Home ज्योतिष जानिए मोती का प्रभाव और मोती क्यों पहने ???

जानिए मोती का प्रभाव और मोती क्यों पहने ???

पुरातन काल से ही रत्नों का प्रचलन रहा है | मानिक मोती मूंगा पुखराज पन्ना हीरा और नीलम ये सब मुख्य रत्न हैं | इनके अतिरिक्त और भी रत्न हैं जो भाग्यशाली रत्नों की तरह पहने जाते हैं | इनमे गोमेद, लहसुनिया, फिरोजा, लाजवर्त आदि का भी प्रचलन है | रत्नों में ७ रत्नों को छोड़कर बाकी को उपरत्न समझा जाता है | मानिक मोती मूंगा पुखराज पन्ना हीरा और नीलम लहसुनिया और गोमेद ये सब ९ ग्रहों के प्रतिनिधित्व के आधार पर पहने जाते हैं |

ग्रह और उनके रत्न इस प्रकार हैं—
मानिक मोती मूंगा पन्ना पुखराज हीरा नीलम गोमेद लहसुनिया
सूर्य चन्द्र मंगल बुध गुरु शुक्र शनि राहू केतु
असली रत्न मेहेंगे होने के कारण लोग उप्रत्नों को उनके स्थान पर पहन लेते हैं | किताबों में लिखा है कि उपरत्न कम प्रभाव देते हैं |

सभी रत्न नौ ग्रहों के अंतर्गत आते हैं | सूर्य चन्द्र मंगल बुध गुरु शुक्र शनि राहू केतु यह सब ग्रह जन्मकुंडली के अनुसार व्यक्ति को शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं | जन्म कुंडली चक्र में १२ स्थान होते हैं जिन्हें घर या भाव भी कहा जाता है | बारह भावों में सूर्यादि ग्रहों की स्थिति से निर्धारण किया जा सकता है कि कौन सा रत्न व्यक्ति को सर्वाधिक लाभ देगा | पिछले ३० वर्षों के अनुभव अनुभव के आधार पर मैंने पाया है कि यदि कोई ग्रह आपके लिए शुभ है और उसका पूरा फल आपको नही मिल रहा तो उस ग्रह से सम्बंधित रत्न धारण कर लीजिये | आप पाएंगे कि एक ही रत्न ने आपके जीवन को नई दिशा दे दी है और आपकी मानसिकता में परिवर्तन आया है | केवल एक ही रत्न काफी है आपका भाग्य बदलने के लिए |

विभिन्न प्रकार की प्रचलित मान्यताओ के अनुसार विशिष्ठ सिधान्त है नव रतन धारण करने के सरल और सहज उपाए इस प्रकार है।

१- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म राशी , जन्म दिन , जन्म मास , जन्म नक्षत्र को ध्यान में रखते हुए ही रत्न धरण किया जाना चाहिए।

२- लग्नेश , पंचमेश , सप्तमेश , भाग्येश और कर्मेश के क्रम के अनुसार एवम महादशा , प्रत्यंतर दशा के अनुसार ही रत्न धारण करना चाहिए।

३ – छटा, आठवा और बरवा भाव को कुछ विद्वान मारकेश मानते है , मारकेश रत्न कभी धारण न करे।

४- रत्न का वजन पोने रत्ती में नही होना चाहिए। पोनरत्ती धारण करने से व्यक्ति कभी फल फूल नही पाता है। ऐसा व्यक्ति का जीवन हमेशा पोना ही रहता है

५- जहाँ तक रत्न हमेशा विधि विधान से तथा प्राण प्रतिष्ठा करवा कर , शुभ वार , शुभ समय अथवा सर्वार्ध सिद्धि योग , अमृत सिद्धि योग या किसी भी पुष्प नक्षत्र में ही शुभ फल देता है।

