करवाचौथ :: सुख दुःख मे हम तुम हर पल साथ निभाएंगे,एक जन्म नहीं सातो जन्म पति-पत्नी बन आएंगे

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भगवत कौशिक।

करवा चौथ  का व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए करती हैं। अबकी बार करवा चौथ पर खास बात यह है कि 5 साल बाद फिर इस करवा चौथ पर शुभ योग बन रहा है जिससे अबकी बार करवा चौथ पूजन रोहिणी नक्षत्र में होगा तो वहीं रविवार का दिन होने की वजह से सूर्य देव का भी व्रती महिलाओं को आशीर्वाद प्राप्त होगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। जो कि इस साल यह चतुर्थी 24 अक्टूबर रविवार को है। करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।करवा चौथ  पर महिलाएं सुबह सरगी खाकर व्रत शुरू करती है।पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद महिलाएं शाम को करवा चौथ की कथा सुनती हैं और फिर चांद को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं।
■ करवा चौथ पर बन रहा ये शुभ संयोग
करीबन 5 साल बाद करवा चौथ रविवार को पड़ रही है। 8 अक्टूबर 2017 के दिन रविवार को करवा चौथ का व्रत रखा गया था जिसके पश्चात अबकी बार 24 अक्टूबर को रविवार के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित हैं सूर्यदेव आरोग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस दिन महिलाएं सूर्य देव का पूजन कर पति की दीर्घायु की कामना करें तथा महिलाओं के द्वारा शुभ मुहूर्त में पूजन करने से व्रती महिलाओं की हर इच्छा पूरी होगी। इस दिन रोहिणी नक्षत्र में चंद्रोदय होगा जोकि शुभ फलदायक है।
■ करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
अबकी बार रोहिणी नक्षत्र में चंद्रदेव उदय होंगे तथा महिलाएं चंद्रदेव को अर्घ्य देकर पूजन करेंगी जो कि शुभ फलदायक है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी करवा चौथ व्रत अबकी बार 24 अक्टूबर रविवार को सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगा जोकि अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। इस दिन चंद्रोदय का समय 8 बजकर 11 मिनट पर है। उन्होंने बताया कि करवा चौथ पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 55 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।
■ करवा चौथ की पूजा सामग्री
करवा चौथ की थाली में रोली, महावर, लौंग-कर्पूर, जल का भरा हुआ टोटी वाला लोटा, प्रसाद, फूल, घी का दीपक, धूपबत्ती, श्रृंगार का सामान, दूर्वा, मिट्टी का करवा उसमें भरने के लिए चावल या मीठे बताशे, पूजा की सींक आदि। इसके साथ ही करवा चौथ का कैलेंडर-शिव पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमाएं। इसके अलावा आप जो भी भोजन बनाएं उसे भी साथ में रखें।
■ करवा चौथ व्रत कथा पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार एक साहूकार के सात पुत्र और वीरावती नाम की इकलौती पुत्री थी। वीरावती सातों भाइयों के बीच अकेली बहन होने के कारण सबकी लाडली थी और सभी भाई जान से बढ़कर उसे प्रेम करते थे।कुछ समय बाद वीरावती का विवाह एक अच्छे घर में हो गया।विवाह के बाद एक बार जब वह मायके आई तो अपनी भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा, लेकिन शाम होते-होते वह भूख से व्याकुल हो गई।
रात को जब सभी भाई खाना खाने बैठे तब उन्होंने बहन से भी खाने का आग्रह किया, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का व्रत है और चांद को अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खा सकती है। बहन को भूख से व्याकुल देखकर भाइयों ने नगर से बाहर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी की ओट में रख दिया। जिससे दूर से देखने पर प्रतीत हो रहा था कि चांद निकल आया है। इसके बाद एक भाई ने वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है, तुम अर्घ्य देकर भोजन कर सकती हो।इसके बाद वीरावती अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ गई। व्रत भंग होने के कारण भगवान अप्रसन्न हो गए और जैसे ही वीरावती ने मुंह में भोजन का पहला टुकड़ा डाला, तो उसके पति की मृत्यु का समाचार मिल गया।
इसके बाद वीरावती को उसकी भाभियों ने सच्चाई से अवगत कराया और बताया कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ।करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं।इसके बाद एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी धरती पर आईं तो वीरावती उनके पास गई और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की।देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत करने के लिए कहा।इसके बाद वीरावती पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा. उसकी श्रद्धा और भक्ति देखकर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंने वीरावती को सदासुहागन का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया। इस प्रकार जो कोई छल-कपट को त्याग कर श्रद्धा-भक्ति से चतुर्थी का व्रत करेगा, उन्‍हें सभी प्रकार का सुख मिलेगा।
करवा चौथ पर महिलाओं को 16 श्रृंगार करना चाहिए। हिंदू धर्म की मान्याओं के अनुसार, इस दिन पूरे 16 श्रृंगार करने से घर में सुख और सुख-समृद्ध‍ि आ‍ती है और अखंड सौभाग्य का वरदान भी मिलता है। यही वजह है कि भारतीय संस्कृति में सोलह श्रृंगार को जीवन का अहम और अभिन्न अंग माना गया है।
आइए जानते हैं कि 16 श्रृंगार में कौन-कौन से श्रृंगार आते हैं-
1. बिंदी: संस्कृत भाषा के बिंदु शब्द से बिंदी की उत्पत्ति हुई है।भवों के बीच रंग या कुमकुम से लगाई जाने वाली बिंदी भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है। सुहागिन स्त्रियां कुमकुम या सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगाना जरूरी समझती हैं।इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
2. सिंदूर: उत्तर भारत में लगभग सभी प्रांतों में सिंदूर को स्त्रियों का सुहाग चिन्ह माना जाता है और विवाह के अवसर पर पति अपनी पत्नी के मांग में सिंदूर भर कर जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है।
3. काजल: काजल आंखों का श्रृंगार है। इससे आंखों की सुन्दरता तो बढ़ती ही है, काजल दुल्हन और उसके परिवार को लोगों की बुरी नजर से भी बचाता है।
4. मेहंदी: मेहंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। शादी के वक्त दुल्हन और शादी में शामिल होने वाली परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने पैरों और हाथों में मेहंदी रचाती हैं। ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है।
5. लाल जोड़ा: उत्तर भारत में आमतौर से शादी के वक्त दुल्हन को शादी का लाल जोड़ा पहनाया जाता है।पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में फेरों के वक्त दुल्हन को पीले और लाल रंग की साड़ी पहनाई जाती है।इसी तरह महाराष्ट्र में हरा रंग शुभ माना जाता है और वहां शादी के वक्त दुल्हन हरे रंग की साड़ी मराठी शैली में बांधती हैं। करवा चौथ पर भी सुहागिनों को लाल जोड़ा या शादी का जोड़ा पहनने का रिवाज है।
6. गजरा: दुल्हन के जूड़े में जब तक सुगंधित फूलों का गजरा न लगा हो तब तक उसका श्रृंगार फीका सा लगता है।दक्षिण भारत में तो सुहागिन स्त्रियां प्रतिदिन अपने बालों में हरसिंगार के फूलों का गजरा लगाती है।करवा चौथ पर किए जाने वाले 16 श्रृंगार में से एक गजरा भी है।
7. मांग टीका: सिंदूर के साथ पहना जाने वाला मांग टीका जहां एक ओर सुंदरता बढ़ाता है, वहीं वह सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि नववधू को मांग टीका सिर के ठीक बीचों-बीच इसलिए पहनाया जाता है कि वह शादी के बाद हमेशा अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चले और वह बिना किसी पक्षपात के सही निर्णय ले सके।
8. नथ:  ऐसी मान्यता है कि सुहागिन स्त्री के नथ पहनने से पति के स्वास्थ्य और धन-धान्य में वृद्धि होती है। इसलिए करवा चौथ के अवसर पर नथ पहनना न भूलें।
9. कर्णफूल या कान की बालियां: सोलह श्रृंगार में एक आभूषण कान का भी है। करवा चौथ पर अपना कान सूना ना रखें।उसमें सोने की बालियां जरूर पहनें।

