नहीं कर लेत, वहॉ के लोगों के मन में क्या चल रहा है और वे किस समस्या से ग्रसित होकर अपराध कर रहे है , जिसे देखने के लिये देवताओं ने कोशिश नहीं की वह हम सामने लाये उसके बाद बात होगी। होशंगाबादी पत्रकार स्वर्ग में तुच्छता के फेर में भूल गये कि वे धरती से विश्व से बाहर है जहॉ कोई लोक-लोकान्तर नहीं होता है। स्वर्ग में सभी मधुर कोकिलावाणी से बोलते है, कोई ऊची आवाज में बातें नहीं करता इसलिये किसी के आवेश में आकर झगडा-लड़ाई की कल्पना बेमानी है। स्वर्ग में सभी महल एक से एक भव्य है, हर महल में सोने-चॉदी, हीरे मोती के अथाह भण्डार है और एक से एक बेशकीमती आभूषण महल के कोने कोने में बिखरे है जिसे देखने और सॅभालकर रखने के लिये आनन्द में डूबे लोगों के पास समय तक नहीं। जब सभी स्वर्गवासी हर बात से सम्पन्न है तो चोरी-डकैती और लूटपाट की बात सोचना भी हास्यास्पद है। धरती से मरकर पहुॅचने वाले लोग बीमार-दुखी, बूढ़े- जिनके शरीर के पुरजे-पुरजे किसी काम के नहीं है, सभी तरह से नकारा,गाल बजाने वाले हद दर्जे के बदलचन व बेईमान है पर शालीनता का नाटक करने में वे देवताओं के भी बाप है। परन्तु जब वे स्वर्गलोक का सुख भोगने जाते है तो इन्हें भी अपनी इच्छानुसार पूर्णयौवना से आमोद-प्रमोद का स्वर्गवासी रहने तक चिर आनंद प्राप्त होता है, तब वे धरती पर क्या थे, इसका तनिक मात्र भी बोध नहीं रख पाते।
स्वर्गलोक में दिव्यता से पूर्ण परमसुन्दरियॉ है। जिनके रूप-लावण्य और शाश्वत सौन्दर्य से कुदरत झलकती है। जैसे एक मनोहारी वृक्ष सबको आकर्षित करता है और किसी से स्थायी अनुरक्ति नहीं रखता ठीक वैसे ही यहा की सुन्दरियों की प्रकृति है लोग उनके कोमल शरीर से रतिक्रीडायें कर कर आनन्द पाकर दूसरी सुन्दरी के मोहपॉश में होते है पर इन सुन्दरियों का अनुराग सभी के प्रति अपूर्व होता है। होशंगाबादी या भूलोग जैसा यहॉ कुछ भी नहीं है कि प्रेम करो,वैवाहिक क्रिया के बाद पूरे जीवन उसी प्रेम को ढ़ोते-रोते रहो और इसे धर्म-कर्म तथा समाज की बाध्यता का अंग मान शुतुरमुर्ग बने रहो। भूलोक में स्त्री-पुरूष के समागम से दुर्बलता आ जाती है ऐसा प्रचारित होने से लोग शादी के बाद भी पत्नी से मुंह फेर लेते है लेकिन अन्य के प्रति उनकी अनुरक्ति कम नहीं रहती। पर स्वर्गलोक इसके विपरीत है यहॉ एक सुन्दरी के बाहुपाश से निकलकर दूसरी के कजराले नयनों की भुलभुलैया में घन्टों सुख भोगना फिर अगर तीसरी मिल जाये तो उसके साथ समागम करना अनुचित नहीं और इसे अवांछित, अमर्यादित एवं घृणित नहीं माना गया है। अब ऐसे में छेड़छाड, बलात्कार, स्त्री का अपमान, स्त्री हिंसा कहॉ खाक मिलेगी जिसे तलाशने होशंगाबादी पत्रकार स्वर्गलोक में विचरण करने निकले है। उन्होंने स्वर्ग के सभी महल देख लिये, बाजार देख लिये किन्तु वे आश्चर्यचिकित थे कि किसी भी बाजार में उन्हें न तो चाकू-छुरी,पिस्तौल-बन्दूक दिखी और न ही कोई शस्त्र ही दिखा। उनका माथा तब ज्यादा चकरा गया कि जिस प्रकार चीन से भारत के बाजार में चाकू-बंदूक, गनमशीन जैसे घातक हथियार आदि सप्लाई किये जाते है और गली में बच्चा इसे खरीदने की जिद करता है वैसे एक भी हथियार उन्हें स्वर्गलोक के बाजार में नजर नहीं आये फिर यहॉ के बच्चे क्या हिंसक होंगे। यह सब देखते हुये होशंगाबादी पत्रकारों ने अपना पूरा दिन गुजार दिया।