६- जहा तक संभव हो रत्न सार्वशुद्ध ख़रीदे और धारण करे और दोष पूर्ण रत्न न ख़रीदे जैसे दागदार , चिरादार , अन्य दो रंगे , खड्डा , दाडाक दार , अपारदर्शी (अंधे) रत्न अकाल मृत्यु का घोतक होते है
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आइये जाने “मोती” रत्न के प्रभाव और परिणाम–

मोती कर्क लग्न का आजीवन रत्न है एवम भाग्येश रत्न पुखराज है। मोती रत्न चन्द्रमा की शांति एवम चन्द्रमा को बलवान बनाने के लिए धारण किया जाता है किसी व्यक्ति की कुंडली में चन्द्र बलिष्ठ एवम कमजोर हो सकता है। मान सागरीय के मतानुसार चन्द्रमा को रानी भी कहा गया है। बलिष्ठ चन्द्रमा से व्यकि को राज कृपा मिलती है , उसके राजकीय कार्यो में सफलता मिलती है , मन को हर्षित करता है, विभिन्न प्रकार की चिन्ताओ से मुक्त करता है | ज्योतिष् शास्त्र में चंद्रमा को ब्रह्मांड का मन कहा गया है. हमारे शरीर में भी चंद्रमा हमारे मन व मस्तिष्क का कारक है, विचारों की स्थिरता का प्रतीक है | मन ही मनुष्य का सबसे बड़ा दोस्त या दुश्मन है |माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से भरपूर मोती रत्न पहनने से आप लक्ष्मी को अपने द्वार पर आमंत्रित करेंगे। अगर आप की कुंडली में चंद्रमा कमज़ोर है, तो उस को सबल बनाने में आप की मदद करेगा। इस के अलावा अनिद्रा व मधुमेह को नियंत्रण में लाने में भी यह मदद करता है। मोती रत्न आप की याददाश्त को बल देता है। आप के मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। इस के अलावा मोती यौन जीवन में शक्ति प्रदान करने के लिए भी जाना जाता है एवं आप के वैवाहिक जीवन को सुंदर बनाता है।

मोती चंद्रमा का रत्न है. कहा जाता है :-
कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाती एक, गुण तीन|
जैसी संगत बैठियें, तेसोई फल दीन ||

अर्थात स्वाती नक्षत्र के समय बरसात की एक बूंद घोघे के मुख में समाती है तब वह मोती बन जाता है. वही बूंद केले में जा कर कपूर और साँप के मूह में जा कर हाला हाल विष बनती है |

रसायनिक दृष्टि से इसमे , केल्षीयम, कार्बन और आक्सीज़न,यह तीन तत्व पाए जाते है. आयुर्वेद के अनुसार मोती में 90% चूना होता है, इसलिए कैल्शियम् की कमी के कारण जो रोग उत्पन्न होते है उनमें लाभ करता है. नेत्र रोग, स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए, पाचन शक्ति को तेज़ करने के लिए व हृदय को बल देने के लिए मोती धारण करना चाहिए | सामान्यत: चंद्रमा क्षीण होने पर मोती पहनने की सलाह दी जाती है मगर हर लग्न के लिए यह सही नहीं है। ऐसे लग्न जिनमें चंद्रमा शुभ स्थानों (केंद्र या‍ त्रिकोण) का स्वामी होकर निर्बल हो,ऐसे में ही मोती पहनना लाभदायक होता है। अन्यथा मोती भयानक डिप्रेशन, निराशावाद और आत्महत्या तक का कारक बन सकता है।

सामान्य तोर पर लोग मोती रत्न पहन लेते है , जब उनसे पूछा जाता है की यह रत्न आपने क्यों पहना तो 95 प्रतिशत लोगो का जबाब होता है की ” मुझे गुस्सा बहुत आता है , गुस्सा शांत रहे इसलिए पहना है” यह बिलकुल गलत है ! मोती रत्न चन्द्रमा ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है , और यह ग्रह आपकी जन्मकुंडली में शुभ भी हो सक्ता है और अशुभ भी ! यदि चंद्रमा शुभ ग्रहों के साथ शुभ ग्रहों की राशि में और शुभ भाव में बैठा होगा तो निश्चित ही मोती रत्न आपको फायदा पहुचाएगा ! इसके विपरीत अशुभ ग्रहों के साथ होने से शत्रु ग्रहों के साथ होने से मोती नुसकान भी पंहुचा सकता है |

