प्रधानमंत्री मोदी की जीत पर : देश के महान मतदाताओं को प्रणाम

राकेश कुमार आर्य

1984 के पश्चात पहली बार देश के मतदाताओं ने एक ही पार्टी को स्पष्ट जनादेश देकर बहुत बड़ा काम किया है । निश्चय ही इस इतिहास को लिखने में मोदी का चमत्कारिक व्यक्तित्व भी कम प्रशंसनीय नहीं । मोदी ने अपने काम पर नजर रखी और कड़े निर्णय लेने के उपरांत भी देश के मतदाता को अपने साथ जोड़े रखने का अभूतपूर्व और ऐतिहासिक काम कर दिखाया ।
कई लोगों को उनके कड़े निर्णयों के चलते यह शंका थी कि भाजपा इस बार संभवत: स्पष्ट बहुमत अपने बल पर ना ले पाए । परंतु चुनाव परिणामों ने स्पष्ट कर दिया कि देश का मतदाता इस समय जागरुक हो चुका है । उसे कांग्रेस के राहुल गांधी के ₹72000 रास नहीं आए , क्योंकि उसे राष्ट्र निर्माण करना था । इसके विपरीत देश के मतदाताओं ने और विशेष रूप से किसानों , गरीबों और मजदूरों ने देश के प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों में आस्था व्यक्त करते हुए मोदी के ₹6000 स्वीकार कर उन्हें अपना नेता स्वीकार किया । यह भारत के मतदाता में आई हुई जागरूकता का बहुत बड़ा प्रमाण है और यदि यह जागरूकता निरंतर इसी प्रकार बनी रही और देश के नेता के साथ लगकर मतदाता चलता रहा तो निश्चय ही भारत विश्व गुरु बनकर रहेगा । जब निजी स्वार्थ में जनता बह जाती है या छद्म नेताओं के वाकजाल में फंसकर सही निर्णय नहीं ले पाती है तो खंडित जनादेश का सामना देश को करना पड़ता है और उसके कुपरिणाम भोगने पड़ते हैं। देश के मतदाताओं ने बड़े-बड़े सूरमाओं को इस बार धूल चटा कर उनके सपनों पर पानी फेर दिया । जो लोग देश की राजनीति को दिशा देने का दंभ भर रहे थे , उनको मतदाताओं ने घरों में बैठा दिया है । सचमुच 2019 के यह चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक है ।
शहीदे आजम सरदार भगत सिंह ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति तभी कुछ कर पाता है जब अपने काम के औचित्य को लेकर वह सुनिश्चित होता है । जैसा कि हम विधानसभा में बम फेंकने को लेकर पूर्णतया सुनिश्चित थे । । यदि इस बात को प्रधानमंत्री श्री मोदी के व्यक्तित्व पर लागू करके देखा जाए तो उन्होंने भी यही करके दिखा दिया है । मोदी की यह विशेषता है कि वह अपने काम के औचित्य को लेकर सदा सुनिश्चित रहते हैं । उसके लिए कड़े निर्णय लेने में वह हिचकते नहीं हैं और सबसे बड़ी कला उनमें यह है कि अपने कड़े निर्णय से होने वाली क्षति की भी वह पूर्ति कर लेते हैं। जैसा कि इस चुनाव में उन्होंने सिद्ध करके दिखा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी के भीतर यह विशेषता है कि जो बात दिल में है उसे बोलने का साहस रखते हैं और जो बात किसी के दिल में है उसे समझने की समझ भी रखते हैं । नेता के भीतर यदि यह विशेषता होती है तो वह जनसामान्य के साथ जुड़ा रहता है। मोदी ने अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में यह भी करके दिखाया कि वह जनता की नब्ज को पहचानते हैं और उसके ‘ मन की बात ‘ को समझने की समझ भी रखते हैं । उन्होंने स्वयं एक बार कहा था कि गरीब कभी कुछ भी चीज नहीं मांगता है । वह सम्मान के साथ जीना चाहता है । उसे काम का अवसर चाहिए , और इस देश के गरीब में वह ताकत है कि यदि उसे काम का अवसर दिया जाए तो वह मिट्टी से भी सोना बना सकता है ।
सचमुच देश के गरीब ने चुनाव के माध्यम से अपना संदेश देश और संपूर्ण विश्व को दे दिया है कि वह मिट्टी से सोना बनाता है । उसका लक्ष्य अपने देश को विश्व गुरु के सम्मानित पद पर विराजमान करना है , इसके लिए देश का जनमानस पूर्णतया संकल्पित है। इसीलिए वह राहुल गांधी के किसी भी झूठ और भ्रामक भाषण में या उनकी भ्रमित करने वाली राजनीति में फंसा नहीं। उसने कई प्रकार के अवरोधों के उपरांत भी अपनी दृष्टि भारत के उस चरमोत्कर्ष के बिंदु पर रखी , जहां पर जाकर वह सम्मान पूर्ण स्थान संसार में बनाने के लिए आगे बढ़ रहा है । इसलिए उन्होंने आगे बढ़ने के प्रतीक के रूप में उभरे प्रधानमंत्री श्री मोदी को और भी अधिक ऊर्जा देकर आगे बढ़ने का अपना संदेश दे दिया। इसके लिये देश के मतदाताओं को सचमुच हृदय से प्रणाम । जिन्होंने अपना ऐतिहासिक निर्णय लेकर देश को ऐतिहासिक मोड दिलाने में अपनी सक्षम और सक्रिय भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो गोधरा कांड के बाद उन्हें राजनीति में हाशिए पर धकेलने को लेकर जितनी घृणास्पद परिस्थितियां इस देश में बनीं वह अब चाहे इतिहास का अंग बन चुकी हों, पर वह सारी घटनाएं मोदी का व्यक्तित्व निर्माण करने में बहुत सहायक सिद्ध हुईं । बात यदि मोदी के हिंदुत्व की की जाए तो स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है , फिर विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है । मोदी के हिंदुत्व का पहले बहुत सारे लोगों ने मजाक बनाया ,फिर विरोध किया और आज यह बहुत बड़ी जीत है कि मोदी का हिंदुत्व आज इस देश की राजनीति का हिंदूकरण करने का एक स्वीकार्य तथ्य बन चुका है। घोषित रूप में न सही लेकिन अघोषित रूप में देश की राजनीति का हिंदूकरण हो रहा है । इसे निश्चय ही सावरकरवाद की राजनीति की जीत कहा जाएगा , जिन्होंने सबसे पहले इस देश के लिए अनिवार्य घोषित किया था कि राजनीति का हिन्दूकरण और हिंदुओं का सैनिकीकरण किया जाना देश को आत्मसम्मान के रास्ते पर लेकर चलने के लिए अनिवार्य है । राजनीति के हिंदूकरण की चल रही प्रक्रिया के चलते ही इस बार मुस्लिम तुष्टीकरण करते हुए किसी भी छद्म धर्मनिरपेक्ष नेता ने भी किसी शाही इमाम को अपने मंच पर ले जाकर उससे मुस्लिम मतदाताओं के लिये फतवा जारी कराने का साहस नहीं किया । राजनीति का पंथनिरपेक्षीकरण इसी बात से संभव है कि जब किसी भी मजहब को बीच में न लाकर राजनीति अपनी दिशा तय करती है । जो लोग भारत में हिंदुत्व की कल्पना तक का मजाक उड़ाया करते थे ,आज वह हृदय से राजनीति के हिंदूकरण को स्वीकार कर उस ओर सोच रहे हैं । यह सब ‘मोदी है तो मुमकिन है’ के नारे को साकार कराता है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने व्यक्तित्व से यह भी सिद्ध किया है कि काम चाहे छोटा हो या बड़ा एक बार उसे हाथ में लेने के बाद कभी बीच में छोड़ना नहीं चाहिए। अपनी पूरी लगन और सामर्थ्य से उस काम को पूरा करना चाहिए । यह गुण हमें सिंह से लेना चाहिए जो एक बार पकड़े गए शिकार को कदापि नहीं छोड़ता। प्रधानमंत्री मोदी ने भी चाहे नोटबंदी का निर्णय लिया और चाहे किसी और ऐसे ही निर्णय को लेने का अपनी ओर से साहस दिखाया , उन्होंने जो भी निर्णय रूपी शिकार अपने पंजों में एक बार ले लिया उसे सिंह की भांति छोड़ने का कभी काम नहीं किया। इससे जनता में उनकी एक मजबूत इरादे वाले नेता की छवि बनी । जिसे देश की जनता ने स्वीकार किया और अब उनके इसी काम पर अपनी मोहर लगाकर उन्हें अगले 5 वर्ष के लिए भारत का नेतृत्व प्रदान किया है ।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार कहा था :–
‘ बाधाएं आती हैं आएं
घिरे प्रलय की घोर घटाएं
पावों के नीचे अंगारे
सिर पर बरसे यदि ज्वालाऐं
निज हाथों में हंसते-हंसते
आग लगाकर जलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा ।’
प्रधानमंत्री श्री मोदी पर उनके विरोधी यहआरोप लगाते हैं कि वह घृणा की राजनीति करते हैं और समाज के एक वर्ग को साथ लेकर चलने का साहस नहीं कर पाते हैं , परंतु यह प्रधानमंत्री श्री मोदी का ही नेतृत्व है जिनके रहते देश में पिछले 5 वर्ष में कभी कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ । यही स्थिति उत्तर प्रदेश की है जहां पर पूर्व की सपा सरकार के शासन में 5 वर्ष में सैकड़ों सांप्रदायिक दंगे हुए थे। वहां अब 2017 के पश्चात से पूर्ण शांति है। दोनों समुदाय अर्थात हिंदू और मुस्लिम मिलकर रहे हैं। यही पंथनिरपेक्षता है । शासन की नीतियों में यही स्पष्टता झलकनी चाहिए कि उसके शासन में प्रत्येक वर्ग सुख शांति का अनुभव करता है और अपने तीज त्यौहार बड़े शांत मन से मना लेता है। यही कारण रहा कि देश की जनता ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को फिर से अपना नेता स्वीकार किया । देश के लोगों ने कहीं पर भी एमपी नहीं चुना बल्कि देश के प्रत्येक कोने में लोगों ने अपना पीएम चुना । इसलिए पूरा का पूरा चुनाव मोदीमय हो गया ।
मोदी ने पिछले 5 वर्ष में इस देश के लोगों को बस केवल यही सिखाया है कि :–
पोंछकर अश्क अपनी आंखों से
मुस्कुराओ तो कोई बात बने ।
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा
सर उठाओ तो कोई बात बने ।।
जिंदगी भीख में नहीं मिलती
जिंदगी बढ़कर चीनी जाती है ।
अपना हक संगदिल जमाने से
छीन पाओ तो कोई बात बने ।।
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा
सर उठाओ तो कोई बात बने —-
और अंत में अब रमजान का महीना मना रहे पाकिस्तान के बारे में भी कुछ कह दिया जाए तो अच्छा रहेगा। क्योंकि वह रमजान मनाते मनाते अल्लाह से यही प्रार्थना कर रहा था कि भारत में मोदी न आ जाए, वह चाहता था कि भारत में फिर कोई ‘मनमोहन ‘ या कोई दोगला पाकिस्तान परस्त ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग ‘ का समर्थन करने वाला धर्मनिरपेक्षी तोता प्रधानमंत्री के रूप में आ जाए , परंतु अब उसके लिए भी बस केवल यही संदेश है —–
‘ मूर्ख नहीं महान झुकता है
धरती नहीं आसमान झुकता है
हमारी विनम्रता का गलत अर्थ न निकाल लेना ऐ पाकिस्तान और
यह मत समझ लेना कि हिंदुस्तान झुकता है ।। ‘
पाकिस्तान अब यह समझ ले कि भारत में अब मोदी है और मोदी है तो मुमकिन है।

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राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

2 COMMENTS

  1. किसी भी देश की लोककतांत्रिक व्यवस्था में अपने निर्वाचन क्षेत्र को अपना किला ,विरासत, नीजि जागीर ,पारिवारिक गढ़ समझना उस उम्मीदवार के लिए बहुत बड़ी भ्रान्ति व भूल होती है । 2019 के लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने अपनी जागीर समझने वाले ऐसे राजनेताओं को करारा सबक सिखाने का काम किया है।
    जातिवाद ,धर्म , सम्प्रदाय व वंश के नाम पर वोट मांगने वाले नेताओं को भी जनता ने बुरी तरह दुत्कारा दिया।
    ऎसे गठबंधन जिनका कोई वैचारिक आधार रहा ही नही ,केवल राजनीतिक लाभ व जाति समीकरण के आधार पर बने गठबंधनों को भी जनता ने स्वीकार नही किया।
    कल पूर्व पत्रकार व कांग्रेसी नेता राजीव सचान ने एक टीवी चैनल में चुनाव परिणाम के प्रसारण के समय बातचीत में जब ये कहा की हमारे देश की जनता बहुत भोली है व नासमझ है । जनता भाजपा व मोदी के झूठे चुनाव प्रचार का शिकार हो गई। इतने वरिष्ठ पत्रकार रहे व मोजुदा कांग्रेस के प्रवक्ता से ऐसी बात सुन कर बहुत आश्चर्य हुवा।
    चुनाव परिणाम ने दिखा दिया है की देश की जनता पूरी तरह परिपक्कव है और जागरूक है । जनता को काम चाहिए नाम नही। राष्ट्रीय सुरक्षा की गारन्टी चाहिए। देश का विकास ओर राष्ट्रीय समस्याओं से पूरी तरह निजात चाहिए। गरीबी हटाने का केवल वायदा नही सचमुच में देश वासियो को जीवन स्तर ऊपर उठना चाहिए।
    सुरेश गोयल धुप वाला
    हिसार (हरियाणा)

  2. युगपुरुष मोदी की जीत पर : देश के महान मतदाताओं को प्रणाम व राकेश कुमार आर्य जी को मेरा साधुवाद।

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