क्यों राम नहीं तुम बन सके
कारण तो बतला दो भैईया ?
मातपिता से क्यों मुंह मोड़ा
कारण तो समझा दो भैईया ?
कमी कहॉ हुई उनकी ममता में
क्यों बोलना वे भूले भैईया ?
बहिन भाई से क्यों प्रीति तोड़ी
अनमोल खजाना क्या पाया भैईया?
जिस माता पिता ने जन्म दिया,
अंधेरी उनकी हर शाम क्यों भैईया ?
उम्र के संग बढती गई उनकी पीर,
बहते उनकी ऑखों से नीर क्यों भैईया?
राम भले ही तुम बन न सके
कठोर पत्थरदिल क्यों बने भैईया ?
लाल रूढे नहीं सब हिलमिल रहेंगे
खुशियों अपार घर ऐसा बनाया भैईया ?
धेला एक न बेटों से लिया जिसने
उस घर में उनका अपमान क्यों भैईया?
बूढ़े पेडों की तरह है उनकी छाया
फिर उनके होने से कोहराम क्यों भैईया ?
उनके जीते जी रिश्ते हुये बेदखल सभी
आर्शीवचन देने वाले सूर्य से अस्त क्यों भैईया?
राम भले ही तुम बन न सके
पीव क्षमा करते रहे वे,हमारी सारी भूल क्यों भैईया ?
बनाया सपनों कासंग रहेंगे मिलकर सारे
मात पिता का घर में अपमान क्यो ?
बूडे पेडों की तरह है मातपिता की छाया
फिर उनके जीते जी रिश्तों किये बेदखल क्यों ?
‘पीव’ सूर्य सा अस्त होते ये बूढे माता पिता
जीते रहो तुम सदा,देते ऐसा आर्शीवचन क्यों ?