जैसे मोती रत्न को यदि मेष लग्न का जातक धारण करे, तो उसे लाभ प्राप्त होगा। कारण मेष लग्न में चतुर्थ भाव का स्वामी चंद्र होता है। चतुर्थेश चंद्र लग्नेश मंगल का मित्र है। चतुर्थ भाव शुभ का भाव है, जिसके परिणामस्वरूप वह मानसिक शांति, विद्या सुख, गृह सुख, मातृ सुख आदि में लाभकारी होगा। यदि मेष लग्न का जातक मोती के साथ मूंगा धारण करे, तो लाभ में वृद्धि होगी।

मोती, चन्द्र गृह का प्रतिनिधित्व करता है! कुंडली में यदि चंद्र शुभ प्रभाव में हो तो मोती अवश्य धारण करना चाहिए | चन्द्र मनुष्य के मन को दर्शाता है, और इसका प्रभाव पूर्णतया हमारी सोच पर पड़ता है| हमारे मन की स्थिरता को कायम रखने में मोती अत्यंत लाभ दायक सिद्ध होता है| इसके धारण करने से मात्री पक्ष से मधुर सम्बन्ध तथा लाभ प्राप्त होते है! मोती धारण करने से आत्म विश्वास में बढहोतरी भी होती है | हमारे शरीर में द्रव्य से जुड़े रोग भी मोती धारण करने से कंट्रोल किये जा सकते है जैसे ब्लड प्रशर और मूत्राशय के रोग , लेकिन इसके लिए अनुभवी ज्योतिष की सलाह लेना अति आवशयक है, क्योकि कुंडली में चंद्र अशुभ होने की स्तिथि में मोती नुक्सान दायक भी हो सकता है | पागलपन जैसी बीमारियाँ भी कुंडली में स्थित अशुभ चंद्र की देंन होती है , इसलिए मोती धारण करने से पूर्व यह जान लेना अति आवशयक है की हमारी कुंडली में चंद्र की स्थिति क्या है ? छोटे बच्चो के जीवन से चंद्र का बहुत बड़ा सम्बन्ध होता है क्योकि नवजात शिशुओ का शुरवाती जीवन , उनकी कुंडली में स्थित शुभ या अशुभ चंद्र पर निर्भर करता है! यदि नवजात शिशुओ की कुंडली में चन्द्र अशुभ प्रभाव में हो तो बालारिष्ठ योग का निर्माण होता है | फलस्वरूप शिशुओ का स्वास्थ्य बार बार खराब होता है, और परेशानिया उत्त्पन्न हो जाती है , इसीलिए कई ज्योतिष और पंडित जी अक्सर छोटे बच्चो के गले में मोती धारण करवाते है | कुंडली में चंद्रमा के बलि होने से न केवल मानसिक तनाव से ही छुटकारा मिलता है वरन् कई रोग जैसे पथरी, पेशाब तंत्र की बीमारी, जोड़ों का दर्द आदि से भी राहत मिलती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की स्त्रियो के नथुनी में मोती धारण करने से लज्जा लावारण अखंड सोभाग्य की प्राप्ति होती है और पति पत्नी में प्रेम प्रसंग या प्रेमिका को पाने के लिए मोती रत्न धारण करने से प्रेम परवान चढ़ाता है। मोती रत्न धारण करने से उदर रोग भी ठीक होता है जिस जातक का बलिष्ठ चन्द्रमा हो , सुख और समृद्धि प्रदान कर रहा हो , माता की लम्बी आयु वाले व्यक्तिओ को चन्द्र की वास्तुओ का दान नही लेना चाहिए | द्रव्य से जुड़े व्यावसायिक और नोकरी पेशा लोगों को मोती अवश्य धारण करना चाहिए , जैसे दूध और जल पेय आदि के व्यवसाय से जुड़े लोग , लेकिन इससे पूर्व कुंडली अवश्य दिखाए |