शाम को वे फिर सनसनीखेज समाचार की खोज में निकले। उन्होंने इस बार भावना,प्रेम और ऑसू के माध्यम से क्रूरता की तलाश की ठान ली। वे सीधे एक नृत्यशाला में पहुॅचे जहॉ कुछ लोग ध्यानमग्न थे, कुछ मंत्रोच्चार कर वापिस धरती के लौटने की जुगत में पुण्य अर्जित कर रहे थे। अनेक युवा अपनी अपनी पार्टनर के रूप में नयी नवेली कमसिन अप्सराओं के साथ मादक नृत्य कर रहे थे वही उम्रदराज बूढ़े भी इस रस से खुदको मुक्त नहीं करते हुये अप्सराओं की बॉहों में झूल रहे थे। इस भीड में होशंगाबादी दो पत्रकार आकर बैठ गये। उन्होंने सोमरस के कुछ पैग लिये और नृत्य के आनन्द में अपनी पैनी नजर से अपराधिक समाचार तलाशने लगे। उन्होंने यहॉ एक समचार किसी न किसी तरह बनाने की ठानकर जम गये और पेग पर पैग लेते रहे। थोड़ा रात गहराते ही युवकों के पास से अप्सरायें अदला-बदली होने लगी। इनमें एक अधेड़, एक युवा व एक पहलवान भी अपनी अपनी पसंद की अप्सरा के साथ रासरंग खेलते हुये नृत्य कर रहे थे। पहलवान थक सा या था तभी एक दुबला पतला व्यक्ति पहलवान वाली अप्सरा के पास जाकर नृत्य का आग्रह कर सहमति मिलते ही उसके साथ नृत्य करने लगा। पत्रकार को अपने समाचार की उत्पत्ति दिखी। उसने पहलवान को लतेड़ा, देख साले तेरीवाली के साथ वह झुनझुना मौज कर रहा है, तेरी जगह अगर मैं होता तो साले का थोवड़ा तोड़ देता। पहलवान बहुत ही शालीनता से पत्रकार से बोला, भेईया थक गया था, पत्रकार ने कहा पर तेरी वाली के साथ उस टिडडे को देख मेरा तो खून खौल गया, मेरी ऑखों में अंगारे उतर आये, अबे साले जॉ उस टिडडी की हडडी पसली तोडकर आ। पहलवान ने पत्रकार की तरफ सोमरस का पैग बढ़ाया और कहॉ आपकी मैं क्या सेवा कर सकता हॅूं। पहलवान की शांति पत्रकार को नागवार गुजर रही थी। पर पत्रकार तो घी में आग डालने का काम करते रहा लेकिन स्वर्गवासी के बीच झगड़ा नहीं करा सका तो निरूत्तर हो गया और उस शाम,रात और सुबह होशंगाबादी पत्रकार की कोई रिपोर्ट न आने से स्वर्गलोक के समाचार पूर्ववत चले। लेकिन होशंगाबादी पत्रकार हार मानने वाला नहीं था, वह दूसरे दिन फिर तैयारी करके निकले और वोले किसी भी तरह स्वर्गलोक के ठण्डे खून में उबाल लाओ तभी समाचार मिल सकेगा और हमारी चुनौती पूरी हो सकेंगी।
रात सभी पत्रकार अपने-अपने महल में लौटे। उन्हें भूख-प्यास की चिंता तो थी नहींं क्योंकि स्वर्ग में इतना सुख और आनन्द है कि व्यक्ति पेट की चिंता से मुक्त रहता है लेकिन सरोकार के लिये उसे मुख से हॅसने, खाने-पीने की चेष्टा कर पेट को तृप्त करने का अवसर भी मिलता है और पूर्णरूपेण तृप्त पेट भी अतृप्त रहकर तृप्त होने में लगा रहता है। अर्धरात्रि को अचानक एक पत्रकार को अपने सामने वाले महल से सिसकियॉ सुनाई दी। उन्होंने झट अपने कान दिये और ऑखों को लक्ष्य बनाकर उधर ताका जहॉ से आवाजें आ रही थी। वहीं बलिष्ठ पहलवान अपनी प्रेयसी अप्सरा के साथ प्रेमालाप में मग्न था। वे काम की चर्मोत्कृष्टता की ओर थे। प्रेयसी अप्सरा पहलवान से निपट रही थी और आलिंगनबद्ध रहते पहलवान के दॉत अप्सरा के होठों, गाल,पीठ पर गढ़ते वह सीत्कार उठती। पत्रकार की बॉझे खिल गयी, प्रेम में हिंसा। बस उसने सामने वाले महल में हुये इस प्रेमालाप को गंभीर हिंसा का स्वरूप देकर अपनी सनसनीखेज खबर ’स्वर्ग में हिंसा’ शीर्षक से बनायी। सुबह जैसे ही स्वर्गलोक के अखवार का दफ्तर खुला पत्रकार इस गरमागरम मसालेदार चटपटी खबर लेकर पहुॅंच गया। खबर संपादक ने पढ़ी कि महल के अन्दर पहलवान ने अपनी प्रेयसी अप्सरा को कई स्थानों पर काटा और अप्सरा ने अपने नुकीले लम्बे नाखूनों से पहलवान को गंभीर रूप से घायल कर दिया है। आधी रात को अप्सरा की सिसकिया इतनी तेज और रूआसा करने वाली थी कि सबकी नींदें हराम हो गयी और पूरे मोहल्ले के हर महल में व्यक्ति इन सिसकियों के रहस्य को जानना चाहता है। लम्बी सनसनीखेज खबर पढ़कर स्वर्ग के प्रमुख दैनिक में इसे मुखपृष्ठ पर छापने का वायदा लेकर पत्रकार लौट गये और अपनी जीत पर खुशियॉ मनाते हुये अपने हुनर का डंका बजवाने लगे।
