विपक्षी गालियों से बनाया मोदी ने अपना विजय महल

नारिवृन्द सुर सेंवत जानी, लगी देन गारी मृदु बानी – ये शिव विवाह में वधु पक्ष की और से शिवजी को मिल रही गालियों पर लिखा गया है. ऐसी ही मधुर गालियाँ श्रीकृष्ण को भी मथुरा वृन्दावन की गोपियाँ देती थी. किंतु भारतीय राजनीति में गालियों को लेकर कांग्रेस ने वातावरण जहरीला बना दिया है.

     लहू का प्यासा, रक्तपिपासु, स्टुपिड प्रधानमंत्री, खून का दलाल, नीच आदमी, चोर, गद्दाफी, मुसोलिनी, हिटलर, नाली का कीड़ा, पागल कुत्ता, इसे थप्पड़ मारने का दिल करता है, भस्मासुर, बन्दर, एक पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, वायरस, बदतमीज, रैबीज की बीमारी से पीड़ित, नालायक बेटा, चूहा, लहुपुरुष, असत्य का सौदागर, रावण, गंदा आदमी, जहर बोने वाला, मोदी की बोटी बोटी कर दूंगा और फिर अंत में चौकीदार चोर है. ये मैं कोई गालियों का कोष या डिक्शनरी नहीं बना रहा, न ही गालियों का दस्तावेजीकरण कर रहा हूँ. मैं तो बस उन गालियों की चर्चा कर रहा हूँ जो एक प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को दी गई है. १२ वर्षों के गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी जी को मिली गालियाँ इसमें सम्मिलित नहीं है.

      यदि एक मोटा मोटा हिसाब लगाया जाए तो प्रत्येक गाली से दस लोस सीटों का अनुपात बैठता है. यह भी कहा जा सकता है कि जब विरोधियों ने नरेंद्र मोदी को एक गाली दी तो जनता ने मोदी के खाते में दस लोकसभा की सीटें लिख दी.

    लोकसभा चुनाव २०१९ के प्रारम्भिक दौर में ही कांग्रेस, विपक्षी गठबंधन व प्रमुखतः वामपंथियों ने बड़ी कुटिलता पूर्वक एक  योजना बना डाली और उसका क्रियान्वयन भी कर डाला. योजना यह थी कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के भाषणों, चर्चाओं, साक्षात्कारों में उपयोग की गई उनकी भाषा को स्तरहीन, हलकी व गैर पेशेवर बताया जाए और इस प्रकार उनकी छवि को लांछित किया जाए. ऐसा नहीं है कि मोदी जी ने विपक्ष की इस कुत्सित योजना को भेदा नहीं, उन्होंने पूरी तरह विपक्ष के इस हल्लाबोल को विफल व पंक्चर किया. किंतु ऐसा भी नहीं है कि विपक्ष ने अपने इस अभियान की सफलता के लिए कोई जतन करने से छोड़े हों. मोदी और उनका समर्थक वर्ग इस बात का व्यवस्थित व कठोर उत्तर भी नहीं दे पा रहा था. टीम मोदी के इस पैतरे को विपक्षी रणनीतिज्ञ समझ न पाए, वस्तुतः टीम मोदी विपक्ष की गालियों के पत्थरों से अपना विजय गढ़ निर्मित करने के अभियान में लगे हुए थे. टीम मोदी ने वातावरण ऐसा बनाया कि विपक्ष की जहरीली गालियों का त्वरित जवाब न दिया जाए और जनता के ह्रदय में में ईंट का जवाब पत्थर दे देनें का मानस तैयार किया जाए.

 देश का कोई प्रधानमंत्री ऐसा नहीं हुआ जिसकी  विपक्ष ने इतनी अधिक आधारहीन आलोचना की हो और ऐसा भी न हुआ होगा जिसे षड्यंत्र पूर्वक इतनी गालियां दी गई हो. और हां, ऐसा भी इस देश में कभी हुआ नहीं कि किसी प्रधानमंत्री ने स्वयं को मिली गालियों को ही अपने आभूषण में परिवर्तित कर दिया हो.

   लोकसभा चुनाव के प्रारंभ में “चौकीदार चोर है” के माध्यम से एकबारगी तो जैसे राहुल गांधी ने राफेल मामले को चुनावी विमर्श के केंद्र में ही खड़ा कर दिया था किंतु अतिशीघ्र ही उनका यह अभियान ऐसा सिद्ध होने लगा कि राहुल गांधी के द्वारा प्रारंभ किये गए इस कुत्सित खेल को न मोदीजी खेलेंगे न राहुल इस खेल को जनता ही खेलेगी. हुआ भी वही जनता के कन्धों पर रख कर मोदीजी को दी गालियों का न्याय स्वयं जनता ने सशक्त, मुखर व स्मरणीय स्वर में कर दिया!! 

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