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के मुताबिक इसके साथ साथ वृषभ लग्न के जातकों को मोती से हमेशा दूरी बनाए रखना चाहिए, क्योंकि इस लग्न के जातकों के लिए मोती शुभता प्रदान नहीं करता है। मोती यूं तो शांति का कारक माना गया है लेकिन मोती को भी बगैर ज्योतिषीय सलाह से बिल्कुल भी धारण नहीं करना चाहिए। इसी तरह मिथुन लग्न वालों के लिए भी मोती अशुभ है तो वहीं सिंह लग्न के लिए भी मोती का प्रभाव अशुभ रूप से ही सामने आता है।
ज्योतिष् शास्त्र के अनुसार रत्नों का हमारे जीवन पर विशेष महत्व रहता है. कोई भी रत्न हमारे जीवन पर किसी न किसी रूप में प्रभाव डालता है. यदि वह शुभ ग्रह का हो तो जीवन सुखमय व परिपूर्ण लगने लगता है और यदि वह ग्रह अशुभ हो तो जीवन में कठिनाइयां बढ़ती जाती है |

—अमावस्या के दिन जन्में जातक मोती धारण करेंगे तो उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
– राहू के साथ ग्रहण योग निर्मित होने पर मोती अवश्य ग्रहण धारण करना चाहिए।
– कुंडली में चंद्र छठे अथवा आठवें भाव में हो तो मोती पहनने से सकारात्मकता का संचार होता है।
– कारक अथवा लग्नेश चंद्र नीच का हो तो मोती पहनें।

इसके अलावा धनु लग्न में जन्में व्यक्ति को भी मोती पहनने से हमेशा हानि ही सामने आती हे तो वहीं ऐसी ही अनिष्टकारी स्थिति कुंभ लग्न वालों के लिए भी कही जाती है। मोती के साथ न तो हीरा धारण करना चाहिए और न ही पन्ना या नीलम या फिर गोमेद मोती के साथ अनुकुलता प्रदान करता है। क्योंकि उपरोक्त सभी रत्न मोती के विपरित स्वभाव वाले है।यदि चंद्रमा कमज़ोर स्थिति में हो मनुष्य में बैचेनी, दिमागी अस्थिरता, आत्मविश्वास की कमी होती है और इसी कमी के चलते वह बार-बार अपना लक्ष्य बदलता रहता है. जिस के कारण सदैव असफलता ही हाथ लगती है. चंद्रमा आलस्य, कफ, दिमागी असंतुलन, मिर्गी, पानी की कमी, आदि रोग उत्पन्न करता है . यह पानी का प्रतिनिधि ग्रह है. मोती की उत्पत्ति भी पानी में और पानी के द्वारा ही होती है |चंद्रमा यदि आपकी कुंडली के अनुसार शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति शारीरिक रूप से पुष्ट, सुंदर, विनोद प्रिय , सहनशील, भावनाओं की कद्र करने वाला, सच्चा होता है|

