आम आदमी पार्टी को फ़र्ज़ी कंपनियों द्वारा चंदे का भंडाफोड़ अब हुआ है.ये भी एक स्वयं सेवी संस्था के प्रयास से.कंपनियों के जरिये काले धन को सफ़ेद करने के मामलों में नॉएडा के अनेकों रियल एस्टेट कारोबारियों के विरुद्ध पूरी ताकत से जांच कर रहे आयकर विभाग को अपने इस पुराने ‘साथी’ के फ़र्ज़ी कंपनियों से ‘चंदा’ लेकर राजनीती का ‘धंधा’ करने वाले केजरीवाल के विरुद्ध जांच करने में सांप सूंघ गया था क्या?उसके द्वारा चंदे की सूचि सार्वजनिक करने मात्र से ही क्या वो दूध का धुला हो गया?अगर उसके और उसकी पार्टी के बयानवीरों के बयानों को देखें तो उनमे किसी में भी कंपनियों के फ़र्ज़ी होने से इंकार नहीं किया गया है.केवल ये कहा गया है कि यदि ‘चंदा’ देने वाली कंपनियों ने कोई गलत काम किया है तो उनके विरुद्ध कार्यवाही करो.ये बयान अगर उन्हें पाक साफ़ मानने के लिए काफी है तो फिर आयकर विभाग को इसी प्रकार कंपनियों की आड़ में पैसा सफ़ेद करने के अन्य सभी मामलों को भी बंद कर देना चाहिए.मत भूलें की आयकर विभाग के लम्बे अनुभव ने उसे कालाधन सफ़ेद करने के सारे गुर सिखा दिए हैं जिनका पूरा इस्तेमाल वो फ़र्ज़ी कम्पनियों से चंदा दिखाकर उसे सफ़ेद करने में कर रहा है.आयकर विभाग ८०-जी के मामलों में भी चंदा देने वालों की पूरी जांच करता है जबकि इस मामलों में आयकर विभाग अपनी जिम्मेदारी से आँख बंद करके अपने पुराने साथी से यारी निभाते रहे हैं.अभी भी श्रीमती केजरीवाल आयकर आयुक्त के पद पर आसीन हैं.
मैं पिछले डेढ़ वर्ष से लिखता रहा हूँ कि केजरीवाल एक शातिर आदमी है.जिसने आयकर विभाग में रहते एक पैसा भी काले धन का उजागर नहीं किया.विभाग में व्याप्त करप्शन के किसी मामले में किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की और केवल बड़ी कंपनियों से चंदे लेकर अपने एन जी ओ को मजबूत करता रहा.तथा सोनिया गांधी की कृपा से उसने और उसकी पत्नी ने दिल्ली से बाहर कोई तैनाती नहीं ली.जुगाड़बाजी करके अमेरिका की सी आई से घनिष्ठ सम्बन्धो वाले संगठन से मेग्सेसे पुरस्कार प्राप्त कर लिया.
केंद्र सरकार को इस पहलु की भी जांच करनी चाहिए कि फ़र्ज़ी कंपनियों की आड़ में आप ने कितना काला धन सफ़ेद किया और उसमे कितना पैसा संदिग्ध आतंकी स्रोतों से आया है.केजरीवाल की पार्टी के समर्थन में पाकिस्तान, दुबई और अन्य देशों से चल रहे प्रचार अभियान से ये संदेह उत्पन्न होता है कि उसके तार कहीं आतंकियों से तो नहीं जुड़े हैं?उसको दुबई और अमेरिका व हांगकांग आदि देशों से मिले बड़े ‘चन्दों’ की भी गहराई से जांच करनी चाहिए.इसमें विदेशी चंदे कानून के उल्लंघन के आरोपों की जांच भी त्वरित रूप से होनी चाहिए.आखिर गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय कर क्या रहा है जिसे पिछले नौ महीनों में इन धांधलियों की जांच की फुर्सत नहीं मिली?या उनमे कोई भी काम करने की इच्छा शक्ति शेष नहीं रह गयी है?जिस प्रकार से देश में एक अनजान चेहरे को मीडिया और विदेशी एजेंसियों ने जीरो से ‘हीरो’ बनाकर लोकतंत्र को चुनौती दी है उसी प्रकार एक विदेशी एजेंसी ने रेमन मेग्सेसे को भी खड़ा किया था.और बाद में उसके नाम पर पुरस्कार चालू कर दिया गया था.
लोगों को किसी को भी नायक मानने से पहले उसके बारे में पूरी तसल्ली कर लेनी चाहिए.वर्ना फिर पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयीं खेत.
