सावन को आने दो

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एक बार अकबर ने अपने दरबार में पूछा की यदि बारह में से दो कम हो जाएँ तो क्या बचेगा? लगभग सभी दरबारी बोल पड़े कि जहाँपनाह इसमें कौन सी मुश्किल है, केवल दस बचेगा! लेकिन चतुर और ज्ञानी बीरबल चुप रहा! बादशाह ने बीरबल से पूछा कि बीरबल तुम क्या कहते हो? बीरबल ने जवाबा दिया कि बादशाह सलामत, अगर बारह में से दो कम हो जाय तो खाक अर्थात शून्य बचेगा ! सभी दरबारी बोल पड़े कि बीरबल ये कौन सा जवाब हुआ? बादशाह ने भी बीरबल से अपनी बात स्पष्ट करने को कहा! बीरबल ने जवाब दिया कि बादशाह सलामत, अगर साल के बारह महीनों में से दो महीने, सावन और भादों, कम हो जाएँ तो खाक ही तो बचेगी! क्योंकि सूखे के कारण सब तरफ धूल ही धूल उड़ेगी! और सब कुछ तबाह हो जाएग! बादशाह ने सभी दरबारियों को कहा कि ये होता है सोच समझकर जवाब देना! सीखो बीरबल से! उससे ईर्ष्या मत करो! और बादशाह ने बीरबल की समझदारी की भी तारीफ करी ! तो मित्रों, आज से सावन शुरू हो रहा है! आज सावन का पहला दिन है! और सावन पंद्रह अगस्त तक चलेगा जिस दिन रक्षा बंधन भी होगा! मेरा अपने सभी मित्रों से अनुरोध है कि इस बार अपने समाज के वंचित बंधुओं के घरों पर जाएँ और उन्हें धर्म और राष्ट्र रक्षा सूत्र बांधें! इससे समाज में एक अलग सकारात्मक वातावरण बनेगा! और समरसता की दिशा में एक छोटा किन्तु महत्वपूर्ण कदम हो सकेगा! संघ के स्वयं सेवक रक्षा बंधन को अपनी अपनी शाखाओं पर उत्सव का आयोजन करते हैं और साथी स्वयंसेवकों को रक्षा सूत्र बांधते है! इससे आगे बढ़कर इस बार एक नयी शुरुआत करें! समाज के उन बंधुओं के घरों पर जाएँ जो सदियों से उपेक्षा, दमन और उत्पीड़न का शिकार रहे हैं और आज भी बहुत सी सुविधाओं से और सम्मान से वंचित हैं! उन्हें सम्मान दें! और उनकी कलाई में धर्म, राष्ट्र रक्षा सूत्र बांधें! सौ भाषणों से भी अधिक असर इस प्रयास का होगा ऐसा मुझे विश्वास है!

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