यदि आप चंद्र देव का रत्न मोती धारण करना चाहते है, तो 5 से 8 कैरेट के मोती को चाँदी की अंगूठी में जड्वाकर किसी भी शुक्लपक्ष के प्रथम सोमवार को सूर्य उदय के पश्चात अंगूठी को दूध, गंगा जल, शक्कर और शहद के घोल में डाल दे | उसके बाद पाच अगरबत्ती चंद्रदेव के नाम जलाये और प्रार्थना करे की हे चन्द्र देव मै आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न, मोती धारण कर रहा हूँ , कृपया करके मुझे आशीर्वाद प्रदान करे, तत्पश्चात अंगूठी को निकाल कर “ॐ सों सोमाय नम:” मंत्र का 108 बार जप करते हुए अंगूठी को शिवजी के चरणों से लगाकर कनिष्टिका ऊँगली में धारण करे | यथा संभव मोती धारण करने से पहले किसी ब्राह्मण ज्योतिषी से अपनी कुंडली में चंद्रमा की शुभता का अशुभता के बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए. मोती रत्न शुक्ल पक्ष के सोमवार या किसी विशेष महूर्त के दिन ब्राह्मण के द्वारा शुद्धीकरण व प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही धारण करना चाहिए |

वैसे मोती अपना प्रभाव जिस दिन मोती धारण किया जाता है उस दिन से 4 दिन के अंदर-अंदर वह अपना प्रभाव देना शुरू कर देता है और औसतन 2 साल एक महीना व 27 दिन में पूरा प्रभाव देता है तत्पश्चात निष्क्रिय होता है। अत: समय पूर्ण होने पर मोती बदलते रहें।वैसे मोती अपना प्रभाव 4 दिन में देना आरम्भ कर देता है, और लगभग 2 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है फिर निष्क्रिय हो जाता है |2 वर्ष के पश्चात् पुनः नया मोती धारण करे |अच्छे प्रभाव प्राप्त करने के लिए साऊथ सी का 5 से 8 कैरेट का मोती धारण करे | मोती का रंग सफ़ेद और कोई काला दाग नहीं होना चाहिए | किन्हीं विशेष परिस्थितियों में मोती बदलने में असमर्थ हों तो उसी अंगूठी को गुनगुने पानी में चुटकी भर शुद्ध नमक डालकर अंगूठी की ऋणात्मक शक्ति को खत्म करें। फिर शुद्ध होने पर अंगूठी को शिवालय लेकर जाएं शिवलिंग पर उसको छुआएं तथा मंदिर में खड़े होकर ही उसे धारण कर लें।

विशेष : —
यदि चंद्रमा लग्न कुंडली में अशुभ होकर शुभ स्थानों को प्रभावित कर रहा हो तो ऐसी स्थिति में मोती धारण न करें। बल्कि सफेद वस्तु का दान करें, शिव की पूजा-अभिषेक करें, हाथ में सफेद धागा बाँधे व चाँदी के गिलास में पानी पिएँ।
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जानिए मोती कब न धारण करें(कब ना पहने)–

01.–जब लग्न कुंडली में चंद्रमा शुभ स्थानों का स्वामी हो मगर, 6, 8, या 12 भाव में चंद्रमा हो तो मोती पहनें।
02. नीच राशि (वृश्चिक) में हो तो मोती पहनें।
03. चंद्रमा राहु या केतु की युति में हो तो मोती पहनें।
04. चंद्रमा पाप ग्रहों की दृष्टि में हो तो मोती पहनें।
05. चंद्रमा क्षीण हो या सूर्य के साथ हो तो भी मोती धारण करना चाहिए।
06. चंद्रमा की महादशा होने पर मोती अवश्य पहनना च‍ाहिए।
07. चंद्रमा क्षीण हो, कृष्ण पक्ष का जन्म हो तो भी मोती पहनने से लाभ मिलता है।
08 .-यदि चंद्रमा लग्न कुंडली में अशुभ होकर शुभ स्थानों को प्रभावित कर रहा हो तो ऐसी स्थिति में मोती धारण न करें। बल्कि सफेद वस्तु का दान करें, शिव की पूजा-अभिषेक करें
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जानिए कैसे करें श्रेष्ट मोती की पहचान—

मोती की माला हो या अंगूठी का रत्न मोती , हमेशा गोल मोती को श्रेष्ट माना गया है मटर के समान गोल मोती मूल्यवान माना गया है तथा मन को मुग्ध करने वाला भी माना गया है ||

