क़ैस जौनपुरी
खिद्दीर अंकल के मां-बाप बचपन में ही खतम हो गए थे. बहराइच में उनके चाचा ने उन्हें पाला-पोसा, बड़ा किया. ये अगूंठा छाप थे. और पन्द्रह साल की उमर से ही रोजी-रोटी की कोशिश में लग गए थे. अपना पेट खुद पालते थे. मजदूरी की. ठेला चलाया. सब्जी बेची. पैसे के लिए जो भी काम मिला. सब करते थे. जितनी गल्फ़ कन्ट्रीज हैं सब घूम के आए. सऊदी, दुबई सब जगह काम करके आए. पैसा खूब कमाए लेकिन कभी भी किसी भी बैंक में अकाऊंट नहीं खोला. पैसा बक्से में रखते थे. और इनका रोज का काम था उन पैसों को गिनना.
उसके बाद फिर ये सब जगह से घूम टहल कर मुंबई में आकर बस गए. और एक झोपड़ी खरीद ली. मां-बाप तो थे नहीं, शादी कौन करता इनकी. किसी तरह इनकी शादी हुई मगर उस औरत को कोई बीमारी हुई और वो जल्दी ही खतम हो गईं.
कुछ दिन तक तो मरी हुई बीवी का ग़म मनाया. लेकिन कब तक मनाते? अब दूसरी औरत के चक्कर में ये इधर-उधर करते रहे और जा भिड़े एक ऐसी औरत से जिसका पहला पति मर गया था, दूसरे ने तलाक़ दे दिया था, उसके पास खिद्दीर अंकल आने-जाने लगे. मरियम आंटी वही औरत हैं. मरियम आंटी को पहले पति से पांच बच्चे हुए थे. और दूसरे पति से भी पांच बच्चे हुए. पहला पति तो मर गया. दो बच्चों को इन्होंने गांव में छोड़ा और बाकियों की शादी कर दी.
दूसरी शादी जिससे हुई उसने मरियम आंटी को इसलिए तलाक़ दे दिया क्यूंकि मरियम आंटी को इधर-उधर मुंह मारने की आदत थी. लेकिन इनके बाप के नाम इस बिल्डिंग में दो फ्लैट थे, जो उनके मरने के बाद एक मरियम आंटी के नाम और दूसरा उनकी बहन बानो आंटी के नाम कर दिया गया. बाद में खिद्दीर अंकल ने बानो आंटी से वो फ्लैट एक लाख दस हजार में खरीद लिया.
मरियम आंटी के पास भी कोई सहारा नहीं था इसलिए उन्होंने खिद्दीर अंकल से शादी करने की बात कही. लेकिन खिद्दीर अंकल को ये बात गंवारा नहीं थी कि वो दस बच्चों की मां से शादी करते. वो भी ऐसी औरत से जिसके पास उनकी ही तरह पता नहीं कितने और मर्द आते-जाते थे. और जिसकी वजह से ही दूसरे पति ने उन्हें छोड़ दिया था.
लेकिन मरियम आंटी ने खिद्दीर अंकल के ऊपर लांछन लगाया कि ये मेरे पास-जाते रहे और शादी का झांसा देते रहे. और अब शादी से इन्कार कर रहे हैं. मरियम आंटी ने रो-रो कर पंचायत बुला ली. और पंचायत ने फैसला किया कि इनको मरियम आंटी से शादी करनी ही पड़ेगी. इस तरह से अपने से दस साल बड़ी औरत से खिद्दीर अंकल को शादी करनी पड़ी.
पंचायत करने वालों में कुछ लोग वे भी थे जो खुद मरियम आंटी के पास जाते थे और चाहते थे कि किसी तरह मरियम आंटी की शादी हो जाए नहीं तो किसी दिन मरियम आंटी उनका भी नाम ले सकती हैं. इसलिए सबने मिलके मरियम आंटी को खिद्दीर अंकल के मत्थे जड़ दिया. खिद्दीर अंकल बेचारे सीधे-साधे आदमी कुछ नहीं कर पाए.
शादी तो मजबूरी में हो गई मगर खिद्दीर अंकल रूपए-पैसे से कोई मतलब नहीं रखते थे. मरियम आंटी सब्जी बेच-बेच कर अपना काम चलाती थीं.
उसके बाद उन्हें एक बेटा हुआ. और चॉली टूटकर बिल्डिंग बनी और इन्हें दो फ्लैट ‘वन रूम किचन’ वाले मिले. उसके बाद धीरे-धीरे बच्चा बड़ा होने लगा. उसकी भी शादी हो गई. और लड़के के भी तीन बच्चे हो गए. लेकिन खिद्दीर अंकल का व्यवहार बिल्कल वैसा ही रहा. न इधर-उधर करने की आदत बदली न पैसे गिनने की आदत बदली. और पति-पत्नी के संबंध तो सिर्फ नाम के रह गए. और एक रूम में सब परिवार रहते हैं. और बाकि के दो रूम इन्होंने किराए पे दे रखे हैं.
मरियम आंटी का पहला लड़का जो दूसरे पति से था वो भी अपनी मां की तरह इधर-उधर मुंह मारते हुए वेश्याओं तक जा पहुंचा. वहां उसे एक नेपालिन मिली जो बंबई घूमने आई थी और उसके दोस्तों ने उसे बंबई में बेच दिया था. उसके पास ज़िन्दा रहने का जब कोई जरिया नहीं बचा तो उसने वेश्या बनना मंजूर कर लिया. औरत के लिए अपनाने के लिए सबसे आसान रास्ता और छोड़ने के लिए सबसे मुश्किल रास्ता. और मरियम आंटी के लड़के को वो नेपालिन पंसद आ गई और वो उसे शादी करके अपने घर ले आया.
