जंगलज़ेन शेरु

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गंगानन्द झा

स्वामी विवेकानन्द को प्रासंगिकता से युक्त रखने में रामकृष्ण मिशन की निर्णायक भूमिका है। मिशन के संन्यासी आध्यात्मिक, शैक्षणिक, और सामाजिक स्तरों पर लगातार स्वामीजी की साधना और व्रत का पालन करते जा रहे हैं। स्वामी समर्पणानन्द उन संन्यासियों में एक हैं। वे अपने मिशन के विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। उन्होंने समर्पण के नाम से अनेक पुस्तकें लिखी हैं। ये किताबें छोटे कलेवर की हैं और सामान्य पाठकों को गम्भीर बातें सुपाठ्य एवम् सुगम रुप से उपलब्ध कराई गई है। जंगलज़ेन शेरु(Junglezen Sheru) पंचतंत्र, हितोपदेश तथा जातक कथाओं की श्रेणी में लिखी गई एक नीतिकथा है।
जंगलज़ेन शेरु एक जंगल में रहनेवाले जानवरों से ताल्लुक रखता है। जंगल में संकट पैदा हुआ जब शिकारियों के द्वारा जंगल का राजा शेर अपने परिवार के साथ मार दिया गया। जंगल में अफरातफरी मच गई। इसके बाद सन्तुलन और व्यवस्था तथा आधिपत्य कायम करने के लिए कोशिशों का सिलसिला शुरु हुआ. जिसकी कहानी इस किताब में कही गई है।
जंगल में विविध किस्म के प्राणी रहते हैं, ताकतवर और कमजोर , दुष्ट,और दयालु, शाकाहारी और मांसाहारी, चतुर और निरीह, धूर्त एवम् सरल, महत्वपूर्ण और नगण्य। शेर ने इस विविधता को एक सार्थक सत्ता के रुप में बुना हुआ था। बाँधनेवाले धागे के टूट जाने के फलस्वरुप ताकतवर जानवर कमजोर जानवरों को धमकाने और अपमानित करने लगे। नगण्य प्राणी अपनी किस्मत को कोसने लगे। शेर की मौत के कुछ सप्ताहों के अन्दर ही पूरी अफरातफरी छा गई जंगल में।
वरिष्ठ,,बुद्धिमान और विवेकी हाथी, मुक्तक बहुत चिन्तित हुआ। उसने राजा का एक उपयुक्त स्थानापन्न पाने के लिए जानवरों की एक सभा आयोजित की। लेकिन चतुर जानवरों बन्दर और लोमड़ी के द्वारा उसे उलट पलट कर विफल कर दिया गया। उन्हें अफरातफरी में मौका दिखा और उन्होंने सत्ता हासिल करने के लिए साजिश रची। बन्दर कपि ने अपने आपको लीडर और लोमड़ी रिग को मंत्री घोषित कर दिया। घड़ियाल मगर के साथ उन्होंने समझौता कर लिया कि उसे नियमित रुप से एक जानवर भोजन हेतु उपलब्ध कराया जाएगा। दार्शनिक कछुआ कुर्मा अपने को असम्बद्ध घोषित करते हुए निरपेक्ष था।
अब जंगल एक भिन्न नियति की ओर बढ़ने लगा।इतिहास, परम्परा, लोक नीति और अर्जित बोध को नयी व्याख्या दी जाने लगी। नई व्यवस्था में व्यक्तित्व को सामूहिकता से स्थानापन्न कर दिया गया अब उनकी पहचान चूहा, बिल्ली, बन्दर ,सोमड़ी, भालू, हाथी या बैल की नहीं रहेगी, सबों का बस एक नाम, एक पहचान होगी जंगलज़ेन (जंगलवासी)।
1. हम सब जंगलजेन(जंगलवासी) हैं।
2. सब का भला, सब का विकास, हमारा आदर्श है।
3. व्यक्तित्व के ऊपर सामूहिकता — हमारी अकेली पहचान है।
इस बीच एक सनसनीखेज एवम् उत्तेजक खबर आग की तरह जंगल में फैली- “शेरशावक,.। एक शेरशावक पूरे परिवार में से अकेला जीवित बच गया था। मुक्तक खुश हुआ। उसे आशा की किरण दिखाई दी, अब जंगल का संकट दूर किया जा सकेगा।। हालाँकि कपि और रिग तथा अन्य को फिक्र और डर होने लगा।
मुक्तक की चिन्ता दूर हुई और उसे जंगल में पुराने दिन वापस आने की सम्भावना दिखने लगी। उसने सिहशावक का राजा शेरु के सम्बोधन से अभिनन्दन किया।
मुक्तक ने उत्साह के साथ शेरु को पालने का दायित्व ग्रहण किया। उसे पता था कि बच्चे को विकसित होने के लिए अपनी माँ, पिता, दोस्तों और परिवार के प्यार की जरुरत रहती है। व्यक्ति को प्यार देना हो तो उसे अनिवार्य़तःपहले स्वीकृति तथा सम्मान देना होता है। किसी व्यक्ति को हम प्यार नहीं कर सकते अगर हम उसे जानने और समझने की परवाह न करें। किसीको पहचानने के लिए जरूरत है कि हमें उस व्यक्ति के सार ( विशिष्टता) की समझ हो। उस सार को विकसित करके ही हम उसे अपनी शक्ति को विकसित और पहचानने में मदद कर सकते हैं।