असली मोती की पहचान—-

मोती की पहचान का सबसे आसान तरीका है कि मोती को चावल के दानों पर रगड़ें। मोती को चावल के दानों पर रगड़ने से सच्चे मोती की चमक बढ़ जाती है जबकि कृत्रिम तरीके से तैयार मोती की चमक कम हो जाती है।
मोती अनेक रंग रूपों में मिलते हैं। इनकी कीमत भी इनके रूप-रंग तथा आकार पर आंकी जाती है। इनका मूल्य चंद रुपए से लेकर हजारों रुपए तक हो सकता है। प्राचीन अभिलेखों के अध्ययन से पता चलता है कि फारस की खाड़ी से प्राप्त एक मोती छ: हजार पाउंड में बेचा गया था। फिर इसी मोती को थोड़ा चमकाने के बाद 15000 पाउंड में बेचा गया। संसार में आज सबसे मूल्यवान मोती फारस की खाड़ी तथा मन्नार की खाड़ी में पाए जाते हैं।
वैसे तो बसरा मोती सर्वधिक प्रचलित है किन्तु यह समुद्रतट पर बनने वाला प्राकृतिक रत्न है..

पिछले 30 – 40 वर्षों से बसरा के मोती आने बंद हो चुके हैं. कुछ लोगों के पास पुराने मोती हैं पर उनमें से बेढब आकर के मोती भी डेढ़ – दो लाख रुपये से कम का नहीं मिलता. उसमें भी निश्चित नहीं है, कि वो किसी का पहले ही इस्तेमाल किया हुआ न हो. अच्छी शक्ल, आकर और बिना प्रयोग किया हुआ मोती शायद पांच लाख रुपये में भी न मिले |

कल्चर मोती—-
जापान के मिकीमोतो कोकिची ने मोती से कल्चर मोती उत्पादन की तकनीक का आविष्कार किया था। इस आविष्कार के बाद ही जापान में कल्चर मोती उत्पादन का उद्योग तेजी से विकसित हुआ।
मोती के विश्व बाजार के 80 फीसदी भाग पर जापानियों का दबदबा है, जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया और चीन का स्थान आता है।
कल्चर मोती 25 रुपये से 100 रुपये रत्ती तक मिल जाते हैं |

सर्व श्रेष्ठ मोती मुख्यतः पांच प्रकार के होते है —
१- सुच्चा मोती
२- गजमुक्ता मोती
३- बॉस मोती
४- सर्प दन्त मोती
५- सुअर मोती
मोती के उपरत्न में ओपल एवम मून स्टोन आते है
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जानिए मोती के दोष—

चपटा मोती बुद्धि का नाश करने वाला होता है बेडोल मोती (टेढ़ा मेढा) एश्वर्या को करने वाला होता है। जिस मोती पर कोई भी फुल हुआ भाग या बिंदु तथा रिंग बना हो ऐसे मोती दुर्घटना कराने वाले होती है। अब्रत्त मोती , चपटा या दुरंगा या अन्य किसी रंग के चिटे या लखीर मृत्यु का घोतक होते है।
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भाग्यशाली रत्न – धारणाएं और उनका सच—