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अनिल गुप्ता जी,
युवा हो और बड़े जोश में दिख रहे हो.इसी जोश में इतना ज्यादा लिख गए.ध्यानही नहीं रहा की क्याक्या लिख गए.आआप ही एक ऐसी पार्टी है,जो अपने चंदे का पूरा व्योरा अपने वेब साईट पर देती है.अन्य कोई पार्टी ऐसा करने का साहस भी नहीं करती.क्या आप बता सकते हैंकि कोई भी अन्य पार्टी आर.टी. आई के दायरे में क्यों नहीं आना चाहती? आप लिखते तो गए हैं,पर यह नहीं सोचा कि इन्कम टैक्स विभाग का जॉइंट कमिश्नर ऐसी गलती कैसे करेगा? भले मानस ,ज़रा तो सोचते,तब इतनी लम्बी चौड़ी गाथा नहीं लिख पाते . लगे हाथों एक छोटा सा आलेख उन पार्टियों के चंदे के श्रोत पर भी लिख डालते जिनके क्रमश ८४% और 74% अज्ञात श्रोत से और जो २००० करोड़ से ऊपर है. क्या मैं यह सोचूं कि यह उसी कड़ी का एक हिस्सा है कि हम तो नाली के कीड़े हैं ही,पर तुम भी उससे बाहर नहीं हो.ऐसा बार बार क्यों होता है.मैं कितनी बार अपना यह आलेख दुहराऊं.https://www.pravakta.com/drain-the-bug
आप के समर्थन में आप ये भूल गए हैं कि केवल वेबसाईट पर सूचना डाल देने मात्र से काला धन सफ़ेद नहीं हो जाता.अगर ऐसा होता तो हवाला और अंतर्राष्ट्रीय सौदों में कमीशन की जांच के लिए जांच एजेंसियां बैंकिंग ट्रांजैक्शंस के ‘ट्रेल’ ढूंढने में समय और धन व्यय न करते.आयकर अधिकारी होने से ही ये जानकारी उन्हें हुई कि काला धन कैसे सफ़ेद किया जा सकता है.यहाँ बात उन की नहीं हो रही है जिन पर फिलहाल आरोप नहीं लगे हैं.बात उसकी हो रही है जिसके विरुद्ध सबूतों के साथ मामला सामने आया है.अगर अन्य दलों के विरुद्ध कोई मामला सामने आएगा तो उनके विरुद्ध भी कार्यवाही होनी चाहिए.लेकिन केवल ये कहने से की ‘मेरे आलावा सभी चोर हैं’ आप का अपराध कम नहीं हो जाता.आयकर विभाग का छोटा सा अधिकारी भी बता सकता है कि किस प्रकार ‘गिफ्ट’ के जरिये काले धन को सफ़ेद करने के लाखों मामलों में आयकर विभाग द्वारा कार्यवाही की गयी हैं.इन सभी मामलों में भी चेक के जरिये ही ‘गिफ्ट’ दिए गए थे.पहले काला धन ‘डोनर’ को दे दिया जाता है और वो उसे बैंक में जमा कर देता है.बाद में उसी में से चेक काट कर धन देने वाले या उसके नामित व्यक्ति को दे दिया जाता है.और इस प्रकार काला धन ‘सफ़ेद’ हो जाता था.लेकिन आयकर विभाग ने ऐसे लाखों मामलों में कार्यवाही करके कर व दंड वसूल किया है.
अब तो बात और आगे बढ़ गयी है.जिस पार्टी ने चेक से दिया था,उसने अवाम के गोयल को लीगल नोटिस भेजा है. आर.सिंह क्या आप सचमुच मानते हैं की अन्य पार्टियों के विरुद्ध कोई प्रमाण नहीं है?वे आर.टी.आई.के अंतर्गत क्यों नहीं आना चाहते?
केजरीवाल दोहरे चरित्र के व्यक्ति हैं,वे जो अपराध करते हैं उसके विषय में पहले से ही शोर करना चालू कर देते हैं ताकि लोगों का ध्यान उनके अपराध पर नहीं बल्कि ईमानदारी पर जाये मीडिया में बने रहने के लिए वे इस प्रकार के काम कर ड्रीम लाइट में बने रहते हैं ,इन्होने ही पहले स्टिंग ओपेरटिओंका हल्ला किया था ,कहीं यह अवाम भी इनका ही संगठन न हो वे जहाँ भी उलझते हैं तो फट से इतने विनम्र हो कर बात करने लगते हैं कि अन्य कोई उन पर शक न कर सके ,कल से वे चिल्ला रहे थे कि दिल्ली केंट में दो बार चेकिंग में ई वी एम मशीनों में गलतियां पकड़ी हैं आज चुनाव आयोग में जा कर शिकायत करने के बजाय वहां अपना संदेह व्यक्त करते हैं कि ऐसी गलती हो सकती है
उनके बोलने को जनता अभी समझ नहीं रही है ,वे भी अन्य राजनीतिज्ञों की तरह पूरे धूर्त हैं अपनी बात कह कर उनके पलटने के अनेकों उदहारण ऐसे मिल जायेंगे