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—विनय कुमार विनायक
मगध साम्राज्य के संस्थापक
जरासंध के पिता बृहद्रथ ने
अपने पिता वसु के वसुमति
नाम की नगरी को गिरिव्रज
मां गिरि के नाम किया था!
आगे चलकर यह बार्हद्रथपुर,
मागधपुर,कुशाग्रपुर,श्रषभपुर,
बिम्बिसारपुरी बना नयानगर,
राजगृह था जरासंध का घर
अब राजगीर पर्यटन स्थल!
जरासंध था मगध का राजा
मिश्रित आर्य असुर कुल का,
उनकी दो बेटियां ब्याही गई
आर्य अन्धक यादव कंश से
जो मामा था श्री कृष्ण का!
उस दिनों आर्यों अनार्यों में
ऐसा विवाह प्रचलन में था,
जरासंध जन्मत: था खंडित,
जरा नामक निषाद देवी ने
जरासंध की बदली देहयष्टि!
जरासंध हो गया महा बलिष्ठ
बना नरमेध यज्ञ का आकांक्षी,
कैद किया राजागण छियासी
सौ में मात्र चौदह राजा कम,
कंशहंता कृष्ण हो गए बेदम!
कृष्ण विरोधी शिशुपाल था
सेनापति और निषाद राज
एकलव्य भी बना सहयोगी,
काल यवन से मिल करके
जरासंध ने घेरा कृष्ण को!
कृष्ण ने मथुरा त्याग कर
द्वारिका में शरण ली थी,
याद आ गई बुआ कुन्ती
भाई भीम से द्वन्द लड़ा
जय पाए थे जरासंध पर!
भगवान कृष्ण की युक्ति
और भीमसेन की कुश्ती
वो ऐतिहासिक कदम था
जिससे बंद हुआ नरमेध
राजा बना सुपुत्र सहदेव!
जरासंध पुत्र सहदेव बड़ा
धर्मसहिष्णु शिव उपासक,
मगध का प्रतापी शासक
महाभारत युद्ध लड़ा था,
कृष्ण के पाण्डव पक्ष से!