आपने सुना होगा कि हर रत्न कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य दिखाता है परन्तु मेरे विचार में यह सौ फीसदी सच नहीं है | जन्मकुंडली में कुछ ग्रह आपके लिए शुभ होते हैं और कुछ अशुभ परन्तु कुछ ग्रह सम या माध्यम भी होते हैं जिनका फल उदासीन सा रहता है | ऐसे ग्रहों का न तो दुष्फल होता है न ही कोई विशेष फायदा ही मिल पाता है | यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह आपके लिए सम है तो आपको उस ग्रह विशेष का रत्न पहनने से न तो कोई फायदा होगा और न ही कोई नुक्सान ही होगा |
कुछ लोग कहते हैं कि एक व्यक्ति का रत्न दुसरे को नहीं पहनना चाहिए यह बात भी गलत साबित होते देखी गयी है | यदि आपको कोई रत्न विशेष लाभ नहीं दे रहा तो वह रत्न किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ में अपनी जगह अवश्य बना लेगा जिसके लिए वह रत्न फायदेमंद हो |
कुछ लोगों का मानना है कि कुछ साल प्रयोग करने के बाद बाद गंगाजल से रत्न को धो लेने से वह फिर से प्रभाव देने लग जाता है | यह बात सरासर गलत है | आप खुद नया रत्न प्रयोग करके उसका प्रभाव महसूस कर सकते हैं | पुराने रत्न का केवल इतना होता है कि न तो वह फायदा करता है न ही कुछ नुक्सान |
प्राण प्रतिष्ठा यदि न की जाए तो भी आप रत्न का पूरा लाभ प्राप्त कर सकते हैं | प्राण प्रतिष्ठा तो रत्नों के पहनने से पहले एक शिष्टाचार है जो पहनने वाले की अपनी इच्छा पर निर्भर करता है |
शुभ मुहूर्त में रत्न पहनने की सलाह अवश्य दी जाती है परन्तु आपातकाल में मुहूर्त का इन्तजार करना समझदारी नहीं होगी |
कुछ रत्नों के विषय में यह कहा जाता है कि फलां रत्न किसी को नुक्सान नहीं देता | मैंने ऐसे लोग देखे हैं जिन्होंने हकीक से भी नुक्सान उठाया है | हालाँकि हकीक के विषय में ऐसा कहा जाता है कि इसका किसी को कोई नुक्सान नहीं होता फिर भी बिना विशेषग्य की राय के रत्नों से खिलवाड़ मत करें |
कहते हैं कि रत्न यदि शरीर को स्पर्श न करे तो उसका प्रभाव नहीं होता | मूंगा नीचे से सपाट होता है और जरूरी नहीं कि ऊँगली को स्पर्श करे फिर बिना स्पर्श किये भी उसका पूरा प्रभाव देखने को मिलता है | रत्न का परिक्षण करते समय रत्न को कपडे में बांध कर शरीर पर धारण किया जाता है | यहाँ भी यह बात साबित होती है कि रत्न का शरीर से स्पर्श करना अनिवार्य नहीं है |
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जानिए रत्न धारण करने कि विधि————-

किसी भी रतन को धारण करने से पूर्व सामान्यता जिस गृह क रत्न धारण कररहे है उसके दिन उसी गृह के नक्षत्रो का योग जब बने ,उस दिन धारण करें रत्न धारण करने से पूर्व रतन को कच्चे दूध से धोकर गंगाजल से धो ले , पुनः अगरबती या धूप दिखाकर उसके अधिपति एवं इस्टदेव का ध्यान करते हुए धारण करें किसी भी रतन को धारण करने से पूर्व ज्योतिषी को सलाह अवसय लेनी चाहिए कोई भी रत्न कितने वजन का होना चाहिए, यह निर्णय उस व्यक्ति कोजनम् पत्रिका में गृह कि स्तिथि ,वर्त्तमान , महादशा , अंतदर्शा , कालचक्र दशा , अस्तोत्री दशा योगिनी दशा इत्यादि पर विचार करके ही करना चाहिए यह निर्णय उस व्यक्ति कि जन्म पत्रिका में गृह कि स्तिथि वर्त्तमान महादशा , अंतरदशा , कालचक्र दशा , अष्टोत्तरी दशा , योगिनी दशा इत्यादि दशा पर विचार करके ही करना चाहिए |

जब एक से अधिक रतन पहनने हो तो रतनो का आपस में सकारात्मक तालमेल होना आवशयक हैं |
यदि परस्पर विरोधी रतनो का धारण किया जाये तो ये रतन हानिकारक भी सिद्ध हो सकते हैं कई भी व्यक्ति किसी भी समय किसी न किसी गृह कि महादशा में ही रहता है यह गृह जिस स्थति में होंगे उसी प्रकार का फल प्रदान करते हैं रतन को अंगूठी में अथवा कसी भी रूप में धारण कर सकते है परन्तु यद् रखे सरीर से रतन स्पर्श अवस्य करें तभी लाभदायक होते हैं |
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जानिए रत्नों के विषय में कुछ जरूरी बातें—