होशंगाबादी पत्रकार पहली खबर मिलने के बाद स्वर्ग के प्रमुख समाजसेवियों के सामने अपनी प्रतिभा को सम्मानित करने एवं स्वर्ग में हिंसा को उजागर करने के तमगे से सम्मानित करने की तैयारी में लग गये। खबर छपने के अगले दिन उन्हें सम्मानित किया जाना तय हुआ और जगह जगह मोहल्लो के अधिनायक देवताओं के सामने उनकी खबर को इतना जोर शोर से बताकर मंचों से उन्हें महिमामण्डित करने हेतु कार्यक्रम तय किये गये। अगली सुबह का सबको बैचेनी से इंतजार था। सभी स्वर्गवासी वहौ के प्रमुख दैनिक के हर पन्ने पलट गये लेकिन होशंगाबादी पत्रकारों के समाचार उन्हें नहीं दिखे। पत्रकार नाराज हुये और सीधे संपादक के पास पहुंचे और बोले तुमने समाचार को लेकर पार्टी से जमकर लेनदेन किया है। कई गंभीर आरोप लगाने के बाद संपादक जी शांत बने रहे और उन्होंने एक शपथ पत्र इन पत्रकारों को थमा दिया जो उस नवदंपत्ति ने हस्ताक्षरित करके भेजा था। शपथपत्र में उन्होंने लिखा कि दाम्पत्य परिणय की चर्मोत्कृष्टता हेतु दन्तक्षत और नखक्षत एक अभिव्यक्ति का परिणाम है जो उन्होंने बिना विरोध के स्वेच्छा से किया है इसमें हमारे बीच कोई वैमनस्यता नहीं बल्कि यह रतिक्रीडा का प्रमुख अंग है। वे सभी ओर से सुखी है,संतुष्ट है, आपस में कोई लड़ाई-झगड़ा, कटुता या हिंसा को वे अस्वीकारते है। शपथपत्र पढ़कर होशंगाबादी पत्रकार ओलों की तरह बरस पढ़े कि आपने खबर छापने से पहले इस जोड़े को क्यों बुलावा भेजा। हमने तो धरती पर किसी भी खबर के लिये किसी से स्पष्टीकरण नहीं लिया और न सूचना दी। पाठक जब तक पढ़कर चटखारे नहीं ले ले और जिसका समाचार है उसे समाज थू-थू कर उसकी आलोचना करते हुये हमें शाबासी के पचासों मैसेज और फोन नहीं कर ले हमें खबर का मजा ही नहीं आता। स्वर्गलोक के संपादक ने कहा तुम्हें मालूम होना चाहिये कि तुम स्वर्गलोक के रिपोर्टर हो धरतीलोक या होशंगाबाद भर के अकेले नहीं। भूलोक में तुम लाभ प्राप्ति के लिये जानबूझकर गल्ती कर माफी मॉग लेते हो, ऐसा स्वर्गलोक में नहीं चलेगा।
होशंगाबादी पत्रकार भविष्य में ऐसी गल्ती नहीं दुहराने का आश्वासन देकर अखवार के कार्यालय से बाहर निकले ही थे कि यमदूत आ गये और बोले आपका स्वर्गप्रवास का समय पूरा हुआ आपको एक माह तक स्वर्गलोक का आनन्द उठाना था पर कुदरत का करिश्मा देखिये स्वर्गलोक में होशंगाबादी पत्रकारों पर यहॉ के परम आनंद-उल्लास के रंग नहीं चढ़ पाये, शायद कारण तलाशे तो सियारी रंग में रंगने के इनके अनुभव ही इन्हें स्वर्गलोक में परम आनन्द और उल्लास की अहर्निश स्थिति के रहते ये अपराध उजागर करने की थोथी मानसिकता को जीने की अपनी प्रवृत्ति को नहीं भुला सके। इन पत्रकारों को अवसर मिला था निर्वाण लोक में परमसत्य में विलीन होने का परन्तु उनकी आत्मा ब्रम्ह से अनभिज्ञ रहीं इसी मनोयोग के रहते वे कभी सूक्ष्म,भाव एवं स्थूल शरीर की परिधि में उलझे रहे। वे स्वर्गलोक में प्राण,मन और आत्मशक्ति में लीन स्वर्गवासियों में अपराध तलाशने में स्वर्गलोक का कुछ समय मिला सुख आनन्द का अवसर भी गॅवा चुके थे। यमदूत बोले चलिये अब नर्कलोक के अंन्दर आपका स्वागत है, चलिये वहॉ स्वर्गलोक की अधूरी कसक पूरी कर लेना। 

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