लेकिन कुछ दिनों बाद पता चला कि मरियम आंटी के लड़के को एड्स है. शादी के एक साल के अन्दर ही अन्दर वो मर गया और जाते-जाते उसने अपनी बीमारी उस नेपालिन को वसीयत में दे दी और उसके मरने के छ: महीने बाद वो भी मर गई.
मरियम आंटी का एक फ्लैट खाली हो गया जिसे किराए पे चढ़ा दिया गया. खिद्दीर अंकल और मरियम आंटी के बीच के रिश्ते इसलिए अच्छे नहीं हैं क्यूंकि एक फ्लैट का किराया मरियम आंटी अपने पुराने पतियों से हुए बच्चों को भेजती हैं जो खिद्दीर अंकल को बिल्कुल पसंद नहीं आता है. अब कुल तीन फ्लैट हैं इनके पास. एक में ये लोग खुद रहते हैं. दो किराए पे चढ़ा रखे हैं. एक का किराया मरियम आंटी रखती हैं. और एक का खिद्दीर अंकल.
खिद्दीर अंकल से शादी होने के बाद हुआ लड़का ‘शकील’ बाप के नाम का फ्लैट अपने नाम करना चाहता है. और इसके लिए आए दिन झगड़ा होता रहता है. खिद्दीर अंकल शकील को अपना बेटा नहीं मानते हैं. उन्हें लगता है कि जब उनकी शादी मरियम आंटी से हुई थी तब शकील उनके पेट में आ चुका था.
मुंबई का ‘वन रूम किचन’ फ्लैट जिसमें कुल सात लोग रहते हैं. खिद्दीर अंकल और मरियम आंटी, उनका बेटा शकील और उसकी बीवी और उसके तीन बच्चे. दिन भर खिद्दीर अंकल को इधर-उधर भटकना पड़ता है. क्यूंकि एक ही कमरा और उसमें कितने लोग रहें. ऊपर से बहू को भी ससुर से पर्दा करना पड़ता है. इसलिए खिद्दीर अंकल को भोर होते ही लिफ़्ट के पास कुर्सी पे बैठे और दिन भर इधर-उधर भटकते हुए देखा जा सकता है.
खाने के टाइम पे उन्हें खाने के लिए बुला लिया जाता है. खाने के बाद वो फिर खाना-बदोश हो जाते हैं. खिद्दीर अंकल आज लगभग साठ साल के हो चुके हैं मगर औरत की भूख उनकी अब भी नहीं मिटी है. अभी पिछले ही कुछ दिन पहले वो मस्ज़िद वाली गली के अन्दर कब्रिस्तान के पास एक कुतिया के ऊपर चढ़े हुए पकड़े गए थे. उनके इस तरह के किस्से आए दिन सुनाई देते रहते हैं.
मरियम आंटी से उनकी शादी तब हुई थी जब वो तैंतीस साल की थीं. आज वो सत्तर साल की हो चुकी हैं और खिद्दीर अंकल के किसी काम की नहीं रहीं. और खिद्दीर अंकल अभी भी कभी-कभी एक नौजवान की तरह फड़फड़ाते हैं. एक दिन तो उन्होंने छठवें माले पे रहने वाले गुल्लू अंकल की दस साल की बेटी अल्फ़िया को बिल्डिंग के पीछे पकड़ लिया और …………………………………………………………………………………………..
और अल्फ़िया ने घर आकर सबकुछ उन्हीं लफ़्ज़ों में बयान कर दिया जैसा खिद्दीर अंकल ने उससे कहा था. उसके बाद तो जो हंगामा हुआ फिर खिद्दीर अंकल बहुत दिन तक सबसे मुंह चुराते फिरते रहे. और तो किसी को उनसे बात करते हुए कभी देखा नहीं हमने. वो हमलोगों से बात करते रहते हैं. हमलोग भी उनसे बात कर लेते हैं. आखिर वो हमारे मकान मालिक जो हैं. हमारे किराए का चेक खिद्दीर अंकल के नाम ही कटता है.
अभी कल ही की बात है. खिद्दीर अंकल की पोती सबीना का इम्तेहान शुरू होने वाला है और दो दिन से वो पढ़ाई करते हुए नहीं देखी जा रही थी तो उसके बाप शकील ने उसने मारना-पीटना शुरू कर दिया. वो भी कैसा जल्लाद बाप है. छोटी सी बच्ची को मोमबत्ती जला के उसके हाथ पे गरम-गरम मोम गिरा रहा था. खिद्दीर अंकल से पोती का रोना देखा नहीं गया. वो आए और शकील से बोले, “अगर इसी तरह मारना है मेरी पोती को तो निकल जा मेरे घर से.”
बस शकील का गुस्सा और भड़क गया. उसने खिद्दीर अंकल को धक्का देके कमरे से बाहर निकाल दिया और कहा, “तू निकल जा मेरे घर से. ये तेरा घर नहीं है.” और उसने खिद्दीर अंकल को ऐसी गन्दी-गन्दी गालियां दीं जो एक बेटा तो अपने बाप को नहीं ही देता है. खिद्दीर अंकल जिससे भी मिलते उससे अपनी व्यथा सुनाते कि, “देखो, हम तीन-तीन फ्लैट के मालिक. हमको आज घर से धक्का देके निकाल दिया.”
शाम को खिद्दीर अंकल बरामदे में लिफ्ट के पास चटाई बिछा के लेटे रहते हैं. रात को ग्यारह बजे जब सोने का वक़्त हो जाता है तब उनकी पोती आवाज़ देती है, “दादा, आ जाओ, बिस्तर लग गया है.”
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