दुनियां को पाक अधिकृत कश्मीर से अवगत कराये भारत

3
149

आर.एल.फ्रांसिस

पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में व्यवस्था के विरुद्ध उठते विद्रोह के बीच पाकिस्तान बड़े ही गुपचुप तरीके से वहां के सामरिक क्षेत्र गिलगित-बालिटस्तान का नियंत्रण चीन को सौंप रहा है। और इस क्षेत्र में चीन अपने सैनिकों की तैनाती कर रहा है। सामरिक दृषिट से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने और खाड़ी देशों से संपर्क के लिए सड़कों और रेललाइन तक का निमार्ण कर रहा है। भारत को पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर-गिलगित-बालिटस्तान को बचाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। यह विचार उतरी अमेरिका और यूरोप के जाने माने राजनीतिक कार्यकर्ता मुमताज खान और सनेज हसन ने इंडिया फाउडेशन द्वारा दिल्ली में आयोजित एक अतंरराष्ट्रीय सम्मेंलन पाक अधिकृत कश्मीर और उतरी क्षेत्र में वर्तमान सिथति और आगे का रास्ता पर चर्चा के दौरान कहे।

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए पूर्व विदेश मंत्री और वरिष्ट भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि भारत को अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाक अधिकृत कश्मीर का मामला उठाना चाहिए, सिन्हा ने कहा कि दुनिया पाक कब्जे वाले कश्मीर के बारे में बहुत कम जानकारी रखती है और हमें वहां के लोगों पर चल रहे दमन चक्र के बारे में दुनियां को अवगत करवाना चाहिए।

कश्मीरियों के प्रति पाकिस्तान के दिखावे का जिक्र करते हुए हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर को स्वतंत्र बताता है लेकिन वहां के प्रधानमंत्री को एक सचिव से मिलने के लिए भी अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। गिलगित और बालिटस्तान में लोकतांत्रिक अधिकारों और स्वायत्तता की मांग को लेकर शिया मुसलमानों के आंदोलन को बर्बरता से कुचला गया। सुन्नी जेहादी संगठन पाक सेना के साथ मिलकर उन्हें आतंकित कर रहे है। उनका कसूर सिर्फ इतना है कि वह पूरे राजनीतिक अधिकारों की मांग कर रहे है। जबकि मौजूदा समय में निर्वाचित सदन के पास सीमित अधिकार है सारी शक्ति कश्मीर काउंसिल को दे दी गर्इ है जिसे पाकिस्तान का राष्ट्रपति नियुक्त करता है। जबकि भारत में कश्मीरियों को व्यापक अधिकार मिले हुए है और यहा चुनाव भी निष्पक्ष होते है। भारत को पाक अधिकृत कश्मीर की सच्चार्इ दुनियां के सामने लाकर इसे बचाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

सामाजिक कार्यकर्ता विजय क्रांति ने अपने ही देश में शरणार्थी का जीवन जी रहे लाखों लोगों की चर्चा करते हुए कहा कि पाकिस्तानी सेना, पुलिस और कबायलियों द्वारा मीरपुर, मुज्जफराबाद, भिंबर, कोटली और देव बटाला जैसे शहरों पर पाकिस्तान के कब्जे के कारण पचास हजार भारतीय नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी और लाखों लोग विस्थापित होकर शरणार्थी का जीवन जी रहे है। जिन्हें सरकार शरणार्थी मानने को भी तैयार नही है। क्योंकि वह पाक अधिकृत कश्मीर को भारत का हिस्सा मानती है भारतीय संसद ने भी एकमत से यह माना है। उन्होनें कहा कि सरकार इन विस्थापित लोगों को पुन: उनकी जन्मभूमि दिलाने के प्रयास करे।

 

 

3 COMMENTS

  1. अवगत कराना आवश्यक, पर अवगत कराने से, कुछ विशेष लाभ देखता नहीं हूँ| जिसकी लाठी उसकी भैंस का न्याय चलता है|

    सिद्धांत
    (१) लिख ले|
    हमारी लड़ाई कोई भी कभी भी लडेगा नहीं|
    (२)
    जब उनके हित, और हमारे हित एक रूप होंगे, तो ही, वे हमारा साथ देंगे| वे उनके हित की रक्षा के लिए ही ऐसा करेंगे|
    (३)
    हम हर कोई(?) पर, उनके हितों का अवरोध कर के, दबाव बना सकते हैं|
    (अ) चीन का माल बिकना रोकने की धमकी देकर|
    धमकी तो दो|
    (आ) अन्य देशा से भी विमान और मशीनरी इत्यादि वस्तुओं की खरीदी को भी रोकने की धमकी देकर|
    ब्लेक मेलिंग कहते हैं इसे|
    (इ) चीन का भू भाग क्लेम तो करो|
    चीन और पश्चिम को बाजार चाहिए|
    खरीद दार भारत में, और भारत है|

    कुछ चिंतन से और भी रास्ते निकल आएँगे|
    क्या प्रतिपक्षों की आलोचना, और भ्रष्टाचार में ही बुद्धि दौड़ती है?
    और सीमा पर, अपनी पूंछ नीची,
    और चीन के सामने अपनी मूंछ नीची?

  2. किस से कहें – क्या कहें – क्या किसी को सुनायी देता है – क्या किसी को दिखाई देता है – क्यों नहीं पहल की जाती और एक कार्यवाही करे – चीन से अपना १९६२ में खोया क्षेत्र वापिस लेने की. | क्यों नहीं पाकिस्तान से कहें की जो भूभाग पकिस्तान ने चीन को उपहार में दिया वो भारत का है और उसे चीन को देना गलत है | प्रधान मंत्री चीन की प्रशंसा कर रहे थे | लेकिन उन्होंने कभी चीन को अरुणाचल में हस्तक्षेप न करने के लिए नहीं कहा |

  3. असल में हमारी सेकुलर भारत सरकार काश्मीर के मुद्दे को हमेशा से मजहबी चश्मे से देखती रही है और देश के उन भूभागों से उसका कोई लगाव नहीं है जिन्हें हमारे उत्तरी और पश्चिमी पडोसी देशों ने आक्रामक कार्यवाही के जरिये हथिया लिया है भले ही उसके विषय में भारतीय संसद ने सर्वसम्मति से उन भूभागों को पुनः हासिल करने के प्रस्ताव पारित करके भारत सरकार को कार्यवाही के लिए अधिकृत क्यों न किया गया हो. लेकिन कांग्रेसी नेतृत्व ने हमेशा से देश को जमीं का एक टुकड़ा माना है. और देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरु ने तो चीन द्वारा कब्जाए गए छेत्रों के बारे में कहा ही था की “वो बंजर इलाका है, जहाँ घास का एक तिनका भी नहीं उगता है.” अफ़सोस की चीन को हमारी भूमि पाकिस्तान द्वारा दिए जाने पर भी भारत ने आपत्ति नहीं उठाई जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ में उसके विषय में ये प्रस्ताव पास किया हुआ है की पाकिस्तान उस छेत्र को खाली करे. लेकिन भारत सरकार की मान्यता प्रतीत होती है की ‘जो चला गया उसे भूल जा’.समय हाथ से निकला जा रहा है और भारत को इस मामले में कड़े से कडा सन्देश पाकिस्तान और चीन दोनों को देना चाहिए. और अगर आवश्यकता हो तो उस छेत्र में बल प्रयोग द्वारा भी चीन के अवैध कब्जे और सड़क व रेल लाईन बिछाने के कार्य पर रोक लगानी चाहिए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,676 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress