डा वीरेंद्र अग्रवाल
आधुनिक खोजों से साफ हो चुका है कि 80 प्रतिशत रोगों का कारण मन है चाहे वह कोई सा भी रोग हो । रोग की शुरूआत मन से ही शुरू होती है और इसका उपचार मन के ही पास ही है ।
प्रत्येक रोग के किटाणु वातावरण में फैले हूए हैं वह हमारे शरीर पर तब ही आक्रमण करते हैं जब शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमात कमजोर होती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मन के आत्मविश्वास, दृढ इच्छा शक्ति, व जीवन जीने की ललक से जुडी होती है । मन यदि ताकतवर है तो वह मेडिशन का काम करता है अन्यथा बाहर की मेडिशन पर निर्भर रहना पडता है । शरीर के पास वह क्षमता है जो प्रत्येक रोगों से लडने के लिए स्वयं एण्टीवाडिज डवलप कर लेता है ।
मन को मेडिटेशन (ध्यान) के द्वारा मन की विक्षिप्तताएं जैसे घ्रणा, लालच, क्रोध, इर्ष्या, जल्दबाजी, आत्मविश्वास में कमी, जीने की इच्छा का ह्रास आदि को दूर किया जा सकता है ।
विधि :रीढ को सीधा करते हुए आराम से बैठ जायें पलकों को धीरे से बंद कर लें । मस्तिष्क के साथ्-साथ् शरीर को भी ढीला छोड दें । अब अपने मन को श्वास की गति पर ले आये और जानें कि श्वास कब अन्दर जाता है और कब बाहर आता है सिर्फ जाने कोई विचार आता है तो आने दें रोके नहीं जैसे ही याद आये फिर स्वभाविक श्वास पर आ जायें । श्वास को न तो तेज करें न ही धीमा । बस जैसा श्वास चल रहा है उस पर ही मन को लगाये रखें । सहज व साक्षी भाव बना रहे । मन और शरीर के स्तर पर जो भी होता है सिर्फ जानते रहें ।
लाभ् :- आप नियमित रूप से 1 घण्टे करने पर महसूस करेंगे की मन पहले से शांत होता जा रहा है ।
वैज्ञानिक विवेचना :- मनुष्य के शरीर से अल्फा, बीटा, गामा तरंगें अनवरत रूप से निकलती रहती है ।
तरंगें | स्थिति | तीव्रता |
अल्फा | मन शांत, निश्छल, समस्या रहित, प्रशन्न चित्त मन | 8 से 14 HZ |
बीटा | क्रोध, तनाव, इर्ष्या, हिंसा, अवसाद | 15 से 14 HZ |
गामा | आत्मविश्वास व जीवन जीने की ललक, अत्यधिक जोश व उर्जा | 0 से 3 HZ |
जब मन भौतिक व सांसारिक स्थिति में होता है तो शरीर से अल्फा तरंगें अधिक स्पंदित होती हैं जब मन ध्यान की मुद्रा में होता है तो गामा तरंगें स्पंदित होना शुरू हो जाती है और गहरे ध्यान की स्थिति में गामा तरंगें अधिक मात्रा में स्पंदित होती है । तरगों की तीव्रता जितनी कम होती है मन उतना शांत व उर्जावान होता है ।
सामान्य स्थिति | ध्यानावस्था | लाभ् | |
त्वचा की प्रतिरोधक क्षमता | 200 प्रतिशत | 400 से 500 प्रतिशत | त्वचा चमकदार व जवान |
श्वसन दर | 15 से 18 | 8 से 11 | उम्र में इजाफा |
नाडी गति | 75 से 80 | 66 से 70 | अनिदा |
ब्लडप्रेशर | 85-90 डायलोस्टिक 125-135 सिस्टोलिक | 75-80 डायलोस्टिक, 118-122सिस्टोलिक | ह्रदयरोग, डायबिटीज, डिप्रेशन |
रक्त में लेक्टेट की कमी | 33 प्रतिशत तक | कब्ज, एसिडिटी | |
हिमोग्लोबिन | 12 से 14 | 13 से 16 | पीलिया,बुखार,टाइफाइड |