रत्न का वजन, चमक या आभा, काट और रंग से ही रत्न की गुणवत्ता का पता चलता है | रत्न कहीं से फीका कही से गहरा रंग, कहीं से चमक और कहीं से भद्दा हो तो मत पहनें |
किसी भी रत्न को पहनने से पहले रात को सिरहाने रखकर सोयें | यदि सपने भयानक आयें तो रत्न मत पहने |
मोती, पन्ना, पुखराज और हीरा, यह रत्न ताम्बे की अंगूठी में मत पहनें | बाकी रत्नों के लिए धातु का चुनाव इस आधार पर करें कि आपके लिए कौन सी धातु शुभ और कौन सी धातु अशुभ है | क्योंकि लोहा ताम्बा और सोना हर किसी को माफिक नहीं होता |
लहसुनिया और गोमेद को गले में मत पहनें |
एक ही अंगूठी में दो रत्न धारण मत करें | यदि जरूरी हो तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें |
कौन सा रत्न कौन सी ऊँगली में पहना जाता है यह बात महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे रत्न का प्रभाव दुगुना या न्यून हो सकता है |
यदि रत्न पहनने के बाद से कुछ गड़बड़ महसूस करें तो रत्न को तुरंत निकाल दें और रात को सिरहाने रखकर परिक्षण करें |

7 COMMENTS

  1. Sir , meri date of birth 25.11.1982 hai . Mai moti dharan kar sakta hu . Or kitne rati ka dharan karu. Moti se mere jeevan per kya asar hoga plz bataiye

  2. Mithun magna ki Kundali mein 6th house mein mercury,Saturn and sun ki yuti hone par panna ya upratna dharan kar sakte hain Bush ki kaha dasha mein.sir my DOB 18/11/1957,time 8-18 pm tatha birth place Ranikhet Uttarakhand hai.
    A line of confirmation will be highly appreciated.
    With regards.
    Pramod Kumar Pandey
    Mobile 7906416616_&_7500333369

    • सर्,
      आपका पूरा लेख पढ़ा फिर भी ये नही समझ पा रहा कि मोती धारण करू या नही।
      मेरी कुंडली मे चंद्रमा छठे घर मे है, मीन लग्न कन्या राशि है।
      जन्म 17।05।1989 सुबह 3:20 बजे अमरावती, महाराष्ट्र में हुआ है।
      बहोत जगह दिखा चुके परिवार वाले मेरी कुंडली, जिन ने भी कुंडली देखि कोई पन्ना तो कोई मोती धारण करने के लिए कहते है। मैं पन्ना पहन चुका परंतु मुझे कोई लाभ नही हुआ।
      कृपया उत्तर दे कि मैं मोती धारण कर या नही

      नाम प्रवीण कौशिक

  3. pandit ji mera koi bhi kaam pooorna nahi ho pata wo adhoora hi rah jata hai khas kar k padhai me mai kiti bhi kosis karu par mera poori tarah se man nahi lagta hai.
    mera naam shailendra kumar hai
    D.O.B. 5/1/1990
    krypya koi upay btay

  4. पंडित जी मेरा नाम छवि है और मेरी कोई जन्म पत्रिका नही हैं क्या मैं मोती की अंगूठी पहन सकती हूँ आप मुझे बताय

    • Sir Mera name Anil Kumar Srivastav hai
      Dob 12/6/1963 BalrBàlra up
      8Am
      Mera kark lagan hai mera koi kam nhi ho raha hai
      Mai kya upay kru
      Kon sa ston dharan kru
      Please hme btaye

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