मुक्तक ने शेरु का माँ, बाप, मित्र और परिवार सबकुछ बनने की भरसक पूरी कोशिश की। लेकिन शक्ति और विकास के बारे में शेरु के अपने ही विचार थे। मुक्तक उसे कहता था कि वृद्धि और विकास के लिए कड़ी मेहनत एवम् लगातार कोशिश ही अकेला रास्ता है। शेरु को मुक्तक का यह शासन नहीं भाता। उसे दूसरे जानवरों के साथ नई व्यवस्था अधिक सुहाती थी जिसें सफलता के लिए शॉर्टकट के नुस्खे हुा करते थे।। मुक्तक जब उसे कहता कि तुम शेर हो, दूसरे जानवरों से भिन्न, तो वह नहीं मानता। वह कहता , हम सब एक हैं, जंगलवासी, जंगलज़ेन, मैं जंगलज़ेन हूँ। शेरु मुक्तक को अपनी ताकत, अपनी खासियत हासिल कर पाने में सफल नहीं हो सका। वह जंगलज़ेन की पहचान से अलग महसूस नहीं कर पाता।
एक बार जंगल पर पड़ोसी जंगल से भेड़ियों द्वारा हमला होने पर शेरु के मुँह से दहाड़ निकल गई थी, तो भेड़िए डर कर भाग गए थे। उन्होंने समझा कि राजा शेर की मौत की बात गलत है। पर शेरु अपने असर को फिर भी नहीं समझ सका। वह अपनी खासियत से अनजान बना रहा। नतीजा हुआ कि दूसरी बार जब पड़ोसी ने हमला किया तो शेरु दहाड़ने के बजाए खेत पर मजदूरी करने चला गया। शेरु अपने सार को पहचानने में असफल रहा। वह कभी भी शेर नहीं बन पाया, वह जंगलवासी–जंगलज़ेन शेरु ही रह गया। जंगल हमलावरों से बचाया नहीं जा सका।
अन्य नीति कथाओं की तरह जंगलज़ेन शेरु भी एक सन्देश देता है। माता पिता अपनी सन्तान को समर्थ और सफल देखना चाहते हैं । वे अंधी दौड़ में शामिल हैं। बच्चे की विशिष्टता, उसकी जरूरत, उसकी रुझान और उसकी क्षमता का कोई खयाल किए बगैर हम उसे औरों की तरह सफल होने की जिम्मेदारी दे देते हैं।
जरूरत है कि हम बच्चे के प्यार करें, उसे समझें, उसके सार को समझें। तभी हम उसे उसके व्यक्तित्व से सुशोभित और सशक्त कर सकेंगे। वह जंगलज़ेन शेरु से राजा शेर बन पाएगा।,
कुछ उद्धरण—
क. वरिष्ठ, जो प्रज्ञ न हो, मात्र शो-पीस होता है,। बिना करुणा के प्रज्ञा कच्चे फल की तरह है, जो सेहत और स्वाद , दोनो के लिए बुरा होता है।
2 प्यार वह स्थान है, जहाँ हमें वह जगह मिलती है जिसमें व्यक्तित्व को रुप दिया जाता है। बच्चे को वह स्थान पहले पहल अपनी माँ के प्यार में मिलता है, और उसके बाद पिता,शिक्षक, मित्र, और परिवार में– ।
3. जंगल के जानवर कमजोर,, ताकतवर,, सरल, चालाक,दब्बू और दुष्ट — हर व्यक्तित्व के होते हैं।
3. सही मायनी में सुसंस्कृत लोग ताकतवर होते हैं और वे साथ के मुँहताज नहीं हुआ करते। जीवित प्राणियों के बीच कभी भी सही मायनी में समानता नहीं थी और भविष्य में भी कभी नहीं होगी असमानता जीवन का सार होती है। समानता का दावा करनेवाला हर व्यक्ति ढोंगी है।
4 अस्थिर और चालाक लोग व्यवस्था को बस नष्ट ही कर सकते हैं।
5. लीडर अनिवार्य अमंगलकारी होता है। वह अहितकारी हो सकता है, पर साथ ही उसमें व्यवस्था में ऊर्जा भर देने की क्षमता भी होती है।
6. क्या अनोखापन विचलन होता है?
7 वह चालाक है।और हर चालाक व्यक्ति की तरह बुद्धिमान नहीं है। वह प्रज्ञ नहीं है। वह सिर्फ अपने आपको महत्व देता है– घोर भौतिकवादी।
8. जीवन का लक्ष्य सार्वभौम होना होता है। इसे सामूहिक के साथ गड्डमगड़ नहीं किया जाना चाहिए, क्य़ोंकि सामूहिक से सार्वभौम तक का सफर व्यक्तिच्व की दृढ़ धारणा के बगैर मुमकिन नहीं होता।
8. अगर आप व्यक्तित्वविहीन हैं तो आपकी परिणति सामूहिक में ही होगी. हम जब छोटे होते हैं, तो हम समूह में सन्निहित होते रहते हैं, . लेकिन जब हम अपनी शक्ति को सँवारना शुरु करते हैं तो . आप अपने साथियों से अलग होते जाकर सार्वभौम में समाहित हो जाते हैं।
9. हर व्यक्ति दूध की तरह होता है और उसके इर्दगिर्द का हर कोई पानी की तरह का होता है।. अगर आप अपना सार हासिल करने में सक्षम होते हैं, आप मक्खन की तरह हो जाते हैं।। उसके बाद आप किसीके भी साथ बेरोक मिलजुल सकते हैं। लेकिन अगर आप अपना सार हासिल किए बग़ैर अपने इर्दगिर्द के लोगों से मेल मिलाप करें, आप पतले दूध की तरह हो जाएँगे।
10 जीवित प्राणी की सर्वाधिक व्यक्त आकांक्षा विजेता होने की होती है।

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