भारत के भाग्य जगे मर्यादित हो जाएं सभी राम के बंदे

—विनय कुमार विनायक
बापू कहते थे रामराज्य वापस लाना है,
भारत देश की गरीबी को मिटाना है,
तो क्या अतीत को फिर से बुलाना है?

अगर हां तो महापंडित रावण का भांजा
ब्राह्मण किंवा तथाकथित शूद्र शंबुक को
कहां बिठाना है किस नाम से पुकारना है?
शूद्र या कि ब्राह्मण गांधीवादी देश में!

शूद्र नाम को बापू ने नकार दिया था,
हरिभक्त बापू ने हरिजन नाम दिया था,
जिसका शूद्र से ज्यादा दुर्गत हो गया,
अब हरिजन को दलित नाम दिया गया
जाति-वर्ण-वर्गवादी अपने भारत देश में!

बापू के इंतकाल से सत्तर साल बीत गया,
दलित को बहुत कुछ फलित हुआ
मगर खादी से आजादी नहीं मिली
और राम राज्य भी वापस नही आ पाया!

सुना है राम को वनवास से वापस
लाने की आस में बापू की आंखें पथरा गई थी
गोली खाकर बोली बंद हो गई थी
मरते-मरते मुख से हे राम नाम निकली थी!

इस बीच कैकेई नहीं काकाजी आए
धर्म निरपेक्षता की देकर दुहाई राम से दूरी बनाई
आगे मंथरा नहीं सुमित्रा माई भी आई,
मगर रामराज्य लाने की बात सिरे से गायब रही!

अब तो रामराज्य के बदले इमामेहिंद राम पधार रहे,
देश में सौहार्द हो सब रामवंशी बाबर से ना प्यार रहे,
भारत के भाग्य जगे मर्यादित हो जाएं सभी राम के बंदे
देश में हो अमन चैन बंद हो जाए सब गोरखधंधे व दंगे!

भगवा हो पहचान त्याग की भारतवंशियों के
सबको हक मिले अपने भाग और भाग्य के
अब ब्राह्मण हरिजन हो गए आरक्षण पा के!

गांधी के हरिजन को घृणा द्वेष से मुक्ति मिली,
सर्वजन आरक्षण से जाति अहं मिटाने की युक्ति मिली!
—विनय कुमार विनायक

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