कनिष्क:आज भगत सिंह भारत आये थे।

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स्वर्गलोक मे मिस्टर यमराज पधारते हैं। वह जेनेटिकलीमोडीफाइड भैंसें पर आसीन हैं। पहले का देशी भैंसा खानाजो ज्यादा खाता था। वैसे शादी की सालगिरह पर उन्हें मर्शडीज भी मिली थी, पर पेट्रोल की किमत को देखते हुएरायल भैंसा कहीं ज्यादा अच्छा लगा। वैसे बात परम्परा कीभी है, वह तो निभानी पड़ेगी। यमराज आज भगत सिंह कोभारत भ्रमण पर लाने वाले है।भगत सिंह ने इस यात्रा कीतैयारी कर रखी थी, वह पासपोर्ट और वीज़ा के साथ खड़ेथे।
यमराज: कोई तकलीफ?
भगत सिंह: कुशलमंगल!आपको आने में तकलिफ़ तो नही हुई।
यमराज: तकलीफ़ काहे कू? अपन तकलीफ़ देना मांगता, लेना नही। अब ज्यादा सानपट्टी नही। वीजा, पासपोर्ट सब तैयार ना! कोई लोचा-लपाचा नही होना चाहिये।

भगत सिंह यमराज की आंज्ञा लेकर धरतीलोक पहुँचते हैं। वह भारत के स्वतंत्रता समारोह में शामिल होने नयी दिल्ली आते हैं। उन्हे आज बहूत खुशी है, आज़ाद भारत की तस्वीर ने उन्हे भावुक कर दिया। वह एक बड़े नेता के दफतर पहुँचते हैं। कमरे में आधुनिकतम सौन्दर्यपरकता को दर्शाने हेतु कुछ तस्वीरें टंगी है। भगत सिंह आंखे नीची कर लेते है।कमरे में मौजूद युवक कह्ता है ये शकीरा और एंजेलीना इत्यादी माताओं की तस्वीरें है।
भगत सिंह: क्या ये नयी देवियां अवतरित हुई हैं?

युवक : कुछ ऐसा हीं समझ लीजिए। आप खड़े क्यू हैं, बैठ जाइए। आप क्या लेंगें ठंडा या बियर मंगा दूं?
भगत सिंह : क्या लस्सी नहीं मिल सकती?
युवक : अरे जनाब! लस्सी कौन रखता है, दिल्ली में एक महीने में नौ करोड़ बीयर की बोतल बिकती है।
भगत सिंह : सरकार इसपर रोक क्यूं नही लगाती? यह तो भारत के युवाओं को बर्बाद कर देगी।

युवक : जनाब! शराब से आया पैसा सीधे शिक्षा विभाग में लगता है। यह प्रावधान है कि, शराब की कमाई का राजकीय धन का उपयोग देश की शिक्षा नीति पर लगेगा।
भगत सिंह : तभी तो। हमारे पूर्वजों नें अन्न के संस्कार की बात कही थी। क्या वह बात इन नये नेताओं की समझ में नही आती।

युवक : यह नीति अंग्रेज ने बनाई थी। शायद उसे समझ में आ गई होगी।

भगत सिंह : तुम बहुत तेज हो। युवक : तेज। हूंह! मैनेजमेन्ट करना चाहता था।पैसे नही थे तो पढ़ाई छोड़ दी। अब नेता बनूंगा। योग्यता जुटाने में लगा हूं, सब कुछ जाति, क्रिमनल रिकार्ड और धन पर निर्भर करता है। एकाग्र मन से क्रिमनल रिकार्ड बनाने की कोशिश कर रहा हूं, इसी से धन भी कमा लूँगा।
भगत सिंह बुझे मन से न्याय व्यवस्था देखने अदालत चल दिए। सब कुछ बदल चुका है। कानून के हांथ मेंकैल्क्युलेटर है। अब वह टीवी देखता है और मोमबतियां गिनता है। जिसमें ज्यादा मोमबतियां हैं, सिर्फ़ वहीं सुनवाई होगी।
अब भगत सिंह, लोकतंत्र के प्रहरी, मीडिया के तरफ़ बढ़ते हैं। यहां द्रोपदी के चीर-हरण जैसे किसी क्रियाकलाप का सीधा प्रसारण समाचार के नाम पर हो रहा है। इसके बाद विक्रम बेताल का समाचार, बीच-बीच में शाहरुख खान लक्स साबुन लगाने के लिये प्रेरित करते हैं। जिस भारत की संस्कृति को हजारों वर्षों की गुलामी ने बौना नहींकिया, उसे महज पांच साल मे एकता कपूर ने ध्वंस कर दिया। भगत सिंह,यह मानते हैं कि अकले एकता कपूर उन सभी आक्र्मणकारिओं से ज्यादा ताकतवर है।
अब भगत सिंह एक 8-10 साल के बच्चे से मिलते हैं। भगत सिंह : वन्दे मातरम! बच्चा : सारी अंकल! मै यह नही बोल सकता, हमारे धर्म में यह बोलने की मनाही है। यह सुनकर भगत सिंह के मन आजाद भारत अब ज्यादा गुलाम नज़र आता है। उनकी आंखो मे आंसू हैं और वह वापस लौट जाना सही समझते है। उन्हे पता चल गया है, उनकी शहादत बेकार गई ।

भगत् सिंह, दिल पे रख कर हाथ कहिए देश क्या आजाद है।
भगत् सिंह, दिल पे रख कर हाथ कहिए देश क्या आजाद है।

3 COMMENTS

  1. इसकी तारीफ कैसॆ करून् शब्दॊन् कि इतनी पहिचान नही मुझॆ जितनॆ बॊलना चाहता हूऩ्, सच् कहा ऎकता कपूर नॆ युवा दिमागॊ की जॊ दुर्गति की है वो आज तक कॊई आक्रमनकारी नही कर सका.बधाई

  2. बहूत् अच्छी तरह् सॆ आपनॆ समसामयिक विषयॊम् कॊ रॆखाकित् किया है.

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