केजरीवाल ने की बुझते शोलों को हवा देने की कोशिश

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टीम अन्ना के बुझते आंदोलन को हवा देने की खातिर अन्ना हजारे के खासमखास सिपहसालार अथवा यूं कहें कि अन्ना को कथित रूप से चाबी भरने वाले अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर गरमागरम बयान दे दिया है। यूपी विधानसभा चुनावों में स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों को चुनने के लिए चलाए जा रहे जन जागृति अभियान के सिलसिले में केजरीवाल ने कहा कि संसद में हत्यारे और बलात्कारी बैठे हैं। लालू, मुलायम और राजा जैसे लोग संसद में बैठ कर देश का कानून बना रहे हैं। धन इकठ्ठा कर रहे हैं। इन लोगों से संसद को निजात दिलाने की जरूरत है। उन्होंने यहां तक कहा कि लुटेरे और बलात्कारी सहित सभी प्रकार के बुरे तत्व संसद पर कब्जा जमाए हुए हैं। पहली बार क्रीज से बाहर आ कर उन्होंने कहा कि भाजपा भी भ्रष्टाचार करने वालों में शामिल है। उसने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए कुछ भी नहीं किया।

असल में केजरीवाल को लग रहा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश को खड़ा व एकजुट करने के तुरंत बाद भी यूपी विधानसभा चुनाव में उनकी टीम अप्रासंगिक सी हो गई है। वहां जातिवाद व संप्रदायवाद पूरी तरह से हावी हैं। हर पार्टी ने इसी आधार पर प्रत्याशियों का चयन किया है और जनता का रुख भी जातिवाद पर केन्द्रित हो गया है। ऐसे में चुनाव के बाद आंदोलन को फिर से जिंदा करने में काफी जोर आएगा। इसी कारण चुनावी सरगरमी के बीच आखिरी दौर में जानबूझ कर ऐसा बयान दिया है, ताकि राजनेताओं को मिर्ची लगे और वे प्रतिक्रिया में कुछ बोलें व फिर बहस की शुरुआत हो जाए। उनका पैंतरा काम भी आया। उनका गरमागरम बयान आते ही राजनीति भी गरम हुई। कांग्रेस ने केजरीवाल के इस बयान पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। कांग्रेस प्रवक्ता संजय निरूपम ने कहा कि हम मानते हैं कि संसद में आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग हैं। इसका मतलब ये नहीं कि कोई भी संसद की गरिमा के खिलाफ जा कर बोले। यह संसद के विशेषाधिकार का हनन है। सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि उनका यह बयान अमर्यादित है। टीम अन्ना लगातार संसद के मर्यादा को चोट पहुंचा रही है। मुलायम सिंह का नाम इस संदर्भ में घसीटना बेतुका है। पार्टी इस संदर्भ में चर्चा के बाद कार्रवाई तय करेगी। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ह्रदय नारायण दीक्षित ने कहा है कि केजरीवाल को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था। संसद एक गरिमामयी स्थान है। सांसदों को जनता चुनकर भेजती है। ऐसे में उनको इस तरह की बात कहने का कोई अधिकार नहीं है। संसद की विशेषाधिकार समिति इस बात का संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगी।

निरूपम के इस बयान से जाहिर तौर पर एक बार फिर यह बहस शुरू होगी कि टीम अन्ना संसद की गरिमा पर हमला कर रही है या फिर सांसदों पर। देखना ये होगा कि केजरीवाल की ओर से शांत से हो गए आंदोलन में डाले गए कंकड़ से कितने दिन तक तरंगें उठती हैं।

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