10. हार या मंगलसूत्र:  दसवां श्रृंगार है मंगलसूत्र या हार. सुहागिनों के लिए मंगलसूत्र और हार को वचनबद्धता का प्रतीक माना जाता है। सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है।
11. आलता: नई दुल्हनों के पैरों में आलता देखा होगा आपने इसका खास महत्व है। 16 श्रृंगार में एक ये श्रृंगार भी जरूरी है करवा चौथ के दिन।
12. चूड़ियां: सुहागिनों के लिए सिंदूर की तरह ही चूड़ियों का भी महत्व है।
13. अंगूठी: अंगूठी को 16 श्रृंगार का अभिन्न हिस्सा माना गया है।
14. कमरबंद: कमरबंद इस बात का प्रतीक है कि सुहागन अब अपने घर की स्वामिनी है।
15. बिछिया: पैरों के अंगूठे में रिंग की तरह पहने जाने वाले इस आभूषण को अरसी या अंगूठा कहा जाता है और दूसरी उंगलियों में पहने जाने वाले रिंग को बिछिया।
16. पायल: माना जाता है कि सुहागिनों का पैर खाली नहीं होना चाहिए। उन्हें पैरों में पायल जरूर पहनना चाहिए।

करवाचौथ के दिन भूलकर भी ना करें ये 8 काम….
1. करवा चौथ के दिन देर तक ने सोए क्योंकि व्रत की शुरुआत सूर्योदय के साथ ही हो जाती है।

2. पूजा-पाठ में भूरे और काले रंग को शुभ नहीं माना जाता है हो सके तो इस दिन लाल रंग के कपड़े ही पहनें क्योंकि लाल रंग प्यार का प्रतीक माना जाता है।

3. खुद न सोने के अलावा इस दिन महिलाओं को घर के किसी भी सोते हुए सदस्य को उठाना नहीं चाहिए हिंदू शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ के दिन किसी सोते हुए व्यक्ति को नींद से उठाना अशुभ होता है।

4. सास की दी गई सरगी करवाचौथ पर शुभ मानी जाती है, व्रत शुरु होने से पहले सास अपनी बहू को कुछ मिठाईयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान देती है, सरगी का भोजन करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें।

5. व्रत करने वाली महिलाओं को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए महिलाओं को घर में किसी बड़े का अपमान नहीं करना चाहिए।

6. शास्त्रों में कहा गया है कि करवा चौथ व्रत के दिन महिलाओं को पति से झगड़ा नहीं करना चाहिए, झगड़ा करने से आपको व्रत का फल नहीं मिलेगा।

7. करवा चौथ के व्रत के दिन सफेद चीजों का दान करने से बचे जैसे सफेद कपड़े, दूध, चावल, दही और सफेद मिठाई दान न करें।

8. इस दिन नुकीली चीजों के इस्तेमाल से बचें सुई-धागे का काम न करें, कढ़ाई-सिलाई या बटन टकने का इस दिन ना करें तो अच्छा है।

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